GENESIS
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Chapter 1
Gene | UrduGeoD | 1:2 | अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था। | |
Gene | UrduGeoD | 1:5 | अल्लाह ने रौशनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। शाम हुई, फिर सुबह। यों पहला दिन गुज़र गया। | |
Gene | UrduGeoD | 1:6 | अल्लाह ने कहा, “पानी के दरमियान एक ऐसा गुंबद पैदा हो जाए जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो जाए।” | |
Gene | UrduGeoD | 1:7 | ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो गया। | |
Gene | UrduGeoD | 1:9 | अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 1:10 | अल्लाह ने ख़ुश्क जगह को ज़मीन का नाम दिया और जमाशुदा पानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। | |
Gene | UrduGeoD | 1:11 | फिर उसने कहा, “ज़मीन हरियावल पैदा करे, ऐसे पौदे जो बीज रखते हों और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते हों।” ऐसा ही हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 1:12 | ज़मीन ने हरियावल पैदा की, ऐसे पौदे जो अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। | |
Gene | UrduGeoD | 1:14 | अल्लाह ने कहा, “आसमान पर रौशनियाँ पैदा हो जाएँ ताकि दिन और रात में इम्तियाज़ हो और इसी तरह मुख़्तलिफ़ मौसमों, दिनों और सालों में भी। | |
Gene | UrduGeoD | 1:16 | अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया। | |
Gene | UrduGeoD | 1:18 | दिन और रात पर हुकूमत करें और रौशनी और तारीकी में इम्तियाज़ पैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। | |
Gene | UrduGeoD | 1:21 | अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, पानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। | |
Gene | UrduGeoD | 1:22 | उसने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। समुंदर तुमसे भर जाए। इसी तरह परिंदे ज़मीन पर तादाद में बढ़ जाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 1:24 | अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर क़िस्म के जानदार पैदा करे : मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर।” ऐसा ही हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 1:25 | अल्लाह ने हर क़िस्म के मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर बनाए। उसने देखा कि यह अच्छा है। | |
Gene | UrduGeoD | 1:26 | अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनी सूरत पर बनाएँ, वह हमसे मुशाबहत रखे। वह तमाम जानवरों पर हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों पर, हवा के परिंदों पर, मवेशियों पर, जंगली जानवरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर।” | |
Gene | UrduGeoD | 1:27 | यों अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया, अल्लाह की सूरत पर। उसने उन्हें मर्द और औरत बनाया। | |
Gene | UrduGeoD | 1:28 | अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर हुकूमत करो।” | |
Gene | UrduGeoD | 1:29 | अल्लाह ने उनसे मज़ीद कहा, “तमाम बीजदार पौदे और फलदार दरख़्त तुम्हारे ही हैं। मैं उन्हें तुमको खाने के लिए देता हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 1:30 | इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन पर चलने-फिरनेवाला जानवर, हवा का परिंदा या ज़मीन पर रेंगनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ। | |
Chapter 2
Gene | UrduGeoD | 2:3 | अल्लाह ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिग़ होकर आराम किया। | |
Gene | UrduGeoD | 2:5 | तो शुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता। | |
Gene | UrduGeoD | 2:7 | फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दम फूँका तो वह जीती जान हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 2:8 | रब ख़ुदा ने मशरिक़ में मुल्के-अदन में एक बाग़ लगाया। उसमें उसने उस आदमी को रखा जिसे उसने बनाया था। | |
Gene | UrduGeoD | 2:9 | रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था। | |
Gene | UrduGeoD | 2:10 | अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबपाशी करता था। वहाँ से बहकर वह चार शाख़ों में तक़सीम हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 2:11 | पहली शाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 2:12 | पहली शाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 2:15 | रब ख़ुदा ने पहले आदमी को बाग़े-अदन में रखा ताकि वह उस की बाग़बानी और हिफ़ाज़त करे। | |
Gene | UrduGeoD | 2:17 | लेकिन जिस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता है उसका फल खाना मना है। अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 2:18 | रब ख़ुदा ने कहा, “अच्छा नहीं कि आदमी अकेला रहे। मैं उसके लिए एक मुनासिब मददगार बनाता हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 2:19 | रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले जानवर और हवा के परिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल गया। | |
Gene | UrduGeoD | 2:20 | आदमी ने तमाम मवेशियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला। | |
Gene | UrduGeoD | 2:21 | तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब वह गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसलियों में से एक निकालकर उस की जगह गोश्त भर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 2:23 | उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।” | |
Gene | UrduGeoD | 2:24 | इसलिए मर्द अपने माँ-बाप को छोड़कर अपनी बीवी के साथ पैवस्त हो जाता है, और वह दोनों एक हो जाते हैं। | |
Chapter 3
Gene | UrduGeoD | 3:1 | साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?” | |
Gene | UrduGeoD | 3:3 | सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से गुरेज़ करना है जो बाग़ के बीच में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसे छूना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:5 | बल्कि अल्लाह जानता है कि जब तुम उसका फल खाओगे तो तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी और तुम अल्लाह की मानिंद हो जाओगे, तुम जो भी अच्छा और बुरा है उसे जान लोगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:6 | औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 3:7 | लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंगे हैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं। | |
Gene | UrduGeoD | 3:8 | शाम के वक़्त जब ठंडी हवा चलने लगी तो उन्होंने रब ख़ुदा को बाग़ में चलते-फिरते सुना। वह डर के मारे दरख़्तों के पीछे छुप गए। | |
Gene | UrduGeoD | 3:10 | आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ। इसलिए मैं छुप गया।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:11 | उसने पूछा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?” | |
Gene | UrduGeoD | 3:12 | आदम ने कहा, “जो औरत तूने मेरे साथ रहने के लिए दी है उसने मुझे फल दिया। इसलिए मैंने खा लिया।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:13 | अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तूने यह क्यों किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:14 | रब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमाम मवेशियों और जंगली जानवरों में लानती है। तू उम्र-भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 3:15 | मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी पैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। वह तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि तू उस की एड़ी पर काटेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:16 | फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:17 | आदम से उसने कहा, “तूने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मशक़्क़त करनी पड़ेगी। | |
Gene | UrduGeoD | 3:18 | तेरे लिए वह ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँकि तू उससे अपनी ख़ुराक भी हासिल करेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 3:19 | पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:20 | आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा यानी ज़िंदगी रखा, क्योंकि बाद में वह तमाम ज़िंदों की माँ बन गई। | |
Gene | UrduGeoD | 3:22 | उसने कहा, “इनसान हमारी मानिंद हो गया है, वह अच्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त के फल से ले और उससे खाकर हमेशा तक ज़िंदा रहे।” | |
Gene | UrduGeoD | 3:23 | इसलिए रब ख़ुदा ने उसे बाग़े-अदन से निकालकर उस ज़मीन की खेतीबाड़ी करने की ज़िम्मादारी दी जिसमें से उसे लिया गया था। | |
Chapter 4
Gene | UrduGeoD | 4:1 | आदम हव्वा से हमबिसतर हुआ तो उनका पहला बेटा क़ाबील पैदा हुआ। हव्वा ने कहा, “रब की मदद से मैंने एक मर्द हासिल किया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 4:2 | बाद में क़ाबील का भाई हाबील पैदा हुआ। हाबील भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया जबकि क़ाबील खेतीबाड़ी करने लगा। | |
Gene | UrduGeoD | 4:4 | हाबील ने भी नज़राना पेश किया, लेकिन उसने अपनी भेड़-बकरियों के कुछ पहलौठे उनकी चरबी समेत चढ़ाए। हाबील का नज़राना रब को पसंद आया, | |
Gene | UrduGeoD | 4:5 | मगर क़ाबील का नज़राना मंज़ूर न हुआ। यह देखकर क़ाबील बड़े ग़ुस्से में आ गया, और उसका मुँह बिगड़ गया। | |
Gene | UrduGeoD | 4:7 | क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।” | |
Gene | UrduGeoD | 4:8 | एक दिन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, “आओ, हम बाहर खुले मैदान में चलें।” और जब वह खुले मैदान में थे तो क़ाबील ने अपने भाई हाबील पर हमला करके उसे मार डाला। | |
Gene | UrduGeoD | 4:9 | तब रब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?” | |
Gene | UrduGeoD | 4:10 | रब ने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे भाई का ख़ून ज़मीन में से पुकारकर मुझसे फ़रियाद कर रहा है। | |
Gene | UrduGeoD | 4:11 | इसलिए तुझ पर लानत है और ज़मीन ने तुझे रद्द किया है, क्योंकि ज़मीन को मुँह खोलकर तेरे हाथ से क़त्ल किए हुए भाई का ख़ून पीना पड़ा। | |
Gene | UrduGeoD | 4:12 | अब से जब तू खेतीबाड़ी करेगा तो ज़मीन अपनी पैदावार देने से इनकार करेगी। तू मफ़रूर होकर मारा मारा फिरेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 4:14 | आज तू मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे तेरे हुज़ूर से भी छुप जाना है। मैं मफ़रूर की हैसियत से मारा मारा फिरता रहूँगा, इसलिए जिसको भी पता चलेगा कि मैं कहाँ हूँ वह मुझे क़त्ल कर डालेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 4:15 | लेकिन रब ने उससे कहा, “हरगिज़ नहीं। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा।” फिर रब ने उस पर एक निशान लगाया ताकि जो भी क़ाबील को देखे वह उसे क़त्ल न कर दे। | |
Gene | UrduGeoD | 4:16 | इसके बाद क़ाबील रब के हुज़ूर से चला गया और अदन के मशरिक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े में जा बसा। | |
Gene | UrduGeoD | 4:17 | क़ाबील की बीवी हामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिसका नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने एक शहर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुशी में उसका नाम हनूक रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 4:18 | हनूक का बेटा ईराद था, ईराद का बेटा महूयाएल, महूयाएल का बेटा मतूसाएल और मतूसाएल का बेटा लमक था। | |
Gene | UrduGeoD | 4:22 | ज़िल्ला के भी बेटा पैदा हुआ जिसका नाम तूबल-क़ाबील था। वह लोहार था। उस की नसल के लोग पीतल और लोहे की चीज़ें बनाते थे। तूबल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था। | |
Gene | UrduGeoD | 4:23 | एक दिन लमक ने अपनी बीवियों से कहा, “अदा और ज़िल्ला, मेरी बात सुनो! लमक की बीवियो, मेरे अलफ़ाज़ पर ग़ौर करो! | |
Gene | UrduGeoD | 4:24 | एक आदमी ने मुझे ज़ख़मी किया तो मैंने उसे मार डाला। एक लड़के ने मेरे चोट लगाई तो मैंने उसे क़त्ल कर दिया। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा, लेकिन जो लमक को क़त्ल करे उससे सतत्तर गुना बदला लिया जाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 4:25 | आदम और हव्वा का एक और बेटा पैदा हुआ। हव्वा ने उसका नाम सेत रखकर कहा, “अल्लाह ने मुझे हाबील की जगह जिसे क़ाबील ने क़त्ल किया एक और बेटा बख़्शा है।” | |
Chapter 5
Gene | UrduGeoD | 5:1 | ज़ैल में आदम का नसबनामा दर्ज है। जब अल्लाह ने इनसान को ख़लक़ किया तो उसने उसे अपनी सूरत पर बनाया। | |
Gene | UrduGeoD | 5:2 | उसने उन्हें मर्द और औरत पैदा किया। और जिस दिन उसने उन्हें ख़लक़ किया उसने उन्हें बरकत देकर उनका नाम आदम यानी इनसान रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 5:3 | आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका बेटा सेत पैदा हुआ। सेत सूरत के लिहाज़ से अपने बाप की मानिंद था, वह उससे मुशाबहत रखता था। | |
Gene | UrduGeoD | 5:4 | सेत की पैदाइश के बाद आदम मज़ीद 800 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 5:22 | इसके बाद वह मज़ीद 300 साल अल्लाह के साथ चलता रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 5:24 | हनूक अल्लाह के साथ साथ चलता था। 365 साल की उम्र में वह ग़ायब हुआ, क्योंकि अल्लाह ने उसे उठा लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 5:29 | उसने उसका नाम नूह यानी तसल्ली रखा, क्योंकि उसने उसके बारे में कहा, “हमारा खेतीबाड़ी का काम निहायत तकलीफ़देह है, इसलिए कि अल्लाह ने ज़मीन पर लानत भेजी है। लेकिन अब हम बेटे की मारिफ़त तसल्ली पाएँगे।” | |
Chapter 6
Gene | UrduGeoD | 6:2 | तब आसमानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इनसान की बेटियाँ ख़ूबसूरत हैं, और उन्होंने उनमें से कुछ चुनकर उनसे शादी की। | |
Gene | UrduGeoD | 6:3 | फिर रब ने कहा, “मेरी रूह हमेशा के लिए इनसान में न रहे क्योंकि वह फ़ानी मख़लूक़ है। अब से वह 120 साल से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 6:4 | उन दिनों में और बाद में भी दुनिया में देवक़ामत अफ़राद थे जो इनसानी औरतों और उन आसमानी हस्तियों की शादियों से पैदा हुए थे। यह देवक़ामत अफ़राद क़दीम ज़माने के मशहूर सूरमा थे। | |
Gene | UrduGeoD | 6:5 | रब ने देखा कि इनसान निहायत बिगड़ गया है, कि उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ मायल रहते हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 6:7 | उसने कहा, “गो मैं ही ने इनसान को ख़लक़ किया मैं उसे रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा। मैं न सिर्फ़ लोगों को बल्कि ज़मीन पर चलने-फिरने और रेंगनेवाले जानवरों और हवा के परिंदों को भी हलाक कर दूँगा, क्योंकि मैं पछताता हूँ कि मैंने उनको बनाया।” | |
Gene | UrduGeoD | 6:9 | यह उस की ज़िंदगी का बयान है। नूह रास्तबाज़ था। उस ज़माने के लोगों में सिर्फ़ वही बेक़ुसूर था। वह अल्लाह के साथ साथ चलता था। | |
Gene | UrduGeoD | 6:12 | जहाँ भी अल्लाह देखता दुनिया ख़राब थी, क्योंकि तमाम जानदारों ने ज़मीन पर अपनी रविश को बिगाड़ दिया था। | |
Gene | UrduGeoD | 6:13 | तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैंने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उनके सबब से पूरी दुनिया ज़ुल्मो-तशद्दुद से भर गई है। चुनाँचे मैं उनको ज़मीन समेत तबाह कर दूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 6:14 | अब अपने लिए सरो की लकड़ी की कश्ती बना ले। उसमें कमरे हों और उसे अंदर और बाहर तारकोल लगा। | |
Gene | UrduGeoD | 6:16 | कश्ती की छत को यों बनाना कि उसके नीचे 18 इंच खुला रहे। एक तरफ़ दरवाज़ा हो, और उस की तीन मनज़िलें हों। | |
Gene | UrduGeoD | 6:17 | मैं पानी का इतना बड़ा सैलाब लाऊँगा कि वह ज़मीन के तमाम जानदारों को हलाक कर डालेगा। ज़मीन पर सब कुछ फ़ना हो जाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 6:18 | लेकिन तेरे साथ मैं अहद बाँधूँगा जिसके तहत तू अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ कश्ती में जाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 6:19 | हर क़िस्म के जानवर का एक नर और एक मादा भी अपने साथ कश्ती में ले जाना ताकि वह तेरे साथ जीते बचें। | |
Gene | UrduGeoD | 6:20 | हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानवर और हर क़िस्म के ज़मीन पर फिरने या रेंगनेवाले जानवर दो दो होकर तेरे पास आएँगे ताकि जीते बच जाएँ। | |
Chapter 7
Gene | UrduGeoD | 7:1 | फिर रब ने नूह से कहा, “अपने घराने समेत कश्ती में दाख़िल हो जा, क्योंकि इस दौर के लोगों में से मैंने सिर्फ़ तुझे रास्तबाज़ पाया है। | |
Gene | UrduGeoD | 7:2 | हर क़िस्म के पाक जानवरों में से सात सात नरो-मादा के जोड़े जबकि नापाक जानवरों में से नरो-मादा का सिर्फ़ एक एक जोड़ा साथ ले जाना। | |
Gene | UrduGeoD | 7:3 | इसी तरह हर क़िस्म के पर रखनेवालों में से सात सात नरो-मादा के जोड़े भी साथ ले जाना ताकि उनकी नसलें बची रहें। | |
Gene | UrduGeoD | 7:4 | एक हफ़ते के बाद मैं चालीस दिन और चालीस रात मुतवातिर बारिश बरसाऊँगा। इससे मैं तमाम जानदारों को रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा, अगरचे मैं ही ने उन्हें बनाया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 7:7 | तूफ़ानी सैलाब से बचने के लिए नूह अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ कश्ती में सवार हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 7:8 | ज़मीन पर फिरनेवाले पाक और नापाक जानवर, पर रखनेवाले और तमाम रेंगनेवाले जानवर भी आए। | |
Gene | UrduGeoD | 7:9 | नरो-मादा की सूरत में दो दो होकर वह नूह के पास आकर कश्ती में सवार हुए। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा अल्लाह ने नूह को हुक्म दिया था। | |
Gene | UrduGeoD | 7:11 | यह सब कुछ उस वक़्त हुआ जब नूह 600 साल का था। दूसरे महीने के 17वें दिन ज़मीन की गहराइयों में से तमाम चश्मे फूट निकले और आसमान पर पानी के दरीचे खुल गए। | |
Gene | UrduGeoD | 7:13 | जब बारिश शुरू हुई तो नूह, उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त, उस की बीवी और बहुएँ कश्ती में सवार हो चुके थे। | |
Gene | UrduGeoD | 7:16 | नरो-मादा आए थे। सब कुछ वैसा ही हुआ था जैसा अल्लाह ने नूह को हुक्म दिया था। फिर रब ने दरवाज़े को बंद कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 7:17 | चालीस दिन तक तूफ़ानी सैलाब जारी रहा। पानी चढ़ा तो उसने कश्ती को ज़मीन पर से उठा लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 7:21 | ज़मीन पर रहनेवाली हर मख़लूक़ हलाक हुई। परिंदे, मवेशी, जंगली जानवर, तमाम जानदार जिनसे ज़मीन भरी हुई थी और इनसान, सब कुछ मर गया। | |
Gene | UrduGeoD | 7:23 | यों हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया गया। इनसान, ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर और परिंदे, सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। सिर्फ़ नूह और कश्ती में सवार उसके साथी बच गए। | |
Chapter 8
Gene | UrduGeoD | 8:1 | लेकिन अल्लाह को नूह और तमाम जानवर याद रहे जो कश्ती में थे। उसने हवा चला दी जिससे पानी कम होने लगा। | |
Gene | UrduGeoD | 8:5 | दसवें महीने के पहले दिन पानी इतना कम हो गया था कि पहाड़ों की चोटियाँ नज़र आने लगी थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 8:6 | चालीस दिन के बाद नूह ने कश्ती की खिड़की खोलकर एक कौवा छोड़ दिया, और वह उड़कर चला गया। लेकिन जब तक ज़मीन पर पानी था वह आता जाता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 8:7 | चालीस दिन के बाद नूह ने कश्ती की खिड़की खोलकर एक कौवा छोड़ दिया, और वह उड़कर चला गया। लेकिन जब तक ज़मीन पर पानी था वह आता जाता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 8:9 | लेकिन कबूतर को कहीं भी बैठने की जगह न मिली, क्योंकि अब तक पूरी ज़मीन पर पानी ही पानी था। वह कश्ती और नूह के पास वापस आ गया, और नूह ने अपना हाथ बढ़ाया और कबूतर को पकड़कर अपने पास कश्ती में रख लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 8:11 | शाम के वक़्त वह लौट आया। इस दफ़ा उस की चोंच में ज़ैतून का ताज़ा पत्ता था। तब नूह को मालूम हुआ कि ज़मीन पानी से निकल आई है। | |
Gene | UrduGeoD | 8:13 | जब नूह 601 साल का था तो पहले महीने के पहले दिन ज़मीन की सतह पर पानी ख़त्म हो गया। तब नूह ने कश्ती की छत खोल दी और देखा कि ज़मीन की सतह पर पानी नहीं है। | |
Gene | UrduGeoD | 8:17 | जितने भी जानवर साथ हैं उन्हें निकाल दे, ख़ाह परिंदे हों, ख़ाह ज़मीन पर फिरने या रेंगनेवाले जानवर। वह दुनिया में फैल जाएँ, नसल बढ़ाएँ और तादाद में बढ़ते जाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 8:20 | उस वक़्त नूह ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई। उसने तमाम फिरने और उड़नेवाले पाक जानवरों में से कुछ चुनकर उन्हें ज़बह किया और क़ुरबानगाह पर पूरी तरह जला दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 8:21 | यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिल बचपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा। | |
Chapter 9
Gene | UrduGeoD | 9:1 | फिर अल्लाह ने नूह और उसके बेटों को बरकत देकर कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए। | |
Gene | UrduGeoD | 9:2 | ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर, परिंदे और मछलियाँ सब तुमसे डरेंगे। उन्हें तुम्हारे इख़्तियार में कर दिया गया है। | |
Gene | UrduGeoD | 9:3 | जिस तरह मैंने तुम्हारे खाने के लिए पौदों की पैदावार मुक़र्रर की है उसी तरह अब से तुम्हें हर क़िस्म के जानवर खाने की इजाज़त भी है। | |
Gene | UrduGeoD | 9:5 | किसी की जान लेना मना है। जो ऐसा करेगा उसे अपनी जान देनी पड़ेगी, ख़ाह वह इनसान हो या हैवान। मैं ख़ुद इसका मुतालबा करूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 9:6 | जो भी किसी का ख़ून बहाए उसका ख़ून भी बहाया जाएगा। क्योंकि अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया है। | |
Gene | UrduGeoD | 9:10 | यह अहद उन तमाम जानवरों के साथ भी होगा जो कश्ती में से निकले हैं यानी परिंदों, मवेशियों और ज़मीन पर के तमाम जानवरों के साथ। | |
Gene | UrduGeoD | 9:11 | मैं तुम्हारे साथ अहद बाँधकर वादा करता हूँ कि अब से ऐसा कभी नहीं होगा कि ज़मीन की तमाम ज़िंदगी सैलाब से ख़त्म कर दी जाएगी। अब से ऐसा सैलाब कभी नहीं आएगा जो पूरी ज़मीन को तबाह कर दे। | |
Gene | UrduGeoD | 9:12 | इस अबदी अहद का निशान जो मैं तुम्हारे और तमाम जानदारों के साथ क़ायम कर रहा हूँ यह है कि | |
Gene | UrduGeoD | 9:15 | तो मैं यह अहद याद करूँगा जो तुम्हारे और तमाम जानदारों के साथ किया गया है। अब कभी भी ऐसा सैलाब नहीं आएगा जो तमाम ज़िंदगी को हलाक कर दे। | |
Gene | UrduGeoD | 9:16 | क़ौसे-क़ुज़ह नज़र आएगी तो मैं उसे देखकर उस दायमी अहद को याद करूँगा जो मेरे और दुनिया की तमाम जानदार मख़लूक़ात के दरमियान है। | |
Gene | UrduGeoD | 9:22 | कनान के बाप हाम ने उसे यों पड़ा हुआ देखा तो बाहर जाकर अपने दोनों भाइयों को उसके बारे में बताया। | |
Gene | UrduGeoD | 9:23 | यह सुनकर सिम और याफ़त ने अपने कंधों पर कपड़ा रखा। फिर वह उलटे चलते हुए डेरे में दाख़िल हुए और कपड़ा अपने बाप पर डाल दिया। उनके मुँह दूसरी तरफ़ मुड़े रहे ताकि बाप की बरहनगी नज़र न आए। | |
Gene | UrduGeoD | 9:27 | अल्लाह करे कि याफ़त की हुदूद बढ़ जाएँ। याफ़त सिम के डेरों में रहे और कनान उसका ग़ुलाम हो।” | |
Chapter 10
Gene | UrduGeoD | 10:1 | यह नूह के बेटों सिम, हाम और याफ़त का नसबनामा है। उनके बेटे सैलाब के बाद पैदा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 10:5 | वह उन क़ौमों के आबा-ओ-अजदाद हैं जो साहिली इलाक़ों और जज़ीरों में फैल गईं। यह याफ़त की औलाद हैं जो अपने अपने क़बीले और मुल्क में रहते हुए अपनी अपनी ज़बान बोलते हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 10:9 | रब के नज़दीक वह ज़बरदस्त शिकारी था। इसलिए आज भी किसी अच्छे शिकारी के बारे में कहा जाता है, “वह नमरूद की मानिंद है जो रब के नज़दीक ज़बरदस्त शिकारी था।” | |
Gene | UrduGeoD | 10:19 | कि उनकी हुदूद शिमाल में सैदा से जुनूब की तरफ़ जिरार से होकर ग़ज़्ज़ा तक और वहाँ से मशरिक़ की तरफ़ सदूम, अमूरा, अदमा और ज़बोईम से होकर लसा तक थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 10:20 | यह सब हाम की औलाद हैं, जो उनके अपने अपने क़बीले, अपनी अपनी ज़बान, अपने अपने मुल्क और अपनी अपनी क़ौम के मुताबिक़ दर्ज हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 10:25 | इबर के हाँ दो बेटे पैदा हुए। एक का नाम फ़लज यानी तक़सीम था, क्योंकि उन ऐयाम में दुनिया तक़सीम हुई। फ़लज के भाई का नाम युक़तान था। | |
Gene | UrduGeoD | 10:31 | यह सब सिम की औलाद हैं, जो अपने अपने क़बीले, अपनी अपनी ज़बान, अपने अपने मुल्क और अपनी अपनी क़ौम के मुताबिक़ दर्ज हैं। | |
Chapter 11
Gene | UrduGeoD | 11:3 | तब वह एक दूसरे से कहने लगे, “आओ, हम मिट्टी से ईंटें बनाकर उन्हें आग में ख़ूब पकाएँ।” उन्होंने तामीरी काम के लिए पत्थर की जगह ईंटें और मसाले की जगह तारकोल इस्तेमाल किया। | |
Gene | UrduGeoD | 11:4 | फिर वह कहने लगे, “आओ, हम अपने लिए शहर बना लें जिसमें ऐसा बुर्ज हो जो आसमान तक पहुँच जाए फिर हमारा नाम क़ायम रहेगा और हम रूए-ज़मीन पर बिखर जाने से बच जाएंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 11:6 | रब ने कहा, “यह लोग एक ही क़ौम हैं और एक ही ज़बान बोलते हैं। और यह सिर्फ़ उसका आग़ाज़ है जो वह करना चाहते हैं। अब से जो भी वह मिलकर करना चाहेंगे उससे उन्हें रोका नहीं जा सकेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 11:7 | इसलिए आओ, हम दुनिया में उतरकर उनकी ज़बान को दरहम-बरहम कर दें ताकि वह एक दूसरे की बात समझ न पाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 11:8 | इस तरीक़े से रब ने उन्हें तमाम रूए-ज़मीन पर मुंतशिर कर दिया, और शहर की तामीर रुक गई। | |
Gene | UrduGeoD | 11:9 | इसलिए शहर का नाम बाबल यानी अबतरी ठहरा, क्योंकि रब ने वहाँ तमाम लोगों की ज़बान को दरहम-बरहम करके उन्हें तमाम रूए-ज़मीन पर मुंतशिर कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 11:10 | यह सिम का नसबनामा है : सिम 100 साल का था जब उसका बेटा अरफ़क्सद पैदा हुआ। यह सैलाब के दो साल बाद हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 11:27 | यह तारह का नसबनामा है : अब्राम, नहूर और हारान तारह के बेटे थे। लूत हारान का बेटा था। | |
Gene | UrduGeoD | 11:28 | अपने बाप तारह की ज़िंदगी में ही हारान कसदियों के ऊर में इंतक़ाल कर गया जहाँ वह पैदा भी हुआ था। | |
Gene | UrduGeoD | 11:29 | बाक़ी दोनों बेटों की शादी हुई। अब्राम की बीवी का नाम सारय था और नहूर की बीवी का नाम मिलकाह। मिलकाह हारान की बेटी थी, और उस की एक बहन बनाम इस्का थी। | |
Gene | UrduGeoD | 11:31 | तारह कसदियों के ऊर से रवाना होकर मुल्के-कनान की तरफ़ सफ़र करने लगा। उसके साथ उसका बेटा अब्राम, उसका पोता लूत यानी हारान का बेटा और उस की बहू सारय थे। जब वह हारान पहुँचे तो वहाँ आबाद हो गए। | |
Chapter 12
Gene | UrduGeoD | 12:1 | रब ने अब्राम से कहा, “अपने वतन, अपने रिश्तेदारों और अपने बाप के घर को छोड़कर उस मुल्क में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 12:2 | मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा, तुझे बरकत दूँगा और तेरे नाम को बहुत बढ़ाऊँगा। तू दूसरों के लिए बरकत का बाइस होगा। | |
Gene | UrduGeoD | 12:3 | जो तुझे बरकत देंगे उन्हें मैं भी बरकत दूँगा। जो तुझ पर लानत करेगा उस पर मैं भी लानत करूँगा। दुनिया की तमाम क़ौमें तुझसे बरकत पाएँगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 12:4 | अब्राम ने रब की सुनी और हारान से रवाना हुआ। लूत उसके साथ था। उस वक़्त अब्राम 75 साल का था। | |
Gene | UrduGeoD | 12:5 | उसके साथ उस की बीवी सारय और उसका भतीजा लूत थे। वह अपने नौकर-चाकरों समेत अपनी पूरी मिलकियत भी साथ ले गया जो उसने हारान में हासिल की थी। चलते चलते वह कनान पहुँचे। | |
Gene | UrduGeoD | 12:6 | अब्राम उस मुल्क में से गुज़रकर सिकम के मक़ाम पर ठहर गया जहाँ मोरिह के बलूत का दरख़्त था। उस ज़माने में मुल्क में कनानी क़ौमें आबाद थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 12:7 | वहाँ रब अब्राम पर ज़ाहिर हुआ और उससे कहा, “मैं तेरी औलाद को यह मुल्क दूँगा।” इसलिए उसने वहाँ रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई जहाँ वह उस पर ज़ाहिर हुआ था। | |
Gene | UrduGeoD | 12:8 | वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की। | |
Gene | UrduGeoD | 12:10 | उन दिनों में मुल्के-कनान में काल पड़ा। काल इतना सख़्त था कि अब्राम उससे बचने की ख़ातिर कुछ देर के लिए मिसर में जा बसा, लेकिन परदेसी की हैसियत से। | |
Gene | UrduGeoD | 12:11 | जब वह मिसर की सरहद के क़रीब आए तो उसने अपनी बीवी सारय से कहा, “मैं जानता हूँ कि तू कितनी ख़ूबसूरत है। | |
Gene | UrduGeoD | 12:12 | मिसरी तुझे देखेंगे, फिर कहेंगे, ‘यह इसका शौहर है।’ नतीजे में वह मुझे मार डालेंगे और तुझे ज़िंदा छोड़ेंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 12:13 | इसलिए लोगों से यह कहते रहना कि मैं अब्राम की बहन हूँ। फिर मेरे साथ अच्छा सुलूक किया जाएगा और मेरी जान तेरे सबब से बच जाएगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 12:15 | और जब फ़िरौन के अफ़सरान ने उसे देखा तो उन्होंने फ़िरौन के सामने सारय की तारीफ़ की। आख़िरकार उसे महल में पहुँचाया गया। | |
Gene | UrduGeoD | 12:16 | फ़िरौन ने सारय की ख़ातिर अब्राम पर एहसान करके उसे भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, गधे-गधियाँ, नौकर-चाकर और ऊँट दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 12:17 | लेकिन रब ने सारय के सबब से फ़िरौन और उसके घराने में सख़्त क़िस्म के अमराज़ फैलाए। | |
Gene | UrduGeoD | 12:18 | आख़िरकार फ़िरौन ने अब्राम को बुलाकर कहा, “तूने मेरे साथ क्या किया? तूने मुझे क्यों नहीं बताया कि सारय तेरी बीवी है? | |
Gene | UrduGeoD | 12:19 | तूने क्यों कहा कि वह मेरी बहन है? इस धोके की बिना पर मैंने उसे घर में रख लिया ताकि उससे शादी करूँ। देख, तेरी बीवी हाज़िर है। इसे लेकर यहाँ से निकल जा!” | |
Chapter 13
Gene | UrduGeoD | 13:1 | अब्राम अपनी बीवी, लूत और तमाम जायदाद को साथ लेकर मिसर से निकला और कनान के जुनूबी इलाक़े दश्ते-नजब में वापस आया। | |
Gene | UrduGeoD | 13:3 | वहाँ से जगह बजगह चलते हुए वह आख़िरकार बैतेल से होकर उस मक़ाम तक पहुँच गया जहाँ उसने शुरू में अपना डेरा लगाया था और जो बैतेल और अई के दरमियान था। | |
Gene | UrduGeoD | 13:6 | नतीजा यह निकला कि आख़िरकार वह मिलकर न रह सके, क्योंकि इतनी जगह नहीं थी कि दोनों के रेवड़ एक ही जगह पर चर सकें। | |
Gene | UrduGeoD | 13:7 | अब्राम और लूत के चरवाहे आपस में झगड़ने लगे। (उस ज़माने में कनानी और फ़रिज़्ज़ी भी मुल्क में आबाद थे।) | |
Gene | UrduGeoD | 13:8 | तब अब्राम ने लूत से बात की, “ऐसा नहीं होना चाहिए कि तेरे और मेरे दरमियान झगड़ा हो या तेरे चरवाहों और मेरे चरवाहों के दरमियान। हम तो भाई हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 13:9 | क्या ज़रूरत है कि हम मिलकर रहें जबकि तू आसानी से इस मुल्क की किसी और जगह रह सकता है। बेहतर है कि तू मुझसे अलग होकर कहीं और रहे। अगर तू बाएँ हाथ जाए तो मैं दाएँ हाथ जाऊँगा, और अगर तू दाएँ हाथ जाए तो मैं बाएँ हाथ जाऊँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 13:10 | लूत ने अपनी नज़र उठाकर देखा कि दरियाए-यरदन के पूरे इलाक़े में ज़ुग़र तक पानी की कसरत है। वह रब के बाग़ या मुल्के-मिसर की मानिंद था, क्योंकि उस वक़्त रब ने सदूम और अमूरा को तबाह नहीं किया था। | |
Gene | UrduGeoD | 13:11 | चुनाँचे लूत ने दरियाए-यरदन के पूरे इलाक़े को चुन लिया और मशरिक़ की तरफ़ जा बसा। यों दोनों रिश्तेदार एक दूसरे से जुदा हो गए। | |
Gene | UrduGeoD | 13:12 | अब्राम मुल्के-कनान में रहा जबकि लूत यरदन के इलाक़े के शहरों के दरमियान आबाद हो गया। वहाँ उसने अपने ख़ैमे सदूम के क़रीब लगा दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 13:13 | लेकिन सदूम के बाशिंदे निहायत शरीर थे, और उनके रब के ख़िलाफ़ गुनाह निहायत मकरूह थे। | |
Gene | UrduGeoD | 13:14 | लूत अब्राम से जुदा हुआ तो रब ने अब्राम से कहा, “अपनी नज़र उठाकर चारों तरफ़ यानी शिमाल, जुनूब, मशरिक़ और मग़रिब की तरफ़ देख। | |
Gene | UrduGeoD | 13:16 | मैं तेरी औलाद को ख़ाक की तरह बेशुमार होने दूँगा। जिस तरह ख़ाक के ज़र्रे गिने नहीं जा सकते उसी तरह तेरी औलाद भी गिनी नहीं जा सकेगी। | |
Chapter 14
Gene | UrduGeoD | 14:1 | कनान में जंग हुई। बैरूने-मुल्क के चार बादशाहों ने कनान के पाँच बादशाहों से जंग की। बैरूने-मुल्क के बादशाह यह थे : सिनार से अमराफ़िल, इल्लासर से अरयूक, ऐलाम से किदरलाउमर और जोयम से तिदाल। | |
Gene | UrduGeoD | 14:2 | कनान के बादशाह यह थे : सदूम से बिरा, अमूरा से बिरशा, अदमा से सिनियाब, ज़बोईम से शिमेबर और बाला यानी ज़ुग़र का बादशाह। | |
Gene | UrduGeoD | 14:3 | कनान के इन पाँच बादशाहों का इत्तहाद हुआ था और वह वादीए-सिद्दीम में जमा हुए थे। (अब सिद्दीम नहीं है, क्योंकि उस की जगह बहीराए-मुरदार आ गया है)। | |
Gene | UrduGeoD | 14:4 | किदरलाउमर ने बारह साल तक उन पर हुकूमत की थी, लेकिन तेरहवें साल वह बाग़ी हो गए थे। | |
Gene | UrduGeoD | 14:5 | अब एक साल के बाद किदरलाउमर और उसके इत्तहादी अपनी फ़ौजों के साथ आए। पहले उन्होंने अस्तारात-क़रनैम में रफ़ाइयों को, हाम में ज़ूज़ियों को, सवी-क़िरियतायम में ऐमियों को | |
Gene | UrduGeoD | 14:6 | और होरियों को उनके पहाड़ी इलाक़े सईर में शिकस्त दी। यों वह एल-फ़ारान तक पहुँच गए जो रेगिस्तान के किनारे पर है। | |
Gene | UrduGeoD | 14:7 | फिर वह वापस आए और ऐन-मिसफ़ात यानी क़ादिस पहुँचे। उन्होंने अमालीक़ियों के पूरे इलाक़े को तबाह कर दिया और हससून-तमर में आबाद अमोरियों को भी शिकस्त दी। | |
Gene | UrduGeoD | 14:8 | उस वक़्त सदूम, अमूरा, अदमा, ज़बोईम और बाला यानी ज़ुग़र के बादशाह उनसे लड़ने के लिए सिद्दीम की वादी में जमा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 14:9 | इन पाँच बादशाहों ने ऐलाम के बादशाह किदरलाउमर, जोयम के बादशाह तिदाल, सिनार के बादशाह अमराफ़िल और इल्लासर के बादशाह अरयूक का मुक़ाबला किया। | |
Gene | UrduGeoD | 14:10 | इस वादी में तारकोल के मुतअद्दिद गढ़े थे। जब बाग़ी बादशाह शिकस्त खाकर भागने लगे तो सदूम और अमूरा के बादशाह इन गढ़ों में गिर गए जबकि बाक़ी तीन बादशाह बचकर पहाड़ी इलाक़े में फ़रार हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 14:11 | फ़तहमंद बादशाह सदूम और अमूरा का तमाम माल तमाम खानेवाली चीज़ों समेत लूटकर वापस चल दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 14:12 | अब्राम का भतीजा लूत सदूम में रहता था, इसलिए वह उसे भी उस की मिलकियत समेत छीनकर साथ ले गए। | |
Gene | UrduGeoD | 14:13 | लेकिन एक आदमी ने जो बच निकला था इबरानी मर्द अब्राम के पास आकर उसे सब कुछ बता दिया। उस वक़्त वह ममरे के दरख़्तों के पास आबाद था। ममरे अमोरी था। वह और उसके भाई इसकाल और आनेर अब्राम के इत्तहादी थे। | |
Gene | UrduGeoD | 14:14 | जब अब्राम को पता चला कि भतीजे को गिरिफ़्तार कर लिया गया है तो उसने अपने घर में पैदा हुए तमाम जंगआज़मूदा ग़ुलामों को जमा करके दान तक दुश्मन का ताक़्क़ुब किया। उसके साथ 318 अफ़राद थे। | |
Gene | UrduGeoD | 14:15 | वहाँ उसने अपने बंदों को गुरोहों में तक़सीम करके रात के वक़्त दुश्मन पर हमला किया। दुश्मन शिकस्त खाकर भाग गया और अब्राम ने दमिश्क़ के शिमाल में वाक़े ख़ूबा तक उसका ताक़्क़ुब किया। | |
Gene | UrduGeoD | 14:16 | वह उनसे लूटा हुआ तमाम माल वापस ले आया। लूत, उस की जायदाद, औरतें और बाक़ी क़ैदी भी दुश्मन के क़ब्ज़े से बच निकले। | |
Gene | UrduGeoD | 14:17 | जब अब्राम किदरलाउमर और उसके इत्तहादियों पर फ़तह पाने के बाद वापस पहुँचा तो सदूम का बादशाह उससे मिलने के लिए वादीए-सवी में आया। (इसे आजकल बादशाह की वादी कहा जाता है।) | |
Gene | UrduGeoD | 14:18 | सालिम का बादशाह मलिके-सिद्क़ भी वहाँ पहुँचा। वह अपने साथ रोटी और मै ले आया। मलिके-सिद्क़ अल्लाह तआला का इमाम था। | |
Gene | UrduGeoD | 14:19 | उसने अब्राम को बरकत देकर कहा, “अब्राम पर अल्लाह तआला की बरकत हो, जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है। | |
Gene | UrduGeoD | 14:20 | अल्लाह तआला मुबारक हो जिसने तेरे दुश्मनों को तेरे हाथ में कर दिया है।” अब्राम ने उसे तमाम माल का दसवाँ हिस्सा दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 14:21 | सदूम के बादशाह ने अब्राम से कहा, “मुझे मेरे लोग वापस कर दें और बाक़ी चीज़ें अपने पास रख लें।” | |
Gene | UrduGeoD | 14:22 | लेकिन अब्राम ने उससे कहा, “मैंने रब से क़सम खाई है, अल्लाह तआला से जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है | |
Gene | UrduGeoD | 14:23 | कि मैं उसमें से कुछ नहीं लूँगा जो आपका है, चाहे वह धागा या जूती का तसमा ही क्यों न हो। ऐसा न हो कि आप कहें, ‘मैंने अब्राम को दौलतमंद बना दिया है।’ | |
Chapter 15
Gene | UrduGeoD | 15:1 | इसके बाद रब रोया में अब्राम से हमकलाम हुआ, “अब्राम, मत डर। मैं ही तेरी सिपर हूँ, मैं ही तेरा बहुत बड़ा अज्र हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 15:2 | लेकिन अब्राम ने एतराज़ किया, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तू मुझे क्या देगा जबकि अभी तक मेरे हाँ कोई बच्चा नहीं है और इलियज़र दमिश्क़ी मेरी मीरास पाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 15:4 | तब अब्राम को अल्लाह से एक और कलाम मिला। “यह आदमी इलियज़र तेरा वारिस नहीं होगा बल्कि तेरा अपना ही बेटा तेरा वारिस होगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 15:5 | रब ने उसे बाहर ले जाकर कहा, “आसमान की तरफ़ देख और सितारों को गिनने की कोशिश कर। तेरी औलाद इतनी ही बेशुमार होगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 15:7 | फिर रब ने उससे कहा, “मैं रब हूँ जो तुझे कसदियों के ऊर से यहाँ ले आया ताकि तुझे यह मुल्क मीरास में दे दूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 15:8 | अब्राम ने पूछा, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, मैं किस तरह जानूँ कि इस मुल्क पर क़ब्ज़ा करूँगा?” | |
Gene | UrduGeoD | 15:9 | जवाब में रब ने कहा, “मेरे हुज़ूर एक तीन-साला गाय, एक तीन-साला बकरी और एक तीन-साला मेंढा ले आ। एक क़ुम्री और एक कबूतर का बच्चा भी ले आना।” | |
Gene | UrduGeoD | 15:10 | अब्राम ने ऐसा ही किया और फिर हर एक जानवर को दो हिस्सों में काटकर उनको एक दूसरे के आमने-सामने रख दिया। लेकिन परिंदों को उसने सालिम रहने दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 15:12 | जब सूरज डूबने लगा तो अब्राम पर गहरी नींद तारी हुई। उस पर दहशत और अंधेरा ही अंधेरा छा गया। | |
Gene | UrduGeoD | 15:13 | फिर रब ने उससे कहा, “जान ले कि तेरी औलाद ऐसे मुल्क में रहेगी जो उसका नहीं होगा। वहाँ वह अजनबी और ग़ुलाम होगी, और उस पर 400 साल तक बहुत ज़ुल्म किया जाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 15:14 | लेकिन मैं उस क़ौम की अदालत करूँगा जिसने उसे ग़ुलाम बनाया होगा। इसके बाद वह बड़ी दौलत पाकर उस मुल्क से निकलेंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 15:15 | तू ख़ुद उम्ररसीदा होकर सलामती के साथ इंतक़ाल करके अपने बापदादा से जा मिलेगा और दफ़नाया जाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 15:16 | तेरी औलाद की चौथी पुश्त ग़ैरवतन से वापस आएगी, क्योंकि उस वक़्त तक मैं अमोरियों को बरदाश्त करूँगा। लेकिन आख़िरकार उनके गुनाह इतने संगीन हो जाएंगे कि मैं उन्हें मुल्के-कनान से निकाल दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 15:17 | सूरज ग़ुरूब हुआ। अंधेरा छा गया। अचानक एक धुआँदार तनूर और एक भड़कती हुई मशाल नज़र आई और जानवरों के दो दो टुकड़ों के बीच में से गुज़रे। | |
Gene | UrduGeoD | 15:18 | उस वक़्त रब ने अब्राम के साथ अहद किया। उसने कहा, “मैं यह मुल्क मिसर की सरहद से फ़ुरात तक तेरी औलाद को दूँगा, | |
Chapter 16
Gene | UrduGeoD | 16:1 | अब तक अब्राम की बीवी सारय के कोई बच्चा नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने एक मिसरी लौंडी रखी थी जिसका नाम हाजिरा था, | |
Gene | UrduGeoD | 16:2 | और एक दिन सारय ने अब्राम से कहा, “रब ने मुझे बच्चे पैदा करने से महरूम रखा है, इसलिए मेरी लौंडी के साथ हमबिसतर हों। शायद मुझे उस की मारिफ़त बच्चा मिल जाए।” अब्राम ने सारय की बात मान ली। | |
Gene | UrduGeoD | 16:3 | चुनाँचे सारय ने अपनी मिसरी लौंडी हाजिरा को अपने शौहर अब्राम को दे दिया ताकि वह उस की बीवी बन जाए उस वक़्त अब्राम को कनान में बसते हुए दस साल हो गए थे। | |
Gene | UrduGeoD | 16:4 | अब्राम हाजिरा से हमबिसतर हुआ तो वह उम्मीद से हो गई। जब हाजिरा को यह मालूम हुआ तो वह अपनी मालिकन को हक़ीर जानने लगी। | |
Gene | UrduGeoD | 16:5 | तब सारय ने अब्राम से कहा, “जो ज़ुल्म मुझ पर किया जा रहा है वह आप ही पर आए। मैंने ख़ुद इसे आपके बाज़ुओं में दे दिया था। अब जब इसे मालूम हुआ है कि उम्मीद से है तो मुझे हक़ीर जानने लगी है। रब मेरे और आपके दरमियान फ़ैसला करे।” | |
Gene | UrduGeoD | 16:6 | अब्राम ने जवाब दिया, “देखो, यह तुम्हारी लौंडी है और तुम्हारे इख़्तियार में है। जो तुम्हारा जी चाहे उसके साथ करो।” इस पर सारय उससे इतना बुरा सुलूक करने लगी कि हाजिरा फ़रार हो गई। | |
Gene | UrduGeoD | 16:7 | रब के फ़रिश्ते को हाजिरा रेगिस्तान के उस चश्मे के क़रीब मिली जो शूर के रास्ते पर है। | |
Gene | UrduGeoD | 16:8 | उसने कहा, “सारय की लौंडी हाजिरा, तू कहाँ से आ रही है और कहाँ जा रही है?” हाजिरा ने जवाब दिया, “मैं अपनी मालिकन सारय से फ़रार हो रही हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 16:11 | रब के फ़रिश्ते ने मज़ीद कहा, “तू उम्मीद से है। एक बेटा पैदा होगा। उसका नाम इसमाईल यानी ‘अल्लाह सुनता है’ रख, क्योंकि रब ने मुसीबत में तेरी आवाज़ सुनी। | |
Gene | UrduGeoD | 16:12 | वह जंगली गधे की मानिंद होगा। उसका हाथ हर एक के ख़िलाफ़ और हर एक का हाथ उसके ख़िलाफ़ होगा। तो भी वह अपने तमाम भाइयों के सामने आबाद रहेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 16:13 | रब के उसके साथ बात करने के बाद हाजिरा ने उसका नाम अत्ताएल-रोई यानी ‘तू एक माबूद है जो मुझे देखता है’ रखा। उसने कहा, “क्या मैंने वाक़ई उसके पीछे देखा है जिसने मुझे देखा है?” | |
Gene | UrduGeoD | 16:14 | इसलिए उस जगह के कुएँ का नाम ‘बैर-लही-रोई’ यानी ‘उस ज़िंदा हस्ती का कुआँ जो मुझे देखता है’ पड़ गया। वह क़ादिस और बरद के दरमियान वाक़े है। | |
Chapter 17
Gene | UrduGeoD | 17:1 | जब अब्राम 99 साल का था तो रब उस पर ज़ाहिर हुआ। उसने कहा, “मैं अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ हूँ। मेरे हुज़ूर चलता रह और बेइलज़ाम हो। | |
Gene | UrduGeoD | 17:5 | अब से तू अब्राम यानी ‘अज़ीम बाप’ नहीं कहलाएगा बल्कि तेरा नाम इब्राहीम यानी ‘बहुत क़ौमों का बाप’ होगा। क्योंकि मैंने तुझे बहुत क़ौमों का बाप बना दिया है। | |
Gene | UrduGeoD | 17:6 | मैं तुझे बहुत ही ज़्यादा औलाद बख़्श दूँगा, इतनी कि क़ौमें बनेंगी। तुझसे बादशाह भी निकलेंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 17:7 | मैं अपना अहद तेरे और तेरी औलाद के साथ नसल-दर-नसल क़ायम करूँगा, एक अबदी अहद जिसके मुताबिक़ मैं तेरा और तेरी औलाद का ख़ुदा हूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 17:8 | तू इस वक़्त मुल्के-कनान में परदेसी है, लेकिन मैं इस पूरे मुल्क को तुझे और तेरी औलाद को देता हूँ। यह हमेशा तक उनका ही रहेगा, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 17:9 | अल्लाह ने इब्राहीम से यह भी कहा, “तुझे और तेरी औलाद को नसल-दर-नसल मेरे अहद की शरायत पूरी करनी हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 17:12 | लाज़िम है कि तू और तेरी औलाद नसल-दर-नसल अपने हर एक बेटे का आठवें दिन ख़तना करवाएँ। यह उसूल उस पर भी लागू है जो तेरे घर में रहता है लेकिन तुझसे रिश्ता नहीं रखता, चाहे वह घर में पैदा हुआ हो या किसी अजनबी से ख़रीदा गया हो। | |
Gene | UrduGeoD | 17:13 | घर के हर एक मर्द का ख़तना करना लाज़िम है, ख़ाह वह घर में पैदा हुआ हो या किसी अजनबी से ख़रीदा गया हो। यह इस बात का निशान होगा कि मेरा तेरे साथ अहद हमेशा तक क़ायम रहेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 17:14 | जिस मर्द का ख़तना न किया गया उसे उस की क़ौम में से मिटाया जाएगा, क्योंकि उसने मेरे अहद की शरायत पूरी न कीं।” | |
Gene | UrduGeoD | 17:15 | अल्लाह ने इब्राहीम से यह भी कहा, “अपनी बीवी सारय का नाम भी बदल देना। अब से उसका नाम सारय नहीं बल्कि सारा यानी शहज़ादी होगा। | |
Gene | UrduGeoD | 17:16 | मैं उसे बरकत बख़्शूँगा और तुझे उस की मारिफ़त बेटा दूँगा। मैं उसे यहाँ तक बरकत दूँगा कि उससे क़ौमें बल्कि क़ौमों के बादशाह निकलेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 17:17 | इब्राहीम मुँह के बल गिर गया। लेकिन दिल ही दिल में वह हँस पड़ा और सोचा, “यह किस तरह हो सकता है? मैं तो 100 साल का हूँ। ऐसे आदमी के हाँ बच्चा किस तरह पैदा हो सकता है? और सारा जैसी उम्ररसीदा औरत के बच्चा किस तरह पैदा हो सकता है? उस की उम्र तो 90 साल है।” | |
Gene | UrduGeoD | 17:19 | अल्लाह ने कहा, “नहीं, तेरी बीवी सारा के हाँ बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखना। मैं उसके और उस की औलाद के साथ अबदी अहद बाँधूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 17:20 | मैं इसमाईल के सिलसिले में भी तेरी दरख़ास्त पूरी करूँगा। मैं उसे भी बरकत देकर फलने फूलने दूँगा और उस की औलाद बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा। वह बारह रईसों का बाप होगा, और मैं उस की मारिफ़त एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 17:23 | उसी दिन इब्राहीम ने अल्लाह का हुक्म पूरा किया। उसने घर के हर एक मर्द का ख़तना करवाया, अपने बेटे इसमाईल का भी और उनका भी जो उसके घर में रहते लेकिन उससे रिश्ता नहीं रखते थे, चाहे वह उसके घर में पैदा हुए थे या ख़रीदे गए थे। | |
Chapter 18
Gene | UrduGeoD | 18:1 | एक दिन रब ममरे के दरख़्तों के पास इब्राहीम पर ज़ाहिर हुआ। इब्राहीम अपने ख़ैमे के दरवाज़े पर बैठा था। दिन की गरमी उरूज पर थी। | |
Gene | UrduGeoD | 18:2 | अचानक उसने देखा कि तीन मर्द मेरे सामने खड़े हैं। उन्हें देखते ही वह ख़ैमे से उनसे मिलने के लिए दौड़ा और मुँह के बल गिरकर सिजदा किया। | |
Gene | UrduGeoD | 18:3 | उसने कहा, “मेरे आक़ा, अगर मुझ पर आपके करम की नज़र है तो आगे न बढ़ें बल्कि कुछ देर अपने बंदे के घर ठहरें। | |
Gene | UrduGeoD | 18:4 | अगर इजाज़त हो तो मैं कुछ पानी ले आऊँ ताकि आप अपने पाँव धोकर दरख़्त के साय में आराम कर सकें। | |
Gene | UrduGeoD | 18:5 | साथ साथ मैं आपके लिए थोड़ा-बहुत खाना भी ले आऊँ ताकि आप तक़वियत पाकर आगे बढ़ सकें। मुझे यह करने दें, क्योंकि आप अपने ख़ादिम के घर आ गए हैं।” उन्होंने कहा, “ठीक है। जो कुछ तूने कहा है वह कर।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:6 | इब्राहीम ख़ैमे की तरफ़ दौड़कर सारा के पास आया और कहा, “जल्दी करो! 16 किलोग्राम बेहतरीन मैदा ले और उसे गूँधकर रोटियाँ बना।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:7 | फिर वह भागकर बैलों के पास पहुँचा। उनमें से उसने एक मोटा-ताज़ा बछड़ा चुन लिया जिसका गोश्त नरम था और उसे अपने नौकर को दिया जिसने जल्दी से उसे तैयार किया। | |
Gene | UrduGeoD | 18:8 | जब खाना तैयार था तो इब्राहीम ने उसे लेकर लस्सी और दूध के साथ अपने मेहमानों के आगे रख दिया। वह खाने लगे और इब्राहीम उनके सामने दरख़्त के साय में खड़ा रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 18:10 | रब ने कहा, “ऐन एक साल के बाद मैं वापस आऊँगा तो तेरी बीवी सारा के बेटा होगा।” सारा यह बातें सुन रही थी, क्योंकि वह उसके पीछे ख़ैमे के दरवाज़े के पास थी। | |
Gene | UrduGeoD | 18:11 | दोनों मियाँ-बीवी बूढ़े हो चुके थे और सारा उस उम्र से गुज़र चुकी थी जिसमें औरतों के बच्चे पैदा होते हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 18:12 | इसलिए सारा अंदर ही अंदर हँस पड़ी और सोचा, “यह कैसे हो सकता है? क्या जब मैं बुढ़ापे के बाइस घिसे-फटे लिबास की मानिंद हूँ तो जवानी के जोबन का लुत्फ़ उठाऊँ? और मेरा शौहर भी बूढ़ा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:13 | रब ने इब्राहीम से पूछा, “सारा क्यों हँस रही है? वह क्यों कह रही है, ‘क्या वाक़ई मेरे हाँ बच्चा पैदा होगा जबकि मैं इतनी उम्ररसीदा हूँ?’ | |
Gene | UrduGeoD | 18:14 | क्या रब के लिए कोई काम नामुमकिन है? एक साल के बाद मुक़र्ररा वक़्त पर मैं वापस आऊँगा तो सारा के बेटा होगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:15 | सारा डर गई। उसने झूट बोलकर इनकार किया, “मैं नहीं हँस रही थी।” रब ने कहा, “नहीं, तू ज़रूर हँस रही थी।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:16 | फिर मेहमान उठकर रवाना हुए और नीचे वादी में सदूम की तरफ़ देखने लगे। इब्राहीम उन्हें रुख़सत करने के लिए साथ साथ चल रहा था। | |
Gene | UrduGeoD | 18:17 | रब ने दिल में कहा, “मैं इब्राहीम से वह काम क्यों छुपाए रखूँ जो मैं करने के लिए जा रहा हूँ? | |
Gene | UrduGeoD | 18:18 | इसी से तो एक बड़ी और ताक़तवर क़ौम निकलेगी और इसी से मैं दुनिया की तमाम क़ौमों को बरकत दूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 18:19 | उसी को मैंने चुन लिया है ताकि वह अपनी औलाद और अपने बाद के घराने को हुक्म दे कि वह रब की राह पर चलकर रास्त और मुंसिफ़ाना काम करें। क्योंकि अगर वह ऐसा करें तो रब इब्राहीम के साथ अपना वादा पूरा करेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:20 | फिर रब ने कहा, “सदूम और अमूरा की बदी के बाइस लोगों की आहें बुलंद हो रही हैं, क्योंकि उनसे बहुत संगीन गुनाह सरज़द हो रहे हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 18:21 | मैं उतरकर उनके पास जा रहा हूँ ताकि देखूँ कि यह इलज़ाम वाक़ई सच हैं जो मुझ तक पहुँचे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो मैं यह जानना चाहता हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:22 | दूसरे दो आदमी सदूम की तरफ़ आगे निकले जबकि रब कुछ देर के लिए वहाँ ठहरा रहा और इब्राहीम उसके सामने खड़ा रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 18:23 | फिर उसने क़रीब आकर उससे बात की, “क्या तू रास्तबाज़ों को भी शरीरों के साथ तबाह कर देगा? | |
Gene | UrduGeoD | 18:24 | हो सकता है कि शहर में 50 रास्तबाज़ हों। क्या तू फिर भी शहर को बरबाद कर देगा और उसे उन 50 के सबब से मुआफ़ नहीं करेगा? | |
Gene | UrduGeoD | 18:25 | यह कैसे हो सकता है कि तू बेक़ुसूरों को शरीरों के साथ हलाक कर दे? यह तो नामुमकिन है कि तू नेक और शरीर लोगों से एक जैसा सुलूक करे। क्या लाज़िम नहीं कि पूरी दुनिया का मुंसिफ़ इनसाफ़ करे?” | |
Gene | UrduGeoD | 18:26 | रब ने जवाब दिया, “अगर मुझे शहर में 50 रास्तबाज़ मिल जाएँ तो उनके सबब से तमाम को मुआफ़ कर दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:27 | इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है अगरचे मैं ख़ाक और राख ही हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 18:28 | लेकिन हो सकता है कि सिर्फ़ 45 रास्तबाज़ उसमें हों। क्या तू फिर भी उन पाँच लोगों की कमी के सबब से पूरे शहर को तबाह करेगा?” उसने कहा, “अगर मुझे 45 भी मिल जाएँ तो उसे बरबाद नहीं करूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:29 | इब्राहीम ने अपनी बात जारी रखी, “और अगर सिर्फ़ 40 नेक लोग हों तो?” रब ने कहा, “मैं उन 40 के सबब से उन्हें छोड़ दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:30 | इब्राहीम ने कहा, “रब ग़ुस्सा न करे कि मैं एक दफ़ा और बात करूँ। शायद वहाँ सिर्फ़ 30 हों।” उसने जवाब दिया, “फिर भी उन्हें छोड़ दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:31 | इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है। अगर सिर्फ़ 20 पाए जाएँ?” रब ने कहा, “मैं 20 के सबब से शहर को बरबाद करने से बाज़ रहूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 18:32 | इब्राहीम ने एक आख़िरी दफ़ा बात की, “रब ग़ुस्सा न करे अगर मैं एक और बार बात करूँ। शायद उसमें सिर्फ़ 10 पाए जाएँ।” रब ने कहा, “मैं उसे उन 10 लोगों के सबब से भी बरबाद नहीं करूँगा।” | |
Chapter 19
Gene | UrduGeoD | 19:1 | शाम के वक़्त यह दो फ़रिश्ते सदूम पहुँचे। लूत शहर के दरवाज़े पर बैठा था। जब उसने उन्हें देखा तो खड़े होकर उनसे मिलने गया और मुँह के बल गिरकर सिजदा किया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:2 | उसने कहा, “साहबो, अपने बंदे के घर तशरीफ़ लाएँ ताकि अपने पाँव धोकर रात को ठहरें और फिर कल सुबह-सवेरे उठकर अपना सफ़र जारी रखें।” उन्होंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:3 | लेकिन लूत ने उन्हें बहुत मजबूर किया, और आख़िरकार वह उसके साथ उसके घर आए। उसने उनके लिए खाना पकाया और बेख़मीरी रोटी बनाई। फिर उन्होंने खाना खाया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:4 | वह अभी सोने के लिए लेटे नहीं थे कि शहर के जवानों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों ने लूत के घर को घेर लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:5 | उन्होंने आवाज़ देकर लूत से कहा, “वह आदमी कहाँ हैं जो रात के वक़्त तेरे पास आए? उनको बाहर ले आ ताकि हम उनके साथ हरामकारी करें।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:8 | देखो, मेरी दो कुँवारी बेटियाँ हैं। उन्हें मैं तुम्हारे पास बाहर ले आता हूँ। फिर जो जी चाहे उनके साथ करो। लेकिन इन आदमियों को छोड़ दो, क्योंकि वह मेरे मेहमान हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:9 | उन्होंने कहा, “रास्ते से हट जा! देखो, यह शख़्स जब हमारे पास आया था तो अजनबी था, और अब यह हम पर हाकिम बनना चाहता है। अब तेरे साथ उनसे ज़्यादा बुरा सुलूक करेंगे।” वह उसे मजबूर करते करते दरवाज़े को तोड़ने के लिए आगे बढ़े। | |
Gene | UrduGeoD | 19:10 | लेकिन ऐन वक़्त पर अंदर के आदमी लूत को पकड़कर अंदर ले आए, फिर दरवाज़ा दुबारा बंद कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:11 | उन्होंने छोटों से लेकर बड़ों तक बाहर के तमाम आदमियों को अंधा कर दिया, और वह दरवाज़े को ढूँडते ढूँडते थक गए। | |
Gene | UrduGeoD | 19:12 | दोनों आदमियों ने लूत से कहा, “क्या तेरा कोई और रिश्तेदार इस शहर में रहता है, मसलन कोई दामाद या बेटा-बेटी? सबको साथ लेकर यहाँ से चला जा, | |
Gene | UrduGeoD | 19:13 | क्योंकि हम यह मक़ाम तबाह करने को हैं। इसके बाशिंदों की बदी के बाइस लोगों की आहें बुलंद होकर रब के हुज़ूर पहुँच गई हैं, इसलिए उसने हमें इसको तबाह करने के लिए भेजा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:14 | लूत घर से निकला और अपने दामादों से बात की जिनका उस की बेटियों के साथ रिश्ता हो चुका था। उसने कहा, “जल्दी करो, इस जगह से निकलो, क्योंकि रब इस शहर को तबाह करने को है।” लेकिन उसके दामादों ने इसे मज़ाक़ ही समझा। | |
Gene | UrduGeoD | 19:15 | जब पौ फटने लगी तो दोनों आदमियों ने लूत को बहुत समझाया और कहा, “जल्दी कर! अपनी बीवी और दोनों बेटियों को साथ लेकर चला जा, वरना जब शहर को सज़ा दी जाएगी तो तू भी हलाक हो जाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:16 | तो भी वह झिजकता रहा। आख़िरकार दोनों ने लूत, उस की बीवी और बेटियों के हाथ पकड़कर उन्हें शहर के बाहर तक पहुँचा दिया, क्योंकि रब को लूत पर तरस आता था। | |
Gene | UrduGeoD | 19:17 | ज्योंही वह उन्हें बाहर ले आए उनमें से एक ने कहा, “अपनी जान बचाकर चला जा। पीछे मुड़कर न देखना। मैदान में कहीं न ठहरना बल्कि पहाड़ों में पनाह लेना, वरना तू हलाक हो जाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:19 | तेरे बंदे को तेरी नज़रे-करम हासिल हुई है और तूने मेरी जान बचाने में बहुत मेहरबानी कर दिखाई है। लेकिन मैं पहाड़ों में पनाह नहीं ले सकता। वहाँ पहुँचने से पहले यह मुसीबत मुझ पर आन पड़ेगी और मैं हलाक हो जाऊँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 19:20 | देख, क़रीब ही एक छोटा क़सबा है। वह इतना नज़दीक है कि मैं उस तरफ़ हिजरत कर सकता हूँ। मुझे वहाँ पनाह लेने दे। वह छोटा ही है, ना? फिर मेरी जान बचेगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:21 | उसने कहा, “चलो, ठीक है। तेरी यह दरख़ास्त भी मंज़ूर है। मैं यह क़सबा तबाह नहीं करूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 19:22 | लेकिन भागकर वहाँ पनाह ले, क्योंकि जब तक तू वहाँ पहुँच न जाए मैं कुछ नहीं कर सकता।” इसलिए क़सबे का नाम ज़ुग़र यानी छोटा है। | |
Gene | UrduGeoD | 19:25 | यों उसने उस पूरे मैदान को उसके शहरों, बाशिंदों और तमाम हरियाली समेत तबाह कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:26 | लेकिन फ़रार होते वक़्त लूत की बीवी ने पीछे मुड़कर देखा तो वह फ़ौरन नमक का सतून बन गई। | |
Gene | UrduGeoD | 19:28 | जब उसने नीचे सदूम, अमूरा और पूरी वादी की तरफ़ नज़र की तो वहाँ से भट्टे का-सा धुआँ उठ रहा था। | |
Gene | UrduGeoD | 19:29 | यों अल्लाह ने इब्राहीम को याद किया जब उसने उस मैदान के शहर तबाह किए। क्योंकि वह उन्हें तबाह करने से पहले लूत को जो उनमें आबाद था वहाँ से निकाल लाया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:30 | लूत और उस की बेटियाँ ज़्यादा देर तक ज़ुग़र में न ठहरे। वह रवाना होकर पहाड़ों में आबाद हुए, क्योंकि लूत ज़ुग़र में रहने से डरता था। वहाँ उन्होंने एक ग़ार को अपना घर बना लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 19:31 | एक दिन बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “अब्बू बूढ़ा है और यहाँ कोई मर्द है नहीं जिसके ज़रीए हमारे बच्चे पैदा हो सकें। | |
Gene | UrduGeoD | 19:32 | आओ, हम अब्बू को मै पिलाएँ। जब वह नशे में धुत हो तो हम उसके साथ हमबिसतर होकर अपने लिए औलाद पैदा करें ताकि हमारी नसल क़ायम रहे।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:33 | उस रात उन्होंने अपने बाप को मै पिलाई। जब वह नशे में था तो बड़ी बेटी अंदर जाकर उसके साथ हमबिसतर हुई। चूँकि लूत होश में नहीं था इसलिए उसे कुछ भी मालूम न हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 19:34 | अगले दिन बड़ी बहन ने छोटी बहन से कहा, “पिछली रात मैं अब्बू से हमबिसतर हुई। आओ, आज रात को हम उसे दुबारा मै पिलाएँ। जब वह नशे में धुत हो तो तुम उसके साथ हमबिसतर होकर अपने लिए औलाद पैदा करना ताकि हमारी नसल क़ायम रहे।” | |
Gene | UrduGeoD | 19:35 | चुनाँचे उन्होंने उस रात भी अपने बाप को मै पिलाई। जब वह नशे में था तो छोटी बेटी उठकर उसके साथ हमबिसतर हुई। इस बार भी वह होश में नहीं था, इसलिए उसे कुछ भी मालूम न हुआ। | |
Chapter 20
Gene | UrduGeoD | 20:1 | इब्राहीम वहाँ से जुनूब की तरफ़ दश्ते-नजब में चला गया और क़ादिस और शूर के दरमियान जा बसा। कुछ देर के लिए वह जिरार में ठहरा, लेकिन अजनबी की हैसियत से। | |
Gene | UrduGeoD | 20:2 | वहाँ उसने लोगों को बताया, “सारा मेरी बहन है।” इसलिए जिरार के बादशाह अबीमलिक ने किसी को भिजवा दिया कि उसे महल में ले आए। | |
Gene | UrduGeoD | 20:3 | लेकिन रात के वक़्त अल्लाह ख़ाब में अबीमलिक पर ज़ाहिर हुआ और कहा, “मौत तेरे सर पर खड़ी है, क्योंकि जो औरत तू अपने घर ले आया है वह शादीशुदा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 20:4 | असल में अबीमलिक अभी तक सारा के क़रीब नहीं गया था। उसने कहा, “मेरे आक़ा, क्या तू एक बेक़ुसूर क़ौम को भी हलाक करेगा? | |
Gene | UrduGeoD | 20:5 | क्या इब्राहीम ने मुझसे नहीं कहा था कि सारा मेरी बहन है? और सारा ने उस की हाँ में हाँ मिलाई। मेरी नीयत अच्छी थी और मैंने ग़लत काम नहीं किया।” | |
Gene | UrduGeoD | 20:6 | अल्लाह ने कहा, “हाँ, मैं जानता हूँ कि इसमें तेरी नीयत अच्छी थी। इसलिए मैंने तुझे मेरा गुनाह करने और उसे छूने से रोक दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 20:7 | अब उस औरत को उसके शौहर को वापस कर दे, क्योंकि वह नबी है और तेरे लिए दुआ करेगा। फिर तू नहीं मरेगा। लेकिन अगर तू उसे वापस नहीं करेगा तो जान ले कि तेरी और तेरे लोगों की मौत यक़ीनी है।” | |
Gene | UrduGeoD | 20:8 | अबीमलिक ने सुबह-सवेरे उठकर अपने तमाम कारिंदों को यह सब कुछ बताया। यह सुनकर उन पर दहशत छा गई। | |
Gene | UrduGeoD | 20:9 | फिर अबीमलिक ने इब्राहीम को बुलाकर कहा, “आपने हमारे साथ क्या किया है? मैंने आपके साथ क्या ग़लत काम किया कि आपने मुझे और मेरी सलतनत को इतने संगीन जुर्म में फँसा दिया है? जो सुलूक आपने हमारे साथ कर दिखाया है वह किसी भी शख़्स के साथ नहीं करना चाहिए। | |
Gene | UrduGeoD | 20:11 | इब्राहीम ने जवाब दिया, “मैंने अपने दिल में कहा कि यहाँ के लोग अल्लाह का ख़ौफ़ नहीं रखते होंगे, इसलिए वह मेरी बीवी को हासिल करने के लिए मुझे क़त्ल कर देंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 20:12 | हक़ीक़त में वह मेरी बहन भी है। वह मेरे बाप की बेटी है अगरचे उस की और मेरी माँ फ़रक़ हैं। यों मैं उससे शादी कर सका। | |
Gene | UrduGeoD | 20:13 | फिर जब अल्लाह ने होने दिया कि मैं अपने बाप के घराने से निकलकर इधर-उधर फिरूँ तो मैंने अपनी बीवी से कहा, ‘मुझ पर यह मेहरबानी कर कि जहाँ भी हम जाएँ मेरे बारे में कह देना कि वह मेरा भाई है’।” | |
Gene | UrduGeoD | 20:14 | फिर अबीमलिक ने इब्राहीम को भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, ग़ुलाम और लौंडियाँ देकर उस की बीवी सारा को उसे वापस कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 20:16 | सारा से उसने कहा, “मैं आपके भाई को चाँदी के हज़ार सिक्के देता हूँ। इससे आप और आपके लोगों के सामने आपके साथ किए गए नारवा सुलूक का इज़ाला हो और आपको बेक़ुसूर क़रार दिया जाए।” | |
Gene | UrduGeoD | 20:17 | तब इब्राहीम ने अल्लाह से दुआ की और अल्लाह ने अबीमलिक, उस की बीवी और उस की लौंडियों को शफ़ा दी, क्योंकि रब ने अबीमलिक के घराने की तमाम औरतों को सारा के सबब से बाँझ बना दिया था। लेकिन अब उनके हाँ दुबारा बच्चे पैदा होने लगे। | |
Chapter 21
Gene | UrduGeoD | 21:1 | तब रब ने सारा के साथ वैसा ही किया जैसा उसने फ़रमाया था। जो वादा उसने सारा के बारे में किया था उसे उसने पूरा किया। | |
Gene | UrduGeoD | 21:2 | वह हामिला हुई और बेटा पैदा हुआ। ऐन उस वक़्त बूढ़े इब्राहीम के हाँ बेटा पैदा हुआ जो अल्लाह ने मुक़र्रर करके उसे बताया था। | |
Gene | UrduGeoD | 21:4 | जब इसहाक़ आठ दिन का था तो इब्राहीम ने उसका ख़तना कराया, जिस तरह अल्लाह ने उसे हुक्म दिया था। | |
Gene | UrduGeoD | 21:6 | सारा ने कहा, “अल्लाह ने मुझे हँसाया, और हर कोई जो मेरे बारे में यह सुनेगा हँसेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 21:7 | इससे पहले कौन इब्राहीम से यह कहने की जुर्रत कर सकता था कि सारा अपने बच्चों को दूध पिलाएगी? और अब मेरे हाँ बेटा पैदा हुआ है, अगरचे इब्राहीम बूढ़ा हो गया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 21:8 | इसहाक़ बड़ा होता गया। जब उसका दूध छुड़ाया गया तो इब्राहीम ने उसके लिए बड़ी ज़ियाफ़त की। | |
Gene | UrduGeoD | 21:9 | एक दिन सारा ने देखा कि मिसरी लौंडी हाजिरा का बेटा इसमाईल इसहाक़ का मज़ाक़ उड़ा रहा है। | |
Gene | UrduGeoD | 21:10 | उसने इब्राहीम से कहा, “इस लौंडी और उसके बेटे को घर से निकाल दें, क्योंकि वह मेरे बेटे इसहाक़ के साथ मीरास नहीं पाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 21:12 | लेकिन अल्लाह ने उससे कहा, “जो बात सारा ने अपनी लौंडी और उसके बेटे के बारे में कही है वह तुझे बुरी न लगे। सारा की बात मान ले, क्योंकि तेरी नसल इसहाक़ ही से क़ायम रहेगी। | |
Gene | UrduGeoD | 21:14 | इब्राहीम सुबह-सवेरे उठा। उसने रोटी और पानी की मशक हाजिरा के कंधों पर रखकर उसे लड़के के साथ घर से निकाल दिया। हाजिरा चलते चलते बैर-सबा के रेगिस्तान में इधर-उधर फिरने लगी। | |
Gene | UrduGeoD | 21:16 | कोई 300 फ़ुट दूर बैठ गई। क्योंकि उसने दिल में कहा, “मैं उसे मरते नहीं देख सकती।” वह वहाँ बैठकर रोने लगी। | |
Gene | UrduGeoD | 21:17 | लेकिन अल्लाह ने बेटे की रोती हुई आवाज़ सुन ली। अल्लाह के फ़रिश्ते ने आसमान पर से पुकारकर हाजिरा से बात की, “हाजिरा, क्या बात है? मत डर, क्योंकि अल्लाह ने लड़के का जो वहाँ पड़ा है रोना सुन लिया है। | |
Gene | UrduGeoD | 21:19 | फिर अल्लाह ने हाजिरा की आँखें खोल दीं, और उस की नज़र एक कुएँ पर पड़ी। वह वहाँ गई और मशक को पानी से भरकर लड़के को पिलाया। | |
Gene | UrduGeoD | 21:21 | जब वह फ़ारान के रेगिस्तान में रहता था तो उस की माँ ने उसे एक मिसरी औरत से ब्याह दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 21:22 | उन दिनों में अबीमलिक और उसके सिपाहसालार फ़ीकुल ने इब्राहीम से कहा, “जो कुछ भी आप करते हैं अल्लाह आपके साथ है। | |
Gene | UrduGeoD | 21:23 | अब मुझसे अल्लाह की क़सम खाएँ कि आप मुझे और मेरी आलो-औलाद को धोका नहीं देंगे। मुझ पर और इस मुल्क पर जिसमें आप परदेसी हैं वही मेहरबानी करें जो मैंने आप पर की है।” | |
Gene | UrduGeoD | 21:25 | फिर उसने अबीमलिक से शिकायत करते हुए कहा, “आपके बंदों ने हमारे एक कुएँ पर क़ब्ज़ा कर लिया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 21:26 | अबीमलिक ने कहा, “मुझे नहीं मालूम कि किसने ऐसा किया है। आपने भी मुझे नहीं बताया। आज मैं पहली दफ़ा यह बात सुन रहा हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 21:27 | तब इब्राहीम ने अबीमलिक को भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल दिए, और दोनों ने एक दूसरे के साथ अहद बाँधा। | |
Gene | UrduGeoD | 21:30 | इब्राहीम ने जवाब दिया, “भेड़ के इन सात बच्चों को मुझसे ले लें। यह इसके गवाह हों कि मैंने इस कुएँ को खोदा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 21:31 | इसलिए उस जगह का नाम बैर-सबा यानी ‘क़सम का कुआँ’ रखा गया, क्योंकि वहाँ उन दोनों मर्दों ने क़सम खाई। | |
Gene | UrduGeoD | 21:32 | यों उन्होंने बैर-सबा में एक दूसरे से अहद बाँधा। फिर अबीमलिक और फ़ीकुल फ़िलिस्तियों के मुल्क वापस चले गए। | |
Gene | UrduGeoD | 21:33 | इसके बाद इब्राहीम ने बैर-सबा में झाऊ का दरख़्त लगाया। वहाँ उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की जो अबदी ख़ुदा है। | |
Chapter 22
Gene | UrduGeoD | 22:1 | कुछ अरसे के बाद अल्लाह ने इब्राहीम को आज़माया। उसने उससे कहा, “इब्राहीम!” उसने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 22:2 | अल्लाह ने कहा, “अपने इकलौते बेटे इसहाक़ को जिसे तू प्यार करता है साथ लेकर मोरियाह के इलाक़े में चला जा। वहाँ मैं तुझे एक पहाड़ दिखाऊँगा। उस पर अपने बेटे को क़ुरबान कर दे। उसे ज़बह करके क़ुरबानगाह पर जला देना।” | |
Gene | UrduGeoD | 22:3 | सुबह-सवेरे इब्राहीम उठा और अपने गधे पर ज़ीन कसा। उसने अपने साथ दो नौकरों और अपने बेटे इसहाक़ को लिया। फिर वह क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ी काटकर उस जगह की तरफ़ रवाना हुआ जो अल्लाह ने उसे बताई थी। | |
Gene | UrduGeoD | 22:5 | उसने नौकरों से कहा, “यहाँ गधे के पास ठहरो। मैं लड़के के साथ वहाँ जाकर परस्तिश करूँगा। फिर हम तुम्हारे पास वापस आ जाएंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 22:6 | इब्राहीम ने क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ियाँ इसहाक़ के कंधों पर रख दीं और ख़ुद छुरी और आग जलाने के लिए अंगारों का बरतन उठाया। दोनों चल दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 22:7 | इसहाक़ बोला, “अब्बू!” इब्राहीम ने कहा, “जी बेटा।” “अब्बू, आग और लकड़ियाँ तो हमारे पास हैं, लेकिन क़ुरबानी के लिए भेड़ या बकरी कहाँ है?” | |
Gene | UrduGeoD | 22:8 | इब्राहीम ने जवाब दिया, “अल्लाह ख़ुद क़ुरबानी के लिए जानवर मुहैया करेगा, बेटा।” वह आगे बढ़ गए। | |
Gene | UrduGeoD | 22:9 | चलते चलते वह उस मक़ाम पर पहुँचे जो अल्लाह ने उस पर ज़ाहिर किया था। इब्राहीम ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाई और उस पर लकड़ियाँ तरतीब से रख दीं। फिर उसने इसहाक़ को बाँधकर लकड़ियों पर रख दिया | |
Gene | UrduGeoD | 22:11 | ऐन उसी वक़्त रब के फ़रिश्ते ने आसमान पर से उसे आवाज़ दी, “इब्राहीम, इब्राहीम!” इब्राहीम ने कहा, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 22:12 | फ़रिश्ते ने कहा, “अपने बेटे पर हाथ न चला, न उसके साथ कुछ कर। अब मैंने जान लिया है कि तू अल्लाह का ख़ौफ़ रखता है, क्योंकि तू अपने इकलौते बेटे को भी मुझे देने के लिए तैयार है।” | |
Gene | UrduGeoD | 22:13 | अचानक इब्राहीम को एक मेंढा नज़र आया जिसके सींग गुंजान झाड़ियों में फँसे हुए थे। इब्राहीम ने उसे ज़बह करके अपने बेटे की जगह क़ुरबानी के तौर पर जला दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 22:14 | उसने उस मक़ाम का नाम “रब मुहैया करता है” रखा। इसलिए आज तक कहा जाता है, “रब के पहाड़ पर मुहैया किया जाता है।” | |
Gene | UrduGeoD | 22:16 | “रब का फ़रमान है, मेरी ज़ात की क़सम, चूँकि तूने यह किया और अपने इकलौते बेटे को मुझे पेश करने के लिए तैयार था | |
Gene | UrduGeoD | 22:17 | इसलिए मैं तुझे बरकत दूँगा और तेरी औलाद को आसमान के सितारों और साहिल की रेत की तरह बेशुमार होने दूँगा। तेरी औलाद अपने दुश्मनों के शहरों के दरवाज़ों पर क़ब्ज़ा करेगी। | |
Gene | UrduGeoD | 22:19 | इसके बाद इब्राहीम अपने नौकरों के पास वापस आया, और वह मिलकर बैर-सबा लौटे। वहाँ इब्राहीम आबाद रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 22:20 | इन वाक़ियात के बाद इब्राहीम को इत्तला मिली, “आपके भाई नहूर की बीवी मिलकाह के हाँ भी बेटे पैदा हुए हैं। | |
Chapter 23
Gene | UrduGeoD | 23:2 | उस ज़माने में हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था, और वह मुल्के-कनान में था। इब्राहीम ने उसके पास आकर मातम किया। | |
Gene | UrduGeoD | 23:4 | “मैं आपके दरमियान परदेसी और ग़ैरशहरी की हैसियत से रहता हूँ। मुझे क़ब्र के लिए ज़मीन बेचें ताकि अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न कर सकूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:5 | हित्तियों ने जवाब दिया, “हमारे आक़ा, हमारी बात सुनें! आप हमारे दरमियान अल्लाह के रईस हैं। अपनी बीवी को हमारी बेहतरीन क़ब्र में दफ़न करें। हममें से कोई नहीं जो आपसे अपनी क़ब्र का इनकार करेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:6 | हित्तियों ने जवाब दिया, “हमारे आक़ा, हमारी बात सुनें! आप हमारे दरमियान अल्लाह के रईस हैं। अपनी बीवी को हमारी बेहतरीन क़ब्र में दफ़न करें। हममें से कोई नहीं जो आपसे अपनी क़ब्र का इनकार करेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:8 | उसने कहा, “अगर आप इसके लिए तैयार हैं कि मैं अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न करूँतो सुहर के बेटे इफ़रोन से मेरी सिफ़ारिश करें | |
Gene | UrduGeoD | 23:9 | कि वह मुझे मकफ़ीला का ग़ार बेच दे। वह उसका है और उसके खेत के किनारे पर है। मैं उस की पूरी क़ीमत देने के लिए तैयार हूँ ताकि आपके दरमियान रहते हुए मेरे पास क़ब्र भी हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:10 | इफ़रोन हित्तियों की जमात में मौजूद था। इब्राहीम की दरख़ास्त पर उसने उन तमाम हित्तियों के सामने जो शहर के दरवाज़े पर जमा थे जवाब दिया, | |
Gene | UrduGeoD | 23:11 | “नहीं, मेरे आक़ा! मेरी बात सुनें। मैं आपको यह खेत और उसमें मौजूद ग़ार दे देता हूँ। सब जो हाज़िर हैं मेरे गवाह हैं, मैं यह आपको देता हूँ। अपनी बीवी को वहाँ दफ़न कर दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:13 | उसने सबके सामने इफ़रोन से कहा, “मेहरबानी करके मेरी बात पर ग़ौर करें। मैं खेत की पूरी क़ीमत अदा करूँगा। उसे क़बूल करें ताकि वहाँ अपनी बीवी को दफ़न कर सकूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:14 | इफ़रोन ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, सुनें। इस ज़मीन की क़ीमत सिर्फ़ 400 चाँदी के सिक्के है। आपके और मेरे दरमियान यह क्या है? अपनी बीवी को दफ़न कर दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:15 | इफ़रोन ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, सुनें। इस ज़मीन की क़ीमत सिर्फ़ 400 चाँदी के सिक्के है। आपके और मेरे दरमियान यह क्या है? अपनी बीवी को दफ़न कर दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 23:16 | इब्राहीम ने इफ़रोन की मतलूबा क़ीमत मान ली और सबके सामने चाँदी के 400 सिक्के तोलकर इफ़रोन को दे दिए। इसके लिए उसने उस वक़्त के रायज बाट इस्तेमाल किए। | |
Gene | UrduGeoD | 23:17 | चुनाँचे मकफ़ीला में इफ़रोन की ज़मीन इब्राहीम की मिलकियत हो गई। यह ज़मीन ममरे के मशरिक़ में थी। उसमें खेत, खेत का ग़ार और खेत की हुदूद में मौजूद तमाम दरख़्त शामिल थे। | |
Gene | UrduGeoD | 23:18 | हित्तियों की पूरी जमात ने जो शहर के दरवाज़े पर जमा थी ज़मीन के इंतक़ाल की तसदीक़ की। | |
Gene | UrduGeoD | 23:19 | फिर इब्राहीम ने अपनी बीवी सारा को मुल्के-कनान के उस ग़ार में दफ़न किया जो ममरे यानी हबरून के मशरिक़ में वाक़े मकफ़ीला के खेत में था। | |
Chapter 24
Gene | UrduGeoD | 24:2 | एक दिन उसने अपने घर के सबसे बुज़ुर्ग नौकर से जो उस की जायदाद का पूरा इंतज़ाम चलाता था बात की। “क़सम के लिए अपना हाथ मेरी रान के नीचे रखो। | |
Gene | UrduGeoD | 24:3 | रब की क़सम खाओ जो आसमानो-ज़मीन का ख़ुदा है कि तुम इन कनानियों में से जिनके दरमियान मैं रहता हूँ मेरे बेटे के लिए बीवी नहीं लाओगे | |
Gene | UrduGeoD | 24:4 | बल्कि मेरे वतन में मेरे रिश्तेदारों के पास जाओगे और उन्हीं में से मेरे बेटे के लिए बीवी लाओगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:5 | उसके नौकर ने कहा, “शायद वह औरत मेरे साथ यहाँ आना न चाहे। क्या मैं इस सूरत में आपके बेटे को उस वतन में वापस ले जाऊँ जिससे आप निकले हैं?” | |
Gene | UrduGeoD | 24:7 | रब जो आसमान का ख़ुदा है अपना फ़रिश्ता तुम्हारे आगे भेजेगा, इसलिए तुम वहाँ मेरे बेटे के लिए बीवी चुनने में ज़रूर कामयाब होगे। क्योंकि वही मुझे मेरे बाप के घर और मेरे वतन से यहाँ ले आया है, और उसी ने क़सम खाकर मुझसे वादा किया है कि मैं कनान का यह मुल्क तेरी औलाद को दूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 24:8 | अगर वहाँ की औरत यहाँ आना न चाहे तो फिर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे। लेकिन किसी सूरत में भी मेरे बेटे को वहाँ वापस न ले जाना।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:9 | इब्राहीम के नौकर ने अपना हाथ उस की रान के नीचे रखकर क़सम खाई कि मैं सब कुछ ऐसा ही करूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 24:10 | फिर वह अपने आक़ा के दस ऊँटों पर क़ीमती तोह्फ़े लादकर मसोपुतामिया की तरफ़ रवाना हुआ। चलते चलते वह नहूर के शहर पहुँच गया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:11 | उसने ऊँटों को शहर के बाहर कुएँ के पास बिठाया। शाम का वक़्त था जब औरतें कुएँ के पास आकर पानी भरती थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 24:12 | फिर उसने दुआ की, “ऐ रब मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा, मुझे आज कामयाबी बख़्श और मेरे आक़ा इब्राहीम पर मेहरबानी कर। | |
Gene | UrduGeoD | 24:14 | मैं उनमें से किसी से कहूँगा, ‘ज़रा अपना घड़ा नीचे करके मुझे पानी पिलाएँ।’ अगर वह जवाब दे, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिला देती हूँ,’ तो वह वही होगी जिसे तूने अपने ख़ादिम इसहाक़ के लिए चुन रखा है। अगर ऐसा हुआ तो मैं जान लूँगा कि तूने मेरे आक़ा पर मेहरबानी की है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:15 | वह अभी दुआ कर ही रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह बतुएल की बेटी थी (बतुएल इब्राहीम के भाई नहूर की बीवी मिलकाह का बेटा था)। | |
Gene | UrduGeoD | 24:16 | रिबक़ा निहायत ख़ूबसूरत जवान लड़की थी, और वह कुँवारी भी थी। वह चश्मे तक उतरी, अपना घड़ा भरा और फिर वापस ऊपर आई। | |
Gene | UrduGeoD | 24:17 | इब्राहीम का नौकर दौड़कर उससे मिला। उसने कहा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी पिलाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:18 | रिबक़ा ने कहा, “जनाब, पी लें।” जल्दी से उसने अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर हाथ में पकड़ा ताकि वह पी सके। | |
Gene | UrduGeoD | 24:19 | जब वह पीने से फ़ारिग़ हुआ तो रिबक़ा ने कहा, “मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आती हूँ। वह भी पूरे तौर पर अपनी प्यास बुझाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:20 | जल्दी से उसने अपने घड़े का पानी हौज़ में उंडेल दिया और फिर भागकर कुएँ से इतना पानी लाती रही कि तमाम ऊँटों की प्यास बुझ गई। | |
Gene | UrduGeoD | 24:21 | इतने में इब्राहीम का आदमी ख़ामोशी से उसे देखता रहा, क्योंकि वह जानना चाहता था कि क्या रब मुझे सफ़र की कामयाबी बख़्शेगा या नहीं। | |
Gene | UrduGeoD | 24:22 | ऊँट पानी पीने से फ़ारिग़ हुए तो उसने रिबक़ा को सोने की एक नथ और दो कंगन दिए। नथ का वज़न तक़रीबन 6 ग्राम था और कंगनों का 120 ग्राम। | |
Gene | UrduGeoD | 24:23 | उसने पूछा, “आप किसकी बेटी हैं? क्या उसके हाँ इतनी जगह है कि हम वहाँ रात गुज़ार सकें?” | |
Gene | UrduGeoD | 24:27 | उसने कहा, “मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद हो जिसके करम और वफ़ादारी ने मेरे आक़ा को नहीं छोड़ा। रब ने मुझे सीधा मेरे मालिक के रिश्तेदारों तक पहुँचाया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:29 | जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 24:30 | जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 24:31 | लाबन ने कहा, “रब के मुबारक बंदे, मेरे साथ आएँ। आप यहाँ शहर के बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने अपने घर में आपके लिए सब कुछ तैयार किया है। आपके ऊँटों के लिए भी काफ़ी जगह है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:32 | वह नौकर को लेकर घर पहुँचा। ऊँटों से सामान उतारा गया, और उनको भूसा और चारा दिया गया। पानी भी लाया गया ताकि इब्राहीम का नौकर और उसके आदमी अपने पाँव धोएँ। | |
Gene | UrduGeoD | 24:33 | लेकिन जब खाना आ गया तो इब्राहीम के नौकर ने कहा, “इससे पहले कि मैं खाना खाऊँ लाज़िम है कि अपना मामला पेश करूँ।” लाबन ने कहा, “बताएँ अपनी बात।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:35 | रब ने मेरे आक़ा को बहुत बरकत दी है। वह बहुत अमीर बन गया है। रब ने उसे कसरत से भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, सोना-चाँदी, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे दिए हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 24:36 | जब मेरे मालिक की बीवी बूढ़ी हो गई थी तो उसके बेटा पैदा हुआ था। इब्राहीम ने उसे अपनी पूरी मिलकियत दे दी है। | |
Gene | UrduGeoD | 24:37 | लेकिन मेरे आक़ा ने मुझसे कहा, ‘क़सम खाओ कि तुम इन कनानियों में से जिनके दरमियान मैं रहता हूँ मेरे बेटे के लिए बीवी नहीं लाओगे | |
Gene | UrduGeoD | 24:40 | उसने कहा, ‘रब जिसके सामने मैं चलता रहा हूँ अपने फ़रिश्ते को तुम्हारे साथ भेजेगा और तुम्हें कामयाबी बख़्शेगा। तुम्हें ज़रूर मेरे रिश्तेदारों और मेरे बाप के घराने से मेरे बेटे के लिए बीवी मिलेगी। | |
Gene | UrduGeoD | 24:41 | लेकिन अगर तुम मेरे रिश्तेदारों के पास जाओ और वह इनकार करें तो फिर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे।’ | |
Gene | UrduGeoD | 24:42 | आज जब मैं कुएँ के पास आया तो मैंने दुआ की, ‘ऐ रब, मेरे आक़ा के ख़ुदा, अगर तेरी मरज़ी हो तो मुझे इस मिशन में कामयाबी बख़्श जिसके लिए मैं यहाँ आया हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 24:43 | अब मैं इस कुएँ के पास खड़ा हूँ। जब कोई जवान औरत शहर से निकलकर यहाँ आए तो मैं उससे कहूँगा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी पिलाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:44 | अगर वह कहे, “पी लें, मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आऊँगी” तो इसका मतलब यह हो कि तूने उसे मेरे आक़ा के बेटे के लिए चुन लिया है कि उस की बीवी बन जाए।’ | |
Gene | UrduGeoD | 24:45 | मैं अभी दिल में यह दुआ कर रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह चश्मे तक उतरी और अपना घड़ा भर लिया। मैंने उससे कहा, ‘ज़रा मुझे पानी पिलाएँ।’ | |
Gene | UrduGeoD | 24:46 | जवाब में उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर कहा, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिलाती हूँ।’ मैंने पानी पिया, और उसने ऊँटों को भी पानी पिलाया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:47 | फिर मैंने उससे पूछा, ‘आप किसकी बेटी हैं?’ उसने जवाब दिया, ‘मेरा बाप बतुएल है। वह नहूर और मिलकाह का बेटा है।’ फिर मैंने उस की नाक में नथ और उस की कलाइयों में कंगन पहना दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 24:48 | तब मैंने रब को सिजदा करके अपने आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद की जिसने मुझे सीधा मेरे मालिक की भतीजी तक पहुँचाया ताकि वह इसहाक़ की बीवी बन जाए। | |
Gene | UrduGeoD | 24:49 | अब मुझे बताएँ, क्या आप मेरे आक़ा पर अपनी मेहरबानी और वफ़ादारी का इज़हार करना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो रिबक़ा की इसहाक़ के साथ शादी क़बूल करें। अगर आप मुत्तफ़िक़ नहीं हैं तो मुझे बताएँ ताकि मैं कोई और क़दम उठा सकूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:50 | लाबन और बतुएल ने जवाब दिया, “यह बात रब की तरफ़ से है, इसलिए हम किसी तरह भी इनकार नहीं कर सकते। | |
Gene | UrduGeoD | 24:51 | रिबक़ा आपके सामने है। उसे ले जाएँ। वह आपके मालिक के बेटे की बीवी बन जाए जिस तरह रब ने फ़रमाया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:53 | फिर उसने सोने और चाँदी के ज़ेवरात और महँगे मलबूसात अपने सामान में से निकालकर रिबक़ा को दिए। रिबक़ा के भाई और माँ को भी क़ीमती तोह्फ़े मिले। | |
Gene | UrduGeoD | 24:54 | इसके बाद उसने अपने हमसफ़रों के साथ शाम का खाना खाया। वह रात को वहीं ठहरे। अगले दिन जब उठे तो नौकर ने कहा, “अब हमें इजाज़त दें ताकि अपने आक़ा के पास लौट जाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:56 | लेकिन उसने उनसे कहा, “अब देर न करें, क्योंकि रब ने मुझे मेरे मिशन में कामयाबी बख़्शी है। मुझे इजाज़त दें ताकि अपने मालिक के पास वापस जाऊँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:58 | उन्होंने रिबक़ा को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू अभी इस आदमी के साथ जाना चाहती है?” उसने कहा, “जी, मैं जाना चाहती हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:59 | चुनाँचे उन्होंने अपनी बहन रिबक़ा, उस की दाया, इब्राहीम के नौकर और उसके हमसफ़रों को रुख़सत कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:60 | पहले उन्होंने रिबक़ा को बरकत देकर कहा, “हमारी बहन, अल्लाह करे कि तू करोड़ों की माँ बने। तेरी औलाद अपने दुश्मनों के शहरों के दरवाज़ों पर क़ब्ज़ा करे।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:61 | फिर रिबक़ा और उस की नौकरानियाँ उठकर ऊँटों पर सवार हुईं और इब्राहीम के नौकर के पीछे हो लीं। चुनाँचे नौकर उन्हें साथ लेकर रवाना हो गया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:62 | उस वक़्त इसहाक़ मुल्क के जुनूबी हिस्से, दश्ते-नजब में रहता था। वह बैर-लही-रोई से आया था। | |
Gene | UrduGeoD | 24:63 | एक शाम वह निकलकर खुले मैदान में अपनी सोचों में मगन टहल रहा था कि अचानक ऊँट उस की तरफ़ आते हुए नज़र आए। | |
Gene | UrduGeoD | 24:65 | नौकर से पूछा, “वह आदमी कौन है जो मैदान में हमसे मिलने आ रहा है?” नौकर ने कहा, “मेरा मालिक है।” यह सुनकर रिबक़ा ने चादर लेकर अपने चेहरे को ढाँप लिया। | |
Chapter 25
Gene | UrduGeoD | 25:6 | अपनी मौत से पहले उसने अपनी दूसरी बीवियों के बेटों को तोह्फ़े देकर अपने बेटे से दूर मशरिक़ की तरफ़ भेज दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 25:7 | इब्राहीम 175 साल की उम्र में फ़ौत हुआ। ग़रज़ वह बहुत उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर इंतक़ाल करके अपने बापदादा से जा मिला। | |
Gene | UrduGeoD | 25:8 | इब्राहीम 175 साल की उम्र में फ़ौत हुआ। ग़रज़ वह बहुत उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर इंतक़ाल करके अपने बापदादा से जा मिला। | |
Gene | UrduGeoD | 25:9 | उसके बेटों इसहाक़ और इसमाईल ने उसे मकफ़ीला के ग़ार में दफ़न किया जो ममरे के मशरिक़ में है। यह वही ग़ार था जिसे खेत समेत हित्ती आदमी इफ़रोन बिन सुहर से ख़रीदा गया था। इब्राहीम और उस की बीवी सारा दोनों को उसमें दफ़न किया गया। | |
Gene | UrduGeoD | 25:10 | उसके बेटों इसहाक़ और इसमाईल ने उसे मकफ़ीला के ग़ार में दफ़न किया जो ममरे के मशरिक़ में है। यह वही ग़ार था जिसे खेत समेत हित्ती आदमी इफ़रोन बिन सुहर से ख़रीदा गया था। इब्राहीम और उस की बीवी सारा दोनों को उसमें दफ़न किया गया। | |
Gene | UrduGeoD | 25:11 | इब्राहीम की वफ़ात के बाद अल्लाह ने इसहाक़ को बरकत दी। उस वक़्त इसहाक़ बैर-लही-रोई के क़रीब आबाद था। | |
Gene | UrduGeoD | 25:12 | इब्राहीम का बेटा इसमाईल जो सारा की मिसरी लौंडी हाजिरा के हाँ पैदा हुआ उसका नसबनामा यह है। | |
Gene | UrduGeoD | 25:16 | यह बेटे बारह क़बीलों के बानी बन गए, और जहाँ जहाँ वह आबाद हुए उन जगहों का वही नाम पड़ गया। | |
Gene | UrduGeoD | 25:18 | उस की औलाद उस इलाक़े में आबाद थी जो हवीला और शूर के दरमियान है और जो मिसर के मशरिक़ में असूर की तरफ़ है। यों इसमाईल अपने तमाम भाइयों के सामने ही आबाद हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 25:20 | इसहाक़ 40 साल का था जब उस की रिबक़ा से शादी हुई। रिबक़ा लाबन की बहन और अरामी मर्द बतुएल की बेटी थी (बतुएल मसोपुतामिया का था)। | |
Gene | UrduGeoD | 25:21 | रिबक़ा के बच्चे पैदा न हुए। लेकिन इसहाक़ ने अपनी बीवी के लिए दुआ की तो रब ने उस की सुनी, और रिबक़ा उम्मीद से हुई। | |
Gene | UrduGeoD | 25:22 | उसके पेट में बच्चे एक दूसरे से ज़ोर-आज़माई करने लगे तो वह रब से पूछने गई, “अगर यह मेरी हालत रहेगी तो फिर मैं यहाँ तक क्यों पहुँच गई हूँ?” | |
Gene | UrduGeoD | 25:23 | रब ने उससे कहा, “तेरे अंदर दो क़ौमें हैं। वह तुझसे निकलकर एक दूसरी से अलग अलग हो जाएँगी। उनमें से एक ज़्यादा ताक़तवर होगी, और बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 25:25 | पहला बच्चा निकला तो सुर्ख़-सा था, और ऐसा लग रहा था कि वह घने बालों का कोट ही पहने हुए है। इसलिए उसका नाम एसौ यानी ‘बालोंवाला’ रखा गया। | |
Gene | UrduGeoD | 25:26 | इसके बाद दूसरा बच्चा पैदा हुआ। वह एसौ की एड़ी पकड़े हुए निकला, इसलिए उसका नाम याक़ूब यानी ‘एड़ी पकड़नेवाला’ रखा गया। उस वक़्त इसहाक़ 60 साल का था। | |
Gene | UrduGeoD | 25:27 | लड़के जवान हुए। एसौ माहिर शिकारी बन गया और खुले मैदान में ख़ुश रहता था। उसके मुक़ाबले में याक़ूब शायस्ता था और डेरे में रहना पसंद करता था। | |
Gene | UrduGeoD | 25:28 | इसहाक़ एसौ को प्यार करता था, क्योंकि वह शिकार का गोश्त पसंद करता था। लेकिन रिबक़ा याक़ूब को प्यार करती थी। | |
Gene | UrduGeoD | 25:30 | उसने कहा, “मुझे जल्दी से लाल सालन, हाँ इसी लाल सालन से कुछ खाने को दो। मैं तो बेदम हो रहा हूँ।” (इसी लिए बाद में उसका नाम अदोम यानी सुर्ख़ पड़ गया।) | |
Gene | UrduGeoD | 25:33 | याक़ूब ने कहा, “पहले क़सम खाकर मुझे यह हक़ बेच दो।” एसौ ने क़सम खाकर उसे पहलौठे का हक़ मुंतक़िल कर दिया। | |
Chapter 26
Gene | UrduGeoD | 26:1 | उस मुल्क में दुबारा काल पड़ा, जिस तरह इब्राहीम के दिनों में भी पड़ गया था। इसहाक़ जिरार शहर गया जिस पर फ़िलिस्तियों के बादशाह अबीमलिक की हुकूमत थी। | |
Gene | UrduGeoD | 26:2 | रब ने इसहाक़ पर ज़ाहिर होकर कहा, “मिसर न जा बल्कि उस मुल्क में बस जो मैं तुझे दिखाता हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 26:3 | उस मुल्क में अजनबी रह तो मैं तेरे साथ हूँगा और तुझे बरकत दूँगा। क्योंकि मैं तुझे और तेरी औलाद को यह तमाम इलाक़ा दूँगा और वह वादा पूरा करूँगा जो मैंने क़सम खाकर तेरे बाप इब्राहीम से किया था। | |
Gene | UrduGeoD | 26:4 | मैं तुझे इतनी औलाद दूँगा जितने आसमान पर सितारे हैं। और मैं यह तमाम मुल्क उन्हें दे दूँगा। तेरी औलाद से दुनिया की तमाम क़ौमें बरकत पाएँगी। | |
Gene | UrduGeoD | 26:5 | मैं तुझे इसलिए बरकत दूँगा कि इब्राहीम मेरे ताबे रहा और मेरी हिदायात और अहकाम पर चलता रहा।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:7 | जब वहाँ के मर्दों ने रिबक़ा के बारे में पूछा तो इसहाक़ ने कहा, “यह मेरी बहन है।” वह उन्हें यह बताने से डरता था कि यह मेरी बीवी है, क्योंकि उसने सोचा, “रिबक़ा निहायत ख़ूबसूरत है। अगर उन्हें मालूम हो जाए कि रिबक़ा मेरी बीवी है तो वह उसे हासिल करने की ख़ातिर मुझे क़त्ल कर देंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:8 | काफ़ी वक़्त गुज़र गया। एक दिन फ़िलिस्तियों के बादशाह ने अपनी खिड़की में से झाँककर देखा कि इसहाक़ अपनी बीवी को प्यार कर रहा है। | |
Gene | UrduGeoD | 26:9 | उसने इसहाक़ को बुलाकर कहा, “वह तो आपकी बीवी है! आपने क्यों कहा कि मेरी बहन है?” इसहाक़ ने जवाब दिया, “मैंने सोचा कि अगर मैं बताऊँ कि यह मेरी बीवी है तो लोग मुझे क़त्ल कर देंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:10 | अबीमलिक ने कहा, “आपने हमारे साथ कैसा सुलूक कर दिखाया! कितनी आसानी से मेरे आदमियों में से कोई आपकी बीवी से हमबिसतर हो जाता। इस तरह हम आपके सबब से एक बड़े जुर्म के क़ुसूरवार ठहरते।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:11 | फिर अबीमलिक ने तमाम लोगों को हुक्म दिया, “जो भी इस मर्द या उस की बीवी को छेड़े उसे सज़ाए-मौत दी जाएगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:12 | इसहाक़ ने उस इलाक़े में काश्तकारी की, और उसी साल उसे सौ गुना फल मिला। यों रब ने उसे बरकत दी, | |
Gene | UrduGeoD | 26:14 | उसके पास इतनी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और ग़ुलाम थे कि फ़िलिस्ती उससे हसद करने लगे। | |
Gene | UrduGeoD | 26:15 | अब ऐसा हुआ कि उन्होंने उन तमाम कुओं को मिट्टी से भरकर बंद कर दिया जो उसके बाप के नौकरों ने खोदे थे। | |
Gene | UrduGeoD | 26:16 | आख़िरकार अबीमलिक ने इसहाक़ से कहा, “कहीं और जाकर रहें, क्योंकि आप हमसे ज़्यादा ज़ोरावर हो गए हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:18 | वहाँ फ़िलिस्तियों ने इब्राहीम की मौत के बाद तमाम कुओं को मिट्टी से भर दिया था। इसहाक़ ने उनको दुबारा खुदवाया। उसने उनके वही नाम रखे जो उसके बाप ने रखे थे। | |
Gene | UrduGeoD | 26:20 | लेकिन जिरार के चरवाहे आकर इसहाक़ के चरवाहों से झगड़ने लगे। उन्होंने कहा, “यह हमारा कुआँ है!” इसलिए उसने उस कुएँ का नाम इसक यानी झगड़ा रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 26:21 | इसहाक़ के नौकरों ने एक और कुआँ खोद लिया। लेकिन उस पर भी झगड़ा हुआ, इसलिए उसने उसका नाम सितना यानी मुख़ालफ़त रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 26:22 | वहाँ से जाकर उसने एक तीसरा कुआँ खुदवाया। इस दफ़ा कोई झगड़ा न हुआ, इसलिए उसने उसका नाम रहोबोत यानी ‘खुली जगह’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “रब ने हमें खुली जगह दी है, और अब हम मुल्क में फलें-फूलेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:24 | उसी रात रब उस पर ज़ाहिर हुआ और कहा, “मैं तेरे बाप इब्राहीम का ख़ुदा हूँ। मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ। मैं तुझे बरकत दूँगा और तुझे अपने ख़ादिम इब्राहीम की ख़ातिर बहुत औलाद दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:25 | वहाँ इसहाक़ ने क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की। वहाँ उसने अपने ख़ैमे लगाए और उसके नौकरों ने कुआँ खोद लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 26:26 | एक दिन अबीमलिक, उसका साथी अख़ूज़त और उसका सिपहसालार फ़ीकुल जिरार से उसके पास आए। | |
Gene | UrduGeoD | 26:27 | इसहाक़ ने पूछा, “आप क्यों मेरे पास आए हैं? आप तो मुझसे नफ़रत रखते हैं। क्या आपने मुझे अपने दरमियान से ख़ारिज नहीं किया था?” | |
Gene | UrduGeoD | 26:28 | उन्होंने जवाब दिया, “हमने जान लिया है कि रब आपके साथ है। इसलिए हमने कहा कि हमारा आपके साथ अहद होना चाहिए। आइए हम क़सम खाकर एक दूसरे से अहद बाँधें | |
Gene | UrduGeoD | 26:29 | कि आप हमें नुक़सान नहीं पहुँचाएँगे, क्योंकि हमने भी आपको नहीं छेड़ा बल्कि आपसे सिर्फ़ अच्छा सुलूक किया और आपको सलामती के साथ रुख़सत किया है। और अब ज़ाहिर है कि रब ने आपको बरकत दी है।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:31 | फिर सुबह-सवेरे उठकर उन्होंने एक दूसरे के सामने क़सम खाई। इसके बाद इसहाक़ ने उन्हें रुख़सत किया और वह सलामती से रवाना हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 26:32 | उसी दिन इसहाक़ के नौकर आए और उसे उस कुएँ के बारे में इत्तला दी जो उन्होंने खोदा था। उन्होंने कहा, “हमें पानी मिल गया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 26:34 | जब एसौ 40 साल का था तो उसने दो हित्ती औरतों से शादी की, बैरी की बेटी यहूदित से और ऐलोन की बेटी बासमत से। | |
Chapter 27
Gene | UrduGeoD | 27:1 | इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े बेटे को बुलाकर कहा, “बेटा।” एसौ ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:4 | उसे तैयार करके ऐसा लज़ीज़ खाना पका जो मुझे पसंद है। फिर उसे मेरे पास ले आ। मरने से पहले मैं वह खाना खाकर तुझे बरकत देना चाहता हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:5 | रिबक़ा ने इसहाक़ की एसौ के साथ बातचीत सुन ली थी। जब एसौ शिकार करने के लिए चला गया तो उसने याक़ूब से कहा, | |
Gene | UrduGeoD | 27:7 | ‘मेरे लिए किसी जानवर का शिकार करके ले आ। उसे तैयार करके मेरे लिए लज़ीज़ खाना पका। मरने से पहले मैं यह खाना खाकर तुझे रब के सामने बरकत देना चाहता हूँ।’ | |
Gene | UrduGeoD | 27:9 | जाकर रेवड़ में से बकरियों के दो अच्छे अच्छे बच्चे चुन लो। फिर मैं वही लज़ीज़ खाना पकाऊँगी जो तुम्हारे अब्बू को पसंद है। | |
Gene | UrduGeoD | 27:11 | लेकिन याक़ूब ने एतराज़ किया, “आप जानती हैं कि एसौ के जिस्म पर घने बाल हैं जबकि मेरे बाल कम हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 27:12 | कहीं मुझे छूने से मेरे बाप को पता न चल जाए कि मैं उसे फ़रेब दे रहा हूँ। फिर मुझ पर बरकत नहीं बल्कि लानत आएगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:13 | उस की माँ ने कहा, “तुम पर आनेवाली लानत मुझ पर आए, बेटा। बस मेरी बात मान लो। जाओ और बकरियों के वह बच्चे ले आओ।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:14 | चुनाँचे वह गया और उन्हें अपनी माँ के पास ले आया। रिबक़ा ने ऐसा लज़ीज़ खाना पकाया जो याक़ूब के बाप को पसंद था। | |
Gene | UrduGeoD | 27:15 | एसौ के ख़ास मौक़ों के लिए अच्छे लिबास रिबक़ा के पास घर में थे। उसने उनमें से बेहतरीन लिबास चुनकर अपने छोटे बेटे को पहना दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 27:18 | याक़ूब ने अपने बाप के पास जाकर कहा, “अब्बू जी।” इसहाक़ ने कहा, “जी, बेटा। तू कौन है?” | |
Gene | UrduGeoD | 27:19 | उसने कहा, “मैं आपका पहलौठा एसौ हूँ। मैंने वह किया है जो आपने मुझे कहा था। अब ज़रा उठें और बैठकर मेरे शिकार का खाना खाएँ ताकि आप बाद में मुझे बरकत दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:20 | इसहाक़ ने पूछा, “बेटा, तुझे यह शिकार इतनी जल्दी किस तरह मिल गया?” उसने जवाब दिया, “रब आपके ख़ुदा ने उसे मेरे सामने से गुज़रने दिया।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:21 | इसहाक़ ने कहा, “बेटा, मेरे क़रीब आ ताकि मैं तुझे छू लूँ कि तू वाक़ई मेरा बेटा एसौ है कि नहीं।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:22 | याक़ूब अपने बाप के नज़दीक आया। इसहाक़ ने उसे छूकर कहा, “तेरी आवाज़ तो याक़ूब की है लेकिन तेरे हाथ एसौ के हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:23 | यों उसने फ़रेब खाया। चूँकि याक़ूब के हाथ एसौ के हाथ की मानिंद थे इसलिए उसने उसे बरकत दी। | |
Gene | UrduGeoD | 27:24 | तो भी उसने दुबारा पूछा, “क्या तू वाक़ई मेरा बेटा एसौ है?” याक़ूब ने जवाब दिया, “जी, मैं वही हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:25 | आख़िरकार इसहाक़ ने कहा, “शिकार का खाना मेरे पास ले आ, बेटा। उसे खाने के बाद मैं तुझे बरकत दूँगा।” याक़ूब खाना और मै ले आया। इसहाक़ ने खाया और पिया, | |
Gene | UrduGeoD | 27:27 | याक़ूब ने पास आकर उसे बोसा दिया। इसहाक़ ने उसके लिबास को सूँघकर उसे बरकत दी। उसने कहा, “मेरे बेटे की ख़ुशबू उस खुले मैदान की ख़ुशबू की मानिंद है जिसे रब ने बरकत दी है। | |
Gene | UrduGeoD | 27:28 | अल्लाह तुझे आसमान की ओस और ज़मीन की ज़रख़ेज़ी दे। वह तुझे कसरत का अनाज और अंगूर का रस दे। | |
Gene | UrduGeoD | 27:29 | क़ौमें तेरी ख़िदमत करें, और उम्मतें तेरे सामने झुक जाएँ। अपने भाइयों का हुक्मरान बन, और तेरी माँ की औलाद तेरे सामने घुटने टेके। जो तुझ पर लानत करे वह ख़ुद लानती हो और जो तुझे बरकत दे वह ख़ुद बरकत पाए।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:30 | इसहाक़ की बरकत के बाद याक़ूब अभी रुख़सत ही हुआ था कि उसका भाई एसौ शिकार करके वापस आया। | |
Gene | UrduGeoD | 27:31 | वह भी लज़ीज़ खाना पकाकर उसे अपने बाप के पास ले आया। उसने कहा, “अब्बू जी, उठें और मेरे शिकार का खाना खाएँ ताकि आप मुझे बरकत दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:33 | इसहाक़ घबराकर शिद्दत से काँपने लगा। उसने पूछा, “फिर वह कौन था जो किसी जानवर का शिकार करके मेरे पास ले आया? तेरे आने से ज़रा पहले मैंने उस शिकार का खाना खाकर उस शख़्स को बरकत दी। अब वह बरकत उसी पर रहेगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:34 | यह सुनकर एसौ ज़ोरदार और तलख़ चीख़ें मारने लगा। “अब्बू, मुझे भी बरकत दें,” उसने कहा। | |
Gene | UrduGeoD | 27:35 | लेकिन इसहाक़ ने जवाब दिया, “तेरे भाई ने आकर मुझे फ़रेब दिया। उसने तेरी बरकत तुझसे छीन ली है।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:36 | एसौ ने कहा, “उसका नाम याक़ूब ठीक ही रखा गया है, क्योंकि अब उसने मुझे दूसरी बार धोका दिया है। पहले उसने पहलौठे का हक़ मुझसे छीन लिया और अब मेरी बरकत भी ज़बरदस्ती ले ली। क्या आपने मेरे लिए कोई बरकत महफ़ूज़ नहीं रखी?” | |
Gene | UrduGeoD | 27:37 | लेकिन इसहाक़ ने कहा, “मैंने उसे तेरा हुक्मरान और उसके तमाम भाइयों को उसके ख़ादिम बना दिया है। मैंने उसे अनाज और अंगूर का रस मुहैया किया है। अब मुझे बता बेटा, क्या कुछ रह गया है जो मैं तुझे दूँ?” | |
Gene | UrduGeoD | 27:38 | लेकिन एसौ ख़ामोश न हुआ बल्कि कहा, “अब्बू, क्या आपके पास वाक़ई सिर्फ़ यही बरकत थी? अब्बू, मुझे भी बरकत दें।” वह ज़ारो-क़तार रोने लगा। | |
Gene | UrduGeoD | 27:40 | तू सिर्फ़ अपनी तलवार के सहारे ज़िंदा रहेगा और अपने भाई की ख़िदमत करेगा। लेकिन एक दिन तू बेचैन होकर उसका जुआ अपनी गरदन पर से उतार फेंकेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:41 | बाप की बरकत के सबब से एसौ याक़ूब का दुश्मन बन गया। उसने दिल में कहा, “वह दिन क़रीब आ गए हैं कि अब्बू इंतक़ाल कर जाएंगे और हम उनका मातम करेंगे। फिर मैं अपने भाई को मार डालूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 27:42 | रिबक़ा को अपने बड़े बेटे एसौ का यह इरादा मालूम हुआ। उसने याक़ूब को बुलाकर कहा, “तुम्हारा भाई बदला लेना चाहता है। वह तुम्हें क़त्ल करने का इरादा रखता है। | |
Gene | UrduGeoD | 27:43 | बेटा, अब मेरी सुनो, यहाँ से हिजरत कर जाओ। हारान शहर में मेरे भाई लाबन के पास चले जाओ। | |
Gene | UrduGeoD | 27:45 | जब उसका ग़ुस्सा ठंडा हो जाएगा और वह तुम्हारे उसके साथ किए गए सुलूक को भूल जाएगा, तब मैं इत्तला दूँगी कि तुम वहाँ से वापस आ सकते हो। मैं क्यों एक ही दिन में तुम दोनों से महरूम हो जाऊँ?” | |
Chapter 28
Gene | UrduGeoD | 28:1 | इसहाक़ ने याक़ूब को बुलाकर उसे बरकत दी और कहा, “लाज़िम है कि तू किसी कनानी औरत से शादी न करे। | |
Gene | UrduGeoD | 28:2 | अब सीधे मसोपुतामिया में अपने नाना बतुएल के घर जा और वहाँ अपने मामूँ लाबन की लड़कियों में से किसी एक से शादी कर। | |
Gene | UrduGeoD | 28:3 | अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ तुझे बरकत देकर फलने फूलने दे और तुझे इतनी औलाद दे कि तू बहुत सारी क़ौमों का बाप बने। | |
Gene | UrduGeoD | 28:4 | वह तुझे और तेरी औलाद को इब्राहीम की बरकत दे जिसे उसने यह मुल्क दिया जिसमें तू मेहमान के तौर पर रहता है। यह मुल्क तुम्हारे क़ब्ज़े में आए।” | |
Gene | UrduGeoD | 28:5 | यों इसहाक़ ने याक़ूब को मसोपुतामिया में लाबन के घर भेजा। लाबन अरामी मर्द बतुएल का बेटा और रिबक़ा का भाई था। | |
Gene | UrduGeoD | 28:6 | एसौ को पता चला कि इसहाक़ ने याक़ूब को बरकत देकर मसोपुतामिया भेज दिया है ताकि वहाँ शादी करे। उसे यह भी मालूम हुआ कि इसहाक़ ने उसे कनानी औरत से शादी करने से मना किया है | |
Gene | UrduGeoD | 28:9 | इसलिए वह इब्राहीम के बेटे इसमाईल के पास गया और उस की बेटी महलत से शादी की। वह नबायोत की बहन थी। यों उस की बीवियों में इज़ाफ़ा हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 28:11 | जब सूरज ग़ुरूब हुआ तो वह रात गुज़ारने के लिए रुक गया और वहाँ के पत्थरों में से एक को लेकर उसे अपने सिरहाने रखा और सो गया। | |
Gene | UrduGeoD | 28:12 | जब वह सो रहा था तो ख़ाब में एक सीढ़ी देखी जो ज़मीन से आसमान तक पहुँचती थी। फ़रिश्ते उस पर चढ़ते और उतरते नज़र आते थे। | |
Gene | UrduGeoD | 28:13 | रब उसके ऊपर खड़ा था। उसने कहा, “मैं रब इब्राहीम और इसहाक़ का ख़ुदा हूँ। मैं तुझे और तेरी औलाद को यह ज़मीन दूँगा जिस पर तू लेटा है। | |
Gene | UrduGeoD | 28:14 | तेरी औलाद ज़मीन पर ख़ाक की तरह बेशुमार होगी, और तू चारों तरफ़ फैल जाएगा। दुनिया की तमाम क़ौमें तेरे और तेरी औलाद के वसीले से बरकत पाएँगी। | |
Gene | UrduGeoD | 28:15 | मैं तेरे साथ हूँगा, तुझे महफ़ूज़ रखूँगा और आख़िरकार तुझे इस मुल्क में वापस लाऊँगा। मुमकिन ही नहीं कि मैं तेरे साथ अपना वादा पूरा करने से पहले तुझे छोड़ दूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 28:17 | वह डर गया और कहा, “यह कितना ख़ौफ़नाक मक़ाम है। यह तो अल्लाह ही का घर और आसमान का दरवाज़ा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 28:18 | याक़ूब सुबह-सवेरे उठा। उसने वह पत्थर लिया जो उसने अपने सिरहाने रखा था और उसे सतून की तरह खड़ा किया। फिर उसने उस पर ज़ैतून का तेल उंडेल दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 28:19 | उसने मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले साथवाले शहर का नाम लूज़ था)। | |
Gene | UrduGeoD | 28:20 | उसने क़सम खाकर कहा, “अगर रब मेरे साथ हो, सफ़र पर मेरी हिफ़ाज़त करे, मुझे खाना और कपड़ा मुहैया करे | |
Chapter 29
Gene | UrduGeoD | 29:2 | वहाँ उसने खेत में कुआँ देखा जिसके इर्दगिर्द भेड़-बकरियों के तीन रेवड़ जमा थे। रेवड़ों को कुएँ का पानी पिलाया जाना था, लेकिन उसके मुँह पर बड़ा पत्थर पड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 29:3 | वहाँ पानी पिलाने का यह तरीक़ा था कि पहले चरवाहे तमाम रेवड़ों का इंतज़ार करते और फिर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा देते थे। पानी पिलाने के बाद वह पत्थर को दुबारा मुँह पर रख देते थे। | |
Gene | UrduGeoD | 29:4 | याक़ूब ने चरवाहों से पूछा, “मेरे भाइयो, आप कहाँ के हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “हारान के।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:6 | उसने पूछा, “क्या वह ख़ैरियत से है?” उन्होंने कहा, “जी, वह ख़ैरियत से है। देखो, उधर उस की बेटी राख़िल रेवड़ लेकर आ रही है।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:7 | याक़ूब ने कहा, “अभी तो शाम तक बहुत वक़्त बाक़ी है। रेवड़ों को जमा करने का वक़्त तो नहीं है। आप क्यों उन्हें पानी पिलाकर दुबारा चरने नहीं देते?” | |
Gene | UrduGeoD | 29:8 | उन्होंने जवाब दिया, “पहले ज़रूरी है कि तमाम रेवड़ यहाँ पहुँचें। तब ही पत्थर को लुढ़काकर एक तरफ़ हटाया जाएगा और हम रेवड़ों को पानी पिलाएँगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:9 | याक़ूब अभी उनसे बात कर ही रहा था कि राख़िल अपने बाप का रेवड़ लेकर आ पहुँची, क्योंकि भेड़-बकरियों को चराना उसका काम था। | |
Gene | UrduGeoD | 29:10 | जब याक़ूब ने राख़िल को मामूँ लाबन के रेवड़ के साथ आते देखा तो उसने कुएँ के पास जाकर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा दिया और भेड़-बकरियों को पानी पिलाया। | |
Gene | UrduGeoD | 29:12 | उसने कहा, “मैं आपके अब्बू की बहन रिबक़ा का बेटा हूँ।” यह सुनकर राख़िल ने भागकर अपने अब्बू को इत्तला दी। | |
Gene | UrduGeoD | 29:13 | जब लाबन ने सुना कि मेरा भानजा याक़ूब आया है तो वह दौड़कर उससे मिलने गया और उसे गले लगाकर अपने घर ले आया। याक़ूब ने उसे सब कुछ बता दिया जो हुआ था। | |
Gene | UrduGeoD | 29:14 | लाबन ने कहा, “आप वाक़ई मेरे रिश्तेदार हैं।” याक़ूब ने वहाँ एक पूरा महीना गुज़ारा। | |
Gene | UrduGeoD | 29:15 | फिर लाबन याक़ूब से कहने लगा, “बेशक आप मेरे रिश्तेदार हैं, लेकिन आपको मेरे लिए काम करने के बदले में कुछ मिलना चाहिए। मैं आपको कितने पैसे दूँ?” | |
Gene | UrduGeoD | 29:18 | याक़ूब को राख़िल से मुहब्बत थी, इसलिए उसने कहा, “अगर मुझे आपकी छोटी बेटी राख़िल मिल जाए तो आपके लिए सात साल काम करूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:19 | लाबन ने कहा, “किसी और आदमी की निसबत मुझे यह ज़्यादा पसंद है कि आप ही से उस की शादी कराऊँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:20 | पस याक़ूब ने राख़िल को पाने के लिए सात साल तक काम किया। लेकिन उसे ऐसा लगा जैसा दो एक दिन ही गुज़रे हों क्योंकि वह राख़िल को शिद्दत से प्यार करता था। | |
Gene | UrduGeoD | 29:21 | इसके बाद उसने लाबन से कहा, “मुद्दत पूरी हो गई है। अब मुझे अपनी बेटी से शादी करने दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:23 | लेकिन उस रात वह राख़िल की बजाए लियाह को याक़ूब के पास ले आया, और याक़ूब उसी से हमबिसतर हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 29:25 | जब सुबह हुई तो याक़ूब ने देखा कि लियाह ही मेरे पास है। उसने लाबन के पास जाकर कहा, “यह आपने मेरे साथ क्या किया है? क्या मैंने राख़िल के लिए काम नहीं किया? आपने मुझे धोका क्यों दिया?” | |
Gene | UrduGeoD | 29:26 | लाबन ने जवाब दिया, “यहाँ दस्तूर नहीं है कि छोटी बेटी की शादी बड़ी से पहले कर दी जाए। | |
Gene | UrduGeoD | 29:27 | एक हफ़ते के बाद शादी की रुसूमात पूरी हो जाएँगी। उस वक़्त तक सब्र करें। फिर मैं आपको राख़िल भी दे दूँगा। शर्त यह है कि आप मज़ीद सात साल मेरे लिए काम करें।” | |
Gene | UrduGeoD | 29:28 | याक़ूब मान गया। चुनाँचे जब एक हफ़ते के बाद शादी की रुसूमात पूरी हुईं तो लाबन ने अपनी बेटी राख़िल की शादी भी उसके साथ कर दी। | |
Gene | UrduGeoD | 29:30 | याक़ूब राख़िल से भी हमबिसतर हुआ। वह लियाह की निसबत उसे ज़्यादा प्यार करता था। फिर उसने राख़िल के एवज़ सात साल और लाबन की ख़िदमत की। | |
Gene | UrduGeoD | 29:31 | जब रब ने देखा कि लियाह से नफ़रत की जाती है तो उसने उसे औलाद दी जबकि राख़िल के हाँ बच्चे पैदा न हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 29:32 | लियाह हामिला हुई और उसके बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “रब ने मेरी मुसीबत देखी है और अब मेरा शौहर मुझे प्यार करेगा।” उसने उसका नाम रूबिन यानी ‘देखो एक बेटा’ रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 29:33 | वह दुबारा हामिला हुई। एक और बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “रब ने सुना कि मुझसे नफ़रत की जाती है, इसलिए उसने मुझे यह भी दिया है।” उसने उसका नाम शमौन यानी ‘रब ने सुना है’ रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 29:34 | वह एक और दफ़ा हामिला हुई। तीसरा बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “अब आख़िरकार शौहर के साथ मेरा बंधन मज़बूत हो जाएगा, क्योंकि मैंने उसके लिए तीन बेटों को जन्म दिया है।” उसने उसका नाम लावी यानी बंधन रखा। | |
Chapter 30
Gene | UrduGeoD | 30:1 | लेकिन राख़िल बेऔलाद ही रही, इसलिए वह अपनी बहन से हसद करने लगी। उसने याक़ूब से कहा, “मुझे भी औलाद दें वरना मैं मर जाऊँगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:2 | याक़ूब को ग़ुस्सा आया। उसने कहा, “क्या मैं अल्लाह हूँ जिसने तुझे औलाद से महरूम रखा है?” | |
Gene | UrduGeoD | 30:3 | राख़िल ने कहा, “यहाँ मेरी लौंडी बिलहाह है। उसके साथ हमबिसतर हों ताकि वह मेरे लिए बच्चे को जन्म दे और मैं उस की मारिफ़त माँ बन जाऊँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:6 | राख़िल ने कहा, “अल्लाह ने मेरे हक़ में फ़ैसला दिया है। उसने मेरी दुआ सुनकर मुझे बेटा दे दिया है।” उसने उसका नाम दान यानी ‘किसी के हक़ में फ़ैसला करनेवाला’ रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 30:8 | राख़िल ने कहा, “मैंने अपनी बहन से सख़्त कुश्ती लड़ी है, लेकिन जीत गई हूँ।” उसने उसका नाम नफ़ताली यानी ‘कुश्ती में मुझसे जीता गया’ रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 30:9 | जब लियाह ने देखा कि मेरे और बच्चे पैदा नहीं हो रहे तो उसने याक़ूब को अपनी लौंडी ज़िलफ़ा दे दी ताकि वह भी उस की बीवी हो। | |
Gene | UrduGeoD | 30:11 | लियाह ने कहा, “मैं कितनी ख़ुशक़िसमत हूँ!” चुनाँचे उसने उसका नाम जद यानी ख़ुशक़िसमती रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 30:13 | लियाह ने कहा, “मैं कितनी मुबारक हूँ। अब ख़वातीन मुझे मुबारक कहेंगी।” उसने उसका नाम आशर यानी मुबारक रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 30:14 | एक दिन अनाज की फ़सल की कटाई हो रही थी कि रूबिन बाहर निकलकर खेतों में चला गया। वहाँ उसे मर्दुमगयाह मिल गए। वह उन्हें अपनी माँ लियाह के पास ले आया। यह देखकर राख़िल ने लियाह से कहा, “मुझे ज़रा अपने बेटे के मर्दुमगयाह में से कुछ दे दो।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:15 | लियाह ने जवाब दिया, “क्या यही काफ़ी नहीं कि तुमने मेरे शौहर को मुझसे छीन लिया है? अब मेरे बेटे के मर्दुमगयाह को भी छीनना चाहती हो।” राख़िल ने कहा, “अगर तुम मुझे अपने बेटे के मर्दुमगयाह में से दो तो आज रात याक़ूब के साथ सो सकती हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:16 | शाम को याक़ूब खेतों से वापस आ रहा था कि लियाह आगे से उससे मिलने को गई और कहा, “आज रात आपको मेरे साथ सोना है, क्योंकि मैंने अपने बेटे के मर्दुमगयाह के एवज़ आपको उजरत पर लिया है।” चुनाँचे याक़ूब ने लियाह के पास रात गुज़ारी। | |
Gene | UrduGeoD | 30:17 | उस वक़्त अल्लाह ने लियाह की दुआ सुनी और वह हामिला हुई। उसके पाँचवाँ बेटा पैदा हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 30:18 | लियाह ने कहा, “अल्लाह ने मुझे इसका अज्र दिया है कि मैंने अपने शौहर को अपनी लौंडी दी।” उसने उसका नाम इशकार यानी अज्र रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 30:20 | उसने कहा, “अल्लाह ने मुझे एक अच्छा-ख़ासा तोह्फ़ा दिया है। अब मेरा ख़ाविंद मेरे साथ रहेगा, क्योंकि मुझसे उसके छः बेटे पैदा हुए हैं।” उसने उसका नाम ज़बूलून यानी रिहाइश रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 30:23 | वह हामिला हुई और एक बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “मुझे बेटा अता करने से अल्लाह ने मेरी इज़्ज़त बहाल कर दी है। | |
Gene | UrduGeoD | 30:25 | यूसुफ़ की पैदाइश के बाद याक़ूब ने लाबन से कहा, “अब मुझे इजाज़त दें कि मैं अपने वतन और घर को वापस जाऊँ। | |
Gene | UrduGeoD | 30:26 | मुझे मेरे बाल-बच्चे दें जिनके एवज़ मैंने आपकी ख़िदमत की है। फिर मैं चला जाऊँगा। आप तो ख़ुद जानते हैं कि मैंने कितनी मेहनत के साथ आपके लिए काम किया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:27 | लेकिन लाबन ने कहा, “मुझ पर मेहरबानी करें और यहीं रहें। मुझे ग़ैबदानी से पता चला है कि रब ने मुझे आपके सबब से बरकत दी है। | |
Gene | UrduGeoD | 30:29 | याक़ूब ने कहा, “आप जानते हैं कि मैंने किस तरह आपके लिए काम किया, कि मेरे वसीले से आपके मवेशी कितने बढ़ गए हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 30:30 | जो थोड़ा-बहुत मेरे आने से पहले आपके पास था वह अब बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। रब ने मेरे काम से आपको बहुत बरकत दी है। अब वह वक़्त आ गया है कि मैं अपने घर के लिए कुछ करूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:31 | लाबन ने कहा, “मैं आपको क्या दूँ?” याक़ूब ने कहा, “मुझे कुछ न दें। मैं इस शर्त पर आपकी भेड़-बकरियों की देख-भाल जारी रखूँगा कि | |
Gene | UrduGeoD | 30:32 | आज मैं आपके रेवड़ में से गुज़रकर उन तमाम भेड़ों को अलग कर लूँगा जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हों या जो सफ़ेद न हों। इसी तरह मैं उन तमाम बकरियों को भी अलग कर लूँगा जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हों। यही मेरी उजरत होगी। | |
Gene | UrduGeoD | 30:33 | आइंदा जिन बकरियों के जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे होंगे या जिन भेड़ों का रंग सफ़ेद नहीं होगा वह मेरा अज्र होंगी। जब कभी आप उनका मुआयना करेंगे तो आप मालूम कर सकेंगे कि मैं दियानतदार रहा हूँ। क्योंकि मेरे जानवरों के रंग से ही ज़ाहिर होगा कि मैंने आपका कुछ चुराया नहीं है।” | |
Gene | UrduGeoD | 30:35 | उसी दिन लाबन ने उन बकरों को अलग कर लिया जिनके जिस्म पर धारियाँ या धब्बे थे और उन तमाम बकरियों को जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे थे। जिसके भी जिस्म पर सफ़ेद निशान था उसे उसने अलग कर लिया। इसी तरह उसने उन तमाम भेड़ों को भी अलग कर लिया जो पूरे तौर पर सफ़ेद न थे। फिर लाबन ने उन्हें अपने बेटों के सुपुर्द कर दिया | |
Gene | UrduGeoD | 30:36 | जो उनके साथ याक़ूब से इतना दूर चले गए कि उनके दरमियान तीन दिन का फ़ासला था। तब याक़ूब लाबन की बाक़ी भेड़-बकरियों की देख-भाल करता गया। | |
Gene | UrduGeoD | 30:37 | याक़ूब ने सफ़ेदा, बादाम और चनार की हरी हरी शाख़ें लेकर उनसे कुछ छिलका यों उतार दिया कि उस पर सफ़ेद धारियाँ नज़र आईं। | |
Gene | UrduGeoD | 30:38 | उसने उन्हें भेड़-बकरियों के सामने उन हौज़ों में गाड़ दिया जहाँ वह पानी पीते थे, क्योंकि वहाँ यह जानवर मस्त होकर मिलाप करते थे। | |
Gene | UrduGeoD | 30:39 | जब वह इन शाख़ों के सामने मिलाप करते तो जो बच्चे पैदा होते उनके जिस्म पर छोटे और बड़े धब्बे और धारियाँ होती थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 30:40 | फिर याक़ूब ने भेड़ के बच्चों को अलग करके अपने रेवड़ों को लाबन के उन जानवरों के सामने चरने दिया जिनके जिस्म पर धारियाँ थीं और जो सफ़ेद न थे। यों उसने अपने ज़ाती रेवड़ों को अलग कर लिया और उन्हें लाबन के रेवड़ के साथ चरने न दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 30:41 | लेकिन उसने यह शाख़ें सिर्फ़ उस वक़्त हौज़ों में खड़ी कीं जब ताक़तवर जानवर मस्त होकर मिलाप करते थे। | |
Gene | UrduGeoD | 30:42 | कमज़ोर जानवरों के साथ उसने ऐसा न किया। इसी तरह लाबन को कमज़ोर जानवर और याक़ूब को ताक़तवर जानवर मिल गए। | |
Chapter 31
Gene | UrduGeoD | 31:1 | एक दिन याक़ूब को पता चला कि लाबन के बेटे मेरे बारे में कह रहे हैं, “याक़ूब ने हमारे अब्बू से सब कुछ छीन लिया है। उसने यह तमाम दौलत हमारे बाप की मिलकियत से हासिल की है।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:3 | फिर रब ने उससे कहा, “अपने बाप के मुल्क और अपने रिश्तेदारों के पास वापस चला जा। मैं तेरे साथ हूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:4 | उस वक़्त याक़ूब खुले मैदान में अपने रेवड़ों के पास था। उसने वहाँ से राख़िल और लियाह को बुलाकर | |
Gene | UrduGeoD | 31:5 | उनसे कहा, “मैंने देख लिया है कि आपके बाप का मेरे साथ रवैया पहले की निसबत बिगड़ गया है। लेकिन मेरे बाप का ख़ुदा मेरे साथ रहा है। | |
Gene | UrduGeoD | 31:7 | लेकिन वह मुझे फ़रेब देता रहा और मेरी उजरत दस बार बदली। ताहम अल्लाह ने उसे मुझे नुक़सान पहुँचाने न दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 31:8 | जब मामूँ लाबन कहते थे, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धब्बे हों वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धब्बे ही थे। जब उन्होंने कहा, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धारियाँ होंगी वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धारियाँ ही थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 31:10 | अब ऐसा हुआ कि हैवानों की मस्ती के मौसम में मैंने एक ख़ाब देखा। उसमें जो मेंढे और बकरे भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे थे उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 31:11 | उस ख़ाब में अल्लाह के फ़रिश्ते ने मुझसे बात की, ‘याक़ूब!’ मैंने कहा, ‘जी, मैं हाज़िर हूँ।’ | |
Gene | UrduGeoD | 31:12 | फ़रिश्ते ने कहा, ‘अपनी नज़र उठाकर उस पर ग़ौर कर जो हो रहा है। वह तमाम मेंढे और बकरे जो भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे हैं उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ हैं। मैं यह ख़ुद करवा रहा हूँ, क्योंकि मैंने वह सब कुछ देख लिया है जो लाबन ने तेरे साथ किया है। | |
Gene | UrduGeoD | 31:13 | मैं वह ख़ुदा हूँ जो बैतेल में तुझ पर ज़ाहिर हुआ था, उस जगह जहाँ तूने सतून पर तेल उंडेलकर उसे मेरे लिए मख़सूस किया और मेरे हुज़ूर क़सम खाई थी। अब उठ और रवाना होकर अपने वतन वापस चला जा’।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:14 | राख़िल और लियाह ने जवाब में याक़ूब से कहा, “अब हमें अपने बाप की मीरास से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं रही। | |
Gene | UrduGeoD | 31:15 | उसका हमारे साथ अजनबी का-सा सुलूक है। पहले उसने हमें बेच दिया, और अब उसने वह सारे पैसे खा भी लिए हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 31:16 | चुनाँचे जो भी दौलत अल्लाह ने हमारे बाप से छीन ली है वह हमारी और हमारे बच्चों की ही है। अब जो कुछ भी अल्लाह ने आपको बताया है वह करें।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:18 | और अपने तमाम मवेशी और मसोपुतामिया से हासिल किया हुआ तमाम सामान लेकर मुल्के-कनान में अपने बाप के हाँ जाने के लिए रवाना हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 31:19 | उस वक़्त लाबन अपनी भेड़-बकरियों की पशम कतरने को गया हुआ था। उस की ग़ैरमौजूदगी में राख़िल ने अपने बाप के बुत चुरा लिए। | |
Gene | UrduGeoD | 31:21 | बल्कि अपनी सारी मिलकियत समेटकर फ़रार हुआ। दरियाए-फ़ुरात को पार करके वह जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ सफ़र करने लगा। | |
Gene | UrduGeoD | 31:23 | अपने रिश्तेदारों को साथ लेकर उसने उसका ताक़्क़ुब किया। सात दिन चलते चलते उसने याक़ूब को आ लिया जब वह जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में पहुँच गया था। | |
Gene | UrduGeoD | 31:24 | लेकिन उस रात अल्लाह ने ख़ाब में लाबन के पास आकर उससे कहा, “ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:25 | जब लाबन उसके पास पहुँचा तो याक़ूब ने जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में अपने ख़ैमे लगाए हुए थे। लाबन ने भी अपने रिश्तेदारों के साथ वहीं अपने ख़ैमे लगाए। | |
Gene | UrduGeoD | 31:26 | उसने याक़ूब से कहा, “यह आपने क्या किया है? आप मुझे धोका देकर मेरी बेटियों को क्यों जंगी क़ैदियों की तरह हाँक लाए हैं? | |
Gene | UrduGeoD | 31:27 | आप क्यों मुझे फ़रेब देकर ख़ामोशी से भाग आए हैं? अगर आप मुझे इत्तला देते तो मैं आपको ख़ुशी ख़ुशी दफ़ और सरोद के साथ गाते बजाते रुख़सत करता। | |
Gene | UrduGeoD | 31:28 | आपने मुझे अपने नवासे-नवासियों और बेटियों को बोसा देने का मौक़ा भी न दिया। आपकी यह हरकत बड़ी अहमक़ाना थी। | |
Gene | UrduGeoD | 31:29 | मैं आपको बहुत नुक़सान पहुँचा सकता हूँ। लेकिन पिछली रात आपके अब्बू के ख़ुदा ने मुझसे कहा, ‘ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।’ | |
Gene | UrduGeoD | 31:30 | ठीक है, आप इसलिए चले गए कि अपने बाप के घर वापस जाने के बड़े आरज़ूमंद थे। लेकिन यह आपने क्या किया है कि मेरे बुत चुरा लाए हैं?” | |
Gene | UrduGeoD | 31:32 | लेकिन अगर आपको यहाँ किसी के पास अपने बुत मिल जाएँ तो उसे सज़ाए-मौत दी जाए हमारे रिश्तेदारों की मौजूदगी में मालूम करें कि मेरे पास आपकी कोई चीज़ है कि नहीं। अगर है तो उसे ले लें।” याक़ूब को मालूम नहीं था कि राख़िल ने बुतों को चुराया है। | |
Gene | UrduGeoD | 31:33 | लाबन याक़ूब के ख़ैमे में दाख़िल हुआ और ढूँडने लगा। वहाँ से निकलकर वह लियाह के ख़ैमे में और दोनों लौंडियों के ख़ैमे में गया। लेकिन उसके बुत कहीं नज़र न आए। आख़िर में वह राख़िल के ख़ैमे में दाख़िल हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 31:34 | राख़िल बुतों को ऊँटों की एक काठी के नीचे छुपाकर उस पर बैठ गई थी। लाबन टटोल टटोलकर पूरे ख़ैमे में से गुज़रा लेकिन बुत न मिले। | |
Gene | UrduGeoD | 31:35 | राख़िल ने अपने बाप से कहा, “अब्बू, मुझसे नाराज़ न होना कि मैं आपके सामने खड़ी नहीं हो सकती। मैं ऐयामे-माहवारी के सबब से उठ नहीं सकती।” लाबन उसे छोड़कर ढूँडता रहा, लेकिन कुछ न मिला। | |
Gene | UrduGeoD | 31:36 | फिर याक़ूब को ग़ुस्सा आया और वह लाबन से झगड़ने लगा। उसने पूछा, “मुझसे क्या जुर्म सरज़द हुआ है? मैंने क्या गुनाह किया है कि आप इतनी तुंदी से मेरे ताक़्क़ुब के लिए निकले हैं? | |
Gene | UrduGeoD | 31:37 | आपने टटोल टटोलकर मेरे सारे सामान की तलाशी ली है। तो आपका क्या निकला है? उसे यहाँ अपने और मेरे रिश्तेदारों के सामने रखें। फिर वह फ़ैसला करें कि हममें से कौन हक़ पर है। | |
Gene | UrduGeoD | 31:38 | मैं बीस साल तक आपके साथ रहा हूँ। उस दौरान आपकी भेड़-बकरियाँ बच्चों से महरूम नहीं रहीं बल्कि मैंने आपका एक मेंढा भी नहीं खाया। | |
Gene | UrduGeoD | 31:39 | जब भी कोई भेड़ या बकरी किसी जंगली जानवर ने फाड़ डाली तो मैं उसे आपके पास न लाया बल्कि मुझे ख़ुद उसका नुक़सान भरना पड़ा। आपका तक़ाज़ा था कि मैं ख़ुद चोरी हुए माल का एवज़ाना दूँ, ख़ाह वह दिन के वक़्त चोरी हुआ या रात को। | |
Gene | UrduGeoD | 31:40 | मैं दिन की शदीद गरमी के बाइस पिघल गया और रात की शदीद सर्दी के बाइस जम गया। काम इतना सख़्त था कि मैं नींद से महरूम रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 31:41 | पूरे बीस साल इसी हालत में गुज़र गए। चौदह साल मैंने आपकी बेटियों के एवज़ काम किया और छः साल आपकी भेड़-बकरियों के लिए। उस दौरान आपने दस बार मेरी तनख़ाह बदल दी। | |
Gene | UrduGeoD | 31:42 | अगर मेरे बाप इसहाक़ का ख़ुदा और मेरे दादा इब्राहीम का माबूद मेरे साथ न होता तो आप मुझे ज़रूर ख़ाली हाथ रुख़सत करते। लेकिन अल्लाह ने मेरी मुसीबत और मेरी सख़्त मेहनत-मशक़्क़त देखी है, इसलिए उसने कल रात को मेरे हक़ में फ़ैसला दिया।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:43 | तब लाबन ने याक़ूब से कहा, “यह बेटियाँ तो मेरी बेटियाँ हैं, और इनके बच्चे मेरे बच्चे हैं। यह भेड़-बकरियाँ भी मेरी ही हैं। लेकिन अब मैं अपनी बेटियों और उनके बच्चों के लिए कुछ नहीं कर सकता। | |
Gene | UrduGeoD | 31:44 | इसलिए आओ, हम एक दूसरे के साथ अहद बाँधें। इसके लिए हम यहाँ पत्थरों का ढेर लगाएँ जो अहद की गवाही देता रहे।” | |
Gene | UrduGeoD | 31:46 | उसने अपने रिश्तेदारों से कहा, “कुछ पत्थर जमा करें।” उन्होंने पत्थर जमा करके ढेर लगा दिया। फिर उन्होंने उस ढेर के पास बैठकर खाना खाया। | |
Gene | UrduGeoD | 31:47 | लाबन ने उसका नाम यजर-शाहदूथा रखा जबकि याक़ूब ने जल-एद रखा। दोनों नामों का मतलब ‘गवाही का ढेर’ है यानी वह ढेर जो गवाही देता है। | |
Gene | UrduGeoD | 31:48 | लाबन ने कहा, “आज हम दोनों के दरमियान यह ढेर अहद की गवाही देता है।” इसलिए उसका नाम जल-एद रखा गया। | |
Gene | UrduGeoD | 31:49 | उसका एक और नाम मिसफ़ाह यानी ‘पहरेदारों का मीनार’ भी रखा गया। क्योंकि लाबन ने कहा, “रब हम पर पहरा दे जब हम एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 31:50 | मेरी बेटियों से बुरा सुलूक न करना, न उनके अलावा किसी और से शादी करना। अगर मुझे पता भी न चले लेकिन ज़रूर याद रखें कि अल्लाह मेरे और आपके सामने गवाह है। | |
Gene | UrduGeoD | 31:52 | यह ढेर और सतून दोनों इसके गवाह हैं कि न मैं यहाँ से गुज़रकर आपको नुक़सान पहुँचाऊँगा और न आप यहाँ से गुज़रकर मुझे नुक़सान पहुँचाएँगे। | |
Gene | UrduGeoD | 31:53 | इब्राहीम, नहूर और उनके बाप का ख़ुदा हम दोनों के दरमियान फ़ैसला करे अगर ऐसा कोई मामला हो।” जवाब में याक़ूब ने इसहाक़ के माबूद की क़सम खाई कि मैं यह अहद कभी नहीं तोड़ूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 31:54 | उसने पहाड़ पर एक जानवर क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाया और अपने रिश्तेदारों को खाना खाने की दावत दी। उन्होंने खाना खाकर वहीं पहाड़ पर रात गुज़ारी। | |
Chapter 32
Gene | UrduGeoD | 32:2 | उन्हें देखकर उसने कहा, “यह अल्लाह की लशकरगाह है।” उसने उस मक़ाम का नाम महनायम यानी ‘दो लशकरगाहें’ रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 32:3 | याक़ूब ने अपने भाई एसौ के पास अपने आगे आगे क़ासिद भेजे। एसौ सईर यानी अदोम के मुल्क में आबाद था। | |
Gene | UrduGeoD | 32:4 | उन्हें एसौ को बताना था, “आपका ख़ादिम याक़ूब आपको इत्तला देता है कि मैं परदेस में जाकर अब तक लाबन का मेहमान रहा हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 32:5 | वहाँ मुझे बैल, गधे, भेड़-बकरियाँ, ग़ुलाम और लौंडियाँ हासिल हुए हैं। अब मैं अपने मालिक को इत्तला दे रहा हूँ कि वापस आ गया हूँ और आपकी नज़रे-करम का ख़ाहिशमंद हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:6 | जब क़ासिद वापस आए तो उन्होंने कहा, “हम आपके भाई एसौ के पास गए, और वह 400 आदमी साथ लेकर आपसे मिलने आ रहा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:7 | याक़ूब घबराकर बहुत परेशान हुआ। उसने अपने साथ के तमाम लोगों, भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और ऊँटों को दो गुरोहों में तक़सीम किया। | |
Gene | UrduGeoD | 32:9 | फिर याक़ूब ने दुआ की, “ऐ मेरे दादा इब्राहीम और मेरे बाप इसहाक़ के ख़ुदा, मेरी दुआ सुन! ऐ रब, तूने ख़ुद मुझे बताया, ‘अपने मुल्क और रिश्तेदारों के पास वापस जा, और मैं तुझे कामयाबी दूँगा।’ | |
Gene | UrduGeoD | 32:10 | मैं उस तमाम मेहरबानी और वफ़ादारी के लायक़ नहीं जो तूने अपने ख़ादिम को दिखाई है। जब मैंने लाबन के पास जाते वक़्त दरियाए-यरदन को पार किया तो मेरे पास सिर्फ़ यह लाठी थी, और अब मेरे पास यह दो गुरोह हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 32:11 | मुझे अपने भाई एसौ से बचा, क्योंकि मुझे डर है कि वह मुझ पर हमला करके बाल-बच्चों समेत सब कुछ तबाह कर देगा। | |
Gene | UrduGeoD | 32:12 | तूने ख़ुद कहा था, ‘मैं तुझे कामयाबी दूँगा और तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि वह समुंदर की रेत की मानिंद बेशुमार होगी’।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:13 | याक़ूब ने वहाँ रात गुज़ारी। फिर उसने अपने माल में से एसौ के लिए तोह्फ़े चुन लिए : | |
Gene | UrduGeoD | 32:16 | उसने उन्हें मुख़्तलिफ़ रेवड़ों में तक़सीम करके अपने मुख़्तलिफ़ नौकरों के सुपुर्द किया और उनसे कहा, “मेरे आगे आगे चलो लेकिन हर रेवड़ के दरमियान फ़ासला रखो।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:17 | जो नौकर पहले रेवड़ लेकर आगे निकला उससे याक़ूब ने कहा, “मेरा भाई एसौ तुमसे मिलेगा और पूछेगा, ‘तुम्हारा मालिक कौन है? तुम कहाँ जा रहे हो? तुम्हारे सामने के जानवर किसके हैं?’ | |
Gene | UrduGeoD | 32:18 | जवाब में तुम्हें कहना है, ‘यह आपके ख़ादिम याक़ूब के हैं। यह तोह्फ़ा हैं जो वह अपने मालिक एसौ को भेज रहे हैं। याक़ूब हमारे पीछे पीछे आ रहे हैं’।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:19 | याक़ूब ने यही हुक्म हर एक नौकर को दिया जिसे रेवड़ लेकर उसके आगे आगे जाना था। उसने कहा, “जब तुम एसौ से मिलोगे तो उससे यही कहना है। | |
Gene | UrduGeoD | 32:20 | तुम्हें यह भी ज़रूर कहना है, आपके ख़ादिम याक़ूब हमारे पीछे आ रहे हैं।” क्योंकि याक़ूब ने सोचा, ‘मैं इन तोह्फ़ों से उसके साथ सुलह करूँगा। फिर जब उससे मुलाक़ात होगी तो शायद वह मुझे क़बूल कर ले।’ | |
Gene | UrduGeoD | 32:21 | यों उसने यह तोह्फ़े अपने आगे आगे भेज दिए। लेकिन उसने ख़ुद ख़ैमागाह में रात गुज़ारी। | |
Gene | UrduGeoD | 32:22 | उस रात वह उठा और अपनी दो बीवियों, दो लौंडियों और ग्यारह बेटों को लेकर दरियाए-यब्बोक़ को वहाँ से पार किया जहाँ कम गहराई थी। | |
Gene | UrduGeoD | 32:24 | लेकिन वह ख़ुद अकेला ही पीछे रह गया। उस वक़्त एक आदमी आया और पौ फटने तक उससे कुश्ती लड़ता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 32:25 | जब उसने देखा कि मैं याक़ूब पर ग़ालिब नहीं आ रहा तो उसने उसके कूल्हे को छुआ, और उसका जोड़ निकल गया। | |
Gene | UrduGeoD | 32:26 | आदमी ने कहा, “मुझे जाने दे, क्योंकि पौ फटनेवाली है।” याक़ूब ने कहा, “पहले मुझे बरकत दें, फिर ही आपको जाने दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:28 | आदमी ने कहा, “अब से तेरा नाम याक़ूब नहीं बल्कि इसराईल यानी ‘वह अल्लाह से लड़ता है’ होगा। क्योंकि तू अल्लाह और आदमियों के साथ लड़कर ग़ालिब आया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 32:29 | याक़ूब ने कहा, “मुझे अपना नाम बताएँ।” उसने कहा, “तू क्यों मेरा नाम जानना चाहता है?” फिर उसने याक़ूब को बरकत दी। | |
Gene | UrduGeoD | 32:30 | याक़ूब ने कहा, “मैंने अल्लाह को रूबरू देखा तो भी बच गया हूँ।” इसलिए उसने उस मक़ाम का नाम फ़नियेल रखा। | |
Chapter 33
Gene | UrduGeoD | 33:1 | फिर एसौ उनकी तरफ़ आता हुआ नज़र आया। उसके साथ 400 आदमी थे। उन्हें देखकर याक़ूब ने बच्चों को बाँटकर लियाह, राख़िल और दोनों लौंडियों के हवाले कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 33:2 | उसने दोनों लौंडियों को उनके बच्चों समेत आगे चलने दिया। फिर लियाह उसके बच्चों समेत और आख़िर में राख़िल और यूसुफ़ आए। | |
Gene | UrduGeoD | 33:5 | फिर एसौ ने औरतों और बच्चों को देखा। उसने पूछा, “तुम्हारे साथ यह लोग कौन हैं?” याक़ूब ने कहा, “यह आपके ख़ादिम के बच्चे हैं जो अल्लाह ने अपने करम से नवाज़े हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 33:8 | एसौ ने पूछा, “जिस जानवरों के बड़े ग़ोल से मेरी मुलाक़ात हुई उससे क्या मुराद है?” याक़ूब ने जवाब दिया, “यह तोह्फ़ा है ताकि आपका ख़ादिम आपकी नज़र में मक़बूल हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 33:10 | याक़ूब ने कहा, “नहीं जी, अगर मुझ पर आपके करम की नज़र है तो मेरे इस तोह्फ़े को ज़रूर क़बूल फ़रमाएँ। क्योंकि जब मैंने आपका चेहरा देखा तो वह मेरे लिए अल्लाह के चेहरे की मानिंद था, आपने मेरे साथ इस क़दर अच्छा सुलूक किया है। | |
Gene | UrduGeoD | 33:11 | मेहरबानी करके यह तोह्फ़ा क़बूल करें जो मैं आपके लिए लाया हूँ। क्योंकि अल्लाह ने मुझ पर अपने करम का इज़हार किया है, और मेरे पास बहुत कुछ है।” याक़ूब इसरार करता रहा तो आख़िरकार एसौ ने उसे क़बूल कर लिया। फिर एसौ कहने लगा, | |
Gene | UrduGeoD | 33:13 | याक़ूब ने जवाब दिया, “मेरे मालिक, आप जानते हैं कि मेरे बच्चे नाज़ुक हैं। मेरे पास भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और उनके दूध पीनेवाले बच्चे भी हैं। अगर मैं उन्हें एक दिन के लिए भी हद से ज़्यादा हाँकूँ तो वह मर जाएंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 33:14 | मेरे मालिक, मेहरबानी करके मेरे आगे आगे जाएँ। मैं आराम से उसी रफ़्तार से आपके पीछे पीछे चलता रहूँगा जिस रफ़्तार से मेरे मवेशी और मेरे बच्चे चल सकेंगे। यों हम आहिस्ता चलते हुए आपके पास सईर पहुँचेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 33:15 | एसौ ने कहा, “क्या मैं अपने आदमियों में से कुछ आपके पास छोड़ दूँ?” लेकिन याक़ूब ने कहा, “क्या ज़रूरत है? सबसे अहम बात यह है कि आपने मुझे क़बूल कर लिया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 33:17 | याक़ूब सुक्कात के लिए रवाना हुआ। वहाँ उसने अपने लिए मकान बना लिया और अपने मवेशियों के लिए झोंपड़ियाँ। इसलिए उस मक़ाम का नाम सुक्कात यानी झोंपड़ियाँ पड़ गया। | |
Gene | UrduGeoD | 33:18 | फिर याक़ूब चलते चलते सलामती से सिकम शहर पहुँचा। यों उसका मसोपुतामिया से मुल्के-कनान तक का सफ़र इख़्तिताम तक पहुँच गया। उसने अपने ख़ैमे शहर के सामने लगाए। | |
Gene | UrduGeoD | 33:19 | उसके ख़ैमे हमोर की औलाद की ज़मीन पर लगे थे। उसने यह ज़मीन चाँदी के 100 सिक्कों के बदले ख़रीद ली। | |
Chapter 34
Gene | UrduGeoD | 34:2 | शहर में एक आदमी बनाम सिकम रहता था। उसका वालिद हमोर उस इलाक़े का हुक्मरान था और हिव्वी क़ौम से ताल्लुक़ रखता था। जब सिकम ने दीना को देखा तो उसने उसे पकड़कर उस की इसमतदरी की। | |
Gene | UrduGeoD | 34:3 | लेकिन उसका दिल दीना से लग गया। वह उससे मुहब्बत करने लगा और प्यार से उससे बातें करता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 34:5 | जब याक़ूब ने अपनी बेटी की इसमतदरी की ख़बर सुनी तो उसके बेटे मवेशियों के साथ खुले मैदान में थे। इसलिए वह उनके वापस आने तक ख़ामोश रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 34:7 | जब याक़ूब के बेटों को दीना की इसमतदरी की ख़बर मिली तो उनके दिल रंजिश और ग़ुस्से से भर गए कि सिकम ने याक़ूब की बेटी की इसमतदरी से इसराईल की इतनी बेइज़्ज़ती की है। वह सीधे खुले मैदान से वापस आए। | |
Gene | UrduGeoD | 34:8 | हमोर ने याक़ूब से कहा, “मेरे बेटे का दिल आपकी बेटी से लग गया है। मेहरबानी करके उस की शादी मेरे बेटे के साथ कर दें। | |
Gene | UrduGeoD | 34:10 | फिर आप हमारे साथ इस मुल्क में रह सकेंगे और पूरा मुल्क आपके लिए खुला होगा। आप जहाँ भी चाहें आबाद हो सकेंगे, तिजारत कर सकेंगे और ज़मीन ख़रीद सकेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 34:11 | सिकम ने ख़ुद भी दीना के बाप और भाइयों से मिन्नत की, “अगर मेरी यह दरख़ास्त मंज़ूर हो तो मैं जो कुछ आप कहेंगे अदा कर दूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 34:12 | जितना भी महर और तोह्फ़े आप मुक़र्रर करें मैं दे दूँगा। सिर्फ़ मेरी यह ख़ाहिश पूरी करें कि यह लड़की मेरे अक़द में आ जाए।” | |
Gene | UrduGeoD | 34:13 | लेकिन दीना की इसमतदरी के सबब से याक़ूब के बेटों ने सिकम और उसके बाप हमोर से चालाकी करके | |
Gene | UrduGeoD | 34:14 | कहा, “हम ऐसा नहीं कर सकते। हम अपनी बहन की शादी किसी ऐसे आदमी से नहीं करा सकते जिसका ख़तना नहीं हुआ। इससे हमारी बेइज़्ज़ती होती है। | |
Gene | UrduGeoD | 34:15 | हम सिर्फ़ इस शर्त पर राज़ी होंगे कि आप अपने तमाम लड़कों और मर्दों का ख़तना करवाने से हमारी मानिंद हो जाएँ। | |
Gene | UrduGeoD | 34:16 | फिर आपके बेटे-बेटियों के साथ हमारी शादियाँ हो सकेंगी और हम आपके साथ एक क़ौम बन जाएंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 34:17 | लेकिन अगर आप ख़तना कराने के लिए तैयार नहीं हैं तो हम अपनी बहन को लेकर चले जाएंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 34:19 | नौजवान सिकम ने फ़ौरन उन पर अमल किया, क्योंकि वह दीना को बहुत पसंद करता था। सिकम अपने ख़ानदान में सबसे मुअज़्ज़ज़ था। | |
Gene | UrduGeoD | 34:20 | हमोर अपने बेटे सिकम के साथ शहर के दरवाज़े पर गया जहाँ शहर के फ़ैसले किए जाते थे। वहाँ उन्होंने बाक़ी शहरियों से बात की। | |
Gene | UrduGeoD | 34:21 | “यह आदमी हमसे झगड़नेवाले नहीं हैं, इसलिए क्यों न वह इस मुल्क में हमारे साथ रहें और हमारे दरमियान तिजारत करें? हमारे मुल्क में उनके लिए भी काफ़ी जगह है। आओ, हम उनकी बेटियों और बेटों से शादियाँ करें। | |
Gene | UrduGeoD | 34:22 | लेकिन यह आदमी सिर्फ़ इस शर्त पर हमारे दरमियान रहने और एक ही क़ौम बनने के लिए तैयार हैं कि हम उनकी तरह अपने तमाम लड़कों और मर्दों का ख़तना कराएँ। | |
Gene | UrduGeoD | 34:23 | अगर हम ऐसा करें तो उनके तमाम मवेशी और सारा माल हमारा ही होगा। चुनाँचे आओ, हम मुत्तफ़िक़ होकर फ़ैसला कर लें ताकि वह हमारे दरमियान रहें।” | |
Gene | UrduGeoD | 34:24 | सिकम के शहरी हमोर और सिकम के मशवरे पर राज़ी हुए। तमाम लड़कों और मर्दों का ख़तना कराया गया। | |
Gene | UrduGeoD | 34:25 | तीन दिन के बाद जब ख़तने के सबब से लोगों की हालत बुरी थी तो दीना के दो भाई शमौन और लावी अपनी तलवारें लेकर शहर में दाख़िल हुए। किसी को शक तक नहीं था कि क्या कुछ होगा। अंदर जाकर उन्होंने बच्चों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों को क़त्ल कर दिया | |
Gene | UrduGeoD | 34:26 | जिनमें हमोर और उसका बेटा सिकम भी शामिल थे। फिर वह दीना को सिकम के घर से लेकर चले गए। | |
Gene | UrduGeoD | 34:27 | इस क़त्ले-आम के बाद याक़ूब के बाक़ी बेटे शहर पर टूट पड़े और उसे लूट लिया। यों उन्होंने अपनी बहन की इसमतदरी का बदला लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 34:29 | उन्होंने सारे माल पर क़ब्ज़ा किया, औरतों और बच्चों को क़ैदी बना लिया और तमाम घरों का सामान भी ले गए। | |
Gene | UrduGeoD | 34:30 | फिर याक़ूब ने शमौन और लावी से कहा, “तुमने मुझे मुसीबत में डाल दिया है। अब कनानी, फ़रिज़्ज़ी और मुल्क के बाक़ी बाशिंदों में मेरी बदनामी हुई है। मेरे साथ कम आदमी हैं। अगर दूसरे मिलकर हम पर हमला करें तो हमारे पूरे ख़ानदान का सत्यानास हो जाएगा।” | |
Chapter 35
Gene | UrduGeoD | 35:1 | अल्लाह ने याक़ूब से कहा, “उठ, बैतेल जाकर वहाँ आबाद हो। वहीं अल्लाह के लिए जो तुझ पर ज़ाहिर हुआ जब तू अपने भाई एसौ से भाग रहा था क़ुरबानगाह बना।” | |
Gene | UrduGeoD | 35:2 | चुनाँचे याक़ूब ने अपने घरवालों और बाक़ी सारे साथियों से कहा, “जो भी अजनबी बुत आपके पास हैं उन्हें फेंक दें। अपने आपको पाक-साफ़ करके अपने कपड़े बदलें, | |
Gene | UrduGeoD | 35:3 | क्योंकि हमें यह जगह छोड़कर बैतेल जाना है। वहाँ मैं उस ख़ुदा के लिए क़ुरबानगाह बनाऊँगा जिसने मुसीबत के वक़्त मेरी दुआ सुनी। जहाँ भी मैं गया वहाँ वह मेरे साथ रहा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 35:4 | यह सुनकर उन्होंने याक़ूब को तमाम बुत दे दिए जो उनके पास थे और तमाम बालियाँ जो उन्होंने तावीज़ के तौर पर कानों में पहन रखी थीं। उसने सब कुछ सिकम के क़रीब बलूत के दरख़्त के नीचे ज़मीन में दबा दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 35:5 | फिर वह रवाना हुए। इर्दगिर्द के शहरों पर अल्लाह की तरफ़ से इतना शदीद ख़ौफ़ छा गया कि उन्होंने याक़ूब और उसके बेटों का ताक़्क़ुब न किया। | |
Gene | UrduGeoD | 35:6 | चलते चलते याक़ूब अपने लोगों समेत लूज़ पहुँच गया जो मुल्के-कनान में था। आज लूज़ का नाम बैतेल है। | |
Gene | UrduGeoD | 35:7 | याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था। | |
Gene | UrduGeoD | 35:8 | वहाँ रिबक़ा की दाया दबोरा मर गई। वह बैतेल के जुनूब में बलूत के दरख़्त के नीचे दफ़न हुई, इसलिए उसका नाम अल्लोन-बकूत यानी ‘रोने का बलूत का दरख़्त’ रखा गया। | |
Gene | UrduGeoD | 35:9 | अल्लाह याक़ूब पर एक दफ़ा और ज़ाहिर हुआ और उसे बरकत दी। यह मसोपुतामिया से वापस आने पर दूसरी बार हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 35:10 | अल्लाह ने उससे कहा, “अब से तेरा नाम याक़ूब नहीं बल्कि इसराईल होगा।” यों उसने उसका नया नाम इसराईल रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 35:11 | अल्लाह ने यह भी उससे कहा, “मैं अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ हूँ। फल-फूल और तादाद में बढ़ता जा। एक क़ौम नहीं बल्कि बहुत-सी क़ौमें तुझसे निकलेंगी। तेरी औलाद में बादशाह भी शामिल होंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 35:12 | मैं तुझे वही मुल्क दूँगा जो इब्राहीम और इसहाक़ को दिया है। और तेरे बाद उसे तेरी औलाद को दूँगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 35:14 | जहाँ अल्लाह याक़ूब से हमकलाम हुआ था वहाँ उसने पत्थर का सतून खड़ा किया और उस पर मै और तेल उंडेलकर उसे मख़सूस किया। | |
Gene | UrduGeoD | 35:16 | फिर याक़ूब अपने घरवालों के साथ बैतेल को छोड़कर इफ़राता की तरफ़ चल पड़ा। राख़िल उम्मीद से थी, और रास्ते में बच्चे की पैदाइश का वक़्त आ गया। बच्चा बड़ी मुश्किल से पैदा हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 35:17 | जब दर्दे-ज़ह उरूज को पहुँच गया तो दाई ने उससे कहा, “मत डरो, क्योंकि एक और बेटा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 35:18 | लेकिन वह दम तोड़नेवाली थी, और मरते मरते उसने उसका नाम बिन-ऊनी यानी ‘मेरी मुसीबत का बेटा’ रखा। लेकिन उसके बाप ने उसका नाम बिनयमीन यानी ‘दहने हाथ या ख़ुशक़िसमती का बेटा’ रखा। | |
Gene | UrduGeoD | 35:19 | राख़िल फ़ौत हुई, और वह इफ़राता के रास्ते में दफ़न हुई। आजकल इफ़राता को बैत-लहम कहा जाता है। | |
Gene | UrduGeoD | 35:20 | याक़ूब ने उस की क़ब्र पर पत्थर का सतून खड़ा किया। वह आज तक राख़िल की क़ब्र की निशानदेही करता है। | |
Gene | UrduGeoD | 35:22 | जब वह वहाँ ठहरे थे तो रूबिन याक़ूब की हरम बिलहाह से हमबिसतर हुआ। याक़ूब को मालूम हो गया। याक़ूब के बारह बेटे थे। | |
Gene | UrduGeoD | 35:23 | लियाह के बेटे यह थे : उसका सबसे बड़ा बेटा रूबिन, फिर शमौन, लावी, यहूदाह, इशकार और ज़बूलून। | |
Gene | UrduGeoD | 35:26 | लियाह की लौंडी ज़िलफ़ा के दो बेटे थे, जद और आशर। याक़ूब के यह बेटे मसोपुतामिया में पैदा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 35:27 | फिर याक़ूब अपने बाप इसहाक़ के पास पहुँच गया जो हबरून के क़रीब ममरे में अजनबी की हैसियत से रहता था (उस वक़्त हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था)। वहाँ इसहाक़ और उससे पहले इब्राहीम रहा करते थे। | |
Gene | UrduGeoD | 35:28 | इसहाक़ 180 साल का था जब वह उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर अपने बापदादा से जा मिला। उसके बेटे एसौ और याक़ूब ने उसे दफ़न किया। | |
Chapter 36
Gene | UrduGeoD | 36:2 | एसौ ने तीन कनानी औरतों से शादी की : हित्ती आदमी ऐलोन की बेटी अदा से, अना की बेटी उहलीबामा से जो हिव्वी आदमी सिबोन की नवासी थी | |
Gene | UrduGeoD | 36:5 | उहलीबामा के तीन बेटे पैदा हुए, यऊस, यालाम और क़ोरह। एसौ के यह तमाम बेटे मुल्के-कनान में पैदा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 36:6 | बाद में एसौ दूसरे मुल्क में चला गया। उसने अपनी बीवियों, बेटे-बेटियों और घर के रहनेवालों को अपने तमाम मवेशियों और मुल्के-कनान में हासिल किए हुए माल समेत अपने साथ लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 36:7 | वह इस वजह से चला गया कि दोनों भाइयों के पास इतने रेवड़ थे कि चराने की जगह कम पड़ गई। | |
Gene | UrduGeoD | 36:12 | और अमालीक़ थे। अमालीक़ इलीफ़ज़ की हरम तिमना का बेटा था। यह सब एसौ की बीवी अदा की औलाद में शामिल थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:13 | रऊएल के बेटे नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा थे। यह सब एसौ की बीवी बासमत की औलाद में शामिल थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:14 | एसौ की बीवी उहलीबामा जो अना की बेटी और सिबोन की नवासी थी के तीन बेटे यऊस, यालाम और क़ोरह थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:15 | एसौ से मुख़्तलिफ़ क़बीलों के सरदार निकले। उसके पहलौठे इलीफ़ज़ से यह क़बायली सरदार निकले : तेमान, ओमर, सफ़ो, क़नज़, | |
Gene | UrduGeoD | 36:17 | एसौ के बेटे रऊएल से यह क़बायली सरदार निकले : नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा। यह सब एसौ की बीवी बासमत की औलाद थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:18 | एसौ की बीवी उहलीबामा यानी अना की बेटी से यह क़बायली सरदार निकले : यऊस, यालाम और क़ोरह। | |
Gene | UrduGeoD | 36:20 | मुल्के-अदोम के कुछ बाशिंदे होरी आदमी सईर की औलाद थे। उनके नाम लोतान, सोबल, सिबोन, अना, | |
Gene | UrduGeoD | 36:21 | दीसोन, एसर और दीसान थे। सईर के यह बेटे मुल्के-अदोम में होरी क़बीलों के सरदार थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:24 | सिबोन के बेटे ऐयाह और अना थे। इसी अना को गरम चश्मे मिले जब वह बयाबान में अपने बाप के गधे चरा रहा था। | |
Gene | UrduGeoD | 36:29 | यही यानी लोतान, सोबल, सिबोन, अना, दीसोन, एसर और दीसान सईर के मुल्क में होरी क़बायल के सरदार थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:30 | यही यानी लोतान, सोबल, सिबोन, अना, दीसोन, एसर और दीसान सईर के मुल्क में होरी क़बायल के सरदार थे। | |
Gene | UrduGeoD | 36:31 | इससे पहले कि इसराईलियों का कोई बादशाह था ज़ैल के बादशाह यके बाद दीगरे मुल्के-अदोम में हुकूमत करते थे : | |
Gene | UrduGeoD | 36:35 | उस की मौत पर हदद बिन बिदद जिसने मुल्के-मोआब में मिदियानियों को शिकस्त दी। वह अवीत का था। | |
Gene | UrduGeoD | 36:39 | उस की मौत पर हदद जो फ़ाऊ शहर का था (बीवी का नाम महेतबेल बिंत मतरिद बिंत मेज़ाहाब था)। | |
Gene | UrduGeoD | 36:40 | एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है। | |
Gene | UrduGeoD | 36:41 | एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है। | |
Gene | UrduGeoD | 36:42 | एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है। | |
Chapter 37
Gene | UrduGeoD | 37:2 | यह याक़ूब के ख़ानदान का बयान है। उस वक़्त याक़ूब का बेटा यूसुफ़ 17 साल का था। वह अपने भाइयों यानी बिलहाह और ज़िलफ़ा के बेटों के साथ भेड़-बकरियों की देख-भाल करता था। यूसुफ़ अपने बाप को अपने भाइयों की बुरी हरकतों की इत्तला दिया करता था। | |
Gene | UrduGeoD | 37:3 | याक़ूब यूसुफ़ को अपने तमाम बेटों की निसबत ज़्यादा प्यार करता था। वजह यह थी कि वह तब पैदा हुआ जब बाप बूढ़ा था। इसलिए याक़ूब ने उसके लिए एक ख़ास रंगदार लिबास बनवाया। | |
Gene | UrduGeoD | 37:4 | जब उसके भाइयों ने देखा कि हमारा बाप यूसुफ़ को हमसे ज़्यादा प्यार करता है तो वह उससे नफ़रत करने लगे और अदब से उससे बात नहीं करते थे। | |
Gene | UrduGeoD | 37:5 | एक रात यूसुफ़ ने ख़ाब देखा। जब उसने अपने भाइयों को ख़ाब सुनाया तो वह उससे और भी नफ़रत करने लगे। | |
Gene | UrduGeoD | 37:7 | हम सब खेत में पूले बाँध रहे थे कि मेरा पूला खड़ा हो गया। आपके पूले मेरे पूले के इर्दगिर्द जमा होकर उसके सामने झुक गए।” | |
Gene | UrduGeoD | 37:8 | उसके भाइयों ने कहा, “अच्छा, तू बादशाह बनकर हम पर हुकूमत करेगा?” उसके ख़ाबों और उस की बातों के सबब से उनकी उससे नफ़रत मज़ीद बढ़ गई। | |
Gene | UrduGeoD | 37:9 | कुछ देर के बाद यूसुफ़ ने एक और ख़ाब देखा। उसने अपने भाइयों से कहा, “मैंने एक और ख़ाब देखा है। उसमें सूरज, चाँद और ग्यारह सितारे मेरे सामने झुक गए।” | |
Gene | UrduGeoD | 37:10 | उसने यह ख़ाब अपने बाप को भी सुनाया तो उसने उसे डाँटा। उसने कहा, “यह कैसा ख़ाब है जो तूने देखा! यह कैसी बात है कि मैं, तेरी माँ और तेरे भाई आकर तेरे सामने ज़मीन तक झुक जाएँ?” | |
Gene | UrduGeoD | 37:11 | नतीजे में उसके भाई उससे बहुत हसद करने लगे। लेकिन उसके बाप ने दिल में यह बात महफ़ूज़ रखी। | |
Gene | UrduGeoD | 37:13 | तो याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “तेरे भाई सिकम में रेवड़ों को चरा रहे हैं। आ, मैं तुझे उनके पास भेज देता हूँ।” यूसुफ़ ने जवाब दिया, “ठीक है।” | |
Gene | UrduGeoD | 37:14 | याक़ूब ने कहा, “जाकर मालूम कर कि तेरे भाई और उनके साथ के रेवड़ ख़ैरियत से हैं कि नहीं। फिर वापस आकर मुझे बता देना।” चुनाँचे उसके बाप ने उसे वादीए-हबरून से भेज दिया, और यूसुफ़ सिकम पहुँच गया। | |
Gene | UrduGeoD | 37:15 | वहाँ वह इधर-उधर फिरता रहा। आख़िरकार एक आदमी उससे मिला और पूछा, “आप क्या ढूँड रहे हैं?” | |
Gene | UrduGeoD | 37:16 | यूसुफ़ ने जवाब दिया, “मैं अपने भाइयों को तलाश कर रहा हूँ। मुझे बताएँ कि वह अपने जानवरों को कहाँ चरा रहे हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 37:17 | आदमी ने कहा, “वह यहाँ से चले गए हैं। मैंने उन्हें यह कहते सुना कि आओ, हम दूतैन जाएँ।” यह सुनकर यूसुफ़ अपने भाइयों के पीछे दूतैन चला गया। वहाँ उसे वह मिल गए। | |
Gene | UrduGeoD | 37:18 | जब यूसुफ़ अभी दूर से नज़र आया तो उसके भाइयों ने उसके पहुँचने से पहले उसे क़त्ल करने का मनसूबा बनाया। | |
Gene | UrduGeoD | 37:20 | आओ, हम उसे मार डालें और उस की लाश किसी गढ़े में फेंक दें। हम कहेंगे कि किसी वहशी जानवर ने उसे फाड़ खाया है। फिर पता चलेगा कि उसके ख़ाबों की क्या हक़ीक़त है।” | |
Gene | UrduGeoD | 37:21 | जब रूबिन ने उनकी बातें सुनीं तो उसने यूसुफ़ को बचाने की कोशिश की। उसने कहा, “नहीं, हम उसे क़त्ल न करें। | |
Gene | UrduGeoD | 37:22 | उसका ख़ून न करना। बेशक उसे इस गढ़े में फेंक दें जो रेगिस्तान में है, लेकिन उसे हाथ न लगाएँ।” उसने यह इसलिए कहा कि वह उसे बचाकर बाप के पास वापस पहुँचाना चाहता था। | |
Gene | UrduGeoD | 37:25 | फिर वह रोटी खाने के लिए बैठ गए। अचानक इसमाईलियों का एक क़ाफ़िला नज़र आया। वह जिलियाद से मिसर जा रहे थे, और उनके ऊँट क़ीमती मसालों यानी लादन, बलसान और मुर से लदे हुए थे। | |
Gene | UrduGeoD | 37:26 | तब यहूदाह ने अपने भाइयों से कहा, “हमें क्या फ़ायदा है अगर अपने भाई को क़त्ल करके उसके ख़ून को छुपा दें? | |
Gene | UrduGeoD | 37:27 | आओ, हम उसे इन इसमाईलियों के हाथ फ़रोख़्त कर दें। फिर कोई ज़रूरत नहीं होगी कि हम उसे हाथ लगाएँ। आख़िर वह हमारा भाई है।” उसके भाई राज़ी हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 37:28 | चुनाँचे जब मिदियानी ताजिर वहाँ से गुज़रे तो भाइयों ने यूसुफ़ को खींचकर गढ़े से निकाला और चाँदी के 20 सिक्कों के एवज़ बेच डाला। इसमाईली उसे लेकर मिसर चले गए। | |
Gene | UrduGeoD | 37:29 | उस वक़्त रूबिन मौजूद नहीं था। जब वह गढ़े के पास वापस आया तो यूसुफ़ उसमें नहीं था। यह देखकर उसने परेशानी में अपने कपड़े फाड़ डाले। | |
Gene | UrduGeoD | 37:30 | वह अपने भाइयों के पास वापस गया और कहा, “लड़का नहीं है। अब मैं किस तरह अब्बू के पास जाऊँ?” | |
Gene | UrduGeoD | 37:32 | फिर रंगदार लिबास इस ख़बर के साथ अपने बाप को भिजवा दिया कि “हमें यह मिला है। इसे ग़ौर से देखें। यह आपके बेटे का लिबास तो नहीं?” | |
Gene | UrduGeoD | 37:33 | याक़ूब ने उसे पहचान लिया और कहा, “बेशक उसी का है। किसी वहशी जानवर ने उसे फाड़ खाया है। यक़ीनन यूसुफ़ को फाड़ दिया गया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 37:34 | याक़ूब ने ग़म के मारे अपने कपड़े फाड़े और अपनी कमर से टाट ओढ़कर बड़ी देर तक अपने बेटे के लिए मातम करता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 37:35 | उसके तमाम बेटे-बेटियाँ उसे तसल्ली देने आए, लेकिन उसने तसल्ली पाने से इनकार किया और कहा, “मैं पाताल में उतरते हुए भी अपने बेटे के लिए मातम करूँगा।” इस हालत में वह अपने बेटे के लिए रोता रहा। | |
Chapter 38
Gene | UrduGeoD | 38:1 | उन दिनों में यहूदाह अपने भाइयों को छोड़कर एक आदमी के पास रहने लगा जिसका नाम हीरा था और जो अदुल्लाम शहर से था। | |
Gene | UrduGeoD | 38:2 | वहाँ यहूदाह की मुलाक़ात एक कनानी औरत से हुई जिसके बाप का नाम सुअ था। उसने उससे शादी की। | |
Gene | UrduGeoD | 38:5 | उसके तीसरा बेटा भी पैदा हुआ। उसने उसका नाम सेला रखा। यहूदाह क़ज़ीब में था जब वह पैदा हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 38:8 | इस पर यहूदाह ने एर के छोटे भाई ओनान से कहा, “अपने बड़े भाई की बेवा के पास जाओ और उससे शादी करो ताकि तुम्हारे भाई की नसल क़ायम रहे।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:9 | ओनान ने ऐसा किया, लेकिन वह जानता था कि जो भी बच्चे पैदा होंगे वह क़ानून के मुताबिक़ मेरे बड़े भाई के होंगे। इसलिए जब भी वह तमर से हमबिसतर होता तो नुतफ़ा को ज़मीन पर गिरा देता, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि मेरी मारिफ़त मेरे भाई के बच्चे पैदा हों। | |
Gene | UrduGeoD | 38:11 | तब यहूदाह ने अपनी बहू तमर से कहा, “अपने बाप के घर वापस चली जाओ और उस वक़्त तक बेवा रहो जब तक मेरा बेटा सेला बड़ा न हो जाए।” उसने यह इसलिए कहा कि उसे डर था कि कहीं सेला भी अपने भाइयों की तरह मर न जाए चुनाँचे तमर अपने मैके चली गई। | |
Gene | UrduGeoD | 38:12 | काफ़ी दिनों के बाद यहूदाह की बीवी जो सुअ की बेटी थी मर गई। मातम का वक़्त गुज़र गया तो यहूदाह अपने अदुल्लामी दोस्त हीरा के साथ तिमनत गया जहाँ यहूदाह की भेड़ों की पशम कतरी जा रही थी। | |
Gene | UrduGeoD | 38:14 | यह सुनकर तमर ने बेवा के कपड़े उतारकर आम कपड़े पहन लिए। फिर वह अपना मुँह चादर से लपेटकर ऐनीम शहर के दरवाज़े पर बैठ गई जो तिमनत के रास्ते में था। तमर ने यह हरकत इसलिए की कि यहूदाह का बेटा सेला अब बालिग़ हो चुका था तो भी उस की उसके साथ शादी नहीं की गई थी। | |
Gene | UrduGeoD | 38:15 | जब यहूदाह वहाँ से गुज़रा तो उसने उसे देखकर सोचा कि यह कसबी है, क्योंकि उसने अपना मुँह छुपाया हुआ था। | |
Gene | UrduGeoD | 38:16 | वह रास्ते से हटकर उसके पास गया और कहा, “ज़रा मुझे अपने हाँ आने दें।” (उसने नहीं पहचाना कि यह मेरी बहू है)। तमर ने कहा, “आप मुझे क्या देंगे?” | |
Gene | UrduGeoD | 38:17 | उसने जवाब दिया, “मैं आपको बकरी का बच्चा भेज दूँगा।” तमर ने कहा, “ठीक है, लेकिन उसे भेजने तक मुझे ज़मानत दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:18 | उसने पूछा, “मैं आपको क्या दूँ?” तमर ने कहा, “अपनी मुहर और उसे गले में लटकाने की डोरी। वह लाठी भी दें जो आप पकड़े हुए हैं।” चुनाँचे यहूदाह उसे यह चीज़ें देकर उसके साथ हमबिसतर हुआ। नतीजे में तमर उम्मीद से हुई। | |
Gene | UrduGeoD | 38:19 | फिर तमर उठकर अपने घर वापस चली गई। उसने अपनी चादर उतारकर दुबारा बेवा के कपड़े पहन लिए। | |
Gene | UrduGeoD | 38:20 | यहूदाह ने अपने दोस्त हीरा अदुल्लामी के हाथ बकरी का बच्चा भेज दिया ताकि वह चीज़ें वापस मिल जाएँ जो उसने ज़मानत के तौर पर दी थीं। लेकिन हीरा को पता न चला कि औरत कहाँ है। | |
Gene | UrduGeoD | 38:21 | उसने ऐनीम के बाशिंदों से पूछा, “वह कसबी कहाँ है जो यहाँ सड़क पर बैठी थी?” उन्होंने जवाब दिया, “यहाँ ऐसी कोई कसबी नहीं थी।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:22 | उसने यहूदाह के पास वापस जाकर कहा, “वह मुझे नहीं मिली बल्कि वहाँ के रहनेवालों ने कहा कि यहाँ कोई ऐसी कसबी थी नहीं।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:23 | यहूदाह ने कहा, “फिर वह ज़मानत की चीज़ें अपने पास ही रखे। उसे छोड़ दो वरना लोग हमारा मज़ाक़ उड़ाएँगे। हमने तो पूरी कोशिश की कि उसे बकरी का बच्चा मिल जाए, लेकिन खोज लगाने के बावुजूद आपको पता न चला कि वह कहाँ है।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:24 | तीन माह के बाद यहूदाह को इत्तला दी गई, “आपकी बहू तमर ने ज़िना किया है, और अब वह हामिला है।” यहूदाह ने हुक्म दिया, “उसे बाहर लाकर जला दो।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:25 | तमर को जलाने के लिए बाहर लाया गया तो उसने अपने सुसर को ख़बर भेज दी, “यह चीज़ें देखें। यह उस आदमी की हैं जिसकी मारिफ़त मैं उम्मीद से हूँ। पता करें कि यह मुहर, उस की डोरी और यह लाठी किसकी हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:26 | यहूदाह ने उन्हें पहचान लिया। उसने कहा, “मैं नहीं बल्कि यह औरत हक़ पर है, क्योंकि मैंने उस की अपने बेटे सेला से शादी नहीं कराई।” लेकिन बाद में यहूदाह कभी भी तमर से हमबिसतर न हुआ। | |
Gene | UrduGeoD | 38:28 | एक बच्चे का हाथ निकला तो दाई ने उसे पकड़कर उसमें सुर्ख़ धागा बाँध दिया और कहा, “यह पहले पैदा हुआ।” | |
Gene | UrduGeoD | 38:29 | लेकिन उसने अपना हाथ वापस खींच लिया, और उसका भाई पहले पैदा हुआ। यह देखकर दाई बोल उठी, “तू किस तरह फूट निकला है!” उसने उसका नाम फ़ारस यानी फूट रखा। | |
Chapter 39
Gene | UrduGeoD | 39:1 | इसमाईलियों ने यूसुफ़ को मिसर ले जाकर बेच दिया था। मिसर के बादशाह के एक आला अफ़सर बनाम फ़ूतीफ़ार ने उसे ख़रीद लिया। वह शाही मुहाफ़िज़ों का कप्तान था। | |
Gene | UrduGeoD | 39:2 | रब यूसुफ़ के साथ था। जो भी काम वह करता उसमें कामयाब रहता। वह अपने मिसरी मालिक के घर में रहता था | |
Gene | UrduGeoD | 39:4 | चुनाँचे यूसुफ़ को मालिक की ख़ास मेहरबानी हासिल हुई, और फ़ूतीफ़ार ने उसे अपना ज़ाती नौकर बना लिया। उसने उसे अपने घराने के इंतज़ाम पर मुक़र्रर किया और अपनी पूरी मिलकियत उसके सुपुर्द कर दी। | |
Gene | UrduGeoD | 39:5 | जिस वक़्त से फ़ूतीफ़ार ने अपने घराने का इंतज़ाम और पूरी मिलकियत यूसुफ़ के सुपुर्द की उस वक़्त से रब ने फ़ूतीफ़ार को यूसुफ़ के सबब से बरकत दी। उस की बरकत फ़ूतीफ़ार की हर चीज़ पर थी, ख़ाह घर में थी या खेत में। | |
Gene | UrduGeoD | 39:6 | फ़ूतीफ़ार ने अपनी हर चीज़ यूसुफ़ के हाथ में छोड़ दी। और चूँकि यूसुफ़ सब कुछ अच्छी तरह चलाता था इसलिए फ़ूतीफ़ार को खाना खाने के सिवा किसी भी मामले की फ़िकर नहीं थी। यूसुफ़ निहायत ख़ूबसूरत आदमी था। | |
Gene | UrduGeoD | 39:7 | कुछ देर के बाद उसके मालिक की बीवी की आँख उस पर लगी। उसने उससे कहा, “मेरे साथ हमबिसतर हो!” | |
Gene | UrduGeoD | 39:8 | यूसुफ़ इनकार करके कहने लगा, “मेरे मालिक को मेरे सबब से किसी मामले की फ़िकर नहीं है। उन्होंने सब कुछ मेरे सुपुर्द कर दिया है। | |
Gene | UrduGeoD | 39:9 | घर के इंतज़ाम पर उनका इख़्तियार मेरे इख़्तियार से ज़्यादा नहीं है। आपके सिवा उन्होंने कोई भी चीज़ मुझसे बाज़ नहीं रखी। तो फिर मैं किस तरह इतना ग़लत काम करूँ? मैं किस तरह अल्लाह का गुनाह करूँ?” | |
Gene | UrduGeoD | 39:10 | मालिक की बीवी रोज़ बरोज़ यूसुफ़ के पीछे पड़ी रही कि मेरे साथ हमबिसतर हो। लेकिन वह हमेशा इनकार करता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 39:12 | फ़ूतीफ़ार की बीवी ने यूसुफ़ का लिबास पकड़कर कहा, “मेरे साथ हमबिसतर हो!” यूसुफ़ भागकर बाहर चला गया लेकिन उसका लिबास पीछे औरत के हाथ में ही रह गया। | |
Gene | UrduGeoD | 39:14 | तो उसने घर के नौकरों को बुलाकर कहा, “यह देखो! मेरे मालिक इस इबरानी को हमारे पास ले आए हैं ताकि वह हमें ज़लील करे। वह मेरी इसमतदरी करने के लिए मेरे कमरे में आ गया, लेकिन मैं ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी। | |
Gene | UrduGeoD | 39:17 | जब वह घर वापस आया तो उसने उसे यही कहानी सुनाई, “यह इबरानी ग़ुलाम जो आप ले आए हैं मेरी तज़लील के लिए मेरे पास आया। | |
Gene | UrduGeoD | 39:20 | उसने यूसुफ़ को गिरिफ़्तार करके उस जेल में डाल दिया जहाँ बादशाह के क़ैदी रखे जाते थे। वहीं वह रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 39:21 | लेकिन रब यूसुफ़ के साथ था। उसने उस पर मेहरबानी की और उसे क़ैदख़ाने के दारोग़े की नज़र में मक़बूल किया। | |
Gene | UrduGeoD | 39:22 | यूसुफ़ यहाँ तक मक़बूल हुआ कि दारोग़े ने तमाम क़ैदियों को उसके सुपुर्द करके उसे पूरा इंतज़ाम चलाने की ज़िम्मादारी दी। | |
Chapter 40
Gene | UrduGeoD | 40:1 | कुछ देर के बाद यों हुआ कि मिसर के बादशाह के सरदार साक़ी और बेकरी के इंचार्ज ने अपने मालिक का गुनाह किया। | |
Gene | UrduGeoD | 40:3 | उसने उन्हें उस क़ैदख़ाने में डाल दिया जो शाही मुहाफ़िज़ों के कप्तान के सुपुर्द था और जिसमें यूसुफ़ था। | |
Gene | UrduGeoD | 40:4 | मुहाफ़िज़ों के कप्तान ने उन्हें यूसुफ़ के हवाले किया ताकि वह उनकी ख़िदमत करे। वहाँ वह काफ़ी देर तक रहे। | |
Gene | UrduGeoD | 40:5 | एक रात बादशाह के सरदार साक़ी और बेकरी के इंचार्ज ने ख़ाब देखा। दोनों का ख़ाब फ़रक़ फ़रक़ था, और उनका मतलब भी फ़रक़ फ़रक़ था। | |
Gene | UrduGeoD | 40:8 | उन्होंने जवाब दिया, “हम दोनों ने ख़ाब देखा है, और कोई नहीं जो हमें उनका मतलब बताए।” यूसुफ़ ने कहा, “ख़ाबों की ताबीर तो अल्लाह का काम है। ज़रा मुझे अपने ख़ाब तो सुनाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 40:11 | मेरे हाथ में बादशाह का प्याला था, और मैंने अंगूरों को तोड़कर यों भींच दिया कि उनका रस बादशाह के प्याले में आ गया। फिर मैंने प्याला बादशाह को पेश किया।” | |
Gene | UrduGeoD | 40:13 | तीन दिन के बाद फ़िरौन आपको बहाल कर लेगा। आपको पहली ज़िम्मादारी वापस मिल जाएगी। आप पहले की तरह सरदार साक़ी की हैसियत से बादशाह का प्याला सँभालेंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 40:14 | लेकिन जब आप बहाल हो जाएँ तो मेरा ख़याल करें। मेहरबानी करके बादशाह के सामने मेरा ज़िक्र करें ताकि मैं यहाँ से रिहा हो जाऊँ। | |
Gene | UrduGeoD | 40:15 | क्योंकि मुझे इबरानियों के मुल्क से इग़वा करके यहाँ लाया गया है, और यहाँ भी मुझसे कोई ऐसी ग़लती नहीं हुई कि मुझे इस गढ़े में फेंका जाता।” | |
Gene | UrduGeoD | 40:16 | जब शाही बेकरी के इंचार्ज ने देखा कि सरदार साक़ी के ख़ाब का अच्छा मतलब निकला तो उसने यूसुफ़ से कहा, “मेरा ख़ाब भी सुनें। मैंने सर पर तीन टोकरियाँ उठा रखी थीं जो बेकरी की चीज़ों से भरी हुई थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 40:17 | सबसे ऊपरवाली टोकरी में वह तमाम चीज़ें थीं जो बादशाह की मेज़ के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन परिंदे आकर उन्हें खा रहे थे।” | |
Gene | UrduGeoD | 40:19 | तीन दिन के बाद ही फ़िरौन आपको क़ैदख़ाने से निकालकर दरख़्त से लटका देगा। परिंदे आपकी लाश को खा जाएंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 40:20 | तीन दिन के बाद बादशाह की सालगिरह थी। उसने अपने तमाम अफ़सरों की ज़ियाफ़त की। इस मौक़े पर उसने सरदार साक़ी और बेकरी के इंचार्ज को जेल से निकालकर अपने हुज़ूर लाने का हुक्म दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 40:22 | लेकिन बेकरी के इंचार्ज को सज़ाए-मौत देकर दरख़्त से लटका दिया गया। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा यूसुफ़ ने कहा था। | |
Chapter 41
Gene | UrduGeoD | 41:3 | उनके बाद सात और गाएँ निकल आईं। लेकिन वह बदसूरत और दुबली-पतली थीं। वह दरिया के किनारे दूसरी गायों के पास खड़ी होकर | |
Gene | UrduGeoD | 41:5 | फिर वह दुबारा सो गया। इस दफ़ा उसने एक और ख़ाब देखा। अनाज के एक पौदे पर सात मोटी मोटी और अच्छी अच्छी बालें लगी थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 41:7 | अनाज की सात दुबली-पतली बालों ने सात मोटी और ख़ूबसूरत बालों को निगल लिया। फिर फ़िरौन जाग उठा तो मालूम हुआ कि मैंने ख़ाब ही देखा है। | |
Gene | UrduGeoD | 41:8 | सुबह हुई तो वह परेशान था, इसलिए उसने मिसर के तमाम जादूगरों और आलिमों को बुलाया। उसने उन्हें अपने ख़ाब सुनाए, लेकिन कोई भी उनकी ताबीर न कर सका। | |
Gene | UrduGeoD | 41:10 | एक दिन फ़िरौन अपने ख़ादिमों से नाराज़ हुए। हुज़ूर ने मुझे और बेकरी के इंचार्ज को क़ैदख़ाने में डलवा दिया जिस पर शाही मुहाफ़िज़ों का कप्तान मुक़र्रर था। | |
Gene | UrduGeoD | 41:12 | वहाँ जेल में एक इबरानी नौजवान था। वह मुहाफ़िज़ों के कप्तान का ग़ुलाम था। हमने उसे अपने ख़ाब सुनाए तो उसने हमें उनका मतलब बता दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 41:13 | और जो कुछ भी उसने बताया सब कुछ वैसा ही हुआ। मुझे अपनी ज़िम्मादारी वापस मिल गई जबकि बेकरी के इंचार्ज को सज़ाए-मौत देकर दरख़्त से लटका दिया गया।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:14 | यह सुनकर फ़िरौन ने यूसुफ़ को बुलाया, और उसे जल्दी से क़ैदख़ाने से लाया गया। उसने शेव करवाकर अपने कपड़े बदले और सीधे बादशाह के हुज़ूर पहुँचा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:15 | बादशाह ने कहा, “मैंने ख़ाब देखा है, और यहाँ कोई नहीं जो उस की ताबीर कर सके। लेकिन सुना है कि तू ख़ाब को सुनकर उसका मतलब बता सकता है।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:16 | यूसुफ़ ने जवाब दिया, “यह मेरे इख़्तियार में नहीं है। लेकिन अल्लाह ही बादशाह को सलामती का पैग़ाम देगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:17 | फ़िरौन ने यूसुफ़ को अपने ख़ाब सुनाए, “मैं ख़ाब में दरियाए-नील के किनारे खड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 41:19 | इसके बाद सात और गाएँ निकलीं। वह निहायत बदसूरत और दुबली-पतली थीं। मैंने इतनी बदसूरत गाएँ मिसर में कहीं भी नहीं देखीं। | |
Gene | UrduGeoD | 41:21 | और निगलने के बाद भी मालूम नहीं होता था कि उन्होंने मोटी गायों को खाया है। वह पहले की तरह बदसूरत ही थीं। इसके बाद मैं जाग उठा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:23 | इसके बाद सात और बालें निकलीं जो ख़राब, दुबली-पतली और मशरिक़ी हवा से झुलसी हुई थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 41:24 | सात दुबली-पतली बालें सात अच्छी बालों को निगल गईं। मैंने यह सब कुछ अपने जादूगरों को बताया, लेकिन वह इसकी ताबीर न कर सके।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:25 | यूसुफ़ ने बादशाह से कहा, “दोनों ख़ाबों का एक ही मतलब है। इनसे अल्लाह ने हुज़ूर पर ज़ाहिर किया है कि वह क्या कुछ करने को है। | |
Gene | UrduGeoD | 41:26 | सात अच्छी गायों से मुराद सात साल हैं। इसी तरह सात अच्छी बालों से मुराद भी सात साल हैं। दोनों ख़ाब एक ही बात बयान करते हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 41:27 | जो सात दुबली और बदसूरत गाएँ बाद में निकलें उनसे मुराद सात और साल हैं। यही सात दुबली-पतली और मशरिक़ी हवा से झुलसी हुई बालों का मतलब भी है। वह एक ही बात बयान करती हैं कि सात साल तक काल पड़ेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:28 | यह वही बात है जो मैंने हुज़ूर से कही कि अल्लाह ने हुज़ूर पर ज़ाहिर किया है कि वह क्या करेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:30 | उसके बाद सात साल काल पड़ेगा। काल इतना शदीद होगा कि लोग भूल जाएंगे कि पहले इतनी कसरत थी। क्योंकि काल मुल्क को तबाह कर देगा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:32 | हुज़ूर को इसलिए एक ही पैग़ाम दो मुख़्तलिफ़ ख़ाबों की सूरत में मिला कि अल्लाह इसका पक्का इरादा रखता है, और वह जल्द ही इस पर अमल करेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:34 | इसके अलावा वह ऐसे आदमी मुक़र्रर करें जो सात अच्छे सालों के दौरान हर फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा लें। | |
Gene | UrduGeoD | 41:35 | वह उन अच्छे सालों के दौरान ख़ुराक जमा करें। बादशाह उन्हें इख़्तियार दें कि वह शहरों में गोदाम बनाकर अनाज को महफ़ूज़ कर लें। | |
Gene | UrduGeoD | 41:36 | यह ख़ुराक काल के उन सात सालों के लिए मख़सूस की जाए जो मिसर में आनेवाले हैं। यों मुल्क तबाह नहीं होगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:38 | उसने उनसे कहा, “हमें इस काम के लिए यूसुफ़ से ज़्यादा लायक़ आदमी नहीं मिलेगा। उसमें अल्लाह की रूह है।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:39 | बादशाह ने यूसुफ़ से कहा, “अल्लाह ने यह सब कुछ तुझ पर ज़ाहिर किया है, इसलिए कोई भी तुझसे ज़्यादा समझदार और दानिशमंद नहीं है। | |
Gene | UrduGeoD | 41:40 | मैं तुझे अपने महल पर मुक़र्रर करता हूँ। मेरी तमाम रिआया तेरे ताबे रहेगी। तेरा इख़्तियार सिर्फ़ मेरे इख़्तियार से कम होगा। | |
Gene | UrduGeoD | 41:42 | बादशाह ने अपनी उँगली से वह अंगूठी उतारी जिससे मुहर लगाता था और उसे यूसुफ़ की उँगली में पहना दिया। उसने उसे कतान का बारीक लिबास पहनाया और उसके गले में सोने का गुलूबंद पहना दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 41:43 | फिर उसने उसे अपने दूसरे रथ में सवार किया और लोग उसके आगे आगे पुकारते रहे, “घुटने टेको! घुटने टेको!” यों यूसुफ़ पूरे मिसर का हाकिम बना। | |
Gene | UrduGeoD | 41:44 | फ़िरौन ने उससे कहा, “मैं तो बादशाह हूँ, लेकिन तेरी इजाज़त के बग़ैर पूरे मुल्क में कोई भी अपना हाथ या पाँव नहीं हिलाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:45 | उसने यूसुफ़ का मिसरी नाम साफ़नत-फ़ानेह रखा और ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा की बेटी आसनत के साथ उस की शादी कराई। यूसुफ़ 30 साल का था जब वह मिसर के बादशाह फ़िरौन की ख़िदमत करने लगा। उसने फ़िरौन के हुज़ूर से निकलकर मिसर का दौरा किया। | |
Gene | UrduGeoD | 41:46 | उसने यूसुफ़ का मिसरी नाम साफ़नत-फ़ानेह रखा और ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा की बेटी आसनत के साथ उस की शादी कराई। यूसुफ़ 30 साल का था जब वह मिसर के बादशाह फ़िरौन की ख़िदमत करने लगा। उसने फ़िरौन के हुज़ूर से निकलकर मिसर का दौरा किया। | |
Gene | UrduGeoD | 41:48 | यूसुफ़ ने तमाम ख़ुराक जमा करके शहरों में महफ़ूज़ कर ली। हर शहर में उसने इर्दगिर्द के खेतों की पैदावार महफ़ूज़ रखी। | |
Gene | UrduGeoD | 41:49 | जमाशुदा अनाज समुंदर की रेत की मानिंद बकसरत था। इतना अनाज था कि यूसुफ़ ने आख़िरकार उस की पैमाइश करना छोड़ दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 41:51 | उसने पहले का नाम मनस्सी यानी ‘जो भुला देता है’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “अल्लाह ने मेरी मुसीबत और मेरे बाप का घराना मेरी याददाश्त से निकाल दिया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:52 | दूसरे का नाम उसने इफ़राईम यानी ‘दुगना फलदार’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “अल्लाह ने मुझे मेरी मुसीबत के मुल्क में फलने फूलने दिया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:54 | फिर काल के सात साल शुरू हुए जिस तरह यूसुफ़ ने कहा था। तमाम दीगर ममालिक में भी काल पड़ गया, लेकिन मिसर में वाफ़िर ख़ुराक पाई जाती थी। | |
Gene | UrduGeoD | 41:55 | जब काल ने तमाम मिसर में ज़ोर पकड़ा तो लोग चीख़कर खाने के लिए बादशाह से मिन्नत करने लगे। तब फ़िरौन ने उनसे कहा, “यूसुफ़ के पास जाओ। जो कुछ वह तुम्हें बताएगा वही करो।” | |
Gene | UrduGeoD | 41:56 | जब काल पूरी दुनिया में फैल गया तो यूसुफ़ ने अनाज के गोदाम खोलकर मिसरियों को अनाज बेच दिया। क्योंकि काल के बाइस मुल्क के हालात बहुत ख़राब हो गए थे। | |
Chapter 42
Gene | UrduGeoD | 42:1 | जब याक़ूब को मालूम हुआ कि मिसर में अनाज है तो उसने अपने बेटों से कहा, “तुम क्यों एक दूसरे का मुँह तकते हो? | |
Gene | UrduGeoD | 42:2 | सुना है कि मिसर में अनाज है। वहाँ जाकर हमारे लिए कुछ ख़रीद लाओ ताकि हम भूके न मरें।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:4 | लेकिन याक़ूब ने यूसुफ़ के सगे भाई बिनयमीन को साथ न भेजा, क्योंकि उसने कहा, “ऐसा न हो कि उसे जानी नुक़सान पहुँचे।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:5 | यों याक़ूब के बेटे बहुत सारे और लोगों के साथ मिसर गए, क्योंकि मुल्के-कनान भी काल की गिरिफ़्त में था। | |
Gene | UrduGeoD | 42:6 | यूसुफ़ मिसर के हाकिम की हैसियत से लोगों को अनाज बेचता था, इसलिए उसके भाई आकर उसके सामने मुँह के बल झुक गए। | |
Gene | UrduGeoD | 42:7 | जब यूसुफ़ ने अपने भाइयों को देखा तो उसने उन्हें पहचान लिया लेकिन ऐसा किया जैसा उनसे नावाक़िफ़ हो और सख़्ती से उनसे बात की, “तुम कहाँ से आए हो?” उन्होंने जवाब दिया, “हम मुल्के-कनान से अनाज ख़रीदने के लिए आए हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:9 | उसे वह ख़ाब याद आए जो उसने उनके बारे में देखे थे। उसने कहा, “तुम जासूस हो। तुम यह देखने आए हो कि हमारा मुल्क किन किन जगहों पर ग़ैरमहफ़ूज़ है।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:12 | लेकिन यूसुफ़ ने इसरार किया, “नहीं, तुम देखने आए हो कि हमारा मुल्क किन किन जगहों पर ग़ैरमहफ़ूज़ है।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:13 | उन्होंने अर्ज़ की, “आपके ख़ादिम कुल बारह भाई हैं। हम एक ही आदमी के बेटे हैं जो कनान में रहता है। सबसे छोटा भाई इस वक़्त हमारे बाप के पास है जबकि एक मर गया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:14 | लेकिन यूसुफ़ ने अपना इलज़ाम दोहराया, “ऐसा ही है जैसा मैंने कहा है कि तुम जासूस हो। | |
Gene | UrduGeoD | 42:15 | मैं तुम्हारी बातें जाँच लूँगा। फ़िरौन की हयात की क़सम, पहले तुम्हारा सबसे छोटा भाई आए, वरना तुम इस जगह से कभी नहीं जा सकोगे। | |
Gene | UrduGeoD | 42:16 | एक भाई को उसे लाने के लिए भेज दो। बाक़ी सब यहाँ गिरिफ़्तार रहेंगे। फिर पता चलेगा कि तुम्हारी बातें सच हैं कि नहीं। अगर नहीं तो फ़िरौन की हयात की क़सम, इसका मतलब यह होगा कि तुम जासूस हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:18 | तीसरे दिन उसने उनसे कहा, “मैं अल्लाह का ख़ौफ़ मानता हूँ, इसलिए तुमको एक शर्त पर जीता छोड़ूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 42:19 | अगर तुम वाक़ई शरीफ़ लोग हो तो ऐसा करो कि तुममें से एक यहाँ क़ैदख़ाने में रहे जबकि बाक़ी सब अनाज लेकर अपने भूके घरवालों के पास वापस जाएँ। | |
Gene | UrduGeoD | 42:20 | लेकिन लाज़िम है कि तुम अपने सबसे छोटे भाई को मेरे पास ले आओ। सिर्फ़ इससे तुम्हारी बातें सच साबित होंगी और तुम मौत से बच जाओगे।” यूसुफ़ के भाई राज़ी हो गए। | |
Gene | UrduGeoD | 42:21 | वह आपस में कहने लगे, “बेशक यह हमारे अपने भाई पर ज़ुल्म की सज़ा है। जब वह इल्तिजा कर रहा था कि मुझ पर रहम करें तो हमने उस की बड़ी मुसीबत देखकर भी उस की न सुनी। इसलिए यह मुसीबत हम पर आ गई है।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:22 | और रूबिन ने कहा, “क्या मैंने नहीं कहा था कि लड़के पर ज़ुल्म मत करो, लेकिन तुमने मेरी एक न मानी। अब उस की मौत का हिसाब-किताब किया जा रहा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:23 | उन्हें मालूम नहीं था कि यूसुफ़ हमारी बातें समझ सकता है, क्योंकि वह मुतरजिम की मारिफ़त उनसे बात करता था। | |
Gene | UrduGeoD | 42:24 | यह बातें सुनकर वह उन्हें छोड़कर रोने लगा। फिर वह सँभलकर वापस आया। उसने शमौन को चुनकर उसे उनके सामने ही बाँध लिया। | |
Gene | UrduGeoD | 42:25 | यूसुफ़ ने हुक्म दिया कि मुलाज़िम उनकी बोरियाँ अनाज से भरकर हर एक भाई के पैसे उस की बोरी में वापस रख दें और उन्हें सफ़र के लिए खाना भी दें। उन्होंने ऐसा ही किया। | |
Gene | UrduGeoD | 42:27 | जब वह रात के लिए किसी जगह पर ठहरे तो एक भाई ने अपने गधे के लिए चारा निकालने की ग़रज़ से अपनी बोरी खोली तो देखा कि बोरी के मुँह में उसके पैसे पड़े हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 42:28 | उसने अपने भाइयों से कहा, “मेरे पैसे वापस कर दिए गए हैं! वह मेरी बोरी में हैं।” यह देखकर उनके होश उड़ गए। काँपते हुए वह एक दूसरे को देखने और कहने लगे, “यह क्या है जो अल्लाह ने हमारे साथ किया है?” | |
Gene | UrduGeoD | 42:29 | मुल्के-कनान में अपने बाप के पास पहुँचकर उन्होंने उसे सब कुछ सुनाया जो उनके साथ हुआ था। उन्होंने कहा, | |
Gene | UrduGeoD | 42:30 | “उस मुल्क के मालिक ने बड़ी सख़्ती से हमारे साथ बात की। उसने हमें जासूस क़रार दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 42:32 | हम बारह भाई हैं, एक ही बाप के बेटे। एक तो मर गया जबकि सबसे छोटा भाई इस वक़्त कनान में बाप के पास है।’ | |
Gene | UrduGeoD | 42:33 | फिर उस मुल्क के मालिक ने हमसे कहा, ‘इससे मुझे पता चलेगा कि तुम शरीफ़ लोग हो कि एक भाई को मेरे पास छोड़ दो और अपने भूके घरवालों के लिए ख़ुराक लेकर चले जाओ। | |
Gene | UrduGeoD | 42:34 | लेकिन अपने सबसे छोटे भाई को मेरे पास ले आओ ताकि मुझे मालूम हो जाए कि तुम जासूस नहीं बल्कि शरीफ़ लोग हो। फिर मैं तुमको तुम्हारा भाई वापस कर दूँगा और तुम इस मुल्क में आज़ादी से तिजारत कर सकोगे’।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:35 | उन्होंने अपनी बोरियों से अनाज निकाल दिया तो देखा कि हर एक की बोरी में उसके पैसों की थैली रखी हुई है। यह पैसे देखकर वह ख़ुद और उनका बाप डर गए। | |
Gene | UrduGeoD | 42:36 | उनके बाप ने उनसे कहा, “तुमने मुझे मेरे बच्चों से महरूम कर दिया है। यूसुफ़ नहीं रहा, शमौन भी नहीं रहा और अब तुम बिनयमीन को भी मुझसे छीनना चाहते हो। सब कुछ मेरे ख़िलाफ़ है।” | |
Gene | UrduGeoD | 42:37 | फिर रूबिन बोल उठा, “अगर मैं उसे सलामती से आपके पास वापस न पहुँचाऊँ तो आप मेरे दो बेटों को सज़ाए-मौत दे सकते हैं। उसे मेरे सुपुर्द करें तो मैं उसे वापस ले आऊँगा।” | |
Chapter 43
Gene | UrduGeoD | 43:2 | जब मिसर से लाया गया अनाज ख़त्म हो गया तो याक़ूब ने कहा, “अब वापस जाकर हमारे लिए कुछ और ग़ल्ला ख़रीद लाओ।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:3 | लेकिन यहूदाह ने कहा, “उस मर्द ने सख़्ती से कहा था, ‘तुम सिर्फ़ इस सूरत में मेरे पास आ सकते हो कि तुम्हारा भाई साथ हो।’ | |
Gene | UrduGeoD | 43:5 | वरना नहीं। क्योंकि उस आदमी ने कहा था कि हम सिर्फ़ इस सूरत में उसके पास आ सकते हैं कि हमारा भाई साथ हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:6 | याक़ूब ने कहा, “तुमने उसे क्यों बताया कि हमारा एक और भाई भी है? इससे तुमने मुझे बड़ी मुसीबत में डाल दिया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:7 | उन्होंने जवाब दिया, “वह आदमी हमारे और हमारे ख़ानदान के बारे में पूछता रहा, ‘क्या तुम्हारा बाप अब तक ज़िंदा है? क्या तुम्हारा कोई और भाई है?’ फिर हमें जवाब देना पड़ा। हमें क्या पता था कि वह हमें अपने भाई को साथ लाने को कहेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:8 | फिर यहूदाह ने बाप से कहा, “लड़के को मेरे साथ भेज दें तो हम अभी रवाना हो जाएंगे। वरना आप, हमारे बच्चे बल्कि हम सब भूकों मर जाएंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 43:9 | मैं ख़ुद उसका ज़ामिन हूँगा। आप मुझे उस की जान का ज़िम्मादार ठहरा सकते हैं। अगर मैं उसे सलामती से वापस न पहुँचाऊँ तो फिर मैं ज़िंदगी के आख़िर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 43:10 | जितनी देर तक हम झिजकते रहे हैं उतनी देर में तो हम दो दफ़ा मिसर जाकर वापस आ सकते थे।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:11 | तब उनके बाप इसराईल ने कहा, “अगर और कोई सूरत नहीं तो इस मुल्क की बेहतरीन पैदावार में से कुछ तोह्फ़े के तौर पर लेकर उस आदमी को दे दो यानी कुछ बलसान, शहद, लादन, मुर, पिस्ता और बादाम। | |
Gene | UrduGeoD | 43:12 | अपने साथ दुगनी रक़म लेकर जाओ, क्योंकि तुम्हें वह पैसे वापस करने हैं जो तुम्हारी बोरियों में रखे गए थे। शायद किसी से ग़लती हुई हो। | |
Gene | UrduGeoD | 43:14 | अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ करे कि यह आदमी तुम पर रहम करके बिनयमीन और तुम्हारे दूसरे भाई को वापस भेजे। जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, अगर मुझे अपने बच्चों से महरूम होना है तो ऐसा ही हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:15 | चुनाँचे वह तोह्फ़े, दुगनी रक़म और बिनयमीन को साथ लेकर चल पड़े। मिसर पहुँचकर वह यूसुफ़ के सामने हाज़िर हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 43:16 | जब यूसुफ़ ने बिनयमीन को उनके साथ देखा तो उसने अपने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम से कहा, “इन आदमियों को मेरे घर ले जाओ ताकि वह दोपहर का खाना मेरे साथ खाएँ। जानवर को ज़बह करके खाना तैयार करो।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:18 | जब उन्हें उसके घर पहुँचाया जा रहा था तो वह डरकर सोचने लगे, “हमें उन पैसों के सबब से यहाँ लाया जा रहा है जो पहली दफ़ा हमारी बोरियों में वापस किए गए थे। वह हम पर अचानक हमला करके हमारे गधे छीन लेंगे और हमें ग़ुलाम बना लेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:21 | लेकिन जब हम यहाँ से रवाना होकर रास्ते में रात के लिए ठहरे तो हमने अपनी बोरियाँ खोलकर देखा कि हर बोरी के मुँह में हमारे पैसों की पूरी रक़म पड़ी है। हम यह पैसे वापस ले आए हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 43:22 | नीज़, हम मज़ीद ख़ुराक ख़रीदने के लिए और पैसे ले आए हैं। ख़ुदा जाने किसने हमारे यह पैसे हमारी बोरियों में रख दिए।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:23 | मुलाज़िम ने कहा, “फ़िकर न करें। मत डरें। आपके और आपके बाप के ख़ुदा ने आपके लिए आपकी बोरियों में यह ख़ज़ाना रखा होगा। बहरहाल मुझे आपके पैसे मिल गए हैं।” मुलाज़िम शमौन को उनके पास बाहर ले आया। | |
Gene | UrduGeoD | 43:24 | फिर उसने भाइयों को यूसुफ़ के घर में ले जाकर उन्हें पाँव धोने के लिए पानी और गधों को चारा दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 43:25 | उन्होंने अपने तोह्फ़े तैयार रखे, क्योंकि उन्हें बताया गया, “यूसुफ़ दोपहर का खाना आपके साथ ही खाएगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:27 | उसने उनसे ख़ैरियत दरियाफ़्त की और फिर कहा, “तुमने अपने बूढ़े बाप का ज़िक्र किया। क्या वह ठीक हैं? क्या वह अब तक ज़िंदा हैं?” | |
Gene | UrduGeoD | 43:28 | उन्होंने जवाब दिया, “जी, आपके ख़ादिम हमारे बाप अब तक ज़िंदा हैं।” वह दुबारा मुँह के बल झुक गए। | |
Gene | UrduGeoD | 43:29 | जब यूसुफ़ ने अपने सगे भाई बिनयमीन को देखा तो उसने कहा, “क्या यह तुम्हारा सबसे छोटा भाई है जिसका तुमने ज़िक्र किया था? बेटा, अल्लाह की नज़रे-करम तुम पर हो।” | |
Gene | UrduGeoD | 43:30 | यूसुफ़ अपने भाई को देखकर इतना मुतअस्सिर हुआ कि वह रोने को था, इसलिए वह जल्दी से वहाँ से निकलकर अपने सोने के कमरे में गया और रो पड़ा। | |
Gene | UrduGeoD | 43:31 | फिर वह अपना मुँह धोकर वापस आया। अपने आप पर क़ाबू पाकर उसने हुक्म दिया कि नौकर खाना ले आएँ। | |
Gene | UrduGeoD | 43:32 | नौकरों ने यूसुफ़ के लिए खाने का अलग इंतज़ाम किया और भाइयों के लिए अलग। मिसरियों के लिए भी खाने का अलग इंतज़ाम था, क्योंकि इबरानियों के साथ खाना खाना उनकी नज़र में क़ाबिले-नफ़रत था। | |
Gene | UrduGeoD | 43:33 | भाइयों को उनकी उम्र की तरतीब के मुताबिक़ यूसुफ़ के सामने बिठाया गया। यह देखकर भाई निहायत हैरान हुए। | |
Chapter 44
Gene | UrduGeoD | 44:1 | यूसुफ़ ने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम को हुक्म दिया, “उन मर्दों की बोरियाँ ख़ुराक से इतनी भर देना जितनी वह उठाकर ले जा सकें। हर एक के पैसे उस की अपनी बोरी के मुँह में रख देना। | |
Gene | UrduGeoD | 44:2 | सबसे छोटे भाई की बोरी में न सिर्फ़ पैसे बल्कि मेरे चाँदी के प्याले को भी रख देना।” मुलाज़िम ने ऐसा ही किया। | |
Gene | UrduGeoD | 44:4 | वह अभी शहर से निकलकर दूर नहीं गए थे कि यूसुफ़ ने अपने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम से कहा, “जल्दी करो। उन आदमियों का ताक़्क़ुब करो। उनके पास पहुँचकर यह पूछना, ‘आपने हमारी भलाई के जवाब में ग़लत काम क्यों किया है? | |
Gene | UrduGeoD | 44:5 | आपने मेरे मालिक का चाँदी का प्याला क्यों चुराया है? उससे वह न सिर्फ़ पीते हैं बल्कि उसे ग़ैबदानी के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। आप एक निहायत संगीन जुर्म के मुरतकिब हुए हैं’।” | |
Gene | UrduGeoD | 44:7 | जवाब में उन्होंने कहा, “हमारे मालिक ऐसी बातें क्यों करते हैं? कभी नहीं हो सकता कि आपके ख़ादिम ऐसा करें। | |
Gene | UrduGeoD | 44:8 | आप तो जानते हैं कि हम मुल्के-कनान से वह पैसे वापस ले आए जो हमारी बोरियों में थे। तो फिर हम क्यों आपके मालिक के घर से चाँदी या सोना चुराएँगे? | |
Gene | UrduGeoD | 44:9 | अगर वह आपके ख़ादिमों में से किसी के पास मिल जाए तो उसे मार डाला जाए और बाक़ी सब आपके ग़ुलाम बनें।” | |
Gene | UrduGeoD | 44:10 | मुलाज़िम ने कहा, “ठीक है ऐसा ही होगा। लेकिन सिर्फ़ वही मेरा ग़ुलाम बनेगा जिसने प्याला चुराया है। बाक़ी सब आज़ाद हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 44:11 | उन्होंने जल्दी से अपनी बोरियाँ उतारकर ज़मीन पर रख दीं। हर एक ने अपनी बोरी खोल दी। | |
Gene | UrduGeoD | 44:12 | मुलाज़िम बोरियों की तलाशी लेने लगा। वह बड़े भाई से शुरू करके आख़िरकार सबसे छोटे भाई तक पहुँच गया। और वहाँ बिनयमीन की बोरी में से प्याला निकला। | |
Gene | UrduGeoD | 44:13 | भाइयों ने यह देखकर परेशानी में अपने लिबास फाड़ लिए। वह अपने गधों को दुबारा लादकर शहर वापस आ गए। | |
Gene | UrduGeoD | 44:14 | जब यहूदाह और उसके भाई यूसुफ़ के घर पहुँचे तो वह अभी वहीं था। वह उसके सामने मुँह के बल गिर गए। | |
Gene | UrduGeoD | 44:15 | यूसुफ़ ने कहा, “यह तुमने क्या किया है? क्या तुम नहीं जानते कि मुझ जैसा आदमी ग़ैब का इल्म रखता है?” | |
Gene | UrduGeoD | 44:16 | यहूदाह ने कहा, “जनाबे-आली, हम क्या कहें? अब हम अपने दिफ़ा में क्या कहें? अल्लाह ही ने हमें क़ुसूरवार ठहराया है। अब हम सब आपके ग़ुलाम हैं, न सिर्फ़ वह जिसके पास से प्याला मिल गया।” | |
Gene | UrduGeoD | 44:17 | यूसुफ़ ने कहा, “अल्लाह न करे कि मैं ऐसा करूँ, बल्कि सिर्फ़ वही मेरा ग़ुलाम होगा जिसके पास प्याला था। बाक़ी सब सलामती से अपने बाप के पास वापस चले जाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 44:18 | लेकिन यहूदाह ने यूसुफ़ के क़रीब आकर कहा, “मेरे मालिक, मेहरबानी करके अपने बंदे को एक बात करने की इजाज़त दें। मुझ पर ग़ुस्सा न करें अगरचे आप मिसर के बादशाह जैसे हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 44:20 | हमने जवाब दिया, ‘हमारा बाप है। वह बूढ़ा है। हमारा एक छोटा भाई भी है जो उस वक़्त पैदा हुआ जब हमारा बाप उम्ररसीदा था। उस लड़के का भाई मर चुका है। उस की माँ के सिर्फ़ यह दो बेटे पैदा हुए। अब वह अकेला ही रह गया है। उसका बाप उसे शिद्दत से प्यार करता है।’ | |
Gene | UrduGeoD | 44:23 | फिर आपने कहा, ‘तुम सिर्फ़ इस सूरत में मेरे पास आ सकोगे कि तुम्हारा सबसे छोटा भाई तुम्हारे साथ हो।’ | |
Gene | UrduGeoD | 44:26 | हमने जवाब दिया, ‘हम जा नहीं सकते। हम सिर्फ़ इस सूरत में उस मर्द के पास जा सकते हैं कि हमारा सबसे छोटा भाई साथ हो। हम तब ही जा सकते हैं जब वह भी हमारे साथ चले।’ | |
Gene | UrduGeoD | 44:27 | हमारे बाप ने हमसे कहा, ‘तुम जानते हो कि मेरी बीवी राख़िल से मेरे दो बेटे पैदा हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 44:28 | पहला मुझे छोड़ चुका है। किसी जंगली जानवर ने उसे फाड़ खाया होगा, क्योंकि उसी वक़्त से मैंने उसे नहीं देखा। | |
Gene | UrduGeoD | 44:29 | अगर इसको भी मुझसे ले जाने की वजह से जानी नुक़सान पहुँचे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म के मारे पाताल में पहुँचाओगे’।” | |
Gene | UrduGeoD | 44:30 | यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, “जनाबे-आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास जाऊँ और वह देखें कि लड़का मेरे साथ नहीं है तो वह दम तोड़ देंगे। उनकी ज़िंदगी इस क़दर लड़के की ज़िंदगी पर मुनहसिर है और वह इतने बूढ़े हैं कि हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक पहुँचा देंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 44:31 | यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, “जनाबे-आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास जाऊँ और वह देखें कि लड़का मेरे साथ नहीं है तो वह दम तोड़ देंगे। उनकी ज़िंदगी इस क़दर लड़के की ज़िंदगी पर मुनहसिर है और वह इतने बूढ़े हैं कि हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक पहुँचा देंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 44:32 | न सिर्फ़ यह बल्कि मैंने बाप से कहा, ‘मैं ख़ुद इसका ज़ामिन हूँगा। अगर मैं इसे सलामती से वापस न पहुँचाऊँ तो फिर मैं ज़िंदगी के आख़िर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा।’ | |
Gene | UrduGeoD | 44:33 | अब अपने ख़ादिम की गुज़ारिश सुनें। मैं यहाँ रहकर इस लड़के की जगह ग़ुलाम बन जाता हूँ, और वह दूसरे भाइयों के साथ वापस चला जाए। | |
Chapter 45
Gene | UrduGeoD | 45:1 | यह सुनकर यूसुफ़ अपने आप पर क़ाबू न रख सका। उसने ऊँची आवाज़ से हुक्म दिया कि तमाम मुलाज़िम कमरे से निकल जाएँ। कोई और शख़्स कमरे में नहीं था जब यूसुफ़ ने अपने भाइयों को बताया कि वह कौन है। | |
Gene | UrduGeoD | 45:2 | वह इतने ज़ोर से रो पड़ा कि मिसरियों ने उस की आवाज़ सुनी और फ़िरौन के घराने को पता चल गया। | |
Gene | UrduGeoD | 45:3 | यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं यूसुफ़ हूँ। क्या मेरा बाप अब तक ज़िंदा है?” लेकिन उसके भाई यह सुनकर इतने घबरा गए कि वह जवाब न दे सके। | |
Gene | UrduGeoD | 45:4 | फिर यूसुफ़ ने कहा, “मेरे क़रीब आओ।” वह क़रीब आए तो उसने कहा, “मैं तुम्हारा भाई यूसुफ़ हूँ जिसे तुमने बोलकर मिसर भिजवाया। | |
Gene | UrduGeoD | 45:5 | अब मेरी बात सुनो। न घबराओ और न अपने आपको इलज़ाम दो कि हमने यूसुफ़ को बेच दिया। असल में अल्लाह ने ख़ुद मुझे तुम्हारे आगे यहाँ भेज दिया ताकि हम सब बचे रहें। | |
Gene | UrduGeoD | 45:7 | अल्लाह ने मुझे तुम्हारे आगे भेजा ताकि दुनिया में तुम्हारा एक बचा-खुचा हिस्सा महफ़ूज़ रहे और तुम्हारी जान एक बड़ी मख़लसी की मारिफ़त छूट जाए। | |
Gene | UrduGeoD | 45:8 | चुनाँचे तुमने मुझे यहाँ नहीं भेजा बल्कि अल्लाह ने। उसने मुझे फ़िरौन का बाप, उसके पूरे घराने का मालिक और मिसर का हाकिम बना दिया है। | |
Gene | UrduGeoD | 45:9 | अब जल्दी से मेरे बाप के पास वापस जाकर उनसे कहो, ‘आपका बेटा यूसुफ़ आपको इत्तला देता है कि अल्लाह ने मुझे मिसर का मालिक बना दिया है। मेरे पास आ जाएँ, देर न करें। | |
Gene | UrduGeoD | 45:10 | आप जुशन के इलाक़े में रह सकते हैं। वहाँ आप मेरे क़रीब होंगे, आप, आपकी आलो-औलाद, गाय-बैल, भेड़-बकरियाँ और जो कुछ भी आपका है। | |
Gene | UrduGeoD | 45:11 | वहाँ मैं आपकी ज़रूरियात पूरी करूँगा, क्योंकि काल को अभी पाँच साल और लगेंगे। वरना आप, आपके घरवाले और जो भी आपके हैं बदहाल हो जाएंगे।’ | |
Gene | UrduGeoD | 45:12 | तुम ख़ुद और मेरा भाई बिनयमीन देख सकते हो कि मैं यूसुफ़ ही हूँ जो तुम्हारे साथ बात कर रहा हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 45:13 | मेरे बाप को मिसर में मेरे असरो-रसूख़ के बारे में इत्तला दो। उन्हें सब कुछ बताओ जो तुमने देखा है। फिर जल्द ही मेरे बाप को यहाँ ले आओ।” | |
Gene | UrduGeoD | 45:14 | यह कहकर वह अपने भाई बिनयमीन को गले लगाकर रो पड़ा। बिनयमीन भी उसके गले लगकर रोने लगा। | |
Gene | UrduGeoD | 45:15 | फिर यूसुफ़ ने रोते हुए अपने हर एक भाई को बोसा दिया। इसके बाद उसके भाई उसके साथ बातें करने लगे। | |
Gene | UrduGeoD | 45:16 | जब यह ख़बर बादशाह के महल तक पहुँची कि यूसुफ़ के भाई आए हैं तो फ़िरौन और उसके तमाम अफ़सरान ख़ुश हुए। | |
Gene | UrduGeoD | 45:17 | उसने यूसुफ़ से कहा, “अपने भाइयों को बता कि अपने जानवरों पर ग़ल्ला लादकर मुल्के-कनान वापस चले जाओ। | |
Gene | UrduGeoD | 45:18 | वहाँ अपने बाप और ख़ानदानों को लेकर मेरे पास आ जाओ। मैं तुमको मिसर की सबसे अच्छी ज़मीन दे दूँगा, और तुम इस मुल्क की बेहतरीन पैदावार खा सकोगे। | |
Gene | UrduGeoD | 45:19 | उन्हें यह हिदायत भी दे कि अपने बाल-बच्चों के लिए मिसर से गाड़ियाँ ले जाओ और अपने बाप को भी बिठाकर यहाँ ले आओ। | |
Gene | UrduGeoD | 45:20 | अपने माल की ज़्यादा फ़िकर न करो, क्योंकि तुम्हें मुल्के-मिसर का बेहतरीन माल मिलेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 45:21 | यूसुफ़ के भाइयों ने ऐसा ही किया। यूसुफ़ ने उन्हें बादशाह के हुक्म के मुताबिक़ गाड़ियाँ और सफ़र के लिए ख़ुराक दी। | |
Gene | UrduGeoD | 45:22 | उसने हर एक भाई को कपड़ों का एक जोड़ा भी दिया। लेकिन बिनयमीन को उसने चाँदी के 300 सिक्के और पाँच जोड़े दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 45:23 | उसने अपने बाप को दस गधे भिजवा दिए जो मिसर के बेहतरीन माल से लदे हुए थे और दस गधियाँ जो अनाज, रोटी और बाप के सफ़र के लिए खाने से लदी हुई थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 45:26 | उन्होंने उससे कहा, “यूसुफ़ ज़िंदा है! वह पूरे मिसर का हाकिम है।” लेकिन याक़ूब हक्का-बक्का रह गया, क्योंकि उसे यक़ीन न आया। | |
Gene | UrduGeoD | 45:27 | ताहम उन्होंने उसे सब कुछ बताया जो यूसुफ़ ने उनसे कहा था, और उसने ख़ुद वह गाड़ियाँ देखीं जो यूसुफ़ ने उसे मिसर ले जाने के लिए भिजवा दी थीं। फिर याक़ूब की जान में जान आ गई, | |
Chapter 46
Gene | UrduGeoD | 46:1 | याक़ूब सब कुछ लेकर रवाना हुआ और बैर-सबा पहुँचा। वहाँ उसने अपने बाप इसहाक़ के ख़ुदा के हुज़ूर क़ुरबानियाँ चढ़ाईं। | |
Gene | UrduGeoD | 46:2 | रात को अल्लाह रोया में उससे हमकलाम हुआ। उसने कहा, “याक़ूब, याक़ूब!” याक़ूब ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 46:3 | अल्लाह ने कहा, “मैं अल्लाह हूँ, तेरे बाप इसहाक़ का ख़ुदा। मिसर जाने से मत डर, क्योंकि वहाँ मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 46:4 | मैं तेरे साथ मिसर जाऊँगा और तुझे इस मुल्क में वापस भी ले आऊँगा। जब तू मरेगा तो यूसुफ़ ख़ुद तेरी आँखें बंद करेगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 46:5 | इसके बाद याक़ूब बैर-सबा से रवाना हुआ। उसके बेटों ने उसे और अपने बाल-बच्चों को उन गाड़ियों में बिठा दिया जो मिसर के बादशाह ने भिजवाई थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 46:6 | यों याक़ूब और उस की तमाम औलाद अपने मवेशी और कनान में हासिल किया हुआ माल लेकर मिसर चले गए। | |
Gene | UrduGeoD | 46:10 | शमौन के बेटे यमुएल, यमीन, उहद, यकीन, सुहर और साऊल थे (साऊल कनानी औरत का बच्चा था)। | |
Gene | UrduGeoD | 46:12 | यहूदाह के बेटे एर, ओनान, सेला, फ़ारस और ज़ारह थे (एर और ओनान कनान में मर चुके थे)। फ़ारस के दो बेटे हसरोन और हमूल थे। | |
Gene | UrduGeoD | 46:15 | इन बेटों की माँ लियाह थी, और वह मसोपुतामिया में पैदा हुए। इनके अलावा दीना उस की बेटी थी। कुल 33 मर्द लियाह की औलाद थे। | |
Gene | UrduGeoD | 46:17 | आशर के बेटे यिमना, इसवाह, इसवी और बरिया थे। आशर की बेटी सिरह थी, और बरिया के दो बेटे थे, हिबर और मलकियेल। | |
Gene | UrduGeoD | 46:20 | यूसुफ़ के दो बेटे मनस्सी और इफ़राईम मिसर में पैदा हुए। उनकी माँ ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा की बेटी आसनत थी। | |
Gene | UrduGeoD | 46:21 | बिनयमीन के बेटे बाला, बकर, अशबेल, जीरा, नामान, इख़ी, रोस, मुफ़्फ़ीम, हुफ़्फ़ीम और अर्द थे। | |
Gene | UrduGeoD | 46:26 | याक़ूब की औलाद के 66 अफ़राद उसके साथ मिसर चले गए। इस तादाद में बेटों की बीवियाँ शामिल नहीं थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 46:27 | जब हम याक़ूब, यूसुफ़ और उसके दो बेटे इनमें शामिल करते हैं तो याक़ूब के घराने के 70 अफ़राद मिसर गए। | |
Gene | UrduGeoD | 46:28 | याक़ूब ने यहूदाह को अपने आगे यूसुफ़ के पास भेजा ताकि वह जुशन में उनसे मिले। जब वह वहाँ पहुँचे | |
Gene | UrduGeoD | 46:29 | तो यूसुफ़ अपने रथ पर सवार होकर अपने बाप से मिलने के लिए जुशन गया। उसे देखकर वह उसके गले लगकर काफ़ी देर रोता रहा। | |
Gene | UrduGeoD | 46:30 | याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “अब मैं मरने के लिए तैयार हूँ, क्योंकि मैंने ख़ुद देखा है कि तू ज़िंदा है।” | |
Gene | UrduGeoD | 46:31 | फिर यूसुफ़ ने अपने भाइयों और अपने बाप के ख़ानदान के बाक़ी अफ़राद से कहा, “ज़रूरी है कि मैं जाकर बादशाह को इत्तला दूँ कि मेरे भाई और मेरे बाप का पूरा ख़ानदान जो कनान के रहनेवाले हैं मेरे पास आ गए हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 46:32 | मैं उससे कहूँगा, ‘यह आदमी भेड़-बकरियों के चरवाहे हैं। वह मवेशी पालते हैं, इसलिए अपनी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और बाक़ी सारा माल अपने साथ ले आए हैं।’ | |
Chapter 47
Gene | UrduGeoD | 47:1 | यूसुफ़ फ़िरौन के पास गया और उसे इत्तला देकर कहा, “मेरा बाप और भाई अपनी भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और सारे माल समेत मुल्के-कनान से आकर जुशन में ठहरे हुए हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:3 | फ़िरौन ने भाइयों से पूछा, “तुम क्या काम करते हो?” उन्होंने जवाब दिया, “आपके ख़ादिम भेड़-बकरियों के चरवाहे हैं। यह हमारे बापदादा का पेशा था और हमारा भी है। | |
Gene | UrduGeoD | 47:4 | हम यहाँ आए हैं ताकि कुछ देर अजनबी की हैसियत से आपके पास ठहरें, क्योंकि काल ने कनान में बहुत ज़ोर पकड़ा है। वहाँ आपके ख़ादिमों के जानवरों के लिए चरागाहें ख़त्म हो गई हैं। इसलिए हमें जुशन में रहने की इजाज़त दें।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:6 | मुल्के-मिसर तेरे सामने खुला है। उन्हें बेहतरीन जगह पर आबाद कर। वह जुशन में रहें। और अगर उनमें से कुछ हैं जो ख़ास क़ाबिलियत रखते हैं तो उन्हें मेरे मवेशियों की निगहदाशत पर रख।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:7 | फिर यूसुफ़ अपने बाप याक़ूब को ले आया और फ़िरौन के सामने पेश किया। याक़ूब ने बादशाह को बरकत दी। | |
Gene | UrduGeoD | 47:9 | याक़ूब ने जवाब दिया, “मैं 130 साल से इस दुनिया का मेहमान हूँ। मेरी ज़िंदगी मुख़तसर और तकलीफ़देह थी, और मेरे बापदादा मुझसे ज़्यादा उम्ररसीदा हुए थे जब वह इस दुनिया के मेहमान थे।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:11 | फिर यूसुफ़ ने अपने बाप और भाइयों को मिसर में आबाद किया। उसने उन्हें रामसीस के इलाक़े में बेहतरीन ज़मीन दी जिस तरह बादशाह ने हुक्म दिया था। | |
Gene | UrduGeoD | 47:12 | यूसुफ़ अपने बाप के पूरे घराने को ख़ुराक मुहैया करता रहा। हर ख़ानदान को उसके बच्चों की तादाद के मुताबिक़ ख़ुराक मिलती रही। | |
Gene | UrduGeoD | 47:13 | काल इतना सख़्त था कि कहीं भी रोटी नहीं मिलती थी। मिसर और कनान में लोग निढाल हो गए। | |
Gene | UrduGeoD | 47:14 | मिसर और कनान के तमाम पैसे अनाज ख़रीदने के लिए सर्फ़ हो गए। यूसुफ़ उन्हें जमा करके फ़िरौन के महल में ले आया। | |
Gene | UrduGeoD | 47:15 | जब मिसर और कनान के पैसे ख़त्म हो गए तो मिसरियों ने यूसुफ़ के पास आकर कहा, “हमें रोटी दें! हम आपके सामने क्यों मरें? हमारे पैसे ख़त्म हो गए हैं।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:16 | यूसुफ़ ने जवाब दिया, “अगर आपके पैसे ख़त्म हैं तो मुझे अपने मवेशी दें। मैं उनके एवज़ रोटी देता हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:17 | चुनाँचे वह अपने घोड़े, भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और गधे यूसुफ़ के पास ले आए। इनके एवज़ उसने उन्हें ख़ुराक दी। उस साल उसने उन्हें उनके तमाम मवेशियों के एवज़ ख़ुराक मुहैया की। | |
Gene | UrduGeoD | 47:18 | अगले साल वह दुबारा उसके पास आए। उन्होंने कहा, “जनाबे-आली, हम यह बात आपसे नहीं छुपा सकते कि अब हम सिर्फ़ अपने आप और अपनी ज़मीन को आपको दे सकते हैं। हमारे पैसे तो ख़त्म हैं और आप हमारे मवेशी भी ले चुके हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 47:19 | हम क्यों आपकी आँखों के सामने मर जाएँ? हमारी ज़मीन क्यों तबाह हो जाए? हमें रोटी दें तो हम और हमारी ज़मीन बादशाह की होगी। हम फ़िरौन के ग़ुलाम होंगे। हमें बीज दें ताकि हम जीते बचें और ज़मीन तबाह न हो जाए।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:20 | चुनाँचे यूसुफ़ ने फ़िरौन के लिए मिसर की पूरी ज़मीन ख़रीद ली। काल की सख़्ती के सबब से तमाम मिसरियों ने अपने खेत बेच दिए। इस तरीक़े से पूरा मुल्क फ़िरौन की मिलकियत में आ गया। | |
Gene | UrduGeoD | 47:21 | यूसुफ़ ने मिसर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक के लोगों को शहरों में मुंतक़िल कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 47:22 | सिर्फ़ पुजारियों की ज़मीन आज़ाद रही। उन्हें अपनी ज़मीन बेचने की ज़रूरत ही नहीं थी, क्योंकि उन्हें फ़िरौन से इतना वज़ीफ़ा मिलता था कि गुज़ारा हो जाता था। | |
Gene | UrduGeoD | 47:23 | यूसुफ़ ने लोगों से कहा, “ग़ौर से सुनें। आज मैंने आपको और आपकी ज़मीन को बादशाह के लिए ख़रीद लिया है। अब यह बीज लेकर अपने खेतों में बोना। | |
Gene | UrduGeoD | 47:24 | आपको फ़िरौन को फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा देना है। बाक़ी पैदावार आपकी होगी। आप इससे बीज बो सकते हैं, और यह आपके और आपके घरानों और बच्चों के खाने के लिए होगा।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:25 | उन्होंने जवाब दिया, “आपने हमें बचाया है। हमारे मालिक हम पर मेहरबानी करें तो हम फ़िरौन के ग़ुलाम बनेंगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 47:26 | इस तरह यूसुफ़ ने मिसर में यह क़ानून नाफ़िज़ किया कि हर फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा बादशाह का है। यह क़ानून आज तक जारी है। सिर्फ़ पुजारियों की ज़मीन बादशाह की मिलकियत में न आई। | |
Gene | UrduGeoD | 47:27 | इसराईली मिसर में जुशन के इलाक़े में आबाद हुए। वहाँ उन्हें ज़मीन मिली, और वह फले-फूले और तादाद में बहुत बढ़ गए। | |
Gene | UrduGeoD | 47:29 | जब मरने का वक़्त क़रीब आया तो उसने यूसुफ़ को बुलाकर कहा, “मेहरबानी करके अपना हाथ मेरी रान के नीचे रखकर क़सम खा कि तू मुझ पर शफ़क़त और वफ़ादारी का इस तरह इज़हार करेगा कि मुझे मिसर में दफ़न नहीं करेगा। | |
Gene | UrduGeoD | 47:30 | जब मैं मरकर अपने बापदादा से जा मिलूँगा तो मुझे मिसर से ले जाकर मेरे बापदादा की क़ब्र में दफ़नाना।” यूसुफ़ ने जवाब दिया, “ठीक है।” | |
Chapter 48
Gene | UrduGeoD | 48:1 | कुछ देर के बाद यूसुफ़ को इत्तला दी गई कि आपका बाप बीमार है। वह अपने दो बेटों मनस्सी और इफ़राईम को साथ लेकर याक़ूब से मिलने गया। | |
Gene | UrduGeoD | 48:2 | याक़ूब को बताया गया, “आपका बेटा आ गया है” तो वह अपने आपको सँभालकर अपने बिस्तर पर बैठ गया। | |
Gene | UrduGeoD | 48:3 | उसने यूसुफ़ से कहा, “जब मैं कनानी शहर लूज़ में था तो अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ मुझ पर ज़ाहिर हुआ। उसने मुझे बरकत देकर | |
Gene | UrduGeoD | 48:4 | कहा, ‘मैं तुझे फलने फूलने दूँगा और तेरी औलाद बढ़ा दूँगा बल्कि तुझसे बहुत-सी क़ौमें निकलने दूँगा। और मैं तेरी औलाद को यह मुल्क हमेशा के लिए दे दूँगा।’ | |
Gene | UrduGeoD | 48:5 | अब मेरी बात सुन। मैं चाहता हूँ कि तेरे बेटे जो मेरे आने से पहले मिसर में पैदा हुए मेरे बेटे हों। इफ़राईम और मनस्सी रूबिन और शमौन के बराबर ही मेरे बेटे हों। | |
Gene | UrduGeoD | 48:6 | अगर इनके बाद तेरे हाँ और बेटे पैदा हो जाएँ तो वह मेरे बेटे नहीं बल्कि तेरे ठहरेंगे। जो मीरास वह पाएँगे वह उन्हें इफ़राईम और मनस्सी की मीरास में से मिलेगी। | |
Gene | UrduGeoD | 48:7 | मैं यह तेरी माँ राख़िल के सबब से कर रहा हूँ जो मसोपुतामिया से वापसी के वक़्त कनान में इफ़राता के क़रीब मर गई। मैंने उसे वहीं रास्ते में दफ़न किया” (आज इफ़राता को बैत-लहम कहा जाता है)। | |
Gene | UrduGeoD | 48:9 | यूसुफ़ ने जवाब दिया, “यह मेरे बेटे हैं जो अल्लाह ने मुझे यहाँ मिसर में दिए।” याक़ूब ने कहा, “उन्हें मेरे क़रीब ले आ ताकि मैं उन्हें बरकत दूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 48:10 | बूढ़ा होने के सबब से याक़ूब की आँखें कमज़ोर थीं। वह अच्छी तरह देख नहीं सकता था। यूसुफ़ अपने बेटों को याक़ूब के पास ले आया तो उसने उन्हें बोसा देकर गले लगाया | |
Gene | UrduGeoD | 48:11 | और यूसुफ़ से कहा, “मुझे तवक़्क़ो ही नहीं थी कि मैं कभी तेरा चेहरा देखूँगा, और अब अल्लाह ने मुझे तेरे बेटों को देखने का मौक़ा भी दिया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 48:14 | लेकिन याक़ूब ने अपना दहना हाथ बाईं तरफ़ बढ़ाकर इफ़राईम के सर पर रखा अगरचे वह छोटा था। इस तरह उसने अपना बायाँ हाथ दाईं तरफ़ बढ़ाकर मनस्सी के सर पर रखा जो बड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 48:15 | फिर उसने यूसुफ़ को उसके बेटों की मारिफ़त बरकत दी, “अल्लाह जिसके हुज़ूर मेरे बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ चलते रहे और जो शुरू से आज तक मेरा चरवाहा रहा है इन्हें बरकत दे। | |
Gene | UrduGeoD | 48:16 | जिस फ़रिश्ते ने एवज़ाना देकर मुझे हर नुक़सान से बचाया है वह इन्हें बरकत दे। अल्लाह करे कि इनमें मेरा नाम और मेरे बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ के नाम जीते रहें। दुनिया में इनकी औलाद की तादाद बहुत बढ़ जाए।” | |
Gene | UrduGeoD | 48:17 | जब यूसुफ़ ने देखा कि बाप ने अपना दहना हाथ छोटे बेटे इफ़राईम के सर पर रखा है तो यह उसे बुरा लगा, इसलिए उसने बाप का हाथ पकड़ा ताकि उसे इफ़राईम के सर पर से उठाकर मनस्सी के सर पर रखे। | |
Gene | UrduGeoD | 48:19 | लेकिन बाप ने इनकार करके कहा, “मुझे पता है बेटा, मुझे पता है। वह भी एक बड़ी क़ौम बनेगा। फिर भी उसका छोटा भाई उससे बड़ा होगा और उससे क़ौमों की बड़ी तादाद निकलेगी।” | |
Gene | UrduGeoD | 48:20 | उस दिन उसने दोनों बेटों को बरकत देकर कहा, “इसराईली तुम्हारा नाम लेकर बरकत दिया करेंगे। जब वह बरकत देंगे तो कहेंगे, ‘अल्लाह आपके साथ वैसा करे जैसा उसने इफ़राईम और मनस्सी के साथ किया है’।” इस तरह याक़ूब ने इफ़राईम को मनस्सी से बड़ा बना दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 48:21 | यूसुफ़ से उसने कहा, “मैं तो मरनेवाला हूँ, लेकिन अल्लाह तुम्हारे साथ होगा और तुम्हें तुम्हारे बापदादा के मुल्क में वापस ले जाएगा। | |
Chapter 49
Gene | UrduGeoD | 49:1 | याक़ूब ने अपने बेटों को बुलाकर कहा, “मेरे पास जमा हो जाओ ताकि मैं तुम्हें बताऊँ कि मुस्तक़बिल में तुम्हारे साथ क्या क्या होगा। | |
Gene | UrduGeoD | 49:3 | रूबिन, तुम मेरे पहलौठे हो, मेरे ज़ोर और मेरी ताक़त का पहला फल। तुम इज़्ज़त और क़ुव्वत के लिहाज़ से बरतर हो। | |
Gene | UrduGeoD | 49:4 | लेकिन चूँकि तुम बेकाबू सैलाब की मानिंद हो इसलिए तुम्हारी अव्वल हैसियत जाती रहे। क्योंकि तुमने मेरी हरम से हमबिसतर होकर अपने बाप की बेहुरमती की है। | |
Gene | UrduGeoD | 49:6 | मेरी जान न उनकी मजलिस में शामिल और न उनकी जमात में दाख़िल हो, क्योंकि उन्होंने ग़ुस्से में आकर दूसरों को क़त्ल किया है, उन्होंने अपनी मरज़ी से बैलों की कोंचें काटी हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 49:7 | उनके ग़ुस्से पर लानत हो जो इतना ज़बरदस्त है और उनके तैश पर जो इतना सख़्त है। मैं उन्हें याक़ूब के मुल्क में तित्तर-बित्तर करूँगा, उन्हें इसराईल में मुंतशिर कर दूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 49:8 | यहूदाह, तुम्हारे भाई तुम्हारी तारीफ़ करेंगे। तुम अपने दुश्मनों की गरदन पकड़े रहोगे, और तुम्हारे बाप के बेटे तुम्हारे सामने झुक जाएंगे। | |
Gene | UrduGeoD | 49:9 | यहूदाह शेरबबर का बच्चा है। मेरे बेटे, तुम अभी अभी शिकार मारकर वापस आए हो। यहूदाह शेरबबर बल्कि शेरनी की तरह दबककर बैठ जाता है। कौन उसे छेड़ने की जुर्रत करेगा? | |
Gene | UrduGeoD | 49:10 | शाही असा यहूदाह से दूर नहीं होगा बल्कि शाही इख़्तियार उस वक़्त तक उस की औलाद के पास रहेगा जब तक वह हाकिम न आए जिसके ताबे क़ौमें रहेंगी। | |
Gene | UrduGeoD | 49:11 | वह अपना जवान गधा अंगूर की बेल से और अपनी गधी का बच्चा बेहतरीन अंगूर की बेल से बाँधेगा। वह अपना लिबास मै में और अपना कपड़ा अंगूर के ख़ून में धोएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 49:15 | जब वह देखेगा कि उस की आरामगाह अच्छी और उसका मुल्क ख़ुशनुमा है तो वह बोझ उठाने के लिए तैयार हो जाएगा और उजरत के बग़ैर काम करने के लिए मजबूर किया जाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 49:17 | दान सड़क के साँप और रास्ते के अफ़ई की मानिंद होगा। वह घोड़े की एड़ियों को काटेगा तो उसका सवार पीछे गिर जाएगा। | |
Gene | UrduGeoD | 49:22 | यूसुफ़ फलदार बेल है। वह चश्मे पर लगी हुई फलदार बेल है जिसकी शाख़ें दीवार पर चढ़ गई हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 49:24 | लेकिन उस की कमान मज़बूत रही, और उसके बाज़ू याक़ूब के ज़ोरावर ख़ुदा के सबब से ताक़तवर रहे, उस चरवाहे के सबब से जो इसराईल का ज़बरदस्त सूरमा है। | |
Gene | UrduGeoD | 49:25 | क्योंकि तेरे बाप का ख़ुदा तेरी मदद करता है, अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ तुझे आसमान की बरकत, ज़मीन की गहराइयों की बरकत और औलाद की बरकत देता है। | |
Gene | UrduGeoD | 49:26 | तेरे बाप की बरकत क़दीम पहाड़ों और अबदी पहाड़ियों की मरग़ूब चीज़ों से ज़्यादा अज़ीम है। यह तमाम बरकत यूसुफ़ के सर पर हो, उस शख़्स के चाँद पर जो अपने भाइयों पर शहज़ादा है। | |
Gene | UrduGeoD | 49:27 | बिनयमीन फाड़नेवाला भेड़िया है। सुबह वह अपना शिकार खा जाता और रात को अपना लूटा हुआ माल तक़सीम कर देता है।” | |
Gene | UrduGeoD | 49:28 | यह इसराईल के कुल बारह क़बीले हैं। और यह वह कुछ है जो उनके बाप ने उनसे बरकत देते वक़्त कहा। उसने हर एक को उस की अपनी बरकत दी। | |
Gene | UrduGeoD | 49:29 | फिर याक़ूब ने अपने बेटों को हुक्म दिया, “अब मैं कूच करके अपने बापदादा से जा मिलूँगा। मुझे मेरे बापदादा के साथ उस ग़ार में दफ़नाना जो हित्ती आदमी इफ़रोन के खेत में है। | |
Gene | UrduGeoD | 49:30 | यानी उस ग़ार में जो मुल्के-कनान में ममरे के मशरिक़ में मकफ़ीला के खेत में है। इब्राहीम ने उसे खेत समेत अपने लोगों को दफ़नाने के लिए इफ़रोन हित्ती से ख़रीद लिया था। | |
Gene | UrduGeoD | 49:31 | वहाँ इब्राहीम और उस की बीवी सारा दफ़नाए गए, वहाँ इसहाक़ और उस की बीवी रिबक़ा दफ़नाए गए और वहाँ मैंने लियाह को दफ़न किया। | |
Chapter 50
Gene | UrduGeoD | 50:2 | उसके मुलाज़िमों में से कुछ डाक्टर थे। उसने उन्हें हिदायत दी कि मेरे बाप इसराईल की लाश को हनूत करें ताकि वह गल न जाए। उन्होंने ऐसा ही किया। | |
Gene | UrduGeoD | 50:3 | इसमें 40 दिन लग गए। आम तौर पर हनूत करने के लिए इतने ही दिन लगते हैं। मिसरियों ने 70 दिन तक याक़ूब का मातम किया। | |
Gene | UrduGeoD | 50:4 | जब मातम का वक़्त ख़त्म हुआ तो यूसुफ़ ने बादशाह के दरबारियों से कहा, “मेहरबानी करके यह ख़बर बादशाह तक पहुँचा दें | |
Gene | UrduGeoD | 50:5 | कि मेरे बाप ने मुझे क़सम दिलाकर कहा था, ‘मैं मरनेवाला हूँ। मुझे उस क़ब्र में दफ़न करना जो मैंने मुल्के-कनान में अपने लिए बनवाई।’ अब मुझे इजाज़त दें कि मैं वहाँ जाऊँ और अपने बाप को दफ़न करके वापस आऊँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 50:7 | चुनाँचे यूसुफ़ अपने बाप को दफ़नाने के लिए कनान रवाना हुआ। बादशाह के तमाम मुलाज़िम, महल के बुज़ुर्ग और पूरे मिसर के बुज़ुर्ग उसके साथ थे। | |
Gene | UrduGeoD | 50:8 | यूसुफ़ के घराने के अफ़राद, उसके भाई और उसके बाप के घराने के लोग भी साथ गए। सिर्फ़ उनके बच्चे, उनकी भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल जुशन में रहे। | |
Gene | UrduGeoD | 50:10 | जब वह यरदन के क़रीब अतद के खलियान पर पहुँचे तो उन्होंने निहायत दिलसोज़ नोहा किया। वहाँ यूसुफ़ ने सात दिन तक अपने बाप का मातम किया। | |
Gene | UrduGeoD | 50:11 | जब मक़ामी कनानियों ने अतद के खलियान पर मातम का यह नज़ारा देखा तो उन्होंने कहा, “यह तो मातम का बहुत बड़ा इंतज़ाम है जो मिसरी करवा रहे हैं।” इसलिए उस जगह का नाम अबील-मिसरीम यानी ‘मिसरियों का मातम’ पड़ गया। | |
Gene | UrduGeoD | 50:13 | उन्होंने उसे मुल्के-कनान में ले जाकर मकफ़ीला के खेत के ग़ार में दफ़न किया जो ममरे के मशरिक़ में है। यह वही खेत है जो इब्राहीम ने इफ़रोन हित्ती से अपने लोगों को दफ़नाने के लिए ख़रीदा था। | |
Gene | UrduGeoD | 50:14 | इसके बाद यूसुफ़, उसके भाई और बाक़ी तमाम लोग जो जनाज़े के लिए साथ गए थे मिसर को लौट आए। | |
Gene | UrduGeoD | 50:15 | जब याक़ूब इंतक़ाल कर गया तो यूसुफ़ के भाई डर गए। उन्होंने कहा, “ख़तरा है कि अब यूसुफ़ हमारा ताक़्क़ुब करके उस ग़लत काम का बदला ले जो हमने उसके साथ किया था। फिर क्या होगा?” | |
Gene | UrduGeoD | 50:17 | कि यूसुफ़ को बताना, ‘अपने भाइयों के उस ग़लत काम को मुआफ़ कर देना जो उन्होंने तुम्हारे साथ किया।’ अब हमें जो आपके बाप के ख़ुदा के पैरोकार हैं मुआफ़ कर दें।” यह ख़बर सुनकर यूसुफ़ रो पड़ा। | |
Gene | UrduGeoD | 50:20 | तुमने मुझे नुक़सान पहुँचाने का इरादा किया था, लेकिन अल्लाह ने उससे भलाई पैदा की। और अब इसका मक़सद पूरा हो रहा है। बहुत-से लोग मौत से बच रहे हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 50:21 | चुनाँचे अब डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को ख़ुराक मुहैया करता रहूँगा।” यों यूसुफ़ ने उन्हें तसल्ली दी और उनसे नरमी से बात की। | |
Gene | UrduGeoD | 50:23 | मौत से पहले उसने न सिर्फ़ इफ़राईम के बच्चों को बल्कि उसके पोतों को भी देखा। मनस्सी के बेटे मकीर के बच्चे भी उस की मौजूदगी में पैदा होकर उस की गोद में रखे गए। | |
Gene | UrduGeoD | 50:24 | फिर एक वक़्त आया कि यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं मरनेवाला हूँ। लेकिन अल्लाह ज़रूर आपकी देख-भाल करके आपको इस मुल्क से उस मुल्क में ले जाएगा जिसका उसने इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से क़सम खाकर वादा किया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 50:25 | फिर यूसुफ़ ने इसराईलियों को क़सम दिलाकर कहा, “अल्लाह यक़ीनन तुम्हारी देख-भाल करके वहाँ ले जाएगा। उस वक़्त मेरी हड्डियों को भी उठाकर साथ ले जाना।” | |