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Chapter 1
Gene UrduGeoD 1:1  इब्तिदा में अल्लाह ने आसमान और ज़मीन को बनाया।
Gene UrduGeoD 1:2  अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था।
Gene UrduGeoD 1:3  फिर अल्लाह ने कहा, “रौशनी हो जाए” तो रौशनी पैदा हो गई।
Gene UrduGeoD 1:4  अल्लाह ने देखा कि रौशनी अच्छी है, और उसने रौशनी को तारीकी से अलग कर दिया।
Gene UrduGeoD 1:5  अल्लाह ने रौशनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। शाम हुई, फिर सुबह। यों पहला दिन गुज़र गया।
Gene UrduGeoD 1:6  अल्लाह ने कहा, “पानी के दरमियान एक ऐसा गुंबद पैदा हो जाए जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो जाए।”
Gene UrduGeoD 1:7  ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो गया।
Gene UrduGeoD 1:8  अल्लाह ने गुंबद को आसमान का नाम दिया। शाम हुई, फिर सुबह। यों दूसरा दिन गुज़र गया।
Gene UrduGeoD 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
Gene UrduGeoD 1:10  अल्लाह ने ख़ुश्क जगह को ज़मीन का नाम दिया और जमाशुदा पानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
Gene UrduGeoD 1:11  फिर उसने कहा, “ज़मीन हरियावल पैदा करे, ऐसे पौदे जो बीज रखते हों और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते हों।” ऐसा ही हुआ।
Gene UrduGeoD 1:12  ज़मीन ने हरियावल पैदा की, ऐसे पौदे जो अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
Gene UrduGeoD 1:13  शाम हुई, फिर सुबह। यों तीसरा दिन गुज़र गया।
Gene UrduGeoD 1:14  अल्लाह ने कहा, “आसमान पर रौशनियाँ पैदा हो जाएँ ताकि दिन और रात में इम्तियाज़ हो और इसी तरह मुख़्तलिफ़ मौसमों, दिनों और सालों में भी।
Gene UrduGeoD 1:15  आसमान की यह रौशनियाँ दुनिया को रौशन करें।” ऐसा ही हुआ।
Gene UrduGeoD 1:16  अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया।
Gene UrduGeoD 1:17  उसने उन्हें आसमान पर रखा ताकि वह दुनिया को रौशन करें,
Gene UrduGeoD 1:18  दिन और रात पर हुकूमत करें और रौशनी और तारीकी में इम्तियाज़ पैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
Gene UrduGeoD 1:19  शाम हुई, फिर सुबह। यों चौथा दिन गुज़र गया।
Gene UrduGeoD 1:20  अल्लाह ने कहा, “पानी आबी जानदारों से भर जाए और फ़िज़ा में परिंदे उड़ते फिरें।”
Gene UrduGeoD 1:21  अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, पानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
Gene UrduGeoD 1:22  उसने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। समुंदर तुमसे भर जाए। इसी तरह परिंदे ज़मीन पर तादाद में बढ़ जाएँ।”
Gene UrduGeoD 1:23  शाम हुई, फिर सुबह। यों पाँचवाँ दिन गुज़र गया।
Gene UrduGeoD 1:24  अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर क़िस्म के जानदार पैदा करे : मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर।” ऐसा ही हुआ।
Gene UrduGeoD 1:25  अल्लाह ने हर क़िस्म के मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर बनाए। उसने देखा कि यह अच्छा है।
Gene UrduGeoD 1:26  अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनी सूरत पर बनाएँ, वह हमसे मुशाबहत रखे। वह तमाम जानवरों पर हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों पर, हवा के परिंदों पर, मवेशियों पर, जंगली जानवरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर।”
Gene UrduGeoD 1:27  यों अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया, अल्लाह की सूरत पर। उसने उन्हें मर्द और औरत बनाया।
Gene UrduGeoD 1:28  अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर हुकूमत करो।”
Gene UrduGeoD 1:29  अल्लाह ने उनसे मज़ीद कहा, “तमाम बीजदार पौदे और फलदार दरख़्त तुम्हारे ही हैं। मैं उन्हें तुमको खाने के लिए देता हूँ।
Gene UrduGeoD 1:30  इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन पर चलने-फिरनेवाला जानवर, हवा का परिंदा या ज़मीन पर रेंगनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ।
Gene UrduGeoD 1:31  अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया।
Chapter 2
Gene UrduGeoD 2:1  यों आसमानो-ज़मीन और उनकी तमाम चीज़ों की तख़लीक़ मुकम्मल हुई।
Gene UrduGeoD 2:2  सातवें दिन अल्लाह का सारा काम तकमील को पहुँचा। इससे फ़ारिग़ होकर उसने आराम किया।
Gene UrduGeoD 2:3  अल्लाह ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिग़ होकर आराम किया।
Gene UrduGeoD 2:4  यह आसमानो-ज़मीन की तख़लीक़ का बयान है। जब रब ख़ुदा ने आसमानो-ज़मीन को बनाया
Gene UrduGeoD 2:5  तो शुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।
Gene UrduGeoD 2:6  इसकी बजाए ज़मीन में से धुंध उठकर उस की पूरी सतह को तर करती थी।
Gene UrduGeoD 2:7  फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दम फूँका तो वह जीती जान हुआ।
Gene UrduGeoD 2:8  रब ख़ुदा ने मशरिक़ में मुल्के-अदन में एक बाग़ लगाया। उसमें उसने उस आदमी को रखा जिसे उसने बनाया था।
Gene UrduGeoD 2:9  रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।
Gene UrduGeoD 2:10  अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबपाशी करता था। वहाँ से बहकर वह चार शाख़ों में तक़सीम हुआ।
Gene UrduGeoD 2:11  पहली शाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं।
Gene UrduGeoD 2:12  पहली शाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं।
Gene UrduGeoD 2:13  दूसरी का नाम जैहून है जो कूश को घेरे हुए बहती है।
Gene UrduGeoD 2:14  तीसरी का नाम दिजला है जो असूर के मशरिक़ को जाती है और चौथी का नाम फ़ुरात है।
Gene UrduGeoD 2:15  रब ख़ुदा ने पहले आदमी को बाग़े-अदन में रखा ताकि वह उस की बाग़बानी और हिफ़ाज़त करे।
Gene UrduGeoD 2:16  लेकिन रब ख़ुदा ने उसे आगाह किया, “तुझे हर दरख़्त का फल खाने की इजाज़त है।
Gene UrduGeoD 2:17  लेकिन जिस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता है उसका फल खाना मना है। अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरेगा।”
Gene UrduGeoD 2:18  रब ख़ुदा ने कहा, “अच्छा नहीं कि आदमी अकेला रहे। मैं उसके लिए एक मुनासिब मददगार बनाता हूँ।”
Gene UrduGeoD 2:19  रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले जानवर और हवा के परिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल गया।
Gene UrduGeoD 2:20  आदमी ने तमाम मवेशियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला।
Gene UrduGeoD 2:21  तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब वह गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसलियों में से एक निकालकर उस की जगह गोश्त भर दिया।
Gene UrduGeoD 2:22  पसली से उसने औरत बनाई और उसे आदमी के पास ले आया।
Gene UrduGeoD 2:23  उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।”
Gene UrduGeoD 2:24  इसलिए मर्द अपने माँ-बाप को छोड़कर अपनी बीवी के साथ पैवस्त हो जाता है, और वह दोनों एक हो जाते हैं।
Gene UrduGeoD 2:25  दोनों, आदमी और औरत नंगे थे, लेकिन यह उनके लिए शर्म का बाइस नहीं था।
Chapter 3
Gene UrduGeoD 3:1  साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
Gene UrduGeoD 3:2  औरत ने जवाब दिया, “हरगिज़ नहीं। हम बाग़ का हर फल खा सकते हैं,
Gene UrduGeoD 3:3  सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से गुरेज़ करना है जो बाग़ के बीच में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसे छूना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओगे।”
Gene UrduGeoD 3:4  साँप ने औरत से कहा, “तुम हरगिज़ न मरोगे,
Gene UrduGeoD 3:5  बल्कि अल्लाह जानता है कि जब तुम उसका फल खाओगे तो तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी और तुम अल्लाह की मानिंद हो जाओगे, तुम जो भी अच्छा और बुरा है उसे जान लोगे।”
Gene UrduGeoD 3:6  औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।
Gene UrduGeoD 3:7  लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंगे हैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं।
Gene UrduGeoD 3:8  शाम के वक़्त जब ठंडी हवा चलने लगी तो उन्होंने रब ख़ुदा को बाग़ में चलते-फिरते सुना। वह डर के मारे दरख़्तों के पीछे छुप गए।
Gene UrduGeoD 3:9  रब ख़ुदा ने पुकारकर कहा, “आदम, तू कहाँ है?”
Gene UrduGeoD 3:10  आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ। इसलिए मैं छुप गया।”
Gene UrduGeoD 3:11  उसने पूछा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?”
Gene UrduGeoD 3:12  आदम ने कहा, “जो औरत तूने मेरे साथ रहने के लिए दी है उसने मुझे फल दिया। इसलिए मैंने खा लिया।”
Gene UrduGeoD 3:13  अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तूने यह क्यों किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।”
Gene UrduGeoD 3:14  रब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमाम मवेशियों और जंगली जानवरों में लानती है। तू उम्र-भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा।
Gene UrduGeoD 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी पैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। वह तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि तू उस की एड़ी पर काटेगा।”
Gene UrduGeoD 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।”
Gene UrduGeoD 3:17  आदम से उसने कहा, “तूने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मशक़्क़त करनी पड़ेगी।
Gene UrduGeoD 3:18  तेरे लिए वह ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँकि तू उससे अपनी ख़ुराक भी हासिल करेगा।
Gene UrduGeoD 3:19  पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”
Gene UrduGeoD 3:20  आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा यानी ज़िंदगी रखा, क्योंकि बाद में वह तमाम ज़िंदों की माँ बन गई।
Gene UrduGeoD 3:21  रब ख़ुदा ने आदम और उस की बीवी के लिए खालों से लिबास बनाकर उन्हें पहनाया।
Gene UrduGeoD 3:22  उसने कहा, “इनसान हमारी मानिंद हो गया है, वह अच्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त के फल से ले और उससे खाकर हमेशा तक ज़िंदा रहे।”
Gene UrduGeoD 3:23  इसलिए रब ख़ुदा ने उसे बाग़े-अदन से निकालकर उस ज़मीन की खेतीबाड़ी करने की ज़िम्मादारी दी जिसमें से उसे लिया गया था।
Gene UrduGeoD 3:24  इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन के मशरिक़ में करूबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तलवार रखी जो इधर-उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त तक पहुँचाता था।
Chapter 4
Gene UrduGeoD 4:1  आदम हव्वा से हमबिसतर हुआ तो उनका पहला बेटा क़ाबील पैदा हुआ। हव्वा ने कहा, “रब की मदद से मैंने एक मर्द हासिल किया है।”
Gene UrduGeoD 4:2  बाद में क़ाबील का भाई हाबील पैदा हुआ। हाबील भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया जबकि क़ाबील खेतीबाड़ी करने लगा।
Gene UrduGeoD 4:3  कुछ देर के बाद क़ाबील ने रब को अपनी फ़सलों में से कुछ पेश किया।
Gene UrduGeoD 4:4  हाबील ने भी नज़राना पेश किया, लेकिन उसने अपनी भेड़-बकरियों के कुछ पहलौठे उनकी चरबी समेत चढ़ाए। हाबील का नज़राना रब को पसंद आया,
Gene UrduGeoD 4:5  मगर क़ाबील का नज़राना मंज़ूर न हुआ। यह देखकर क़ाबील बड़े ग़ुस्से में आ गया, और उसका मुँह बिगड़ गया।
Gene UrduGeoD 4:6  रब ने पूछा, “तू ग़ुस्से में क्यों आ गया है? तेरा मुँह क्यों लटका हुआ है?
Gene UrduGeoD 4:7  क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।”
Gene UrduGeoD 4:8  एक दिन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, “आओ, हम बाहर खुले मैदान में चलें।” और जब वह खुले मैदान में थे तो क़ाबील ने अपने भाई हाबील पर हमला करके उसे मार डाला।
Gene UrduGeoD 4:9  तब रब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?”
Gene UrduGeoD 4:10  रब ने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे भाई का ख़ून ज़मीन में से पुकारकर मुझसे फ़रियाद कर रहा है।
Gene UrduGeoD 4:11  इसलिए तुझ पर लानत है और ज़मीन ने तुझे रद्द किया है, क्योंकि ज़मीन को मुँह खोलकर तेरे हाथ से क़त्ल किए हुए भाई का ख़ून पीना पड़ा।
Gene UrduGeoD 4:12  अब से जब तू खेतीबाड़ी करेगा तो ज़मीन अपनी पैदावार देने से इनकार करेगी। तू मफ़रूर होकर मारा मारा फिरेगा।”
Gene UrduGeoD 4:13  क़ाबील ने कहा, “मेरी सज़ा निहायत सख़्त है। मैं इसे बरदाश्त नहीं कर पाऊँगा।
Gene UrduGeoD 4:14  आज तू मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे तेरे हुज़ूर से भी छुप जाना है। मैं मफ़रूर की हैसियत से मारा मारा फिरता रहूँगा, इसलिए जिसको भी पता चलेगा कि मैं कहाँ हूँ वह मुझे क़त्ल कर डालेगा।”
Gene UrduGeoD 4:15  लेकिन रब ने उससे कहा, “हरगिज़ नहीं। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा।” फिर रब ने उस पर एक निशान लगाया ताकि जो भी क़ाबील को देखे वह उसे क़त्ल न कर दे।
Gene UrduGeoD 4:16  इसके बाद क़ाबील रब के हुज़ूर से चला गया और अदन के मशरिक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े में जा बसा।
Gene UrduGeoD 4:17  क़ाबील की बीवी हामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिसका नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने एक शहर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुशी में उसका नाम हनूक रखा।
Gene UrduGeoD 4:18  हनूक का बेटा ईराद था, ईराद का बेटा महूयाएल, महूयाएल का बेटा मतूसाएल और मतूसाएल का बेटा लमक था।
Gene UrduGeoD 4:19  लमक की दो बीवियाँ थीं, अदा और ज़िल्ला।
Gene UrduGeoD 4:20  अदा का बेटा याबल था। उस की नसल के लोग ख़ैमों में रहते और मवेशी पालते थे।
Gene UrduGeoD 4:21  याबल का भाई यूबल था। उस की नसल के लोग सरोद और बाँसरी बजाते थे।
Gene UrduGeoD 4:22  ज़िल्ला के भी बेटा पैदा हुआ जिसका नाम तूबल-क़ाबील था। वह लोहार था। उस की नसल के लोग पीतल और लोहे की चीज़ें बनाते थे। तूबल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था।
Gene UrduGeoD 4:23  एक दिन लमक ने अपनी बीवियों से कहा, “अदा और ज़िल्ला, मेरी बात सुनो! लमक की बीवियो, मेरे अलफ़ाज़ पर ग़ौर करो!
Gene UrduGeoD 4:24  एक आदमी ने मुझे ज़ख़मी किया तो मैंने उसे मार डाला। एक लड़के ने मेरे चोट लगाई तो मैंने उसे क़त्ल कर दिया। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा, लेकिन जो लमक को क़त्ल करे उससे सतत्तर गुना बदला लिया जाएगा।”
Gene UrduGeoD 4:25  आदम और हव्वा का एक और बेटा पैदा हुआ। हव्वा ने उसका नाम सेत रखकर कहा, “अल्लाह ने मुझे हाबील की जगह जिसे क़ाबील ने क़त्ल किया एक और बेटा बख़्शा है।”
Gene UrduGeoD 4:26  सेत के हाँ भी बेटा पैदा हुआ। उसने उसका नाम अनूस रखा। उन दिनों में लोग रब का नाम लेकर इबादत करने लगे।
Chapter 5
Gene UrduGeoD 5:1  ज़ैल में आदम का नसबनामा दर्ज है। जब अल्लाह ने इनसान को ख़लक़ किया तो उसने उसे अपनी सूरत पर बनाया।
Gene UrduGeoD 5:2  उसने उन्हें मर्द और औरत पैदा किया। और जिस दिन उसने उन्हें ख़लक़ किया उसने उन्हें बरकत देकर उनका नाम आदम यानी इनसान रखा।
Gene UrduGeoD 5:3  आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका बेटा सेत पैदा हुआ। सेत सूरत के लिहाज़ से अपने बाप की मानिंद था, वह उससे मुशाबहत रखता था।
Gene UrduGeoD 5:4  सेत की पैदाइश के बाद आदम मज़ीद 800 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:5  वह 930 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:6  सेत 105 साल का था जब उसका बेटा अनूस पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:7  इसके बाद वह मज़ीद 807 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:8  वह 912 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:9  अनूस 90 बरस का था जब उसका बेटा क़ीनान पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:10  इसके बाद वह मज़ीद 815 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:11  वह 905 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:12  क़ीनान 70 साल का था जब उसका बेटा महललेल पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:13  इसके बाद वह मज़ीद 840 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:14  वह 910 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:15  महललेल 65 साल का था जब उसका बेटा यारिद पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:16  इसके बाद वह मज़ीद 830 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:17  वह 895 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:18  यारिद 162 साल का था जब उसका बेटा हनूक पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:19  इसके बाद वह मज़ीद 800 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:20  वह 962 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:21  हनूक 65 साल का था जब उसका बेटा मतूसिलह पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:22  इसके बाद वह मज़ीद 300 साल अल्लाह के साथ चलता रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:23  वह कुल 365 साल दुनिया में रहा।
Gene UrduGeoD 5:24  हनूक अल्लाह के साथ साथ चलता था। 365 साल की उम्र में वह ग़ायब हुआ, क्योंकि अल्लाह ने उसे उठा लिया।
Gene UrduGeoD 5:25  मतूसिलह 187 साल का था जब उसका बेटा लमक पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:26  वह मज़ीद 782 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे और बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:27  वह 969 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:28  लमक 182 साल का था जब उसका बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 5:29  उसने उसका नाम नूह यानी तसल्ली रखा, क्योंकि उसने उसके बारे में कहा, “हमारा खेतीबाड़ी का काम निहायत तकलीफ़देह है, इसलिए कि अल्लाह ने ज़मीन पर लानत भेजी है। लेकिन अब हम बेटे की मारिफ़त तसल्ली पाएँगे।”
Gene UrduGeoD 5:30  इसके बाद वह मज़ीद 595 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 5:31  वह 777 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 5:32  नूह 500 साल का था जब उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त पैदा हुए।
Chapter 6
Gene UrduGeoD 6:1  दुनिया में लोगों की तादाद बढ़ने लगी। उनके हाँ बेटियाँ पैदा हुईं।
Gene UrduGeoD 6:2  तब आसमानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इनसान की बेटियाँ ख़ूबसूरत हैं, और उन्होंने उनमें से कुछ चुनकर उनसे शादी की।
Gene UrduGeoD 6:3  फिर रब ने कहा, “मेरी रूह हमेशा के लिए इनसान में न रहे क्योंकि वह फ़ानी मख़लूक़ है। अब से वह 120 साल से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहेगा।”
Gene UrduGeoD 6:4  उन दिनों में और बाद में भी दुनिया में देवक़ामत अफ़राद थे जो इनसानी औरतों और उन आसमानी हस्तियों की शादियों से पैदा हुए थे। यह देवक़ामत अफ़राद क़दीम ज़माने के मशहूर सूरमा थे।
Gene UrduGeoD 6:5  रब ने देखा कि इनसान निहायत बिगड़ गया है, कि उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ मायल रहते हैं।
Gene UrduGeoD 6:6  वह पछताया कि मैंने इनसान को बनाकर दुनिया में रख दिया है, और उसे सख़्त दुख हुआ।
Gene UrduGeoD 6:7  उसने कहा, “गो मैं ही ने इनसान को ख़लक़ किया मैं उसे रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा। मैं न सिर्फ़ लोगों को बल्कि ज़मीन पर चलने-फिरने और रेंगनेवाले जानवरों और हवा के परिंदों को भी हलाक कर दूँगा, क्योंकि मैं पछताता हूँ कि मैंने उनको बनाया।”
Gene UrduGeoD 6:8  सिर्फ़ नूह पर रब की नज़रे-करम थी।
Gene UrduGeoD 6:9  यह उस की ज़िंदगी का बयान है। नूह रास्तबाज़ था। उस ज़माने के लोगों में सिर्फ़ वही बेक़ुसूर था। वह अल्लाह के साथ साथ चलता था।
Gene UrduGeoD 6:10  नूह के तीन बेटे थे, सिम, हाम और याफ़त।
Gene UrduGeoD 6:11  लेकिन दुनिया अल्लाह की नज़र में बिगड़ी हुई और ज़ुल्मो-तशद्दुद से भरी हुई थी।
Gene UrduGeoD 6:12  जहाँ भी अल्लाह देखता दुनिया ख़राब थी, क्योंकि तमाम जानदारों ने ज़मीन पर अपनी रविश को बिगाड़ दिया था।
Gene UrduGeoD 6:13  तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैंने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उनके सबब से पूरी दुनिया ज़ुल्मो-तशद्दुद से भर गई है। चुनाँचे मैं उनको ज़मीन समेत तबाह कर दूँगा।
Gene UrduGeoD 6:14  अब अपने लिए सरो की लकड़ी की कश्ती बना ले। उसमें कमरे हों और उसे अंदर और बाहर तारकोल लगा।
Gene UrduGeoD 6:15  उस की लंबाई 450 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट हो।
Gene UrduGeoD 6:16  कश्ती की छत को यों बनाना कि उसके नीचे 18 इंच खुला रहे। एक तरफ़ दरवाज़ा हो, और उस की तीन मनज़िलें हों।
Gene UrduGeoD 6:17  मैं पानी का इतना बड़ा सैलाब लाऊँगा कि वह ज़मीन के तमाम जानदारों को हलाक कर डालेगा। ज़मीन पर सब कुछ फ़ना हो जाएगा।
Gene UrduGeoD 6:18  लेकिन तेरे साथ मैं अहद बाँधूँगा जिसके तहत तू अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ कश्ती में जाएगा।
Gene UrduGeoD 6:19  हर क़िस्म के जानवर का एक नर और एक मादा भी अपने साथ कश्ती में ले जाना ताकि वह तेरे साथ जीते बचें।
Gene UrduGeoD 6:20  हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानवर और हर क़िस्म के ज़मीन पर फिरने या रेंगनेवाले जानवर दो दो होकर तेरे पास आएँगे ताकि जीते बच जाएँ।
Gene UrduGeoD 6:21  जो भी ख़ुराक दरकार है उसे अपने और उनके लिए जमा करके कश्ती में महफ़ूज़ कर लेना।”
Gene UrduGeoD 6:22  नूह ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा अल्लाह ने उसे बताया।
Chapter 7
Gene UrduGeoD 7:1  फिर रब ने नूह से कहा, “अपने घराने समेत कश्ती में दाख़िल हो जा, क्योंकि इस दौर के लोगों में से मैंने सिर्फ़ तुझे रास्तबाज़ पाया है।
Gene UrduGeoD 7:2  हर क़िस्म के पाक जानवरों में से सात सात नरो-मादा के जोड़े जबकि नापाक जानवरों में से नरो-मादा का सिर्फ़ एक एक जोड़ा साथ ले जाना।
Gene UrduGeoD 7:3  इसी तरह हर क़िस्म के पर रखनेवालों में से सात सात नरो-मादा के जोड़े भी साथ ले जाना ताकि उनकी नसलें बची रहें।
Gene UrduGeoD 7:4  एक हफ़ते के बाद मैं चालीस दिन और चालीस रात मुतवातिर बारिश बरसाऊँगा। इससे मैं तमाम जानदारों को रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा, अगरचे मैं ही ने उन्हें बनाया है।”
Gene UrduGeoD 7:5  नूह ने वैसा ही किया जैसा रब ने हुक्म दिया था।
Gene UrduGeoD 7:6  वह 600 साल का था जब यह तूफ़ानी सैलाब ज़मीन पर आया।
Gene UrduGeoD 7:7  तूफ़ानी सैलाब से बचने के लिए नूह अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ कश्ती में सवार हुआ।
Gene UrduGeoD 7:8  ज़मीन पर फिरनेवाले पाक और नापाक जानवर, पर रखनेवाले और तमाम रेंगनेवाले जानवर भी आए।
Gene UrduGeoD 7:9  नरो-मादा की सूरत में दो दो होकर वह नूह के पास आकर कश्ती में सवार हुए। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा अल्लाह ने नूह को हुक्म दिया था।
Gene UrduGeoD 7:10  एक हफ़ते के बाद तूफ़ानी सैलाब ज़मीन पर आ गया।
Gene UrduGeoD 7:11  यह सब कुछ उस वक़्त हुआ जब नूह 600 साल का था। दूसरे महीने के 17वें दिन ज़मीन की गहराइयों में से तमाम चश्मे फूट निकले और आसमान पर पानी के दरीचे खुल गए।
Gene UrduGeoD 7:12  चालीस दिन और चालीस रात तक मूसलाधार बारिश होती रही।
Gene UrduGeoD 7:13  जब बारिश शुरू हुई तो नूह, उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त, उस की बीवी और बहुएँ कश्ती में सवार हो चुके थे।
Gene UrduGeoD 7:14  उनके साथ हर क़िस्म के जंगली जानवर, मवेशी, रेंगने और पर रखनेवाले जानवर थे।
Gene UrduGeoD 7:15  हर क़िस्म के जानदार दो दो होकर नूह के पास आकर कश्ती में सवार हो चुके थे।
Gene UrduGeoD 7:16  नरो-मादा आए थे। सब कुछ वैसा ही हुआ था जैसा अल्लाह ने नूह को हुक्म दिया था। फिर रब ने दरवाज़े को बंद कर दिया।
Gene UrduGeoD 7:17  चालीस दिन तक तूफ़ानी सैलाब जारी रहा। पानी चढ़ा तो उसने कश्ती को ज़मीन पर से उठा लिया।
Gene UrduGeoD 7:18  पानी ज़ोर पकड़कर बहुत बढ़ गया, और कश्ती उस पर तैरने लगी।
Gene UrduGeoD 7:19  आख़िरकार पानी इतना ज़्यादा हो गया कि तमाम ऊँचे पहाड़ भी उसमें छुप गए,
Gene UrduGeoD 7:20  बल्कि सबसे ऊँची चोटी पर पानी की गहराई 20 फ़ुट थी।
Gene UrduGeoD 7:21  ज़मीन पर रहनेवाली हर मख़लूक़ हलाक हुई। परिंदे, मवेशी, जंगली जानवर, तमाम जानदार जिनसे ज़मीन भरी हुई थी और इनसान, सब कुछ मर गया।
Gene UrduGeoD 7:22  ज़मीन पर हर जानदार मख़लूक़ हलाक हुई।
Gene UrduGeoD 7:23  यों हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया गया। इनसान, ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर और परिंदे, सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। सिर्फ़ नूह और कश्ती में सवार उसके साथी बच गए।
Gene UrduGeoD 7:24  सैलाब डेढ़ सौ दिन तक ज़मीन पर ग़ालिब रहा।
Chapter 8
Gene UrduGeoD 8:1  लेकिन अल्लाह को नूह और तमाम जानवर याद रहे जो कश्ती में थे। उसने हवा चला दी जिससे पानी कम होने लगा।
Gene UrduGeoD 8:2  ज़मीन के चश्मे और आसमान पर के पानी के दरीचे बंद हो गए, और बारिश रुक गई।
Gene UrduGeoD 8:3  पानी घटता गया। 150 दिन के बाद वह काफ़ी कम हो गया था।
Gene UrduGeoD 8:4  सातवें महीने के 17वें दिन कश्ती अरारात के एक पहाड़ पर टिक गई।
Gene UrduGeoD 8:5  दसवें महीने के पहले दिन पानी इतना कम हो गया था कि पहाड़ों की चोटियाँ नज़र आने लगी थीं।
Gene UrduGeoD 8:6  चालीस दिन के बाद नूह ने कश्ती की खिड़की खोलकर एक कौवा छोड़ दिया, और वह उड़कर चला गया। लेकिन जब तक ज़मीन पर पानी था वह आता जाता रहा।
Gene UrduGeoD 8:7  चालीस दिन के बाद नूह ने कश्ती की खिड़की खोलकर एक कौवा छोड़ दिया, और वह उड़कर चला गया। लेकिन जब तक ज़मीन पर पानी था वह आता जाता रहा।
Gene UrduGeoD 8:8  फिर नूह ने एक कबूतर छोड़ दिया ताकि पता चले कि ज़मीन पानी से निकल आई है या नहीं।
Gene UrduGeoD 8:9  लेकिन कबूतर को कहीं भी बैठने की जगह न मिली, क्योंकि अब तक पूरी ज़मीन पर पानी ही पानी था। वह कश्ती और नूह के पास वापस आ गया, और नूह ने अपना हाथ बढ़ाया और कबूतर को पकड़कर अपने पास कश्ती में रख लिया।
Gene UrduGeoD 8:10  उसने एक हफ़ता और इंतज़ार करके कबूतर को दुबारा छोड़ दिया।
Gene UrduGeoD 8:11  शाम के वक़्त वह लौट आया। इस दफ़ा उस की चोंच में ज़ैतून का ताज़ा पत्ता था। तब नूह को मालूम हुआ कि ज़मीन पानी से निकल आई है।
Gene UrduGeoD 8:12  उसने मज़ीद एक हफ़ते के बाद कबूतर को छोड़ दिया। इस दफ़ा वह वापस न आया।
Gene UrduGeoD 8:13  जब नूह 601 साल का था तो पहले महीने के पहले दिन ज़मीन की सतह पर पानी ख़त्म हो गया। तब नूह ने कश्ती की छत खोल दी और देखा कि ज़मीन की सतह पर पानी नहीं है।
Gene UrduGeoD 8:14  दूसरे महीने के 27वें दिन ज़मीन बिलकुल ख़ुश्क हो गई।
Gene UrduGeoD 8:15  फिर अल्लाह ने नूह से कहा,
Gene UrduGeoD 8:16  “अपनी बीवी, बेटों और बहुओं के साथ कश्ती से निकल आ।
Gene UrduGeoD 8:17  जितने भी जानवर साथ हैं उन्हें निकाल दे, ख़ाह परिंदे हों, ख़ाह ज़मीन पर फिरने या रेंगनेवाले जानवर। वह दुनिया में फैल जाएँ, नसल बढ़ाएँ और तादाद में बढ़ते जाएँ।”
Gene UrduGeoD 8:18  चुनाँचे नूह अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं समेत निकल आया।
Gene UrduGeoD 8:19  तमाम जानवर और परिंदे भी अपनी अपनी क़िस्म के गुरोहों में कश्ती से निकले।
Gene UrduGeoD 8:20  उस वक़्त नूह ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई। उसने तमाम फिरने और उड़नेवाले पाक जानवरों में से कुछ चुनकर उन्हें ज़बह किया और क़ुरबानगाह पर पूरी तरह जला दिया।
Gene UrduGeoD 8:21  यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिल बचपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा।
Gene UrduGeoD 8:22  दुनिया के मुक़र्ररा औक़ात जारी रहेंगे। बीज बोने और फ़सल काटने का वक़्त, ठंड और तपिश, गरमियों और सर्दियों का मौसम, दिन और रात, यह सब कुछ दुनिया के अख़ीर तक क़ायम रहेगा।”
Chapter 9
Gene UrduGeoD 9:1  फिर अल्लाह ने नूह और उसके बेटों को बरकत देकर कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए।
Gene UrduGeoD 9:2  ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर, परिंदे और मछलियाँ सब तुमसे डरेंगे। उन्हें तुम्हारे इख़्तियार में कर दिया गया है।
Gene UrduGeoD 9:3  जिस तरह मैंने तुम्हारे खाने के लिए पौदों की पैदावार मुक़र्रर की है उसी तरह अब से तुम्हें हर क़िस्म के जानवर खाने की इजाज़त भी है।
Gene UrduGeoD 9:4  लेकिन ख़बरदार! ऐसा गोश्त न खाना जिसमें ख़ून है, क्योंकि ख़ून में उस की जान है।
Gene UrduGeoD 9:5  किसी की जान लेना मना है। जो ऐसा करेगा उसे अपनी जान देनी पड़ेगी, ख़ाह वह इनसान हो या हैवान। मैं ख़ुद इसका मुतालबा करूँगा।
Gene UrduGeoD 9:6  जो भी किसी का ख़ून बहाए उसका ख़ून भी बहाया जाएगा। क्योंकि अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया है।
Gene UrduGeoD 9:7  अब फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया में फैल जाओ।”
Gene UrduGeoD 9:8  तब अल्लाह ने नूह और उसके बेटों से कहा,
Gene UrduGeoD 9:9  “अब मैं तुम्हारे और तुम्हारी औलाद के साथ अहद क़ायम करता हूँ।
Gene UrduGeoD 9:10  यह अहद उन तमाम जानवरों के साथ भी होगा जो कश्ती में से निकले हैं यानी परिंदों, मवेशियों और ज़मीन पर के तमाम जानवरों के साथ।
Gene UrduGeoD 9:11  मैं तुम्हारे साथ अहद बाँधकर वादा करता हूँ कि अब से ऐसा कभी नहीं होगा कि ज़मीन की तमाम ज़िंदगी सैलाब से ख़त्म कर दी जाएगी। अब से ऐसा सैलाब कभी नहीं आएगा जो पूरी ज़मीन को तबाह कर दे।
Gene UrduGeoD 9:12  इस अबदी अहद का निशान जो मैं तुम्हारे और तमाम जानदारों के साथ क़ायम कर रहा हूँ यह है कि
Gene UrduGeoD 9:13  मैं अपनी कमान बादलों में रखता हूँ। वह मेरे दुनिया के साथ अहद का निशान होगा।
Gene UrduGeoD 9:14  जब कभी मेरे कहने पर आसमान पर बादल छा जाएंगे और क़ौसे-क़ुज़ह उनमें से नज़र आएगी
Gene UrduGeoD 9:15  तो मैं यह अहद याद करूँगा जो तुम्हारे और तमाम जानदारों के साथ किया गया है। अब कभी भी ऐसा सैलाब नहीं आएगा जो तमाम ज़िंदगी को हलाक कर दे।
Gene UrduGeoD 9:16  क़ौसे-क़ुज़ह नज़र आएगी तो मैं उसे देखकर उस दायमी अहद को याद करूँगा जो मेरे और दुनिया की तमाम जानदार मख़लूक़ात के दरमियान है।
Gene UrduGeoD 9:17  यह उस अहद का निशान है जो मैंने दुनिया के तमाम जानदारों के साथ किया है।”
Gene UrduGeoD 9:18  नूह के जो बेटे उसके साथ कश्ती से निकले सिम, हाम और याफ़त थे। हाम कनान का बाप था।
Gene UrduGeoD 9:19  दुनिया-भर के तमाम लोग इन तीनों की औलाद हैं।
Gene UrduGeoD 9:20  नूह किसान था। शुरू में उसने अंगूर का बाग़ लगाया।
Gene UrduGeoD 9:21  अंगूर से मै बनाकर उसने इतनी पी ली कि वह नशे में धुत अपने डेरे में नंगा पड़ा रहा।
Gene UrduGeoD 9:22  कनान के बाप हाम ने उसे यों पड़ा हुआ देखा तो बाहर जाकर अपने दोनों भाइयों को उसके बारे में बताया।
Gene UrduGeoD 9:23  यह सुनकर सिम और याफ़त ने अपने कंधों पर कपड़ा रखा। फिर वह उलटे चलते हुए डेरे में दाख़िल हुए और कपड़ा अपने बाप पर डाल दिया। उनके मुँह दूसरी तरफ़ मुड़े रहे ताकि बाप की बरहनगी नज़र न आए।
Gene UrduGeoD 9:24  जब नूह होश में आया तो उसको पता चला कि सबसे छोटे बेटे ने क्या किया है।
Gene UrduGeoD 9:25  उसने कहा, “कनान पर लानत! वह अपने भाइयों का ज़लीलतरीन ग़ुलाम होगा।
Gene UrduGeoD 9:26  मुबारक हो रब जो सिम का ख़ुदा है। कनान सिम का ग़ुलाम हो।
Gene UrduGeoD 9:27  अल्लाह करे कि याफ़त की हुदूद बढ़ जाएँ। याफ़त सिम के डेरों में रहे और कनान उसका ग़ुलाम हो।”
Gene UrduGeoD 9:28  सैलाब के बाद नूह मज़ीद 350 साल ज़िंदा रहा।
Gene UrduGeoD 9:29  वह 950 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
Chapter 10
Gene UrduGeoD 10:1  यह नूह के बेटों सिम, हाम और याफ़त का नसबनामा है। उनके बेटे सैलाब के बाद पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 10:2  याफ़त के बेटे जुमर, माजूज, मादी, यावान, तूबल, मसक और तीरास थे।
Gene UrduGeoD 10:3  जुमर के बेटे अश्कनाज़, रीफ़त और तुजरमा थे।
Gene UrduGeoD 10:4  यावान के बेटे इलीसा और तरसीस थे। कित्ती और दोदानी भी उस की औलाद हैं।
Gene UrduGeoD 10:5  वह उन क़ौमों के आबा-ओ-अजदाद हैं जो साहिली इलाक़ों और जज़ीरों में फैल गईं। यह याफ़त की औलाद हैं जो अपने अपने क़बीले और मुल्क में रहते हुए अपनी अपनी ज़बान बोलते हैं।
Gene UrduGeoD 10:6  हाम के बेटे कूश, मिसर, फ़ूत और कनान थे।
Gene UrduGeoD 10:7  कूश के बेटे सिबा, हवीला, सबता, रामा और सब्तका थे। रामा के बेटे सबा और ददान थे।
Gene UrduGeoD 10:8  कूश का एक और बेटा बनाम नमरूद था। वह दुनिया में पहला ज़बरदस्त हाकिम था।
Gene UrduGeoD 10:9  रब के नज़दीक वह ज़बरदस्त शिकारी था। इसलिए आज भी किसी अच्छे शिकारी के बारे में कहा जाता है, “वह नमरूद की मानिंद है जो रब के नज़दीक ज़बरदस्त शिकारी था।”
Gene UrduGeoD 10:10  उस की सलतनत के पहले मरकज़ मुल्के-सिनार में बाबल, अरक, अक्काद और कलना के शहर थे।
Gene UrduGeoD 10:11  उस मुल्क से निकलकर वह असूर चला गया जहाँ उसने नीनवा, रहोबोत-ईर, कलह
Gene UrduGeoD 10:12  और रसन के शहर तामीर किए। बड़ा शहर रसन नीनवा और कलह के दरमियान वाक़े है।
Gene UrduGeoD 10:13  मिसर इन क़ौमों का बाप था : लूदी, अनामी, लिहाबी, नफ़तूही,
Gene UrduGeoD 10:14  फ़तरूसी, कसलूही (जिनसे फ़िलिस्ती निकले) और कफ़तूरी।
Gene UrduGeoD 10:15  कनान का पहलौठा सैदा था। कनान ज़ैल की क़ौमों का बाप भी था : हित्ती
Gene UrduGeoD 10:16  यबूसी, अमोरी, जिरजासी,
Gene UrduGeoD 10:17  हिव्वी, अरक़ी, सीनी,
Gene UrduGeoD 10:18  अरवादी, समारी और हमाती। बाद में कनानी क़बीले इतने फैल गए
Gene UrduGeoD 10:19  कि उनकी हुदूद शिमाल में सैदा से जुनूब की तरफ़ जिरार से होकर ग़ज़्ज़ा तक और वहाँ से मशरिक़ की तरफ़ सदूम, अमूरा, अदमा और ज़बोईम से होकर लसा तक थीं।
Gene UrduGeoD 10:20  यह सब हाम की औलाद हैं, जो उनके अपने अपने क़बीले, अपनी अपनी ज़बान, अपने अपने मुल्क और अपनी अपनी क़ौम के मुताबिक़ दर्ज हैं।
Gene UrduGeoD 10:21  सिम याफ़त का बड़ा भाई था। उसके भी बेटे पैदा हुए। सिम तमाम बनी इबर का बाप है।
Gene UrduGeoD 10:22  सिम के बेटे ऐलाम, असूर, अरफ़क्सद, लूद और अराम थे।
Gene UrduGeoD 10:23  अराम के बेटे ऊज़, हूल, जतर और मस थे।
Gene UrduGeoD 10:24  अरफ़क्सद का बेटा सिलह और सिलह का बेटा इबर था।
Gene UrduGeoD 10:25  इबर के हाँ दो बेटे पैदा हुए। एक का नाम फ़लज यानी तक़सीम था, क्योंकि उन ऐयाम में दुनिया तक़सीम हुई। फ़लज के भाई का नाम युक़तान था।
Gene UrduGeoD 10:26  युक़तान के बेटे अलमूदाद, सलफ़, हसरमावत, इराख़,
Gene UrduGeoD 10:27  हदूराम, ऊज़ाल, दिक़ला,
Gene UrduGeoD 10:29  ओफ़ीर, हवीला और यूबाब थे। यह सब युक़तान के बेटे थे।
Gene UrduGeoD 10:30  वह मेसा से लेकर सफ़ार और मशरिक़ी पहाड़ी इलाक़े तक आबाद थे।
Gene UrduGeoD 10:31  यह सब सिम की औलाद हैं, जो अपने अपने क़बीले, अपनी अपनी ज़बान, अपने अपने मुल्क और अपनी अपनी क़ौम के मुताबिक़ दर्ज हैं।
Gene UrduGeoD 10:32  यह सब नूह के बेटों के क़बीले हैं, जो अपनी नसलों और क़ौमों के मुताबिक़ दर्ज किए गए हैं। सैलाब के बाद तमाम क़ौमें इन्हीं से निकलकर रूए-ज़मीन पर फैल गईं।
Chapter 11
Gene UrduGeoD 11:1  उस वक़्त तक पूरी दुनिया के लोग एक ही ज़बान बोलते थे।
Gene UrduGeoD 11:2  मशरिक़ की तरफ़ बढ़ते बढ़ते वह सिनार के एक मैदान में पहुँचकर वहाँ आबाद हुए।
Gene UrduGeoD 11:3  तब वह एक दूसरे से कहने लगे, “आओ, हम मिट्टी से ईंटें बनाकर उन्हें आग में ख़ूब पकाएँ।” उन्होंने तामीरी काम के लिए पत्थर की जगह ईंटें और मसाले की जगह तारकोल इस्तेमाल किया।
Gene UrduGeoD 11:4  फिर वह कहने लगे, “आओ, हम अपने लिए शहर बना लें जिसमें ऐसा बुर्ज हो जो आसमान तक पहुँच जाए फिर हमारा नाम क़ायम रहेगा और हम रूए-ज़मीन पर बिखर जाने से बच जाएंगे।”
Gene UrduGeoD 11:5  लेकिन रब उस शहर और बुर्ज को देखने के लिए उतर आया जिसे लोग बना रहे थे।
Gene UrduGeoD 11:6  रब ने कहा, “यह लोग एक ही क़ौम हैं और एक ही ज़बान बोलते हैं। और यह सिर्फ़ उसका आग़ाज़ है जो वह करना चाहते हैं। अब से जो भी वह मिलकर करना चाहेंगे उससे उन्हें रोका नहीं जा सकेगा।
Gene UrduGeoD 11:7  इसलिए आओ, हम दुनिया में उतरकर उनकी ज़बान को दरहम-बरहम कर दें ताकि वह एक दूसरे की बात समझ न पाएँ।”
Gene UrduGeoD 11:8  इस तरीक़े से रब ने उन्हें तमाम रूए-ज़मीन पर मुंतशिर कर दिया, और शहर की तामीर रुक गई।
Gene UrduGeoD 11:9  इसलिए शहर का नाम बाबल यानी अबतरी ठहरा, क्योंकि रब ने वहाँ तमाम लोगों की ज़बान को दरहम-बरहम करके उन्हें तमाम रूए-ज़मीन पर मुंतशिर कर दिया।
Gene UrduGeoD 11:10  यह सिम का नसबनामा है : सिम 100 साल का था जब उसका बेटा अरफ़क्सद पैदा हुआ। यह सैलाब के दो साल बाद हुआ।
Gene UrduGeoD 11:11  इसके बाद वह मज़ीद 500 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:12  अरफ़क्सद 35 साल का था जब सिलह पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:13  इसके बाद वह मज़ीद 403 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:14  सिलह 30 साल का था जब इबर पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:15  इसके बाद वह मज़ीद 403 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:16  इबर 34 साल का था जब फ़लज पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:17  इसके बाद वह मज़ीद 430 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:18  फ़लज 30 साल का था जब रऊ पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:19  इसके बाद वह मज़ीद 209 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:20  रऊ 32 साल का था जब सरूज पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:21  इसके बाद वह मज़ीद 207 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:22  सरूज 30 साल का था जब नहूर पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:23  इसके बाद वह मज़ीद 200 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:24  नहूर 29 साल का था जब तारह पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 11:25  इसके बाद वह मज़ीद 119 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:26  तारह 70 साल का था जब उसके बेटे अब्राम, नहूर और हारान पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 11:27  यह तारह का नसबनामा है : अब्राम, नहूर और हारान तारह के बेटे थे। लूत हारान का बेटा था।
Gene UrduGeoD 11:28  अपने बाप तारह की ज़िंदगी में ही हारान कसदियों के ऊर में इंतक़ाल कर गया जहाँ वह पैदा भी हुआ था।
Gene UrduGeoD 11:29  बाक़ी दोनों बेटों की शादी हुई। अब्राम की बीवी का नाम सारय था और नहूर की बीवी का नाम मिलकाह। मिलकाह हारान की बेटी थी, और उस की एक बहन बनाम इस्का थी।
Gene UrduGeoD 11:30  सारय बाँझ थी, इसलिए उसके बच्चे नहीं थे।
Gene UrduGeoD 11:31  तारह कसदियों के ऊर से रवाना होकर मुल्के-कनान की तरफ़ सफ़र करने लगा। उसके साथ उसका बेटा अब्राम, उसका पोता लूत यानी हारान का बेटा और उस की बहू सारय थे। जब वह हारान पहुँचे तो वहाँ आबाद हो गए।
Gene UrduGeoD 11:32  तारह 205 साल का था जब उसने हारान में वफ़ात पाई।
Chapter 12
Gene UrduGeoD 12:1  रब ने अब्राम से कहा, “अपने वतन, अपने रिश्तेदारों और अपने बाप के घर को छोड़कर उस मुल्क में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा।
Gene UrduGeoD 12:2  मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा, तुझे बरकत दूँगा और तेरे नाम को बहुत बढ़ाऊँगा। तू दूसरों के लिए बरकत का बाइस होगा।
Gene UrduGeoD 12:3  जो तुझे बरकत देंगे उन्हें मैं भी बरकत दूँगा। जो तुझ पर लानत करेगा उस पर मैं भी लानत करूँगा। दुनिया की तमाम क़ौमें तुझसे बरकत पाएँगी।”
Gene UrduGeoD 12:4  अब्राम ने रब की सुनी और हारान से रवाना हुआ। लूत उसके साथ था। उस वक़्त अब्राम 75 साल का था।
Gene UrduGeoD 12:5  उसके साथ उस की बीवी सारय और उसका भतीजा लूत थे। वह अपने नौकर-चाकरों समेत अपनी पूरी मिलकियत भी साथ ले गया जो उसने हारान में हासिल की थी। चलते चलते वह कनान पहुँचे।
Gene UrduGeoD 12:6  अब्राम उस मुल्क में से गुज़रकर सिकम के मक़ाम पर ठहर गया जहाँ मोरिह के बलूत का दरख़्त था। उस ज़माने में मुल्क में कनानी क़ौमें आबाद थीं।
Gene UrduGeoD 12:7  वहाँ रब अब्राम पर ज़ाहिर हुआ और उससे कहा, “मैं तेरी औलाद को यह मुल्क दूँगा।” इसलिए उसने वहाँ रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई जहाँ वह उस पर ज़ाहिर हुआ था।
Gene UrduGeoD 12:8  वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की।
Gene UrduGeoD 12:9  फिर अब्राम दुबारा रवाना होकर जुनूब के दश्ते-नजब की तरफ़ चल पड़ा।
Gene UrduGeoD 12:10  उन दिनों में मुल्के-कनान में काल पड़ा। काल इतना सख़्त था कि अब्राम उससे बचने की ख़ातिर कुछ देर के लिए मिसर में जा बसा, लेकिन परदेसी की हैसियत से।
Gene UrduGeoD 12:11  जब वह मिसर की सरहद के क़रीब आए तो उसने अपनी बीवी सारय से कहा, “मैं जानता हूँ कि तू कितनी ख़ूबसूरत है।
Gene UrduGeoD 12:12  मिसरी तुझे देखेंगे, फिर कहेंगे, ‘यह इसका शौहर है।’ नतीजे में वह मुझे मार डालेंगे और तुझे ज़िंदा छोड़ेंगे।
Gene UrduGeoD 12:13  इसलिए लोगों से यह कहते रहना कि मैं अब्राम की बहन हूँ। फिर मेरे साथ अच्छा सुलूक किया जाएगा और मेरी जान तेरे सबब से बच जाएगी।”
Gene UrduGeoD 12:14  जब अब्राम मिसर पहुँचा तो वाक़ई मिसरियों ने देखा कि सारय निहायत ही ख़ूबसूरत है।
Gene UrduGeoD 12:15  और जब फ़िरौन के अफ़सरान ने उसे देखा तो उन्होंने फ़िरौन के सामने सारय की तारीफ़ की। आख़िरकार उसे महल में पहुँचाया गया।
Gene UrduGeoD 12:16  फ़िरौन ने सारय की ख़ातिर अब्राम पर एहसान करके उसे भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, गधे-गधियाँ, नौकर-चाकर और ऊँट दिए।
Gene UrduGeoD 12:17  लेकिन रब ने सारय के सबब से फ़िरौन और उसके घराने में सख़्त क़िस्म के अमराज़ फैलाए।
Gene UrduGeoD 12:18  आख़िरकार फ़िरौन ने अब्राम को बुलाकर कहा, “तूने मेरे साथ क्या किया? तूने मुझे क्यों नहीं बताया कि सारय तेरी बीवी है?
Gene UrduGeoD 12:19  तूने क्यों कहा कि वह मेरी बहन है? इस धोके की बिना पर मैंने उसे घर में रख लिया ताकि उससे शादी करूँ। देख, तेरी बीवी हाज़िर है। इसे लेकर यहाँ से निकल जा!”
Gene UrduGeoD 12:20  फिर फ़िरौन ने अपने सिपाहियों को हुक्म दिया, और उन्होंने अब्राम, उस की बीवी और पूरी मिलकियत को रुख़सत करके मुल्क से रवाना कर दिया।
Chapter 13
Gene UrduGeoD 13:1  अब्राम अपनी बीवी, लूत और तमाम जायदाद को साथ लेकर मिसर से निकला और कनान के जुनूबी इलाक़े दश्ते-नजब में वापस आया।
Gene UrduGeoD 13:2  अब्राम निहायत दौलतमंद हो गया था। उसके पास बहुत-से मवेशी और सोना-चाँदी थी।
Gene UrduGeoD 13:3  वहाँ से जगह बजगह चलते हुए वह आख़िरकार बैतेल से होकर उस मक़ाम तक पहुँच गया जहाँ उसने शुरू में अपना डेरा लगाया था और जो बैतेल और अई के दरमियान था।
Gene UrduGeoD 13:4  वहाँ जहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई थी उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की।
Gene UrduGeoD 13:5  लूत के पास भी बहुत-सी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और ख़ैमे थे।
Gene UrduGeoD 13:6  नतीजा यह निकला कि आख़िरकार वह मिलकर न रह सके, क्योंकि इतनी जगह नहीं थी कि दोनों के रेवड़ एक ही जगह पर चर सकें।
Gene UrduGeoD 13:7  अब्राम और लूत के चरवाहे आपस में झगड़ने लगे। (उस ज़माने में कनानी और फ़रिज़्ज़ी भी मुल्क में आबाद थे।)
Gene UrduGeoD 13:8  तब अब्राम ने लूत से बात की, “ऐसा नहीं होना चाहिए कि तेरे और मेरे दरमियान झगड़ा हो या तेरे चरवाहों और मेरे चरवाहों के दरमियान। हम तो भाई हैं।
Gene UrduGeoD 13:9  क्या ज़रूरत है कि हम मिलकर रहें जबकि तू आसानी से इस मुल्क की किसी और जगह रह सकता है। बेहतर है कि तू मुझसे अलग होकर कहीं और रहे। अगर तू बाएँ हाथ जाए तो मैं दाएँ हाथ जाऊँगा, और अगर तू दाएँ हाथ जाए तो मैं बाएँ हाथ जाऊँगा।”
Gene UrduGeoD 13:10  लूत ने अपनी नज़र उठाकर देखा कि दरियाए-यरदन के पूरे इलाक़े में ज़ुग़र तक पानी की कसरत है। वह रब के बाग़ या मुल्के-मिसर की मानिंद था, क्योंकि उस वक़्त रब ने सदूम और अमूरा को तबाह नहीं किया था।
Gene UrduGeoD 13:11  चुनाँचे लूत ने दरियाए-यरदन के पूरे इलाक़े को चुन लिया और मशरिक़ की तरफ़ जा बसा। यों दोनों रिश्तेदार एक दूसरे से जुदा हो गए।
Gene UrduGeoD 13:12  अब्राम मुल्के-कनान में रहा जबकि लूत यरदन के इलाक़े के शहरों के दरमियान आबाद हो गया। वहाँ उसने अपने ख़ैमे सदूम के क़रीब लगा दिए।
Gene UrduGeoD 13:13  लेकिन सदूम के बाशिंदे निहायत शरीर थे, और उनके रब के ख़िलाफ़ गुनाह निहायत मकरूह थे।
Gene UrduGeoD 13:14  लूत अब्राम से जुदा हुआ तो रब ने अब्राम से कहा, “अपनी नज़र उठाकर चारों तरफ़ यानी शिमाल, जुनूब, मशरिक़ और मग़रिब की तरफ़ देख।
Gene UrduGeoD 13:15  जो भी ज़मीन तुझे नज़र आए उसे मैं तुझे और तेरी औलाद को हमेशा के लिए देता हूँ।
Gene UrduGeoD 13:16  मैं तेरी औलाद को ख़ाक की तरह बेशुमार होने दूँगा। जिस तरह ख़ाक के ज़र्रे गिने नहीं जा सकते उसी तरह तेरी औलाद भी गिनी नहीं जा सकेगी।
Gene UrduGeoD 13:17  चुनाँचे उठकर इस मुल्क की हर जगह चल-फिर, क्योंकि मैं इसे तुझे देता हूँ।”
Gene UrduGeoD 13:18  अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने अपने डेरे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्तों के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।
Chapter 14
Gene UrduGeoD 14:1  कनान में जंग हुई। बैरूने-मुल्क के चार बादशाहों ने कनान के पाँच बादशाहों से जंग की। बैरूने-मुल्क के बादशाह यह थे : सिनार से अमराफ़िल, इल्लासर से अरयूक, ऐलाम से किदरलाउमर और जोयम से तिदाल।
Gene UrduGeoD 14:2  कनान के बादशाह यह थे : सदूम से बिरा, अमूरा से बिरशा, अदमा से सिनियाब, ज़बोईम से शिमेबर और बाला यानी ज़ुग़र का बादशाह।
Gene UrduGeoD 14:3  कनान के इन पाँच बादशाहों का इत्तहाद हुआ था और वह वादीए-सिद्दीम में जमा हुए थे। (अब सिद्दीम नहीं है, क्योंकि उस की जगह बहीराए-मुरदार आ गया है)।
Gene UrduGeoD 14:4  किदरलाउमर ने बारह साल तक उन पर हुकूमत की थी, लेकिन तेरहवें साल वह बाग़ी हो गए थे।
Gene UrduGeoD 14:5  अब एक साल के बाद किदरलाउमर और उसके इत्तहादी अपनी फ़ौजों के साथ आए। पहले उन्होंने अस्तारात-क़रनैम में रफ़ाइयों को, हाम में ज़ूज़ियों को, सवी-क़िरियतायम में ऐमियों को
Gene UrduGeoD 14:6  और होरियों को उनके पहाड़ी इलाक़े सईर में शिकस्त दी। यों वह एल-फ़ारान तक पहुँच गए जो रेगिस्तान के किनारे पर है।
Gene UrduGeoD 14:7  फिर वह वापस आए और ऐन-मिसफ़ात यानी क़ादिस पहुँचे। उन्होंने अमालीक़ियों के पूरे इलाक़े को तबाह कर दिया और हससून-तमर में आबाद अमोरियों को भी शिकस्त दी।
Gene UrduGeoD 14:8  उस वक़्त सदूम, अमूरा, अदमा, ज़बोईम और बाला यानी ज़ुग़र के बादशाह उनसे लड़ने के लिए सिद्दीम की वादी में जमा हुए।
Gene UrduGeoD 14:9  इन पाँच बादशाहों ने ऐलाम के बादशाह किदरलाउमर, जोयम के बादशाह तिदाल, सिनार के बादशाह अमराफ़िल और इल्लासर के बादशाह अरयूक का मुक़ाबला किया।
Gene UrduGeoD 14:10  इस वादी में तारकोल के मुतअद्दिद गढ़े थे। जब बाग़ी बादशाह शिकस्त खाकर भागने लगे तो सदूम और अमूरा के बादशाह इन गढ़ों में गिर गए जबकि बाक़ी तीन बादशाह बचकर पहाड़ी इलाक़े में फ़रार हुए।
Gene UrduGeoD 14:11  फ़तहमंद बादशाह सदूम और अमूरा का तमाम माल तमाम खानेवाली चीज़ों समेत लूटकर वापस चल दिए।
Gene UrduGeoD 14:12  अब्राम का भतीजा लूत सदूम में रहता था, इसलिए वह उसे भी उस की मिलकियत समेत छीनकर साथ ले गए।
Gene UrduGeoD 14:13  लेकिन एक आदमी ने जो बच निकला था इबरानी मर्द अब्राम के पास आकर उसे सब कुछ बता दिया। उस वक़्त वह ममरे के दरख़्तों के पास आबाद था। ममरे अमोरी था। वह और उसके भाई इसकाल और आनेर अब्राम के इत्तहादी थे।
Gene UrduGeoD 14:14  जब अब्राम को पता चला कि भतीजे को गिरिफ़्तार कर लिया गया है तो उसने अपने घर में पैदा हुए तमाम जंगआज़मूदा ग़ुलामों को जमा करके दान तक दुश्मन का ताक़्क़ुब किया। उसके साथ 318 अफ़राद थे।
Gene UrduGeoD 14:15  वहाँ उसने अपने बंदों को गुरोहों में तक़सीम करके रात के वक़्त दुश्मन पर हमला किया। दुश्मन शिकस्त खाकर भाग गया और अब्राम ने दमिश्क़ के शिमाल में वाक़े ख़ूबा तक उसका ताक़्क़ुब किया।
Gene UrduGeoD 14:16  वह उनसे लूटा हुआ तमाम माल वापस ले आया। लूत, उस की जायदाद, औरतें और बाक़ी क़ैदी भी दुश्मन के क़ब्ज़े से बच निकले।
Gene UrduGeoD 14:17  जब अब्राम किदरलाउमर और उसके इत्तहादियों पर फ़तह पाने के बाद वापस पहुँचा तो सदूम का बादशाह उससे मिलने के लिए वादीए-सवी में आया। (इसे आजकल बादशाह की वादी कहा जाता है।)
Gene UrduGeoD 14:18  सालिम का बादशाह मलिके-सिद्क़ भी वहाँ पहुँचा। वह अपने साथ रोटी और मै ले आया। मलिके-सिद्क़ अल्लाह तआला का इमाम था।
Gene UrduGeoD 14:19  उसने अब्राम को बरकत देकर कहा, “अब्राम पर अल्लाह तआला की बरकत हो, जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है।
Gene UrduGeoD 14:20  अल्लाह तआला मुबारक हो जिसने तेरे दुश्मनों को तेरे हाथ में कर दिया है।” अब्राम ने उसे तमाम माल का दसवाँ हिस्सा दिया।
Gene UrduGeoD 14:21  सदूम के बादशाह ने अब्राम से कहा, “मुझे मेरे लोग वापस कर दें और बाक़ी चीज़ें अपने पास रख लें।”
Gene UrduGeoD 14:22  लेकिन अब्राम ने उससे कहा, “मैंने रब से क़सम खाई है, अल्लाह तआला से जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है
Gene UrduGeoD 14:23  कि मैं उसमें से कुछ नहीं लूँगा जो आपका है, चाहे वह धागा या जूती का तसमा ही क्यों न हो। ऐसा न हो कि आप कहें, ‘मैंने अब्राम को दौलतमंद बना दिया है।’
Gene UrduGeoD 14:24  सिवाए उस खाने के जो मेरे आदमियों ने रास्ते में खाया है मैं कुछ क़बूल नहीं करूँगा। लेकिन मेरे इत्तहादी आनेर, इसकाल और ममरे ज़रूर अपना अपना हिस्सा लें।”
Chapter 15
Gene UrduGeoD 15:1  इसके बाद रब रोया में अब्राम से हमकलाम हुआ, “अब्राम, मत डर। मैं ही तेरी सिपर हूँ, मैं ही तेरा बहुत बड़ा अज्र हूँ।”
Gene UrduGeoD 15:2  लेकिन अब्राम ने एतराज़ किया, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तू मुझे क्या देगा जबकि अभी तक मेरे हाँ कोई बच्चा नहीं है और इलियज़र दमिश्क़ी मेरी मीरास पाएगा।
Gene UrduGeoD 15:3  तूने मुझे औलाद नहीं बख़्शी, इसलिए मेरे घराने का नौकर मेरा वारिस होगा।”
Gene UrduGeoD 15:4  तब अब्राम को अल्लाह से एक और कलाम मिला। “यह आदमी इलियज़र तेरा वारिस नहीं होगा बल्कि तेरा अपना ही बेटा तेरा वारिस होगा।”
Gene UrduGeoD 15:5  रब ने उसे बाहर ले जाकर कहा, “आसमान की तरफ़ देख और सितारों को गिनने की कोशिश कर। तेरी औलाद इतनी ही बेशुमार होगी।”
Gene UrduGeoD 15:6  अब्राम ने रब पर भरोसा रखा। इस बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया।
Gene UrduGeoD 15:7  फिर रब ने उससे कहा, “मैं रब हूँ जो तुझे कसदियों के ऊर से यहाँ ले आया ताकि तुझे यह मुल्क मीरास में दे दूँ।”
Gene UrduGeoD 15:8  अब्राम ने पूछा, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, मैं किस तरह जानूँ कि इस मुल्क पर क़ब्ज़ा करूँगा?”
Gene UrduGeoD 15:9  जवाब में रब ने कहा, “मेरे हुज़ूर एक तीन-साला गाय, एक तीन-साला बकरी और एक तीन-साला मेंढा ले आ। एक क़ुम्री और एक कबूतर का बच्चा भी ले आना।”
Gene UrduGeoD 15:10  अब्राम ने ऐसा ही किया और फिर हर एक जानवर को दो हिस्सों में काटकर उनको एक दूसरे के आमने-सामने रख दिया। लेकिन परिंदों को उसने सालिम रहने दिया।
Gene UrduGeoD 15:11  शिकारी परिंदे उन पर उतरने लगे, लेकिन अब्राम उन्हें भगाता रहा।
Gene UrduGeoD 15:12  जब सूरज डूबने लगा तो अब्राम पर गहरी नींद तारी हुई। उस पर दहशत और अंधेरा ही अंधेरा छा गया।
Gene UrduGeoD 15:13  फिर रब ने उससे कहा, “जान ले कि तेरी औलाद ऐसे मुल्क में रहेगी जो उसका नहीं होगा। वहाँ वह अजनबी और ग़ुलाम होगी, और उस पर 400 साल तक बहुत ज़ुल्म किया जाएगा।
Gene UrduGeoD 15:14  लेकिन मैं उस क़ौम की अदालत करूँगा जिसने उसे ग़ुलाम बनाया होगा। इसके बाद वह बड़ी दौलत पाकर उस मुल्क से निकलेंगे।
Gene UrduGeoD 15:15  तू ख़ुद उम्ररसीदा होकर सलामती के साथ इंतक़ाल करके अपने बापदादा से जा मिलेगा और दफ़नाया जाएगा।
Gene UrduGeoD 15:16  तेरी औलाद की चौथी पुश्त ग़ैरवतन से वापस आएगी, क्योंकि उस वक़्त तक मैं अमोरियों को बरदाश्त करूँगा। लेकिन आख़िरकार उनके गुनाह इतने संगीन हो जाएंगे कि मैं उन्हें मुल्के-कनान से निकाल दूँगा।”
Gene UrduGeoD 15:17  सूरज ग़ुरूब हुआ। अंधेरा छा गया। अचानक एक धुआँदार तनूर और एक भड़कती हुई मशाल नज़र आई और जानवरों के दो दो टुकड़ों के बीच में से गुज़रे।
Gene UrduGeoD 15:18  उस वक़्त रब ने अब्राम के साथ अहद किया। उसने कहा, “मैं यह मुल्क मिसर की सरहद से फ़ुरात तक तेरी औलाद को दूँगा,
Gene UrduGeoD 15:19  अगरचे अभी तक इसमें क़ीनी, क़निज़्ज़ी, कदमूनी,
Gene UrduGeoD 15:20  हित्ती, फ़रिज़्ज़ी, रफ़ाई,
Gene UrduGeoD 15:21  अमोरी, कनानी, जिरजासी और यबूसी आबाद हैं।”
Chapter 16
Gene UrduGeoD 16:1  अब तक अब्राम की बीवी सारय के कोई बच्चा नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने एक मिसरी लौंडी रखी थी जिसका नाम हाजिरा था,
Gene UrduGeoD 16:2  और एक दिन सारय ने अब्राम से कहा, “रब ने मुझे बच्चे पैदा करने से महरूम रखा है, इसलिए मेरी लौंडी के साथ हमबिसतर हों। शायद मुझे उस की मारिफ़त बच्चा मिल जाए।” अब्राम ने सारय की बात मान ली।
Gene UrduGeoD 16:3  चुनाँचे सारय ने अपनी मिसरी लौंडी हाजिरा को अपने शौहर अब्राम को दे दिया ताकि वह उस की बीवी बन जाए उस वक़्त अब्राम को कनान में बसते हुए दस साल हो गए थे।
Gene UrduGeoD 16:4  अब्राम हाजिरा से हमबिसतर हुआ तो वह उम्मीद से हो गई। जब हाजिरा को यह मालूम हुआ तो वह अपनी मालिकन को हक़ीर जानने लगी।
Gene UrduGeoD 16:5  तब सारय ने अब्राम से कहा, “जो ज़ुल्म मुझ पर किया जा रहा है वह आप ही पर आए। मैंने ख़ुद इसे आपके बाज़ुओं में दे दिया था। अब जब इसे मालूम हुआ है कि उम्मीद से है तो मुझे हक़ीर जानने लगी है। रब मेरे और आपके दरमियान फ़ैसला करे।”
Gene UrduGeoD 16:6  अब्राम ने जवाब दिया, “देखो, यह तुम्हारी लौंडी है और तुम्हारे इख़्तियार में है। जो तुम्हारा जी चाहे उसके साथ करो।” इस पर सारय उससे इतना बुरा सुलूक करने लगी कि हाजिरा फ़रार हो गई।
Gene UrduGeoD 16:7  रब के फ़रिश्ते को हाजिरा रेगिस्तान के उस चश्मे के क़रीब मिली जो शूर के रास्ते पर है।
Gene UrduGeoD 16:8  उसने कहा, “सारय की लौंडी हाजिरा, तू कहाँ से आ रही है और कहाँ जा रही है?” हाजिरा ने जवाब दिया, “मैं अपनी मालिकन सारय से फ़रार हो रही हूँ।”
Gene UrduGeoD 16:9  रब के फ़रिश्ते ने उससे कहा, “अपनी मालिकन के पास वापस चली जा और उसके ताबे रह।
Gene UrduGeoD 16:10  मैं तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि उसे गिना नहीं जा सकेगा।”
Gene UrduGeoD 16:11  रब के फ़रिश्ते ने मज़ीद कहा, “तू उम्मीद से है। एक बेटा पैदा होगा। उसका नाम इसमाईल यानी ‘अल्लाह सुनता है’ रख, क्योंकि रब ने मुसीबत में तेरी आवाज़ सुनी।
Gene UrduGeoD 16:12  वह जंगली गधे की मानिंद होगा। उसका हाथ हर एक के ख़िलाफ़ और हर एक का हाथ उसके ख़िलाफ़ होगा। तो भी वह अपने तमाम भाइयों के सामने आबाद रहेगा।”
Gene UrduGeoD 16:13  रब के उसके साथ बात करने के बाद हाजिरा ने उसका नाम अत्ताएल-रोई यानी ‘तू एक माबूद है जो मुझे देखता है’ रखा। उसने कहा, “क्या मैंने वाक़ई उसके पीछे देखा है जिसने मुझे देखा है?”
Gene UrduGeoD 16:14  इसलिए उस जगह के कुएँ का नाम ‘बैर-लही-रोई’ यानी ‘उस ज़िंदा हस्ती का कुआँ जो मुझे देखता है’ पड़ गया। वह क़ादिस और बरद के दरमियान वाक़े है।
Gene UrduGeoD 16:15  हाजिरा वापस गई, और उसके बेटा पैदा हुआ। अब्राम ने उसका नाम इसमाईल रखा।
Gene UrduGeoD 16:16  उस वक़्त अब्राम 86 साल का था।
Chapter 17
Gene UrduGeoD 17:1  जब अब्राम 99 साल का था तो रब उस पर ज़ाहिर हुआ। उसने कहा, “मैं अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ हूँ। मेरे हुज़ूर चलता रह और बेइलज़ाम हो।
Gene UrduGeoD 17:2  मैं तेरे साथ अपना अहद बाँधूँगा और तेरी औलाद को बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा।”
Gene UrduGeoD 17:3  अब्राम मुँह के बल गिर गया, और अल्लाह ने उससे कहा,
Gene UrduGeoD 17:4  “मेरा तेरे साथ अहद है कि तू बहुत क़ौमों का बाप होगा।
Gene UrduGeoD 17:5  अब से तू अब्राम यानी ‘अज़ीम बाप’ नहीं कहलाएगा बल्कि तेरा नाम इब्राहीम यानी ‘बहुत क़ौमों का बाप’ होगा। क्योंकि मैंने तुझे बहुत क़ौमों का बाप बना दिया है।
Gene UrduGeoD 17:6  मैं तुझे बहुत ही ज़्यादा औलाद बख़्श दूँगा, इतनी कि क़ौमें बनेंगी। तुझसे बादशाह भी निकलेंगे।
Gene UrduGeoD 17:7  मैं अपना अहद तेरे और तेरी औलाद के साथ नसल-दर-नसल क़ायम करूँगा, एक अबदी अहद जिसके मुताबिक़ मैं तेरा और तेरी औलाद का ख़ुदा हूँगा।
Gene UrduGeoD 17:8  तू इस वक़्त मुल्के-कनान में परदेसी है, लेकिन मैं इस पूरे मुल्क को तुझे और तेरी औलाद को देता हूँ। यह हमेशा तक उनका ही रहेगा, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।”
Gene UrduGeoD 17:9  अल्लाह ने इब्राहीम से यह भी कहा, “तुझे और तेरी औलाद को नसल-दर-नसल मेरे अहद की शरायत पूरी करनी हैं।
Gene UrduGeoD 17:10  इसकी एक शर्त यह है कि हर एक मर्द का ख़तना किया जाए।
Gene UrduGeoD 17:11  अपना ख़तना कराओ। यह हमारे आपस के अहद का ज़ाहिरी निशान होगा।
Gene UrduGeoD 17:12  लाज़िम है कि तू और तेरी औलाद नसल-दर-नसल अपने हर एक बेटे का आठवें दिन ख़तना करवाएँ। यह उसूल उस पर भी लागू है जो तेरे घर में रहता है लेकिन तुझसे रिश्ता नहीं रखता, चाहे वह घर में पैदा हुआ हो या किसी अजनबी से ख़रीदा गया हो।
Gene UrduGeoD 17:13  घर के हर एक मर्द का ख़तना करना लाज़िम है, ख़ाह वह घर में पैदा हुआ हो या किसी अजनबी से ख़रीदा गया हो। यह इस बात का निशान होगा कि मेरा तेरे साथ अहद हमेशा तक क़ायम रहेगा।
Gene UrduGeoD 17:14  जिस मर्द का ख़तना न किया गया उसे उस की क़ौम में से मिटाया जाएगा, क्योंकि उसने मेरे अहद की शरायत पूरी न कीं।”
Gene UrduGeoD 17:15  अल्लाह ने इब्राहीम से यह भी कहा, “अपनी बीवी सारय का नाम भी बदल देना। अब से उसका नाम सारय नहीं बल्कि सारा यानी शहज़ादी होगा।
Gene UrduGeoD 17:16  मैं उसे बरकत बख़्शूँगा और तुझे उस की मारिफ़त बेटा दूँगा। मैं उसे यहाँ तक बरकत दूँगा कि उससे क़ौमें बल्कि क़ौमों के बादशाह निकलेंगे।”
Gene UrduGeoD 17:17  इब्राहीम मुँह के बल गिर गया। लेकिन दिल ही दिल में वह हँस पड़ा और सोचा, “यह किस तरह हो सकता है? मैं तो 100 साल का हूँ। ऐसे आदमी के हाँ बच्चा किस तरह पैदा हो सकता है? और सारा जैसी उम्ररसीदा औरत के बच्चा किस तरह पैदा हो सकता है? उस की उम्र तो 90 साल है।”
Gene UrduGeoD 17:18  उसने अल्लाह से कहा, “हाँ, इसमाईल ही तेरे सामने जीता रहे।”
Gene UrduGeoD 17:19  अल्लाह ने कहा, “नहीं, तेरी बीवी सारा के हाँ बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखना। मैं उसके और उस की औलाद के साथ अबदी अहद बाँधूँगा।
Gene UrduGeoD 17:20  मैं इसमाईल के सिलसिले में भी तेरी दरख़ास्त पूरी करूँगा। मैं उसे भी बरकत देकर फलने फूलने दूँगा और उस की औलाद बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा। वह बारह रईसों का बाप होगा, और मैं उस की मारिफ़त एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।
Gene UrduGeoD 17:21  लेकिन मेरा अहद इसहाक़ के साथ होगा, जो ऐन एक साल के बाद सारा के हाँ पैदा होगा।”
Gene UrduGeoD 17:22  अल्लाह की इब्राहीम के साथ बात ख़त्म हुई, और वह उसके पास से आसमान पर चला गया।
Gene UrduGeoD 17:23  उसी दिन इब्राहीम ने अल्लाह का हुक्म पूरा किया। उसने घर के हर एक मर्द का ख़तना करवाया, अपने बेटे इसमाईल का भी और उनका भी जो उसके घर में रहते लेकिन उससे रिश्ता नहीं रखते थे, चाहे वह उसके घर में पैदा हुए थे या ख़रीदे गए थे।
Gene UrduGeoD 17:24  इब्राहीम 99 साल का था जब उसका ख़तना हुआ,
Gene UrduGeoD 17:25  जबकि उसका बेटा इसमाईल 13 साल का था।
Gene UrduGeoD 17:26  दोनों का ख़तना उसी दिन हुआ।
Gene UrduGeoD 17:27  साथ साथ घराने के तमाम बाक़ी मर्दों का ख़तना भी हुआ, बशमूल उनके जिनका इब्राहीम के साथ रिश्ता नहीं था, चाहे वह घर में पैदा हुए या किसी अजनबी से ख़रीदे गए थे।
Chapter 18
Gene UrduGeoD 18:1  एक दिन रब ममरे के दरख़्तों के पास इब्राहीम पर ज़ाहिर हुआ। इब्राहीम अपने ख़ैमे के दरवाज़े पर बैठा था। दिन की गरमी उरूज पर थी।
Gene UrduGeoD 18:2  अचानक उसने देखा कि तीन मर्द मेरे सामने खड़े हैं। उन्हें देखते ही वह ख़ैमे से उनसे मिलने के लिए दौड़ा और मुँह के बल गिरकर सिजदा किया।
Gene UrduGeoD 18:3  उसने कहा, “मेरे आक़ा, अगर मुझ पर आपके करम की नज़र है तो आगे न बढ़ें बल्कि कुछ देर अपने बंदे के घर ठहरें।
Gene UrduGeoD 18:4  अगर इजाज़त हो तो मैं कुछ पानी ले आऊँ ताकि आप अपने पाँव धोकर दरख़्त के साय में आराम कर सकें।
Gene UrduGeoD 18:5  साथ साथ मैं आपके लिए थोड़ा-बहुत खाना भी ले आऊँ ताकि आप तक़वियत पाकर आगे बढ़ सकें। मुझे यह करने दें, क्योंकि आप अपने ख़ादिम के घर आ गए हैं।” उन्होंने कहा, “ठीक है। जो कुछ तूने कहा है वह कर।”
Gene UrduGeoD 18:6  इब्राहीम ख़ैमे की तरफ़ दौड़कर सारा के पास आया और कहा, “जल्दी करो! 16 किलोग्राम बेहतरीन मैदा ले और उसे गूँधकर रोटियाँ बना।”
Gene UrduGeoD 18:7  फिर वह भागकर बैलों के पास पहुँचा। उनमें से उसने एक मोटा-ताज़ा बछड़ा चुन लिया जिसका गोश्त नरम था और उसे अपने नौकर को दिया जिसने जल्दी से उसे तैयार किया।
Gene UrduGeoD 18:8  जब खाना तैयार था तो इब्राहीम ने उसे लेकर लस्सी और दूध के साथ अपने मेहमानों के आगे रख दिया। वह खाने लगे और इब्राहीम उनके सामने दरख़्त के साय में खड़ा रहा।
Gene UrduGeoD 18:9  उन्होंने पूछा, “तेरी बीवी सारा कहाँ है?” उसने जवाब दिया, “ख़ैमे में।”
Gene UrduGeoD 18:10  रब ने कहा, “ऐन एक साल के बाद मैं वापस आऊँगा तो तेरी बीवी सारा के बेटा होगा।” सारा यह बातें सुन रही थी, क्योंकि वह उसके पीछे ख़ैमे के दरवाज़े के पास थी।
Gene UrduGeoD 18:11  दोनों मियाँ-बीवी बूढ़े हो चुके थे और सारा उस उम्र से गुज़र चुकी थी जिसमें औरतों के बच्चे पैदा होते हैं।
Gene UrduGeoD 18:12  इसलिए सारा अंदर ही अंदर हँस पड़ी और सोचा, “यह कैसे हो सकता है? क्या जब मैं बुढ़ापे के बाइस घिसे-फटे लिबास की मानिंद हूँ तो जवानी के जोबन का लुत्फ़ उठाऊँ? और मेरा शौहर भी बूढ़ा है।”
Gene UrduGeoD 18:13  रब ने इब्राहीम से पूछा, “सारा क्यों हँस रही है? वह क्यों कह रही है, ‘क्या वाक़ई मेरे हाँ बच्चा पैदा होगा जबकि मैं इतनी उम्ररसीदा हूँ?’
Gene UrduGeoD 18:14  क्या रब के लिए कोई काम नामुमकिन है? एक साल के बाद मुक़र्ररा वक़्त पर मैं वापस आऊँगा तो सारा के बेटा होगा।”
Gene UrduGeoD 18:15  सारा डर गई। उसने झूट बोलकर इनकार किया, “मैं नहीं हँस रही थी।” रब ने कहा, “नहीं, तू ज़रूर हँस रही थी।”
Gene UrduGeoD 18:16  फिर मेहमान उठकर रवाना हुए और नीचे वादी में सदूम की तरफ़ देखने लगे। इब्राहीम उन्हें रुख़सत करने के लिए साथ साथ चल रहा था।
Gene UrduGeoD 18:17  रब ने दिल में कहा, “मैं इब्राहीम से वह काम क्यों छुपाए रखूँ जो मैं करने के लिए जा रहा हूँ?
Gene UrduGeoD 18:18  इसी से तो एक बड़ी और ताक़तवर क़ौम निकलेगी और इसी से मैं दुनिया की तमाम क़ौमों को बरकत दूँगा।
Gene UrduGeoD 18:19  उसी को मैंने चुन लिया है ताकि वह अपनी औलाद और अपने बाद के घराने को हुक्म दे कि वह रब की राह पर चलकर रास्त और मुंसिफ़ाना काम करें। क्योंकि अगर वह ऐसा करें तो रब इब्राहीम के साथ अपना वादा पूरा करेगा।”
Gene UrduGeoD 18:20  फिर रब ने कहा, “सदूम और अमूरा की बदी के बाइस लोगों की आहें बुलंद हो रही हैं, क्योंकि उनसे बहुत संगीन गुनाह सरज़द हो रहे हैं।
Gene UrduGeoD 18:21  मैं उतरकर उनके पास जा रहा हूँ ताकि देखूँ कि यह इलज़ाम वाक़ई सच हैं जो मुझ तक पहुँचे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो मैं यह जानना चाहता हूँ।”
Gene UrduGeoD 18:22  दूसरे दो आदमी सदूम की तरफ़ आगे निकले जबकि रब कुछ देर के लिए वहाँ ठहरा रहा और इब्राहीम उसके सामने खड़ा रहा।
Gene UrduGeoD 18:23  फिर उसने क़रीब आकर उससे बात की, “क्या तू रास्तबाज़ों को भी शरीरों के साथ तबाह कर देगा?
Gene UrduGeoD 18:24  हो सकता है कि शहर में 50 रास्तबाज़ हों। क्या तू फिर भी शहर को बरबाद कर देगा और उसे उन 50 के सबब से मुआफ़ नहीं करेगा?
Gene UrduGeoD 18:25  यह कैसे हो सकता है कि तू बेक़ुसूरों को शरीरों के साथ हलाक कर दे? यह तो नामुमकिन है कि तू नेक और शरीर लोगों से एक जैसा सुलूक करे। क्या लाज़िम नहीं कि पूरी दुनिया का मुंसिफ़ इनसाफ़ करे?”
Gene UrduGeoD 18:26  रब ने जवाब दिया, “अगर मुझे शहर में 50 रास्तबाज़ मिल जाएँ तो उनके सबब से तमाम को मुआफ़ कर दूँगा।”
Gene UrduGeoD 18:27  इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है अगरचे मैं ख़ाक और राख ही हूँ।
Gene UrduGeoD 18:28  लेकिन हो सकता है कि सिर्फ़ 45 रास्तबाज़ उसमें हों। क्या तू फिर भी उन पाँच लोगों की कमी के सबब से पूरे शहर को तबाह करेगा?” उसने कहा, “अगर मुझे 45 भी मिल जाएँ तो उसे बरबाद नहीं करूँगा।”
Gene UrduGeoD 18:29  इब्राहीम ने अपनी बात जारी रखी, “और अगर सिर्फ़ 40 नेक लोग हों तो?” रब ने कहा, “मैं उन 40 के सबब से उन्हें छोड़ दूँगा।”
Gene UrduGeoD 18:30  इब्राहीम ने कहा, “रब ग़ुस्सा न करे कि मैं एक दफ़ा और बात करूँ। शायद वहाँ सिर्फ़ 30 हों।” उसने जवाब दिया, “फिर भी उन्हें छोड़ दूँगा।”
Gene UrduGeoD 18:31  इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है। अगर सिर्फ़ 20 पाए जाएँ?” रब ने कहा, “मैं 20 के सबब से शहर को बरबाद करने से बाज़ रहूँगा।”
Gene UrduGeoD 18:32  इब्राहीम ने एक आख़िरी दफ़ा बात की, “रब ग़ुस्सा न करे अगर मैं एक और बार बात करूँ। शायद उसमें सिर्फ़ 10 पाए जाएँ।” रब ने कहा, “मैं उसे उन 10 लोगों के सबब से भी बरबाद नहीं करूँगा।”
Gene UrduGeoD 18:33  इन बातों के बाद रब चला गया और इब्राहीम अपने घर को लौट आया।
Chapter 19
Gene UrduGeoD 19:1  शाम के वक़्त यह दो फ़रिश्ते सदूम पहुँचे। लूत शहर के दरवाज़े पर बैठा था। जब उसने उन्हें देखा तो खड़े होकर उनसे मिलने गया और मुँह के बल गिरकर सिजदा किया।
Gene UrduGeoD 19:2  उसने कहा, “साहबो, अपने बंदे के घर तशरीफ़ लाएँ ताकि अपने पाँव धोकर रात को ठहरें और फिर कल सुबह-सवेरे उठकर अपना सफ़र जारी रखें।” उन्होंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारेंगे।”
Gene UrduGeoD 19:3  लेकिन लूत ने उन्हें बहुत मजबूर किया, और आख़िरकार वह उसके साथ उसके घर आए। उसने उनके लिए खाना पकाया और बेख़मीरी रोटी बनाई। फिर उन्होंने खाना खाया।
Gene UrduGeoD 19:4  वह अभी सोने के लिए लेटे नहीं थे कि शहर के जवानों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों ने लूत के घर को घेर लिया।
Gene UrduGeoD 19:5  उन्होंने आवाज़ देकर लूत से कहा, “वह आदमी कहाँ हैं जो रात के वक़्त तेरे पास आए? उनको बाहर ले आ ताकि हम उनके साथ हरामकारी करें।”
Gene UrduGeoD 19:6  लूत उनसे मिलने बाहर गया। उसने अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर लिया
Gene UrduGeoD 19:7  और कहा, “मेरे भाइयो, ऐसा मत करो, ऐसी बदकारी न करो।
Gene UrduGeoD 19:8  देखो, मेरी दो कुँवारी बेटियाँ हैं। उन्हें मैं तुम्हारे पास बाहर ले आता हूँ। फिर जो जी चाहे उनके साथ करो। लेकिन इन आदमियों को छोड़ दो, क्योंकि वह मेरे मेहमान हैं।”
Gene UrduGeoD 19:9  उन्होंने कहा, “रास्ते से हट जा! देखो, यह शख़्स जब हमारे पास आया था तो अजनबी था, और अब यह हम पर हाकिम बनना चाहता है। अब तेरे साथ उनसे ज़्यादा बुरा सुलूक करेंगे।” वह उसे मजबूर करते करते दरवाज़े को तोड़ने के लिए आगे बढ़े।
Gene UrduGeoD 19:10  लेकिन ऐन वक़्त पर अंदर के आदमी लूत को पकड़कर अंदर ले आए, फिर दरवाज़ा दुबारा बंद कर दिया।
Gene UrduGeoD 19:11  उन्होंने छोटों से लेकर बड़ों तक बाहर के तमाम आदमियों को अंधा कर दिया, और वह दरवाज़े को ढूँडते ढूँडते थक गए।
Gene UrduGeoD 19:12  दोनों आदमियों ने लूत से कहा, “क्या तेरा कोई और रिश्तेदार इस शहर में रहता है, मसलन कोई दामाद या बेटा-बेटी? सबको साथ लेकर यहाँ से चला जा,
Gene UrduGeoD 19:13  क्योंकि हम यह मक़ाम तबाह करने को हैं। इसके बाशिंदों की बदी के बाइस लोगों की आहें बुलंद होकर रब के हुज़ूर पहुँच गई हैं, इसलिए उसने हमें इसको तबाह करने के लिए भेजा है।”
Gene UrduGeoD 19:14  लूत घर से निकला और अपने दामादों से बात की जिनका उस की बेटियों के साथ रिश्ता हो चुका था। उसने कहा, “जल्दी करो, इस जगह से निकलो, क्योंकि रब इस शहर को तबाह करने को है।” लेकिन उसके दामादों ने इसे मज़ाक़ ही समझा।
Gene UrduGeoD 19:15  जब पौ फटने लगी तो दोनों आदमियों ने लूत को बहुत समझाया और कहा, “जल्दी कर! अपनी बीवी और दोनों बेटियों को साथ लेकर चला जा, वरना जब शहर को सज़ा दी जाएगी तो तू भी हलाक हो जाएगा।”
Gene UrduGeoD 19:16  तो भी वह झिजकता रहा। आख़िरकार दोनों ने लूत, उस की बीवी और बेटियों के हाथ पकड़कर उन्हें शहर के बाहर तक पहुँचा दिया, क्योंकि रब को लूत पर तरस आता था।
Gene UrduGeoD 19:17  ज्योंही वह उन्हें बाहर ले आए उनमें से एक ने कहा, “अपनी जान बचाकर चला जा। पीछे मुड़कर न देखना। मैदान में कहीं न ठहरना बल्कि पहाड़ों में पनाह लेना, वरना तू हलाक हो जाएगा।”
Gene UrduGeoD 19:18  लेकिन लूत ने उनसे कहा, “नहीं मेरे आक़ा, ऐसा न हो।
Gene UrduGeoD 19:19  तेरे बंदे को तेरी नज़रे-करम हासिल हुई है और तूने मेरी जान बचाने में बहुत मेहरबानी कर दिखाई है। लेकिन मैं पहाड़ों में पनाह नहीं ले सकता। वहाँ पहुँचने से पहले यह मुसीबत मुझ पर आन पड़ेगी और मैं हलाक हो जाऊँगा।
Gene UrduGeoD 19:20  देख, क़रीब ही एक छोटा क़सबा है। वह इतना नज़दीक है कि मैं उस तरफ़ हिजरत कर सकता हूँ। मुझे वहाँ पनाह लेने दे। वह छोटा ही है, ना? फिर मेरी जान बचेगी।”
Gene UrduGeoD 19:21  उसने कहा, “चलो, ठीक है। तेरी यह दरख़ास्त भी मंज़ूर है। मैं यह क़सबा तबाह नहीं करूँगा।
Gene UrduGeoD 19:22  लेकिन भागकर वहाँ पनाह ले, क्योंकि जब तक तू वहाँ पहुँच न जाए मैं कुछ नहीं कर सकता।” इसलिए क़सबे का नाम ज़ुग़र यानी छोटा है।
Gene UrduGeoD 19:23  जब लूत ज़ुग़र पहुँचा तो सूरज निकला हुआ था।
Gene UrduGeoD 19:24  तब रब ने आसमान से सदूम और अमूरा पर गंधक और आग बरसाई।
Gene UrduGeoD 19:25  यों उसने उस पूरे मैदान को उसके शहरों, बाशिंदों और तमाम हरियाली समेत तबाह कर दिया।
Gene UrduGeoD 19:26  लेकिन फ़रार होते वक़्त लूत की बीवी ने पीछे मुड़कर देखा तो वह फ़ौरन नमक का सतून बन गई।
Gene UrduGeoD 19:27  इब्राहीम सुबह-सवेरे उठकर उस जगह वापस आया जहाँ वह कल रब के सामने खड़ा हुआ था।
Gene UrduGeoD 19:28  जब उसने नीचे सदूम, अमूरा और पूरी वादी की तरफ़ नज़र की तो वहाँ से भट्टे का-सा धुआँ उठ रहा था।
Gene UrduGeoD 19:29  यों अल्लाह ने इब्राहीम को याद किया जब उसने उस मैदान के शहर तबाह किए। क्योंकि वह उन्हें तबाह करने से पहले लूत को जो उनमें आबाद था वहाँ से निकाल लाया।
Gene UrduGeoD 19:30  लूत और उस की बेटियाँ ज़्यादा देर तक ज़ुग़र में न ठहरे। वह रवाना होकर पहाड़ों में आबाद हुए, क्योंकि लूत ज़ुग़र में रहने से डरता था। वहाँ उन्होंने एक ग़ार को अपना घर बना लिया।
Gene UrduGeoD 19:31  एक दिन बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “अब्बू बूढ़ा है और यहाँ कोई मर्द है नहीं जिसके ज़रीए हमारे बच्चे पैदा हो सकें।
Gene UrduGeoD 19:32  आओ, हम अब्बू को मै पिलाएँ। जब वह नशे में धुत हो तो हम उसके साथ हमबिसतर होकर अपने लिए औलाद पैदा करें ताकि हमारी नसल क़ायम रहे।”
Gene UrduGeoD 19:33  उस रात उन्होंने अपने बाप को मै पिलाई। जब वह नशे में था तो बड़ी बेटी अंदर जाकर उसके साथ हमबिसतर हुई। चूँकि लूत होश में नहीं था इसलिए उसे कुछ भी मालूम न हुआ।
Gene UrduGeoD 19:34  अगले दिन बड़ी बहन ने छोटी बहन से कहा, “पिछली रात मैं अब्बू से हमबिसतर हुई। आओ, आज रात को हम उसे दुबारा मै पिलाएँ। जब वह नशे में धुत हो तो तुम उसके साथ हमबिसतर होकर अपने लिए औलाद पैदा करना ताकि हमारी नसल क़ायम रहे।”
Gene UrduGeoD 19:35  चुनाँचे उन्होंने उस रात भी अपने बाप को मै पिलाई। जब वह नशे में था तो छोटी बेटी उठकर उसके साथ हमबिसतर हुई। इस बार भी वह होश में नहीं था, इसलिए उसे कुछ भी मालूम न हुआ।
Gene UrduGeoD 19:36  यों लूत की बेटियाँ अपने बाप से उम्मीद से हुईं।
Gene UrduGeoD 19:37  बड़ी बेटी के हाँ बेटा पैदा हुआ। उसने उसका नाम मोआब रखा। उससे मोआबी निकले हैं।
Gene UrduGeoD 19:38  छोटी बेटी के हाँ भी बेटा पैदा हुआ। उसने उसका नाम बिन-अम्मी रखा। उससे अम्मोनी निकले हैं।
Chapter 20
Gene UrduGeoD 20:1  इब्राहीम वहाँ से जुनूब की तरफ़ दश्ते-नजब में चला गया और क़ादिस और शूर के दरमियान जा बसा। कुछ देर के लिए वह जिरार में ठहरा, लेकिन अजनबी की हैसियत से।
Gene UrduGeoD 20:2  वहाँ उसने लोगों को बताया, “सारा मेरी बहन है।” इसलिए जिरार के बादशाह अबीमलिक ने किसी को भिजवा दिया कि उसे महल में ले आए।
Gene UrduGeoD 20:3  लेकिन रात के वक़्त अल्लाह ख़ाब में अबीमलिक पर ज़ाहिर हुआ और कहा, “मौत तेरे सर पर खड़ी है, क्योंकि जो औरत तू अपने घर ले आया है वह शादीशुदा है।”
Gene UrduGeoD 20:4  असल में अबीमलिक अभी तक सारा के क़रीब नहीं गया था। उसने कहा, “मेरे आक़ा, क्या तू एक बेक़ुसूर क़ौम को भी हलाक करेगा?
Gene UrduGeoD 20:5  क्या इब्राहीम ने मुझसे नहीं कहा था कि सारा मेरी बहन है? और सारा ने उस की हाँ में हाँ मिलाई। मेरी नीयत अच्छी थी और मैंने ग़लत काम नहीं किया।”
Gene UrduGeoD 20:6  अल्लाह ने कहा, “हाँ, मैं जानता हूँ कि इसमें तेरी नीयत अच्छी थी। इसलिए मैंने तुझे मेरा गुनाह करने और उसे छूने से रोक दिया।
Gene UrduGeoD 20:7  अब उस औरत को उसके शौहर को वापस कर दे, क्योंकि वह नबी है और तेरे लिए दुआ करेगा। फिर तू नहीं मरेगा। लेकिन अगर तू उसे वापस नहीं करेगा तो जान ले कि तेरी और तेरे लोगों की मौत यक़ीनी है।”
Gene UrduGeoD 20:8  अबीमलिक ने सुबह-सवेरे उठकर अपने तमाम कारिंदों को यह सब कुछ बताया। यह सुनकर उन पर दहशत छा गई।
Gene UrduGeoD 20:9  फिर अबीमलिक ने इब्राहीम को बुलाकर कहा, “आपने हमारे साथ क्या किया है? मैंने आपके साथ क्या ग़लत काम किया कि आपने मुझे और मेरी सलतनत को इतने संगीन जुर्म में फँसा दिया है? जो सुलूक आपने हमारे साथ कर दिखाया है वह किसी भी शख़्स के साथ नहीं करना चाहिए।
Gene UrduGeoD 20:10  आपने यह क्यों किया?”
Gene UrduGeoD 20:11  इब्राहीम ने जवाब दिया, “मैंने अपने दिल में कहा कि यहाँ के लोग अल्लाह का ख़ौफ़ नहीं रखते होंगे, इसलिए वह मेरी बीवी को हासिल करने के लिए मुझे क़त्ल कर देंगे।
Gene UrduGeoD 20:12  हक़ीक़त में वह मेरी बहन भी है। वह मेरे बाप की बेटी है अगरचे उस की और मेरी माँ फ़रक़ हैं। यों मैं उससे शादी कर सका।
Gene UrduGeoD 20:13  फिर जब अल्लाह ने होने दिया कि मैं अपने बाप के घराने से निकलकर इधर-उधर फिरूँ तो मैंने अपनी बीवी से कहा, ‘मुझ पर यह मेहरबानी कर कि जहाँ भी हम जाएँ मेरे बारे में कह देना कि वह मेरा भाई है’।”
Gene UrduGeoD 20:14  फिर अबीमलिक ने इब्राहीम को भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, ग़ुलाम और लौंडियाँ देकर उस की बीवी सारा को उसे वापस कर दिया।
Gene UrduGeoD 20:15  उसने कहा, “मेरा मुल्क आपके लिए खुला है। जहाँ जी चाहे उसमें जा बसें।”
Gene UrduGeoD 20:16  सारा से उसने कहा, “मैं आपके भाई को चाँदी के हज़ार सिक्के देता हूँ। इससे आप और आपके लोगों के सामने आपके साथ किए गए नारवा सुलूक का इज़ाला हो और आपको बेक़ुसूर क़रार दिया जाए।”
Gene UrduGeoD 20:17  तब इब्राहीम ने अल्लाह से दुआ की और अल्लाह ने अबीमलिक, उस की बीवी और उस की लौंडियों को शफ़ा दी, क्योंकि रब ने अबीमलिक के घराने की तमाम औरतों को सारा के सबब से बाँझ बना दिया था। लेकिन अब उनके हाँ दुबारा बच्चे पैदा होने लगे।
Gene UrduGeoD 20:18  तब इब्राहीम ने अल्लाह से दुआ की और अल्लाह ने अबीमलिक, उस की बीवी और उस की लौंडियों को शफ़ा दी, क्योंकि रब ने अबीमलिक के घराने की तमाम औरतों को सारा के सबब से बाँझ बना दिया था। लेकिन अब उनके हाँ दुबारा बच्चे पैदा होने लगे।
Chapter 21
Gene UrduGeoD 21:1  तब रब ने सारा के साथ वैसा ही किया जैसा उसने फ़रमाया था। जो वादा उसने सारा के बारे में किया था उसे उसने पूरा किया।
Gene UrduGeoD 21:2  वह हामिला हुई और बेटा पैदा हुआ। ऐन उस वक़्त बूढ़े इब्राहीम के हाँ बेटा पैदा हुआ जो अल्लाह ने मुक़र्रर करके उसे बताया था।
Gene UrduGeoD 21:3  इब्राहीम ने अपने इस बेटे का नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखा।
Gene UrduGeoD 21:4  जब इसहाक़ आठ दिन का था तो इब्राहीम ने उसका ख़तना कराया, जिस तरह अल्लाह ने उसे हुक्म दिया था।
Gene UrduGeoD 21:5  जब इसहाक़ पैदा हुआ उस वक़्त इब्राहीम 100 साल का था।
Gene UrduGeoD 21:6  सारा ने कहा, “अल्लाह ने मुझे हँसाया, और हर कोई जो मेरे बारे में यह सुनेगा हँसेगा।
Gene UrduGeoD 21:7  इससे पहले कौन इब्राहीम से यह कहने की जुर्रत कर सकता था कि सारा अपने बच्चों को दूध पिलाएगी? और अब मेरे हाँ बेटा पैदा हुआ है, अगरचे इब्राहीम बूढ़ा हो गया है।”
Gene UrduGeoD 21:8  इसहाक़ बड़ा होता गया। जब उसका दूध छुड़ाया गया तो इब्राहीम ने उसके लिए बड़ी ज़ियाफ़त की।
Gene UrduGeoD 21:9  एक दिन सारा ने देखा कि मिसरी लौंडी हाजिरा का बेटा इसमाईल इसहाक़ का मज़ाक़ उड़ा रहा है।
Gene UrduGeoD 21:10  उसने इब्राहीम से कहा, “इस लौंडी और उसके बेटे को घर से निकाल दें, क्योंकि वह मेरे बेटे इसहाक़ के साथ मीरास नहीं पाएगा।”
Gene UrduGeoD 21:11  इब्राहीम को यह बात बहुत बुरी लगी। आख़िर इसमाईल भी उसका बेटा था।
Gene UrduGeoD 21:12  लेकिन अल्लाह ने उससे कहा, “जो बात सारा ने अपनी लौंडी और उसके बेटे के बारे में कही है वह तुझे बुरी न लगे। सारा की बात मान ले, क्योंकि तेरी नसल इसहाक़ ही से क़ायम रहेगी।
Gene UrduGeoD 21:13  लेकिन मैं इसमाईल से भी एक क़ौम बनाऊँगा, क्योंकि वह तेरा बेटा है।”
Gene UrduGeoD 21:14  इब्राहीम सुबह-सवेरे उठा। उसने रोटी और पानी की मशक हाजिरा के कंधों पर रखकर उसे लड़के के साथ घर से निकाल दिया। हाजिरा चलते चलते बैर-सबा के रेगिस्तान में इधर-उधर फिरने लगी।
Gene UrduGeoD 21:15  फिर पानी ख़त्म हो गया। हाजिरा लड़के को किसी झाड़ी के नीचे छोड़कर
Gene UrduGeoD 21:16  कोई 300 फ़ुट दूर बैठ गई। क्योंकि उसने दिल में कहा, “मैं उसे मरते नहीं देख सकती।” वह वहाँ बैठकर रोने लगी।
Gene UrduGeoD 21:17  लेकिन अल्लाह ने बेटे की रोती हुई आवाज़ सुन ली। अल्लाह के फ़रिश्ते ने आसमान पर से पुकारकर हाजिरा से बात की, “हाजिरा, क्या बात है? मत डर, क्योंकि अल्लाह ने लड़के का जो वहाँ पड़ा है रोना सुन लिया है।
Gene UrduGeoD 21:18  उठ, लड़के को उठाकर उसका हाथ थाम ले, क्योंकि मैं उससे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।”
Gene UrduGeoD 21:19  फिर अल्लाह ने हाजिरा की आँखें खोल दीं, और उस की नज़र एक कुएँ पर पड़ी। वह वहाँ गई और मशक को पानी से भरकर लड़के को पिलाया।
Gene UrduGeoD 21:20  अल्लाह लड़के के साथ था। वह जवान हुआ और तीरअंदाज़ बनकर बयाबान में रहने लगा।
Gene UrduGeoD 21:21  जब वह फ़ारान के रेगिस्तान में रहता था तो उस की माँ ने उसे एक मिसरी औरत से ब्याह दिया।
Gene UrduGeoD 21:22  उन दिनों में अबीमलिक और उसके सिपाहसालार फ़ीकुल ने इब्राहीम से कहा, “जो कुछ भी आप करते हैं अल्लाह आपके साथ है।
Gene UrduGeoD 21:23  अब मुझसे अल्लाह की क़सम खाएँ कि आप मुझे और मेरी आलो-औलाद को धोका नहीं देंगे। मुझ पर और इस मुल्क पर जिसमें आप परदेसी हैं वही मेहरबानी करें जो मैंने आप पर की है।”
Gene UrduGeoD 21:24  इब्राहीम ने जवाब दिया, “मैं क़सम खाता हूँ।”
Gene UrduGeoD 21:25  फिर उसने अबीमलिक से शिकायत करते हुए कहा, “आपके बंदों ने हमारे एक कुएँ पर क़ब्ज़ा कर लिया है।”
Gene UrduGeoD 21:26  अबीमलिक ने कहा, “मुझे नहीं मालूम कि किसने ऐसा किया है। आपने भी मुझे नहीं बताया। आज मैं पहली दफ़ा यह बात सुन रहा हूँ।”
Gene UrduGeoD 21:27  तब इब्राहीम ने अबीमलिक को भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल दिए, और दोनों ने एक दूसरे के साथ अहद बाँधा।
Gene UrduGeoD 21:28  फिर इब्राहीम ने भेड़ के सात मादा बच्चों को अलग कर लिया।
Gene UrduGeoD 21:29  अबीमलिक ने पूछा, “आपने यह क्यों किया?”
Gene UrduGeoD 21:30  इब्राहीम ने जवाब दिया, “भेड़ के इन सात बच्चों को मुझसे ले लें। यह इसके गवाह हों कि मैंने इस कुएँ को खोदा है।”
Gene UrduGeoD 21:31  इसलिए उस जगह का नाम बैर-सबा यानी ‘क़सम का कुआँ’ रखा गया, क्योंकि वहाँ उन दोनों मर्दों ने क़सम खाई।
Gene UrduGeoD 21:32  यों उन्होंने बैर-सबा में एक दूसरे से अहद बाँधा। फिर अबीमलिक और फ़ीकुल फ़िलिस्तियों के मुल्क वापस चले गए।
Gene UrduGeoD 21:33  इसके बाद इब्राहीम ने बैर-सबा में झाऊ का दरख़्त लगाया। वहाँ उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की जो अबदी ख़ुदा है।
Gene UrduGeoD 21:34  इब्राहीम बहुत अरसे तक फ़िलिस्तियों के मुल्क में आबाद रहा, लेकिन अजनबी की हैसियत से।
Chapter 22
Gene UrduGeoD 22:1  कुछ अरसे के बाद अल्लाह ने इब्राहीम को आज़माया। उसने उससे कहा, “इब्राहीम!” उसने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”
Gene UrduGeoD 22:2  अल्लाह ने कहा, “अपने इकलौते बेटे इसहाक़ को जिसे तू प्यार करता है साथ लेकर मोरियाह के इलाक़े में चला जा। वहाँ मैं तुझे एक पहाड़ दिखाऊँगा। उस पर अपने बेटे को क़ुरबान कर दे। उसे ज़बह करके क़ुरबानगाह पर जला देना।”
Gene UrduGeoD 22:3  सुबह-सवेरे इब्राहीम उठा और अपने गधे पर ज़ीन कसा। उसने अपने साथ दो नौकरों और अपने बेटे इसहाक़ को लिया। फिर वह क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ी काटकर उस जगह की तरफ़ रवाना हुआ जो अल्लाह ने उसे बताई थी।
Gene UrduGeoD 22:4  सफ़र करते करते तीसरे दिन क़ुरबानी की जगह इब्राहीम को दूर से नज़र आई।
Gene UrduGeoD 22:5  उसने नौकरों से कहा, “यहाँ गधे के पास ठहरो। मैं लड़के के साथ वहाँ जाकर परस्तिश करूँगा। फिर हम तुम्हारे पास वापस आ जाएंगे।”
Gene UrduGeoD 22:6  इब्राहीम ने क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ियाँ इसहाक़ के कंधों पर रख दीं और ख़ुद छुरी और आग जलाने के लिए अंगारों का बरतन उठाया। दोनों चल दिए।
Gene UrduGeoD 22:7  इसहाक़ बोला, “अब्बू!” इब्राहीम ने कहा, “जी बेटा।” “अब्बू, आग और लकड़ियाँ तो हमारे पास हैं, लेकिन क़ुरबानी के लिए भेड़ या बकरी कहाँ है?”
Gene UrduGeoD 22:8  इब्राहीम ने जवाब दिया, “अल्लाह ख़ुद क़ुरबानी के लिए जानवर मुहैया करेगा, बेटा।” वह आगे बढ़ गए।
Gene UrduGeoD 22:9  चलते चलते वह उस मक़ाम पर पहुँचे जो अल्लाह ने उस पर ज़ाहिर किया था। इब्राहीम ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाई और उस पर लकड़ियाँ तरतीब से रख दीं। फिर उसने इसहाक़ को बाँधकर लकड़ियों पर रख दिया
Gene UrduGeoD 22:10  और छुरी पकड़ ली ताकि अपने बेटे को ज़बह करे।
Gene UrduGeoD 22:11  ऐन उसी वक़्त रब के फ़रिश्ते ने आसमान पर से उसे आवाज़ दी, “इब्राहीम, इब्राहीम!” इब्राहीम ने कहा, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”
Gene UrduGeoD 22:12  फ़रिश्ते ने कहा, “अपने बेटे पर हाथ न चला, न उसके साथ कुछ कर। अब मैंने जान लिया है कि तू अल्लाह का ख़ौफ़ रखता है, क्योंकि तू अपने इकलौते बेटे को भी मुझे देने के लिए तैयार है।”
Gene UrduGeoD 22:13  अचानक इब्राहीम को एक मेंढा नज़र आया जिसके सींग गुंजान झाड़ियों में फँसे हुए थे। इब्राहीम ने उसे ज़बह करके अपने बेटे की जगह क़ुरबानी के तौर पर जला दिया।
Gene UrduGeoD 22:14  उसने उस मक़ाम का नाम “रब मुहैया करता है” रखा। इसलिए आज तक कहा जाता है, “रब के पहाड़ पर मुहैया किया जाता है।”
Gene UrduGeoD 22:15  रब के फ़रिश्ते ने एक बार फिर आसमान पर से पुकारकर उससे बात की।
Gene UrduGeoD 22:16  “रब का फ़रमान है, मेरी ज़ात की क़सम, चूँकि तूने यह किया और अपने इकलौते बेटे को मुझे पेश करने के लिए तैयार था
Gene UrduGeoD 22:17  इसलिए मैं तुझे बरकत दूँगा और तेरी औलाद को आसमान के सितारों और साहिल की रेत की तरह बेशुमार होने दूँगा। तेरी औलाद अपने दुश्मनों के शहरों के दरवाज़ों पर क़ब्ज़ा करेगी।
Gene UrduGeoD 22:18  चूँकि तूने मेरी सुनी इसलिए तेरी औलाद से दुनिया की तमाम क़ौमें बरकत पाएँगी।”
Gene UrduGeoD 22:19  इसके बाद इब्राहीम अपने नौकरों के पास वापस आया, और वह मिलकर बैर-सबा लौटे। वहाँ इब्राहीम आबाद रहा।
Gene UrduGeoD 22:20  इन वाक़ियात के बाद इब्राहीम को इत्तला मिली, “आपके भाई नहूर की बीवी मिलकाह के हाँ भी बेटे पैदा हुए हैं।
Gene UrduGeoD 22:21  उसके पहलौठे ऊज़ के बाद बूज़, क़मुएल (अराम का बाप),
Gene UrduGeoD 22:22  कसद, हज़ू, फ़िलदास, इदलाफ़ और बतुएल पैदा हुए हैं।”
Gene UrduGeoD 22:23  मिलकाह और नहूर के हाँ यह आठ बेटे पैदा हुए। (बतुएल रिबक़ा का बाप था)।
Gene UrduGeoD 22:24  नहूर की हरम का नाम रूमा था। उसके हाँ भी बेटे पैदा हुए जिनके नाम तिबख़, जाहम, तख़स और माका हैं।
Chapter 23
Gene UrduGeoD 23:1  सारा 127 साल की उम्र में हबरून में इंतक़ाल कर गई।
Gene UrduGeoD 23:2  उस ज़माने में हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था, और वह मुल्के-कनान में था। इब्राहीम ने उसके पास आकर मातम किया।
Gene UrduGeoD 23:3  फिर वह जनाज़े के पास से उठा और हित्तियों से बात की। उसने कहा,
Gene UrduGeoD 23:4  “मैं आपके दरमियान परदेसी और ग़ैरशहरी की हैसियत से रहता हूँ। मुझे क़ब्र के लिए ज़मीन बेचें ताकि अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न कर सकूँ।”
Gene UrduGeoD 23:5  हित्तियों ने जवाब दिया, “हमारे आक़ा, हमारी बात सुनें! आप हमारे दरमियान अल्लाह के रईस हैं। अपनी बीवी को हमारी बेहतरीन क़ब्र में दफ़न करें। हममें से कोई नहीं जो आपसे अपनी क़ब्र का इनकार करेगा।”
Gene UrduGeoD 23:6  हित्तियों ने जवाब दिया, “हमारे आक़ा, हमारी बात सुनें! आप हमारे दरमियान अल्लाह के रईस हैं। अपनी बीवी को हमारी बेहतरीन क़ब्र में दफ़न करें। हममें से कोई नहीं जो आपसे अपनी क़ब्र का इनकार करेगा।”
Gene UrduGeoD 23:7  इब्राहीम उठा और मुल्क के बाशिंदों यानी हित्तियों के सामने ताज़ीमन झुक गया।
Gene UrduGeoD 23:8  उसने कहा, “अगर आप इसके लिए तैयार हैं कि मैं अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न करूँतो सुहर के बेटे इफ़रोन से मेरी सिफ़ारिश करें
Gene UrduGeoD 23:9  कि वह मुझे मकफ़ीला का ग़ार बेच दे। वह उसका है और उसके खेत के किनारे पर है। मैं उस की पूरी क़ीमत देने के लिए तैयार हूँ ताकि आपके दरमियान रहते हुए मेरे पास क़ब्र भी हो।”
Gene UrduGeoD 23:10  इफ़रोन हित्तियों की जमात में मौजूद था। इब्राहीम की दरख़ास्त पर उसने उन तमाम हित्तियों के सामने जो शहर के दरवाज़े पर जमा थे जवाब दिया,
Gene UrduGeoD 23:11  “नहीं, मेरे आक़ा! मेरी बात सुनें। मैं आपको यह खेत और उसमें मौजूद ग़ार दे देता हूँ। सब जो हाज़िर हैं मेरे गवाह हैं, मैं यह आपको देता हूँ। अपनी बीवी को वहाँ दफ़न कर दें।”
Gene UrduGeoD 23:12  इब्राहीम दुबारा मुल्क के बाशिंदों के सामने अदबन झुक गया।
Gene UrduGeoD 23:13  उसने सबके सामने इफ़रोन से कहा, “मेहरबानी करके मेरी बात पर ग़ौर करें। मैं खेत की पूरी क़ीमत अदा करूँगा। उसे क़बूल करें ताकि वहाँ अपनी बीवी को दफ़न कर सकूँ।”
Gene UrduGeoD 23:14  इफ़रोन ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, सुनें। इस ज़मीन की क़ीमत सिर्फ़ 400 चाँदी के सिक्के है। आपके और मेरे दरमियान यह क्या है? अपनी बीवी को दफ़न कर दें।”
Gene UrduGeoD 23:15  इफ़रोन ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, सुनें। इस ज़मीन की क़ीमत सिर्फ़ 400 चाँदी के सिक्के है। आपके और मेरे दरमियान यह क्या है? अपनी बीवी को दफ़न कर दें।”
Gene UrduGeoD 23:16  इब्राहीम ने इफ़रोन की मतलूबा क़ीमत मान ली और सबके सामने चाँदी के 400 सिक्के तोलकर इफ़रोन को दे दिए। इसके लिए उसने उस वक़्त के रायज बाट इस्तेमाल किए।
Gene UrduGeoD 23:17  चुनाँचे मकफ़ीला में इफ़रोन की ज़मीन इब्राहीम की मिलकियत हो गई। यह ज़मीन ममरे के मशरिक़ में थी। उसमें खेत, खेत का ग़ार और खेत की हुदूद में मौजूद तमाम दरख़्त शामिल थे।
Gene UrduGeoD 23:18  हित्तियों की पूरी जमात ने जो शहर के दरवाज़े पर जमा थी ज़मीन के इंतक़ाल की तसदीक़ की।
Gene UrduGeoD 23:19  फिर इब्राहीम ने अपनी बीवी सारा को मुल्के-कनान के उस ग़ार में दफ़न किया जो ममरे यानी हबरून के मशरिक़ में वाक़े मकफ़ीला के खेत में था।
Gene UrduGeoD 23:20  इस तरीक़े से यह खेत और उसका ग़ार हित्तियों से इब्राहीम के नाम पर मुंतक़िल कर दिया गया ताकि उसके पास क़ब्र हो।
Chapter 24
Gene UrduGeoD 24:1  इब्राहीम अब बहुत बूढ़ा हो गया था। रब ने उसे हर लिहाज़ से बरकत दी थी।
Gene UrduGeoD 24:2  एक दिन उसने अपने घर के सबसे बुज़ुर्ग नौकर से जो उस की जायदाद का पूरा इंतज़ाम चलाता था बात की। “क़सम के लिए अपना हाथ मेरी रान के नीचे रखो।
Gene UrduGeoD 24:3  रब की क़सम खाओ जो आसमानो-ज़मीन का ख़ुदा है कि तुम इन कनानियों में से जिनके दरमियान मैं रहता हूँ मेरे बेटे के लिए बीवी नहीं लाओगे
Gene UrduGeoD 24:4  बल्कि मेरे वतन में मेरे रिश्तेदारों के पास जाओगे और उन्हीं में से मेरे बेटे के लिए बीवी लाओगे।”
Gene UrduGeoD 24:5  उसके नौकर ने कहा, “शायद वह औरत मेरे साथ यहाँ आना न चाहे। क्या मैं इस सूरत में आपके बेटे को उस वतन में वापस ले जाऊँ जिससे आप निकले हैं?”
Gene UrduGeoD 24:6  इब्राहीम ने कहा, “ख़बरदार! उसे हरगिज़ वापस न ले जाना।
Gene UrduGeoD 24:7  रब जो आसमान का ख़ुदा है अपना फ़रिश्ता तुम्हारे आगे भेजेगा, इसलिए तुम वहाँ मेरे बेटे के लिए बीवी चुनने में ज़रूर कामयाब होगे। क्योंकि वही मुझे मेरे बाप के घर और मेरे वतन से यहाँ ले आया है, और उसी ने क़सम खाकर मुझसे वादा किया है कि मैं कनान का यह मुल्क तेरी औलाद को दूँगा।
Gene UrduGeoD 24:8  अगर वहाँ की औरत यहाँ आना न चाहे तो फिर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे। लेकिन किसी सूरत में भी मेरे बेटे को वहाँ वापस न ले जाना।”
Gene UrduGeoD 24:9  इब्राहीम के नौकर ने अपना हाथ उस की रान के नीचे रखकर क़सम खाई कि मैं सब कुछ ऐसा ही करूँगा।
Gene UrduGeoD 24:10  फिर वह अपने आक़ा के दस ऊँटों पर क़ीमती तोह्फ़े लादकर मसोपुतामिया की तरफ़ रवाना हुआ। चलते चलते वह नहूर के शहर पहुँच गया।
Gene UrduGeoD 24:11  उसने ऊँटों को शहर के बाहर कुएँ के पास बिठाया। शाम का वक़्त था जब औरतें कुएँ के पास आकर पानी भरती थीं।
Gene UrduGeoD 24:12  फिर उसने दुआ की, “ऐ रब मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा, मुझे आज कामयाबी बख़्श और मेरे आक़ा इब्राहीम पर मेहरबानी कर।
Gene UrduGeoD 24:13  अब मैं इस चश्मे पर खड़ा हूँ, और शहर की बेटियाँ पानी भरने के लिए आ रही हैं।
Gene UrduGeoD 24:14  मैं उनमें से किसी से कहूँगा, ‘ज़रा अपना घड़ा नीचे करके मुझे पानी पिलाएँ।’ अगर वह जवाब दे, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिला देती हूँ,’ तो वह वही होगी जिसे तूने अपने ख़ादिम इसहाक़ के लिए चुन रखा है। अगर ऐसा हुआ तो मैं जान लूँगा कि तूने मेरे आक़ा पर मेहरबानी की है।”
Gene UrduGeoD 24:15  वह अभी दुआ कर ही रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह बतुएल की बेटी थी (बतुएल इब्राहीम के भाई नहूर की बीवी मिलकाह का बेटा था)।
Gene UrduGeoD 24:16  रिबक़ा निहायत ख़ूबसूरत जवान लड़की थी, और वह कुँवारी भी थी। वह चश्मे तक उतरी, अपना घड़ा भरा और फिर वापस ऊपर आई।
Gene UrduGeoD 24:17  इब्राहीम का नौकर दौड़कर उससे मिला। उसने कहा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी पिलाएँ।”
Gene UrduGeoD 24:18  रिबक़ा ने कहा, “जनाब, पी लें।” जल्दी से उसने अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर हाथ में पकड़ा ताकि वह पी सके।
Gene UrduGeoD 24:19  जब वह पीने से फ़ारिग़ हुआ तो रिबक़ा ने कहा, “मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आती हूँ। वह भी पूरे तौर पर अपनी प्यास बुझाएँ।”
Gene UrduGeoD 24:20  जल्दी से उसने अपने घड़े का पानी हौज़ में उंडेल दिया और फिर भागकर कुएँ से इतना पानी लाती रही कि तमाम ऊँटों की प्यास बुझ गई।
Gene UrduGeoD 24:21  इतने में इब्राहीम का आदमी ख़ामोशी से उसे देखता रहा, क्योंकि वह जानना चाहता था कि क्या रब मुझे सफ़र की कामयाबी बख़्शेगा या नहीं।
Gene UrduGeoD 24:22  ऊँट पानी पीने से फ़ारिग़ हुए तो उसने रिबक़ा को सोने की एक नथ और दो कंगन दिए। नथ का वज़न तक़रीबन 6 ग्राम था और कंगनों का 120 ग्राम।
Gene UrduGeoD 24:23  उसने पूछा, “आप किसकी बेटी हैं? क्या उसके हाँ इतनी जगह है कि हम वहाँ रात गुज़ार सकें?”
Gene UrduGeoD 24:24  रिबक़ा ने जवाब दिया, “मेरा बाप बतुएल है। वह नहूर और मिलकाह का बेटा है।
Gene UrduGeoD 24:25  हमारे पास भूसा और चारा है। रात गुज़ारने के लिए भी काफ़ी जगह है।”
Gene UrduGeoD 24:26  यह सुनकर इब्राहीम के नौकर ने रब को सिजदा किया।
Gene UrduGeoD 24:27  उसने कहा, “मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद हो जिसके करम और वफ़ादारी ने मेरे आक़ा को नहीं छोड़ा। रब ने मुझे सीधा मेरे मालिक के रिश्तेदारों तक पहुँचाया है।”
Gene UrduGeoD 24:28  लड़की भागकर अपनी माँ के घर चली गई। वहाँ उसने सब कुछ बता दिया जो हुआ था।
Gene UrduGeoD 24:29  जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था।
Gene UrduGeoD 24:30  जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था।
Gene UrduGeoD 24:31  लाबन ने कहा, “रब के मुबारक बंदे, मेरे साथ आएँ। आप यहाँ शहर के बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने अपने घर में आपके लिए सब कुछ तैयार किया है। आपके ऊँटों के लिए भी काफ़ी जगह है।”
Gene UrduGeoD 24:32  वह नौकर को लेकर घर पहुँचा। ऊँटों से सामान उतारा गया, और उनको भूसा और चारा दिया गया। पानी भी लाया गया ताकि इब्राहीम का नौकर और उसके आदमी अपने पाँव धोएँ।
Gene UrduGeoD 24:33  लेकिन जब खाना आ गया तो इब्राहीम के नौकर ने कहा, “इससे पहले कि मैं खाना खाऊँ लाज़िम है कि अपना मामला पेश करूँ।” लाबन ने कहा, “बताएँ अपनी बात।”
Gene UrduGeoD 24:34  उसने कहा, “मैं इब्राहीम का नौकर हूँ।
Gene UrduGeoD 24:35  रब ने मेरे आक़ा को बहुत बरकत दी है। वह बहुत अमीर बन गया है। रब ने उसे कसरत से भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, सोना-चाँदी, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे दिए हैं।
Gene UrduGeoD 24:36  जब मेरे मालिक की बीवी बूढ़ी हो गई थी तो उसके बेटा पैदा हुआ था। इब्राहीम ने उसे अपनी पूरी मिलकियत दे दी है।
Gene UrduGeoD 24:37  लेकिन मेरे आक़ा ने मुझसे कहा, ‘क़सम खाओ कि तुम इन कनानियों में से जिनके दरमियान मैं रहता हूँ मेरे बेटे के लिए बीवी नहीं लाओगे
Gene UrduGeoD 24:38  बल्कि मेरे बाप के घराने और मेरे रिश्तेदारों के पास जाकर उसके लिए बीवी लाओगे।’
Gene UrduGeoD 24:39  मैंने अपने मालिक से कहा, ‘शायद वह औरत मेरे साथ आना न चाहे।’
Gene UrduGeoD 24:40  उसने कहा, ‘रब जिसके सामने मैं चलता रहा हूँ अपने फ़रिश्ते को तुम्हारे साथ भेजेगा और तुम्हें कामयाबी बख़्शेगा। तुम्हें ज़रूर मेरे रिश्तेदारों और मेरे बाप के घराने से मेरे बेटे के लिए बीवी मिलेगी।
Gene UrduGeoD 24:41  लेकिन अगर तुम मेरे रिश्तेदारों के पास जाओ और वह इनकार करें तो फिर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे।’
Gene UrduGeoD 24:42  आज जब मैं कुएँ के पास आया तो मैंने दुआ की, ‘ऐ रब, मेरे आक़ा के ख़ुदा, अगर तेरी मरज़ी हो तो मुझे इस मिशन में कामयाबी बख़्श जिसके लिए मैं यहाँ आया हूँ।
Gene UrduGeoD 24:43  अब मैं इस कुएँ के पास खड़ा हूँ। जब कोई जवान औरत शहर से निकलकर यहाँ आए तो मैं उससे कहूँगा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी पिलाएँ।”
Gene UrduGeoD 24:44  अगर वह कहे, “पी लें, मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आऊँगी” तो इसका मतलब यह हो कि तूने उसे मेरे आक़ा के बेटे के लिए चुन लिया है कि उस की बीवी बन जाए।’
Gene UrduGeoD 24:45  मैं अभी दिल में यह दुआ कर रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह चश्मे तक उतरी और अपना घड़ा भर लिया। मैंने उससे कहा, ‘ज़रा मुझे पानी पिलाएँ।’
Gene UrduGeoD 24:46  जवाब में उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर कहा, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिलाती हूँ।’ मैंने पानी पिया, और उसने ऊँटों को भी पानी पिलाया।
Gene UrduGeoD 24:47  फिर मैंने उससे पूछा, ‘आप किसकी बेटी हैं?’ उसने जवाब दिया, ‘मेरा बाप बतुएल है। वह नहूर और मिलकाह का बेटा है।’ फिर मैंने उस की नाक में नथ और उस की कलाइयों में कंगन पहना दिए।
Gene UrduGeoD 24:48  तब मैंने रब को सिजदा करके अपने आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद की जिसने मुझे सीधा मेरे मालिक की भतीजी तक पहुँचाया ताकि वह इसहाक़ की बीवी बन जाए।
Gene UrduGeoD 24:49  अब मुझे बताएँ, क्या आप मेरे आक़ा पर अपनी मेहरबानी और वफ़ादारी का इज़हार करना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो रिबक़ा की इसहाक़ के साथ शादी क़बूल करें। अगर आप मुत्तफ़िक़ नहीं हैं तो मुझे बताएँ ताकि मैं कोई और क़दम उठा सकूँ।”
Gene UrduGeoD 24:50  लाबन और बतुएल ने जवाब दिया, “यह बात रब की तरफ़ से है, इसलिए हम किसी तरह भी इनकार नहीं कर सकते।
Gene UrduGeoD 24:51  रिबक़ा आपके सामने है। उसे ले जाएँ। वह आपके मालिक के बेटे की बीवी बन जाए जिस तरह रब ने फ़रमाया है।”
Gene UrduGeoD 24:52  यह सुनकर इब्राहीम के नौकर ने रब को सिजदा किया।
Gene UrduGeoD 24:53  फिर उसने सोने और चाँदी के ज़ेवरात और महँगे मलबूसात अपने सामान में से निकालकर रिबक़ा को दिए। रिबक़ा के भाई और माँ को भी क़ीमती तोह्फ़े मिले।
Gene UrduGeoD 24:54  इसके बाद उसने अपने हमसफ़रों के साथ शाम का खाना खाया। वह रात को वहीं ठहरे। अगले दिन जब उठे तो नौकर ने कहा, “अब हमें इजाज़त दें ताकि अपने आक़ा के पास लौट जाएँ।”
Gene UrduGeoD 24:55  रिबक़ा के भाई और माँ ने कहा, “रिबक़ा कुछ दिन और हमारे हाँ ठहरे। फिर आप जाएँ।”
Gene UrduGeoD 24:56  लेकिन उसने उनसे कहा, “अब देर न करें, क्योंकि रब ने मुझे मेरे मिशन में कामयाबी बख़्शी है। मुझे इजाज़त दें ताकि अपने मालिक के पास वापस जाऊँ।”
Gene UrduGeoD 24:57  उन्होंने कहा, “चलें, हम लड़की को बुलाकर उसी से पूछ लेते हैं।”
Gene UrduGeoD 24:58  उन्होंने रिबक़ा को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू अभी इस आदमी के साथ जाना चाहती है?” उसने कहा, “जी, मैं जाना चाहती हूँ।”
Gene UrduGeoD 24:59  चुनाँचे उन्होंने अपनी बहन रिबक़ा, उस की दाया, इब्राहीम के नौकर और उसके हमसफ़रों को रुख़सत कर दिया।
Gene UrduGeoD 24:60  पहले उन्होंने रिबक़ा को बरकत देकर कहा, “हमारी बहन, अल्लाह करे कि तू करोड़ों की माँ बने। तेरी औलाद अपने दुश्मनों के शहरों के दरवाज़ों पर क़ब्ज़ा करे।”
Gene UrduGeoD 24:61  फिर रिबक़ा और उस की नौकरानियाँ उठकर ऊँटों पर सवार हुईं और इब्राहीम के नौकर के पीछे हो लीं। चुनाँचे नौकर उन्हें साथ लेकर रवाना हो गया।
Gene UrduGeoD 24:62  उस वक़्त इसहाक़ मुल्क के जुनूबी हिस्से, दश्ते-नजब में रहता था। वह बैर-लही-रोई से आया था।
Gene UrduGeoD 24:63  एक शाम वह निकलकर खुले मैदान में अपनी सोचों में मगन टहल रहा था कि अचानक ऊँट उस की तरफ़ आते हुए नज़र आए।
Gene UrduGeoD 24:64  जब रिबक़ा ने अपनी नज़र उठाकर इसहाक़ को देखा तो उसने ऊँट से उतरकर
Gene UrduGeoD 24:65  नौकर से पूछा, “वह आदमी कौन है जो मैदान में हमसे मिलने आ रहा है?” नौकर ने कहा, “मेरा मालिक है।” यह सुनकर रिबक़ा ने चादर लेकर अपने चेहरे को ढाँप लिया।
Gene UrduGeoD 24:66  नौकर ने इसहाक़ को सब कुछ बता दिया जो उसने किया था।
Gene UrduGeoD 24:67  फिर इसहाक़ रिबक़ा को अपनी माँ सारा के डेरे में ले गया। उसने उससे शादी की, और वह उस की बीवी बन गई। इसहाक़ के दिल में उसके लिए बहुत मुहब्बत पैदा हुई। यों उसे अपनी माँ की मौत के बाद सुकून मिला।
Chapter 25
Gene UrduGeoD 25:1  इब्राहीम ने एक और शादी की। नई बीवी का नाम क़तूरा था।
Gene UrduGeoD 25:2  क़तूरा के छः बेटे पैदा हुए, ज़िमरान, युक़सान, मिदान, मिदियान, इसबाक़ और सूख़।
Gene UrduGeoD 25:3  युक़सान के दो बेटे थे, सबा और ददान। असूरी, लतूसी और लूमी ददान की औलाद हैं।
Gene UrduGeoD 25:4  मिदियान के बेटे ऐफ़ा, इफ़र, हनूक, अबीदा और इल्दआ थे। यह सब क़तूरा की औलाद थे।
Gene UrduGeoD 25:5  इब्राहीम ने अपनी सारी मिलकियत इसहाक़ को दे दी।
Gene UrduGeoD 25:6  अपनी मौत से पहले उसने अपनी दूसरी बीवियों के बेटों को तोह्फ़े देकर अपने बेटे से दूर मशरिक़ की तरफ़ भेज दिया।
Gene UrduGeoD 25:7  इब्राहीम 175 साल की उम्र में फ़ौत हुआ। ग़रज़ वह बहुत उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर इंतक़ाल करके अपने बापदादा से जा मिला।
Gene UrduGeoD 25:8  इब्राहीम 175 साल की उम्र में फ़ौत हुआ। ग़रज़ वह बहुत उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर इंतक़ाल करके अपने बापदादा से जा मिला।
Gene UrduGeoD 25:9  उसके बेटों इसहाक़ और इसमाईल ने उसे मकफ़ीला के ग़ार में दफ़न किया जो ममरे के मशरिक़ में है। यह वही ग़ार था जिसे खेत समेत हित्ती आदमी इफ़रोन बिन सुहर से ख़रीदा गया था। इब्राहीम और उस की बीवी सारा दोनों को उसमें दफ़न किया गया।
Gene UrduGeoD 25:10  उसके बेटों इसहाक़ और इसमाईल ने उसे मकफ़ीला के ग़ार में दफ़न किया जो ममरे के मशरिक़ में है। यह वही ग़ार था जिसे खेत समेत हित्ती आदमी इफ़रोन बिन सुहर से ख़रीदा गया था। इब्राहीम और उस की बीवी सारा दोनों को उसमें दफ़न किया गया।
Gene UrduGeoD 25:11  इब्राहीम की वफ़ात के बाद अल्लाह ने इसहाक़ को बरकत दी। उस वक़्त इसहाक़ बैर-लही-रोई के क़रीब आबाद था।
Gene UrduGeoD 25:12  इब्राहीम का बेटा इसमाईल जो सारा की मिसरी लौंडी हाजिरा के हाँ पैदा हुआ उसका नसबनामा यह है।
Gene UrduGeoD 25:13  इसमाईल के बेटे बड़े से लेकर छोटे तक यह हैं : नबायोत, क़ीदार, अदबियेल, मिबसाम,
Gene UrduGeoD 25:15  हदद, तैमा, यतूर, नफ़ीस और क़िदमा।
Gene UrduGeoD 25:16  यह बेटे बारह क़बीलों के बानी बन गए, और जहाँ जहाँ वह आबाद हुए उन जगहों का वही नाम पड़ गया।
Gene UrduGeoD 25:17  इसमाईल 137 साल का था जब वह कूच करके अपने बापदादा से जा मिला।
Gene UrduGeoD 25:18  उस की औलाद उस इलाक़े में आबाद थी जो हवीला और शूर के दरमियान है और जो मिसर के मशरिक़ में असूर की तरफ़ है। यों इसमाईल अपने तमाम भाइयों के सामने ही आबाद हुआ।
Gene UrduGeoD 25:19  यह इब्राहीम के बेटे इसहाक़ का बयान है।
Gene UrduGeoD 25:20  इसहाक़ 40 साल का था जब उस की रिबक़ा से शादी हुई। रिबक़ा लाबन की बहन और अरामी मर्द बतुएल की बेटी थी (बतुएल मसोपुतामिया का था)।
Gene UrduGeoD 25:21  रिबक़ा के बच्चे पैदा न हुए। लेकिन इसहाक़ ने अपनी बीवी के लिए दुआ की तो रब ने उस की सुनी, और रिबक़ा उम्मीद से हुई।
Gene UrduGeoD 25:22  उसके पेट में बच्चे एक दूसरे से ज़ोर-आज़माई करने लगे तो वह रब से पूछने गई, “अगर यह मेरी हालत रहेगी तो फिर मैं यहाँ तक क्यों पहुँच गई हूँ?”
Gene UrduGeoD 25:23  रब ने उससे कहा, “तेरे अंदर दो क़ौमें हैं। वह तुझसे निकलकर एक दूसरी से अलग अलग हो जाएँगी। उनमें से एक ज़्यादा ताक़तवर होगी, और बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा।”
Gene UrduGeoD 25:24  पैदाइश का वक़्त आ गया तो जुड़वाँ बेटे पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 25:25  पहला बच्चा निकला तो सुर्ख़-सा था, और ऐसा लग रहा था कि वह घने बालों का कोट ही पहने हुए है। इसलिए उसका नाम एसौ यानी ‘बालोंवाला’ रखा गया।
Gene UrduGeoD 25:26  इसके बाद दूसरा बच्चा पैदा हुआ। वह एसौ की एड़ी पकड़े हुए निकला, इसलिए उसका नाम याक़ूब यानी ‘एड़ी पकड़नेवाला’ रखा गया। उस वक़्त इसहाक़ 60 साल का था।
Gene UrduGeoD 25:27  लड़के जवान हुए। एसौ माहिर शिकारी बन गया और खुले मैदान में ख़ुश रहता था। उसके मुक़ाबले में याक़ूब शायस्ता था और डेरे में रहना पसंद करता था।
Gene UrduGeoD 25:28  इसहाक़ एसौ को प्यार करता था, क्योंकि वह शिकार का गोश्त पसंद करता था। लेकिन रिबक़ा याक़ूब को प्यार करती थी।
Gene UrduGeoD 25:29  एक दिन याक़ूब सालन पका रहा था कि एसौ थकाहारा जंगल से आया।
Gene UrduGeoD 25:30  उसने कहा, “मुझे जल्दी से लाल सालन, हाँ इसी लाल सालन से कुछ खाने को दो। मैं तो बेदम हो रहा हूँ।” (इसी लिए बाद में उसका नाम अदोम यानी सुर्ख़ पड़ गया।)
Gene UrduGeoD 25:31  याक़ूब ने कहा, “पहले मुझे पहलौठे का हक़ बेच दो।”
Gene UrduGeoD 25:32  एसौ ने कहा, “मैं तो भूक से मर रहा हूँ, पहलौठे का हक़ मेरे किस काम का?”
Gene UrduGeoD 25:33  याक़ूब ने कहा, “पहले क़सम खाकर मुझे यह हक़ बेच दो।” एसौ ने क़सम खाकर उसे पहलौठे का हक़ मुंतक़िल कर दिया।
Gene UrduGeoD 25:34  तब याक़ूब ने उसे कुछ रोटी और दाल दे दी, और एसौ ने खाया और पिया। फिर वह उठकर चला गया। यों उसने पहलौठे के हक़ को हक़ीर जाना।
Chapter 26
Gene UrduGeoD 26:1  उस मुल्क में दुबारा काल पड़ा, जिस तरह इब्राहीम के दिनों में भी पड़ गया था। इसहाक़ जिरार शहर गया जिस पर फ़िलिस्तियों के बादशाह अबीमलिक की हुकूमत थी।
Gene UrduGeoD 26:2  रब ने इसहाक़ पर ज़ाहिर होकर कहा, “मिसर न जा बल्कि उस मुल्क में बस जो मैं तुझे दिखाता हूँ।
Gene UrduGeoD 26:3  उस मुल्क में अजनबी रह तो मैं तेरे साथ हूँगा और तुझे बरकत दूँगा। क्योंकि मैं तुझे और तेरी औलाद को यह तमाम इलाक़ा दूँगा और वह वादा पूरा करूँगा जो मैंने क़सम खाकर तेरे बाप इब्राहीम से किया था।
Gene UrduGeoD 26:4  मैं तुझे इतनी औलाद दूँगा जितने आसमान पर सितारे हैं। और मैं यह तमाम मुल्क उन्हें दे दूँगा। तेरी औलाद से दुनिया की तमाम क़ौमें बरकत पाएँगी।
Gene UrduGeoD 26:5  मैं तुझे इसलिए बरकत दूँगा कि इब्राहीम मेरे ताबे रहा और मेरी हिदायात और अहकाम पर चलता रहा।”
Gene UrduGeoD 26:6  चुनाँचे इसहाक़ जिरार में आबाद हो गया।
Gene UrduGeoD 26:7  जब वहाँ के मर्दों ने रिबक़ा के बारे में पूछा तो इसहाक़ ने कहा, “यह मेरी बहन है।” वह उन्हें यह बताने से डरता था कि यह मेरी बीवी है, क्योंकि उसने सोचा, “रिबक़ा निहायत ख़ूबसूरत है। अगर उन्हें मालूम हो जाए कि रिबक़ा मेरी बीवी है तो वह उसे हासिल करने की ख़ातिर मुझे क़त्ल कर देंगे।”
Gene UrduGeoD 26:8  काफ़ी वक़्त गुज़र गया। एक दिन फ़िलिस्तियों के बादशाह ने अपनी खिड़की में से झाँककर देखा कि इसहाक़ अपनी बीवी को प्यार कर रहा है।
Gene UrduGeoD 26:9  उसने इसहाक़ को बुलाकर कहा, “वह तो आपकी बीवी है! आपने क्यों कहा कि मेरी बहन है?” इसहाक़ ने जवाब दिया, “मैंने सोचा कि अगर मैं बताऊँ कि यह मेरी बीवी है तो लोग मुझे क़त्ल कर देंगे।”
Gene UrduGeoD 26:10  अबीमलिक ने कहा, “आपने हमारे साथ कैसा सुलूक कर दिखाया! कितनी आसानी से मेरे आदमियों में से कोई आपकी बीवी से हमबिसतर हो जाता। इस तरह हम आपके सबब से एक बड़े जुर्म के क़ुसूरवार ठहरते।”
Gene UrduGeoD 26:11  फिर अबीमलिक ने तमाम लोगों को हुक्म दिया, “जो भी इस मर्द या उस की बीवी को छेड़े उसे सज़ाए-मौत दी जाएगी।”
Gene UrduGeoD 26:12  इसहाक़ ने उस इलाक़े में काश्तकारी की, और उसी साल उसे सौ गुना फल मिला। यों रब ने उसे बरकत दी,
Gene UrduGeoD 26:13  और वह अमीर हो गया। उस की दौलत बढ़ती गई, और वह निहायत दौलतमंद हो गया।
Gene UrduGeoD 26:14  उसके पास इतनी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और ग़ुलाम थे कि फ़िलिस्ती उससे हसद करने लगे।
Gene UrduGeoD 26:15  अब ऐसा हुआ कि उन्होंने उन तमाम कुओं को मिट्टी से भरकर बंद कर दिया जो उसके बाप के नौकरों ने खोदे थे।
Gene UrduGeoD 26:16  आख़िरकार अबीमलिक ने इसहाक़ से कहा, “कहीं और जाकर रहें, क्योंकि आप हमसे ज़्यादा ज़ोरावर हो गए हैं।”
Gene UrduGeoD 26:17  चुनाँचे इसहाक़ ने वहाँ से जाकर जिरार की वादी में अपने डेरे लगाए।
Gene UrduGeoD 26:18  वहाँ फ़िलिस्तियों ने इब्राहीम की मौत के बाद तमाम कुओं को मिट्टी से भर दिया था। इसहाक़ ने उनको दुबारा खुदवाया। उसने उनके वही नाम रखे जो उसके बाप ने रखे थे।
Gene UrduGeoD 26:19  इसहाक़ के नौकरों को वादी में खोदते खोदते ताज़ा पानी मिल गया।
Gene UrduGeoD 26:20  लेकिन जिरार के चरवाहे आकर इसहाक़ के चरवाहों से झगड़ने लगे। उन्होंने कहा, “यह हमारा कुआँ है!” इसलिए उसने उस कुएँ का नाम इसक यानी झगड़ा रखा।
Gene UrduGeoD 26:21  इसहाक़ के नौकरों ने एक और कुआँ खोद लिया। लेकिन उस पर भी झगड़ा हुआ, इसलिए उसने उसका नाम सितना यानी मुख़ालफ़त रखा।
Gene UrduGeoD 26:22  वहाँ से जाकर उसने एक तीसरा कुआँ खुदवाया। इस दफ़ा कोई झगड़ा न हुआ, इसलिए उसने उसका नाम रहोबोत यानी ‘खुली जगह’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “रब ने हमें खुली जगह दी है, और अब हम मुल्क में फलें-फूलेंगे।”
Gene UrduGeoD 26:23  वहाँ से वह बैर-सबा चला गया।
Gene UrduGeoD 26:24  उसी रात रब उस पर ज़ाहिर हुआ और कहा, “मैं तेरे बाप इब्राहीम का ख़ुदा हूँ। मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ। मैं तुझे बरकत दूँगा और तुझे अपने ख़ादिम इब्राहीम की ख़ातिर बहुत औलाद दूँगा।”
Gene UrduGeoD 26:25  वहाँ इसहाक़ ने क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की। वहाँ उसने अपने ख़ैमे लगाए और उसके नौकरों ने कुआँ खोद लिया।
Gene UrduGeoD 26:26  एक दिन अबीमलिक, उसका साथी अख़ूज़त और उसका सिपहसालार फ़ीकुल जिरार से उसके पास आए।
Gene UrduGeoD 26:27  इसहाक़ ने पूछा, “आप क्यों मेरे पास आए हैं? आप तो मुझसे नफ़रत रखते हैं। क्या आपने मुझे अपने दरमियान से ख़ारिज नहीं किया था?”
Gene UrduGeoD 26:28  उन्होंने जवाब दिया, “हमने जान लिया है कि रब आपके साथ है। इसलिए हमने कहा कि हमारा आपके साथ अहद होना चाहिए। आइए हम क़सम खाकर एक दूसरे से अहद बाँधें
Gene UrduGeoD 26:29  कि आप हमें नुक़सान नहीं पहुँचाएँगे, क्योंकि हमने भी आपको नहीं छेड़ा बल्कि आपसे सिर्फ़ अच्छा सुलूक किया और आपको सलामती के साथ रुख़सत किया है। और अब ज़ाहिर है कि रब ने आपको बरकत दी है।”
Gene UrduGeoD 26:30  इसहाक़ ने उनकी ज़ियाफ़त की, और उन्होंने खाया और पिया।
Gene UrduGeoD 26:31  फिर सुबह-सवेरे उठकर उन्होंने एक दूसरे के सामने क़सम खाई। इसके बाद इसहाक़ ने उन्हें रुख़सत किया और वह सलामती से रवाना हुए।
Gene UrduGeoD 26:32  उसी दिन इसहाक़ के नौकर आए और उसे उस कुएँ के बारे में इत्तला दी जो उन्होंने खोदा था। उन्होंने कहा, “हमें पानी मिल गया है।”
Gene UrduGeoD 26:33  उसने कुएँ का नाम सबा यानी ‘क़सम’ रखा। आज तक साथवाले शहर का नाम बैर-सबा है।
Gene UrduGeoD 26:34  जब एसौ 40 साल का था तो उसने दो हित्ती औरतों से शादी की, बैरी की बेटी यहूदित से और ऐलोन की बेटी बासमत से।
Gene UrduGeoD 26:35  यह औरतें इसहाक़ और रिबक़ा के लिए बड़े दुख का बाइस बनीं।
Chapter 27
Gene UrduGeoD 27:1  इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े बेटे को बुलाकर कहा, “बेटा।” एसौ ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”
Gene UrduGeoD 27:2  इसहाक़ ने कहा, “मैं बूढ़ा हो गया हूँ और ख़ुदा जाने कब मर जाऊँ।
Gene UrduGeoD 27:3  इसलिए अपना तीर कमान लेकर जंगल में निकल जा और मेरे लिए किसी जानवर का शिकार कर।
Gene UrduGeoD 27:4  उसे तैयार करके ऐसा लज़ीज़ खाना पका जो मुझे पसंद है। फिर उसे मेरे पास ले आ। मरने से पहले मैं वह खाना खाकर तुझे बरकत देना चाहता हूँ।”
Gene UrduGeoD 27:5  रिबक़ा ने इसहाक़ की एसौ के साथ बातचीत सुन ली थी। जब एसौ शिकार करने के लिए चला गया तो उसने याक़ूब से कहा,
Gene UrduGeoD 27:6  “अभी अभी मैंने तुम्हारे अब्बू को एसौ से यह बात करते हुए सुना कि
Gene UrduGeoD 27:7  ‘मेरे लिए किसी जानवर का शिकार करके ले आ। उसे तैयार करके मेरे लिए लज़ीज़ खाना पका। मरने से पहले मैं यह खाना खाकर तुझे रब के सामने बरकत देना चाहता हूँ।’
Gene UrduGeoD 27:8  अब सुनो, मेरे बेटे! जो कुछ मैं बताती हूँ वह करो।
Gene UrduGeoD 27:9  जाकर रेवड़ में से बकरियों के दो अच्छे अच्छे बच्चे चुन लो। फिर मैं वही लज़ीज़ खाना पकाऊँगी जो तुम्हारे अब्बू को पसंद है।
Gene UrduGeoD 27:10  तुम यह खाना उसके पास ले जाओगे तो वह उसे खाकर मरने से पहले तुम्हें बरकत देगा।”
Gene UrduGeoD 27:11  लेकिन याक़ूब ने एतराज़ किया, “आप जानती हैं कि एसौ के जिस्म पर घने बाल हैं जबकि मेरे बाल कम हैं।
Gene UrduGeoD 27:12  कहीं मुझे छूने से मेरे बाप को पता न चल जाए कि मैं उसे फ़रेब दे रहा हूँ। फिर मुझ पर बरकत नहीं बल्कि लानत आएगी।”
Gene UrduGeoD 27:13  उस की माँ ने कहा, “तुम पर आनेवाली लानत मुझ पर आए, बेटा। बस मेरी बात मान लो। जाओ और बकरियों के वह बच्चे ले आओ।”
Gene UrduGeoD 27:14  चुनाँचे वह गया और उन्हें अपनी माँ के पास ले आया। रिबक़ा ने ऐसा लज़ीज़ खाना पकाया जो याक़ूब के बाप को पसंद था।
Gene UrduGeoD 27:15  एसौ के ख़ास मौक़ों के लिए अच्छे लिबास रिबक़ा के पास घर में थे। उसने उनमें से बेहतरीन लिबास चुनकर अपने छोटे बेटे को पहना दिया।
Gene UrduGeoD 27:16  साथ साथ उसने बकरियों की खालें उसके हाथों और गरदन पर जहाँ बाल न थे लपेट दीं।
Gene UrduGeoD 27:17  फिर उसने अपने बेटे याक़ूब को रोटी और वह लज़ीज़ खाना दिया जो उसने पकाया था।
Gene UrduGeoD 27:18  याक़ूब ने अपने बाप के पास जाकर कहा, “अब्बू जी।” इसहाक़ ने कहा, “जी, बेटा। तू कौन है?”
Gene UrduGeoD 27:19  उसने कहा, “मैं आपका पहलौठा एसौ हूँ। मैंने वह किया है जो आपने मुझे कहा था। अब ज़रा उठें और बैठकर मेरे शिकार का खाना खाएँ ताकि आप बाद में मुझे बरकत दें।”
Gene UrduGeoD 27:20  इसहाक़ ने पूछा, “बेटा, तुझे यह शिकार इतनी जल्दी किस तरह मिल गया?” उसने जवाब दिया, “रब आपके ख़ुदा ने उसे मेरे सामने से गुज़रने दिया।”
Gene UrduGeoD 27:21  इसहाक़ ने कहा, “बेटा, मेरे क़रीब आ ताकि मैं तुझे छू लूँ कि तू वाक़ई मेरा बेटा एसौ है कि नहीं।”
Gene UrduGeoD 27:22  याक़ूब अपने बाप के नज़दीक आया। इसहाक़ ने उसे छूकर कहा, “तेरी आवाज़ तो याक़ूब की है लेकिन तेरे हाथ एसौ के हैं।”
Gene UrduGeoD 27:23  यों उसने फ़रेब खाया। चूँकि याक़ूब के हाथ एसौ के हाथ की मानिंद थे इसलिए उसने उसे बरकत दी।
Gene UrduGeoD 27:24  तो भी उसने दुबारा पूछा, “क्या तू वाक़ई मेरा बेटा एसौ है?” याक़ूब ने जवाब दिया, “जी, मैं वही हूँ।”
Gene UrduGeoD 27:25  आख़िरकार इसहाक़ ने कहा, “शिकार का खाना मेरे पास ले आ, बेटा। उसे खाने के बाद मैं तुझे बरकत दूँगा।” याक़ूब खाना और मै ले आया। इसहाक़ ने खाया और पिया,
Gene UrduGeoD 27:26  फिर कहा, “बेटा, मेरे पास आ और मुझे बोसा दे।”
Gene UrduGeoD 27:27  याक़ूब ने पास आकर उसे बोसा दिया। इसहाक़ ने उसके लिबास को सूँघकर उसे बरकत दी। उसने कहा, “मेरे बेटे की ख़ुशबू उस खुले मैदान की ख़ुशबू की मानिंद है जिसे रब ने बरकत दी है।
Gene UrduGeoD 27:28  अल्लाह तुझे आसमान की ओस और ज़मीन की ज़रख़ेज़ी दे। वह तुझे कसरत का अनाज और अंगूर का रस दे।
Gene UrduGeoD 27:29  क़ौमें तेरी ख़िदमत करें, और उम्मतें तेरे सामने झुक जाएँ। अपने भाइयों का हुक्मरान बन, और तेरी माँ की औलाद तेरे सामने घुटने टेके। जो तुझ पर लानत करे वह ख़ुद लानती हो और जो तुझे बरकत दे वह ख़ुद बरकत पाए।”
Gene UrduGeoD 27:30  इसहाक़ की बरकत के बाद याक़ूब अभी रुख़सत ही हुआ था कि उसका भाई एसौ शिकार करके वापस आया।
Gene UrduGeoD 27:31  वह भी लज़ीज़ खाना पकाकर उसे अपने बाप के पास ले आया। उसने कहा, “अब्बू जी, उठें और मेरे शिकार का खाना खाएँ ताकि आप मुझे बरकत दें।”
Gene UrduGeoD 27:32  इसहाक़ ने पूछा, “तू कौन है?” उसने जवाब दिया, “मैं आपका बड़ा बेटा एसौ हूँ।”
Gene UrduGeoD 27:33  इसहाक़ घबराकर शिद्दत से काँपने लगा। उसने पूछा, “फिर वह कौन था जो किसी जानवर का शिकार करके मेरे पास ले आया? तेरे आने से ज़रा पहले मैंने उस शिकार का खाना खाकर उस शख़्स को बरकत दी। अब वह बरकत उसी पर रहेगी।”
Gene UrduGeoD 27:34  यह सुनकर एसौ ज़ोरदार और तलख़ चीख़ें मारने लगा। “अब्बू, मुझे भी बरकत दें,” उसने कहा।
Gene UrduGeoD 27:35  लेकिन इसहाक़ ने जवाब दिया, “तेरे भाई ने आकर मुझे फ़रेब दिया। उसने तेरी बरकत तुझसे छीन ली है।”
Gene UrduGeoD 27:36  एसौ ने कहा, “उसका नाम याक़ूब ठीक ही रखा गया है, क्योंकि अब उसने मुझे दूसरी बार धोका दिया है। पहले उसने पहलौठे का हक़ मुझसे छीन लिया और अब मेरी बरकत भी ज़बरदस्ती ले ली। क्या आपने मेरे लिए कोई बरकत महफ़ूज़ नहीं रखी?”
Gene UrduGeoD 27:37  लेकिन इसहाक़ ने कहा, “मैंने उसे तेरा हुक्मरान और उसके तमाम भाइयों को उसके ख़ादिम बना दिया है। मैंने उसे अनाज और अंगूर का रस मुहैया किया है। अब मुझे बता बेटा, क्या कुछ रह गया है जो मैं तुझे दूँ?”
Gene UrduGeoD 27:38  लेकिन एसौ ख़ामोश न हुआ बल्कि कहा, “अब्बू, क्या आपके पास वाक़ई सिर्फ़ यही बरकत थी? अब्बू, मुझे भी बरकत दें।” वह ज़ारो-क़तार रोने लगा।
Gene UrduGeoD 27:39  फिर इसहाक़ ने कहा, “तू ज़मीन की ज़रख़ेज़ी और आसमान की ओस से महरूम रहेगा।
Gene UrduGeoD 27:40  तू सिर्फ़ अपनी तलवार के सहारे ज़िंदा रहेगा और अपने भाई की ख़िदमत करेगा। लेकिन एक दिन तू बेचैन होकर उसका जुआ अपनी गरदन पर से उतार फेंकेगा।”
Gene UrduGeoD 27:41  बाप की बरकत के सबब से एसौ याक़ूब का दुश्मन बन गया। उसने दिल में कहा, “वह दिन क़रीब आ गए हैं कि अब्बू इंतक़ाल कर जाएंगे और हम उनका मातम करेंगे। फिर मैं अपने भाई को मार डालूँगा।”
Gene UrduGeoD 27:42  रिबक़ा को अपने बड़े बेटे एसौ का यह इरादा मालूम हुआ। उसने याक़ूब को बुलाकर कहा, “तुम्हारा भाई बदला लेना चाहता है। वह तुम्हें क़त्ल करने का इरादा रखता है।
Gene UrduGeoD 27:43  बेटा, अब मेरी सुनो, यहाँ से हिजरत कर जाओ। हारान शहर में मेरे भाई लाबन के पास चले जाओ।
Gene UrduGeoD 27:44  वहाँ कुछ दिन ठहरे रहना जब तक तुम्हारे भाई का ग़ुस्सा ठंडा न हो जाए।
Gene UrduGeoD 27:45  जब उसका ग़ुस्सा ठंडा हो जाएगा और वह तुम्हारे उसके साथ किए गए सुलूक को भूल जाएगा, तब मैं इत्तला दूँगी कि तुम वहाँ से वापस आ सकते हो। मैं क्यों एक ही दिन में तुम दोनों से महरूम हो जाऊँ?”
Gene UrduGeoD 27:46  फिर रिबक़ा ने इसहाक़ से बात की, “मैं एसौ की बीवियों के सबब से अपनी ज़िंदगी से तंग हूँ। अगर याक़ूब भी इस मुल्क की औरतों में से किसी से शादी करे तो बेहतर है कि मैं पहले ही मर जाऊँ।”
Chapter 28
Gene UrduGeoD 28:1  इसहाक़ ने याक़ूब को बुलाकर उसे बरकत दी और कहा, “लाज़िम है कि तू किसी कनानी औरत से शादी न करे।
Gene UrduGeoD 28:2  अब सीधे मसोपुतामिया में अपने नाना बतुएल के घर जा और वहाँ अपने मामूँ लाबन की लड़कियों में से किसी एक से शादी कर।
Gene UrduGeoD 28:3  अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ तुझे बरकत देकर फलने फूलने दे और तुझे इतनी औलाद दे कि तू बहुत सारी क़ौमों का बाप बने।
Gene UrduGeoD 28:4  वह तुझे और तेरी औलाद को इब्राहीम की बरकत दे जिसे उसने यह मुल्क दिया जिसमें तू मेहमान के तौर पर रहता है। यह मुल्क तुम्हारे क़ब्ज़े में आए।”
Gene UrduGeoD 28:5  यों इसहाक़ ने याक़ूब को मसोपुतामिया में लाबन के घर भेजा। लाबन अरामी मर्द बतुएल का बेटा और रिबक़ा का भाई था।
Gene UrduGeoD 28:6  एसौ को पता चला कि इसहाक़ ने याक़ूब को बरकत देकर मसोपुतामिया भेज दिया है ताकि वहाँ शादी करे। उसे यह भी मालूम हुआ कि इसहाक़ ने उसे कनानी औरत से शादी करने से मना किया है
Gene UrduGeoD 28:7  और कि याक़ूब अपने माँ-बाप की सुनकर मसोपुतामिया चला गया है।
Gene UrduGeoD 28:8  एसौ समझ गया कि कनानी औरतें मेरे बाप को मंज़ूर नहीं हैं।
Gene UrduGeoD 28:9  इसलिए वह इब्राहीम के बेटे इसमाईल के पास गया और उस की बेटी महलत से शादी की। वह नबायोत की बहन थी। यों उस की बीवियों में इज़ाफ़ा हुआ।
Gene UrduGeoD 28:10  याक़ूब बैर-सबा से हारान की तरफ़ रवाना हुआ।
Gene UrduGeoD 28:11  जब सूरज ग़ुरूब हुआ तो वह रात गुज़ारने के लिए रुक गया और वहाँ के पत्थरों में से एक को लेकर उसे अपने सिरहाने रखा और सो गया।
Gene UrduGeoD 28:12  जब वह सो रहा था तो ख़ाब में एक सीढ़ी देखी जो ज़मीन से आसमान तक पहुँचती थी। फ़रिश्ते उस पर चढ़ते और उतरते नज़र आते थे।
Gene UrduGeoD 28:13  रब उसके ऊपर खड़ा था। उसने कहा, “मैं रब इब्राहीम और इसहाक़ का ख़ुदा हूँ। मैं तुझे और तेरी औलाद को यह ज़मीन दूँगा जिस पर तू लेटा है।
Gene UrduGeoD 28:14  तेरी औलाद ज़मीन पर ख़ाक की तरह बेशुमार होगी, और तू चारों तरफ़ फैल जाएगा। दुनिया की तमाम क़ौमें तेरे और तेरी औलाद के वसीले से बरकत पाएँगी।
Gene UrduGeoD 28:15  मैं तेरे साथ हूँगा, तुझे महफ़ूज़ रखूँगा और आख़िरकार तुझे इस मुल्क में वापस लाऊँगा। मुमकिन ही नहीं कि मैं तेरे साथ अपना वादा पूरा करने से पहले तुझे छोड़ दूँ।”
Gene UrduGeoD 28:16  तब याक़ूब जाग उठा। उसने कहा, “यक़ीनन रब यहाँ हाज़िर है, और मुझे मालूम नहीं था।”
Gene UrduGeoD 28:17  वह डर गया और कहा, “यह कितना ख़ौफ़नाक मक़ाम है। यह तो अल्लाह ही का घर और आसमान का दरवाज़ा है।”
Gene UrduGeoD 28:18  याक़ूब सुबह-सवेरे उठा। उसने वह पत्थर लिया जो उसने अपने सिरहाने रखा था और उसे सतून की तरह खड़ा किया। फिर उसने उस पर ज़ैतून का तेल उंडेल दिया।
Gene UrduGeoD 28:19  उसने मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले साथवाले शहर का नाम लूज़ था)।
Gene UrduGeoD 28:20  उसने क़सम खाकर कहा, “अगर रब मेरे साथ हो, सफ़र पर मेरी हिफ़ाज़त करे, मुझे खाना और कपड़ा मुहैया करे
Gene UrduGeoD 28:21  और मैं सलामती से अपने बाप के घर वापस पहुँचूँ तो फिर वह मेरा ख़ुदा होगा।
Gene UrduGeoD 28:22  जहाँ यह पत्थर सतून के तौर पर खड़ा है वहाँ अल्लाह का घर होगा, और जो भी तू मुझे देगा उसका दसवाँ हिस्सा तुझे दिया करूँगा।”
Chapter 29
Gene UrduGeoD 29:1  याक़ूब ने अपना सफ़र जारी रखा और चलते चलते मशरिक़ी क़ौमों के मुल्क में पहुँच गया।
Gene UrduGeoD 29:2  वहाँ उसने खेत में कुआँ देखा जिसके इर्दगिर्द भेड़-बकरियों के तीन रेवड़ जमा थे। रेवड़ों को कुएँ का पानी पिलाया जाना था, लेकिन उसके मुँह पर बड़ा पत्थर पड़ा था।
Gene UrduGeoD 29:3  वहाँ पानी पिलाने का यह तरीक़ा था कि पहले चरवाहे तमाम रेवड़ों का इंतज़ार करते और फिर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा देते थे। पानी पिलाने के बाद वह पत्थर को दुबारा मुँह पर रख देते थे।
Gene UrduGeoD 29:4  याक़ूब ने चरवाहों से पूछा, “मेरे भाइयो, आप कहाँ के हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “हारान के।”
Gene UrduGeoD 29:5  उसने पूछा, “क्या आप नहूर के पोते लाबन को जानते हैं?” उन्होंने कहा, “जी हाँ।”
Gene UrduGeoD 29:6  उसने पूछा, “क्या वह ख़ैरियत से है?” उन्होंने कहा, “जी, वह ख़ैरियत से है। देखो, उधर उस की बेटी राख़िल रेवड़ लेकर आ रही है।”
Gene UrduGeoD 29:7  याक़ूब ने कहा, “अभी तो शाम तक बहुत वक़्त बाक़ी है। रेवड़ों को जमा करने का वक़्त तो नहीं है। आप क्यों उन्हें पानी पिलाकर दुबारा चरने नहीं देते?”
Gene UrduGeoD 29:8  उन्होंने जवाब दिया, “पहले ज़रूरी है कि तमाम रेवड़ यहाँ पहुँचें। तब ही पत्थर को लुढ़काकर एक तरफ़ हटाया जाएगा और हम रेवड़ों को पानी पिलाएँगे।”
Gene UrduGeoD 29:9  याक़ूब अभी उनसे बात कर ही रहा था कि राख़िल अपने बाप का रेवड़ लेकर आ पहुँची, क्योंकि भेड़-बकरियों को चराना उसका काम था।
Gene UrduGeoD 29:10  जब याक़ूब ने राख़िल को मामूँ लाबन के रेवड़ के साथ आते देखा तो उसने कुएँ के पास जाकर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा दिया और भेड़-बकरियों को पानी पिलाया।
Gene UrduGeoD 29:11  फिर उसने उसे बोसा दिया और ख़ूब रोने लगा।
Gene UrduGeoD 29:12  उसने कहा, “मैं आपके अब्बू की बहन रिबक़ा का बेटा हूँ।” यह सुनकर राख़िल ने भागकर अपने अब्बू को इत्तला दी।
Gene UrduGeoD 29:13  जब लाबन ने सुना कि मेरा भानजा याक़ूब आया है तो वह दौड़कर उससे मिलने गया और उसे गले लगाकर अपने घर ले आया। याक़ूब ने उसे सब कुछ बता दिया जो हुआ था।
Gene UrduGeoD 29:14  लाबन ने कहा, “आप वाक़ई मेरे रिश्तेदार हैं।” याक़ूब ने वहाँ एक पूरा महीना गुज़ारा।
Gene UrduGeoD 29:15  फिर लाबन याक़ूब से कहने लगा, “बेशक आप मेरे रिश्तेदार हैं, लेकिन आपको मेरे लिए काम करने के बदले में कुछ मिलना चाहिए। मैं आपको कितने पैसे दूँ?”
Gene UrduGeoD 29:16  लाबन की दो बेटियाँ थीं। बड़ी का नाम लियाह था और छोटी का राख़िल।
Gene UrduGeoD 29:17  लियाह की आँखें चुंधी थीं जबकि राख़िल हर तरह से ख़ूबसूरत थी।
Gene UrduGeoD 29:18  याक़ूब को राख़िल से मुहब्बत थी, इसलिए उसने कहा, “अगर मुझे आपकी छोटी बेटी राख़िल मिल जाए तो आपके लिए सात साल काम करूँगा।”
Gene UrduGeoD 29:19  लाबन ने कहा, “किसी और आदमी की निसबत मुझे यह ज़्यादा पसंद है कि आप ही से उस की शादी कराऊँ।”
Gene UrduGeoD 29:20  पस याक़ूब ने राख़िल को पाने के लिए सात साल तक काम किया। लेकिन उसे ऐसा लगा जैसा दो एक दिन ही गुज़रे हों क्योंकि वह राख़िल को शिद्दत से प्यार करता था।
Gene UrduGeoD 29:21  इसके बाद उसने लाबन से कहा, “मुद्दत पूरी हो गई है। अब मुझे अपनी बेटी से शादी करने दें।”
Gene UrduGeoD 29:22  लाबन ने उस मक़ाम के तमाम लोगों को दावत देकर शादी की ज़ियाफ़त की।
Gene UrduGeoD 29:23  लेकिन उस रात वह राख़िल की बजाए लियाह को याक़ूब के पास ले आया, और याक़ूब उसी से हमबिसतर हुआ।
Gene UrduGeoD 29:24  (लाबन ने लियाह को अपनी लौंडी ज़िलफ़ा दे दी थी ताकि वह उस की ख़िदमत करे।)
Gene UrduGeoD 29:25  जब सुबह हुई तो याक़ूब ने देखा कि लियाह ही मेरे पास है। उसने लाबन के पास जाकर कहा, “यह आपने मेरे साथ क्या किया है? क्या मैंने राख़िल के लिए काम नहीं किया? आपने मुझे धोका क्यों दिया?”
Gene UrduGeoD 29:26  लाबन ने जवाब दिया, “यहाँ दस्तूर नहीं है कि छोटी बेटी की शादी बड़ी से पहले कर दी जाए।
Gene UrduGeoD 29:27  एक हफ़ते के बाद शादी की रुसूमात पूरी हो जाएँगी। उस वक़्त तक सब्र करें। फिर मैं आपको राख़िल भी दे दूँगा। शर्त यह है कि आप मज़ीद सात साल मेरे लिए काम करें।”
Gene UrduGeoD 29:28  याक़ूब मान गया। चुनाँचे जब एक हफ़ते के बाद शादी की रुसूमात पूरी हुईं तो लाबन ने अपनी बेटी राख़िल की शादी भी उसके साथ कर दी।
Gene UrduGeoD 29:29  (लाबन ने राख़िल को अपनी लौंडी बिलहाह दे दी ताकि वह उस की ख़िदमत करे।)
Gene UrduGeoD 29:30  याक़ूब राख़िल से भी हमबिसतर हुआ। वह लियाह की निसबत उसे ज़्यादा प्यार करता था। फिर उसने राख़िल के एवज़ सात साल और लाबन की ख़िदमत की।
Gene UrduGeoD 29:31  जब रब ने देखा कि लियाह से नफ़रत की जाती है तो उसने उसे औलाद दी जबकि राख़िल के हाँ बच्चे पैदा न हुए।
Gene UrduGeoD 29:32  लियाह हामिला हुई और उसके बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “रब ने मेरी मुसीबत देखी है और अब मेरा शौहर मुझे प्यार करेगा।” उसने उसका नाम रूबिन यानी ‘देखो एक बेटा’ रखा।
Gene UrduGeoD 29:33  वह दुबारा हामिला हुई। एक और बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “रब ने सुना कि मुझसे नफ़रत की जाती है, इसलिए उसने मुझे यह भी दिया है।” उसने उसका नाम शमौन यानी ‘रब ने सुना है’ रखा।
Gene UrduGeoD 29:34  वह एक और दफ़ा हामिला हुई। तीसरा बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “अब आख़िरकार शौहर के साथ मेरा बंधन मज़बूत हो जाएगा, क्योंकि मैंने उसके लिए तीन बेटों को जन्म दिया है।” उसने उसका नाम लावी यानी बंधन रखा।
Gene UrduGeoD 29:35  वह एक बार फिर हामिला हुई। चौथा बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “इस दफ़ा मैं रब की तमजीद करूँगी।” उसने उसका नाम यहूदाह यानी तमजीद रखा। इसके बाद उससे और बच्चे पैदा न हुए।
Chapter 30
Gene UrduGeoD 30:1  लेकिन राख़िल बेऔलाद ही रही, इसलिए वह अपनी बहन से हसद करने लगी। उसने याक़ूब से कहा, “मुझे भी औलाद दें वरना मैं मर जाऊँगी।”
Gene UrduGeoD 30:2  याक़ूब को ग़ुस्सा आया। उसने कहा, “क्या मैं अल्लाह हूँ जिसने तुझे औलाद से महरूम रखा है?”
Gene UrduGeoD 30:3  राख़िल ने कहा, “यहाँ मेरी लौंडी बिलहाह है। उसके साथ हमबिसतर हों ताकि वह मेरे लिए बच्चे को जन्म दे और मैं उस की मारिफ़त माँ बन जाऊँ।”
Gene UrduGeoD 30:4  यों उसने अपने शौहर को बिलहाह दी, और वह उससे हमबिसतर हुआ।
Gene UrduGeoD 30:5  बिलहाह हामिला हुई और बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 30:6  राख़िल ने कहा, “अल्लाह ने मेरे हक़ में फ़ैसला दिया है। उसने मेरी दुआ सुनकर मुझे बेटा दे दिया है।” उसने उसका नाम दान यानी ‘किसी के हक़ में फ़ैसला करनेवाला’ रखा।
Gene UrduGeoD 30:7  बिलहाह दुबारा हामिला हुई और एक और बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 30:8  राख़िल ने कहा, “मैंने अपनी बहन से सख़्त कुश्ती लड़ी है, लेकिन जीत गई हूँ।” उसने उसका नाम नफ़ताली यानी ‘कुश्ती में मुझसे जीता गया’ रखा।
Gene UrduGeoD 30:9  जब लियाह ने देखा कि मेरे और बच्चे पैदा नहीं हो रहे तो उसने याक़ूब को अपनी लौंडी ज़िलफ़ा दे दी ताकि वह भी उस की बीवी हो।
Gene UrduGeoD 30:10  ज़िलफ़ा के भी एक बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 30:11  लियाह ने कहा, “मैं कितनी ख़ुशक़िसमत हूँ!” चुनाँचे उसने उसका नाम जद यानी ख़ुशक़िसमती रखा।
Gene UrduGeoD 30:12  फिर ज़िलफ़ा के दूसरा बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 30:13  लियाह ने कहा, “मैं कितनी मुबारक हूँ। अब ख़वातीन मुझे मुबारक कहेंगी।” उसने उसका नाम आशर यानी मुबारक रखा।
Gene UrduGeoD 30:14  एक दिन अनाज की फ़सल की कटाई हो रही थी कि रूबिन बाहर निकलकर खेतों में चला गया। वहाँ उसे मर्दुमगयाह मिल गए। वह उन्हें अपनी माँ लियाह के पास ले आया। यह देखकर राख़िल ने लियाह से कहा, “मुझे ज़रा अपने बेटे के मर्दुमगयाह में से कुछ दे दो।”
Gene UrduGeoD 30:15  लियाह ने जवाब दिया, “क्या यही काफ़ी नहीं कि तुमने मेरे शौहर को मुझसे छीन लिया है? अब मेरे बेटे के मर्दुमगयाह को भी छीनना चाहती हो।” राख़िल ने कहा, “अगर तुम मुझे अपने बेटे के मर्दुमगयाह में से दो तो आज रात याक़ूब के साथ सो सकती हो।”
Gene UrduGeoD 30:16  शाम को याक़ूब खेतों से वापस आ रहा था कि लियाह आगे से उससे मिलने को गई और कहा, “आज रात आपको मेरे साथ सोना है, क्योंकि मैंने अपने बेटे के मर्दुमगयाह के एवज़ आपको उजरत पर लिया है।” चुनाँचे याक़ूब ने लियाह के पास रात गुज़ारी।
Gene UrduGeoD 30:17  उस वक़्त अल्लाह ने लियाह की दुआ सुनी और वह हामिला हुई। उसके पाँचवाँ बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 30:18  लियाह ने कहा, “अल्लाह ने मुझे इसका अज्र दिया है कि मैंने अपने शौहर को अपनी लौंडी दी।” उसने उसका नाम इशकार यानी अज्र रखा।
Gene UrduGeoD 30:19  इसके बाद वह एक और दफ़ा हामिला हुई। उसके छटा बेटा पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 30:20  उसने कहा, “अल्लाह ने मुझे एक अच्छा-ख़ासा तोह्फ़ा दिया है। अब मेरा ख़ाविंद मेरे साथ रहेगा, क्योंकि मुझसे उसके छः बेटे पैदा हुए हैं।” उसने उसका नाम ज़बूलून यानी रिहाइश रखा।
Gene UrduGeoD 30:21  इसके बाद बेटी पैदा हुई। उसने उसका नाम दीना रखा।
Gene UrduGeoD 30:22  फिर अल्लाह ने राख़िल को भी याद किया। उसने उस की दुआ सुनकर उसे औलाद बख़्शी।
Gene UrduGeoD 30:23  वह हामिला हुई और एक बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “मुझे बेटा अता करने से अल्लाह ने मेरी इज़्ज़त बहाल कर दी है।
Gene UrduGeoD 30:24  रब मुझे एक और बेटा दे।” उसने उसका नाम यूसुफ़ यानी ‘वह और दे’ रखा।
Gene UrduGeoD 30:25  यूसुफ़ की पैदाइश के बाद याक़ूब ने लाबन से कहा, “अब मुझे इजाज़त दें कि मैं अपने वतन और घर को वापस जाऊँ।
Gene UrduGeoD 30:26  मुझे मेरे बाल-बच्चे दें जिनके एवज़ मैंने आपकी ख़िदमत की है। फिर मैं चला जाऊँगा। आप तो ख़ुद जानते हैं कि मैंने कितनी मेहनत के साथ आपके लिए काम किया है।”
Gene UrduGeoD 30:27  लेकिन लाबन ने कहा, “मुझ पर मेहरबानी करें और यहीं रहें। मुझे ग़ैबदानी से पता चला है कि रब ने मुझे आपके सबब से बरकत दी है।
Gene UrduGeoD 30:28  अपनी उजरत ख़ुद मुक़र्रर करें तो मैं वही दिया करूँगा।”
Gene UrduGeoD 30:29  याक़ूब ने कहा, “आप जानते हैं कि मैंने किस तरह आपके लिए काम किया, कि मेरे वसीले से आपके मवेशी कितने बढ़ गए हैं।
Gene UrduGeoD 30:30  जो थोड़ा-बहुत मेरे आने से पहले आपके पास था वह अब बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। रब ने मेरे काम से आपको बहुत बरकत दी है। अब वह वक़्त आ गया है कि मैं अपने घर के लिए कुछ करूँ।”
Gene UrduGeoD 30:31  लाबन ने कहा, “मैं आपको क्या दूँ?” याक़ूब ने कहा, “मुझे कुछ न दें। मैं इस शर्त पर आपकी भेड़-बकरियों की देख-भाल जारी रखूँगा कि
Gene UrduGeoD 30:32  आज मैं आपके रेवड़ में से गुज़रकर उन तमाम भेड़ों को अलग कर लूँगा जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हों या जो सफ़ेद न हों। इसी तरह मैं उन तमाम बकरियों को भी अलग कर लूँगा जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हों। यही मेरी उजरत होगी।
Gene UrduGeoD 30:33  आइंदा जिन बकरियों के जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे होंगे या जिन भेड़ों का रंग सफ़ेद नहीं होगा वह मेरा अज्र होंगी। जब कभी आप उनका मुआयना करेंगे तो आप मालूम कर सकेंगे कि मैं दियानतदार रहा हूँ। क्योंकि मेरे जानवरों के रंग से ही ज़ाहिर होगा कि मैंने आपका कुछ चुराया नहीं है।”
Gene UrduGeoD 30:34  लाबन ने कहा, “ठीक है। ऐसा ही हो जैसा आपने कहा है।”
Gene UrduGeoD 30:35  उसी दिन लाबन ने उन बकरों को अलग कर लिया जिनके जिस्म पर धारियाँ या धब्बे थे और उन तमाम बकरियों को जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे थे। जिसके भी जिस्म पर सफ़ेद निशान था उसे उसने अलग कर लिया। इसी तरह उसने उन तमाम भेड़ों को भी अलग कर लिया जो पूरे तौर पर सफ़ेद न थे। फिर लाबन ने उन्हें अपने बेटों के सुपुर्द कर दिया
Gene UrduGeoD 30:36  जो उनके साथ याक़ूब से इतना दूर चले गए कि उनके दरमियान तीन दिन का फ़ासला था। तब याक़ूब लाबन की बाक़ी भेड़-बकरियों की देख-भाल करता गया।
Gene UrduGeoD 30:37  याक़ूब ने सफ़ेदा, बादाम और चनार की हरी हरी शाख़ें लेकर उनसे कुछ छिलका यों उतार दिया कि उस पर सफ़ेद धारियाँ नज़र आईं।
Gene UrduGeoD 30:38  उसने उन्हें भेड़-बकरियों के सामने उन हौज़ों में गाड़ दिया जहाँ वह पानी पीते थे, क्योंकि वहाँ यह जानवर मस्त होकर मिलाप करते थे।
Gene UrduGeoD 30:39  जब वह इन शाख़ों के सामने मिलाप करते तो जो बच्चे पैदा होते उनके जिस्म पर छोटे और बड़े धब्बे और धारियाँ होती थीं।
Gene UrduGeoD 30:40  फिर याक़ूब ने भेड़ के बच्चों को अलग करके अपने रेवड़ों को लाबन के उन जानवरों के सामने चरने दिया जिनके जिस्म पर धारियाँ थीं और जो सफ़ेद न थे। यों उसने अपने ज़ाती रेवड़ों को अलग कर लिया और उन्हें लाबन के रेवड़ के साथ चरने न दिया।
Gene UrduGeoD 30:41  लेकिन उसने यह शाख़ें सिर्फ़ उस वक़्त हौज़ों में खड़ी कीं जब ताक़तवर जानवर मस्त होकर मिलाप करते थे।
Gene UrduGeoD 30:42  कमज़ोर जानवरों के साथ उसने ऐसा न किया। इसी तरह लाबन को कमज़ोर जानवर और याक़ूब को ताक़तवर जानवर मिल गए।
Gene UrduGeoD 30:43  यों याक़ूब बहुत अमीर बन गया। उसके पास बहुत-से रेवड़, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे थे।
Chapter 31
Gene UrduGeoD 31:1  एक दिन याक़ूब को पता चला कि लाबन के बेटे मेरे बारे में कह रहे हैं, “याक़ूब ने हमारे अब्बू से सब कुछ छीन लिया है। उसने यह तमाम दौलत हमारे बाप की मिलकियत से हासिल की है।”
Gene UrduGeoD 31:2  याक़ूब ने यह भी देखा कि लाबन का मेरे साथ रवैया पहले की निसबत बिगड़ गया है।
Gene UrduGeoD 31:3  फिर रब ने उससे कहा, “अपने बाप के मुल्क और अपने रिश्तेदारों के पास वापस चला जा। मैं तेरे साथ हूँगा।”
Gene UrduGeoD 31:4  उस वक़्त याक़ूब खुले मैदान में अपने रेवड़ों के पास था। उसने वहाँ से राख़िल और लियाह को बुलाकर
Gene UrduGeoD 31:5  उनसे कहा, “मैंने देख लिया है कि आपके बाप का मेरे साथ रवैया पहले की निसबत बिगड़ गया है। लेकिन मेरे बाप का ख़ुदा मेरे साथ रहा है।
Gene UrduGeoD 31:6  आप दोनों जानती हैं कि मैंने आपके अब्बू के लिए कितनी जाँफ़िशानी से काम किया है।
Gene UrduGeoD 31:7  लेकिन वह मुझे फ़रेब देता रहा और मेरी उजरत दस बार बदली। ताहम अल्लाह ने उसे मुझे नुक़सान पहुँचाने न दिया।
Gene UrduGeoD 31:8  जब मामूँ लाबन कहते थे, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धब्बे हों वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धब्बे ही थे। जब उन्होंने कहा, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धारियाँ होंगी वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धारियाँ ही थीं।
Gene UrduGeoD 31:9  यों अल्लाह ने आपके अब्बू के मवेशी छीनकर मुझे दे दिए हैं।
Gene UrduGeoD 31:10  अब ऐसा हुआ कि हैवानों की मस्ती के मौसम में मैंने एक ख़ाब देखा। उसमें जो मेंढे और बकरे भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे थे उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ थीं।
Gene UrduGeoD 31:11  उस ख़ाब में अल्लाह के फ़रिश्ते ने मुझसे बात की, ‘याक़ूब!’ मैंने कहा, ‘जी, मैं हाज़िर हूँ।’
Gene UrduGeoD 31:12  फ़रिश्ते ने कहा, ‘अपनी नज़र उठाकर उस पर ग़ौर कर जो हो रहा है। वह तमाम मेंढे और बकरे जो भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे हैं उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ हैं। मैं यह ख़ुद करवा रहा हूँ, क्योंकि मैंने वह सब कुछ देख लिया है जो लाबन ने तेरे साथ किया है।
Gene UrduGeoD 31:13  मैं वह ख़ुदा हूँ जो बैतेल में तुझ पर ज़ाहिर हुआ था, उस जगह जहाँ तूने सतून पर तेल उंडेलकर उसे मेरे लिए मख़सूस किया और मेरे हुज़ूर क़सम खाई थी। अब उठ और रवाना होकर अपने वतन वापस चला जा’।”
Gene UrduGeoD 31:14  राख़िल और लियाह ने जवाब में याक़ूब से कहा, “अब हमें अपने बाप की मीरास से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं रही।
Gene UrduGeoD 31:15  उसका हमारे साथ अजनबी का-सा सुलूक है। पहले उसने हमें बेच दिया, और अब उसने वह सारे पैसे खा भी लिए हैं।
Gene UrduGeoD 31:16  चुनाँचे जो भी दौलत अल्लाह ने हमारे बाप से छीन ली है वह हमारी और हमारे बच्चों की ही है। अब जो कुछ भी अल्लाह ने आपको बताया है वह करें।”
Gene UrduGeoD 31:17  तब याक़ूब ने उठकर अपने बाल-बच्चों को ऊँटों पर बिठाया
Gene UrduGeoD 31:18  और अपने तमाम मवेशी और मसोपुतामिया से हासिल किया हुआ तमाम सामान लेकर मुल्के-कनान में अपने बाप के हाँ जाने के लिए रवाना हुआ।
Gene UrduGeoD 31:19  उस वक़्त लाबन अपनी भेड़-बकरियों की पशम कतरने को गया हुआ था। उस की ग़ैरमौजूदगी में राख़िल ने अपने बाप के बुत चुरा लिए।
Gene UrduGeoD 31:20  याक़ूब ने लाबन को फ़रेब देकर उसे इत्तला न दी कि मैं जा रहा हूँ
Gene UrduGeoD 31:21  बल्कि अपनी सारी मिलकियत समेटकर फ़रार हुआ। दरियाए-फ़ुरात को पार करके वह जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ सफ़र करने लगा।
Gene UrduGeoD 31:22  तीन दिन गुज़र गए। फिर लाबन को बताया गया कि याक़ूब भाग गया है।
Gene UrduGeoD 31:23  अपने रिश्तेदारों को साथ लेकर उसने उसका ताक़्क़ुब किया। सात दिन चलते चलते उसने याक़ूब को आ लिया जब वह जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में पहुँच गया था।
Gene UrduGeoD 31:24  लेकिन उस रात अल्लाह ने ख़ाब में लाबन के पास आकर उससे कहा, “ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।”
Gene UrduGeoD 31:25  जब लाबन उसके पास पहुँचा तो याक़ूब ने जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में अपने ख़ैमे लगाए हुए थे। लाबन ने भी अपने रिश्तेदारों के साथ वहीं अपने ख़ैमे लगाए।
Gene UrduGeoD 31:26  उसने याक़ूब से कहा, “यह आपने क्या किया है? आप मुझे धोका देकर मेरी बेटियों को क्यों जंगी क़ैदियों की तरह हाँक लाए हैं?
Gene UrduGeoD 31:27  आप क्यों मुझे फ़रेब देकर ख़ामोशी से भाग आए हैं? अगर आप मुझे इत्तला देते तो मैं आपको ख़ुशी ख़ुशी दफ़ और सरोद के साथ गाते बजाते रुख़सत करता।
Gene UrduGeoD 31:28  आपने मुझे अपने नवासे-नवासियों और बेटियों को बोसा देने का मौक़ा भी न दिया। आपकी यह हरकत बड़ी अहमक़ाना थी।
Gene UrduGeoD 31:29  मैं आपको बहुत नुक़सान पहुँचा सकता हूँ। लेकिन पिछली रात आपके अब्बू के ख़ुदा ने मुझसे कहा, ‘ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।’
Gene UrduGeoD 31:30  ठीक है, आप इसलिए चले गए कि अपने बाप के घर वापस जाने के बड़े आरज़ूमंद थे। लेकिन यह आपने क्या किया है कि मेरे बुत चुरा लाए हैं?”
Gene UrduGeoD 31:31  याक़ूब ने जवाब दिया, “मुझे डर था कि आप अपनी बेटियों को मुझसे छीन लेंगे।
Gene UrduGeoD 31:32  लेकिन अगर आपको यहाँ किसी के पास अपने बुत मिल जाएँ तो उसे सज़ाए-मौत दी जाए हमारे रिश्तेदारों की मौजूदगी में मालूम करें कि मेरे पास आपकी कोई चीज़ है कि नहीं। अगर है तो उसे ले लें।” याक़ूब को मालूम नहीं था कि राख़िल ने बुतों को चुराया है।
Gene UrduGeoD 31:33  लाबन याक़ूब के ख़ैमे में दाख़िल हुआ और ढूँडने लगा। वहाँ से निकलकर वह लियाह के ख़ैमे में और दोनों लौंडियों के ख़ैमे में गया। लेकिन उसके बुत कहीं नज़र न आए। आख़िर में वह राख़िल के ख़ैमे में दाख़िल हुआ।
Gene UrduGeoD 31:34  राख़िल बुतों को ऊँटों की एक काठी के नीचे छुपाकर उस पर बैठ गई थी। लाबन टटोल टटोलकर पूरे ख़ैमे में से गुज़रा लेकिन बुत न मिले।
Gene UrduGeoD 31:35  राख़िल ने अपने बाप से कहा, “अब्बू, मुझसे नाराज़ न होना कि मैं आपके सामने खड़ी नहीं हो सकती। मैं ऐयामे-माहवारी के सबब से उठ नहीं सकती।” लाबन उसे छोड़कर ढूँडता रहा, लेकिन कुछ न मिला।
Gene UrduGeoD 31:36  फिर याक़ूब को ग़ुस्सा आया और वह लाबन से झगड़ने लगा। उसने पूछा, “मुझसे क्या जुर्म सरज़द हुआ है? मैंने क्या गुनाह किया है कि आप इतनी तुंदी से मेरे ताक़्क़ुब के लिए निकले हैं?
Gene UrduGeoD 31:37  आपने टटोल टटोलकर मेरे सारे सामान की तलाशी ली है। तो आपका क्या निकला है? उसे यहाँ अपने और मेरे रिश्तेदारों के सामने रखें। फिर वह फ़ैसला करें कि हममें से कौन हक़ पर है।
Gene UrduGeoD 31:38  मैं बीस साल तक आपके साथ रहा हूँ। उस दौरान आपकी भेड़-बकरियाँ बच्चों से महरूम नहीं रहीं बल्कि मैंने आपका एक मेंढा भी नहीं खाया।
Gene UrduGeoD 31:39  जब भी कोई भेड़ या बकरी किसी जंगली जानवर ने फाड़ डाली तो मैं उसे आपके पास न लाया बल्कि मुझे ख़ुद उसका नुक़सान भरना पड़ा। आपका तक़ाज़ा था कि मैं ख़ुद चोरी हुए माल का एवज़ाना दूँ, ख़ाह वह दिन के वक़्त चोरी हुआ या रात को।
Gene UrduGeoD 31:40  मैं दिन की शदीद गरमी के बाइस पिघल गया और रात की शदीद सर्दी के बाइस जम गया। काम इतना सख़्त था कि मैं नींद से महरूम रहा।
Gene UrduGeoD 31:41  पूरे बीस साल इसी हालत में गुज़र गए। चौदह साल मैंने आपकी बेटियों के एवज़ काम किया और छः साल आपकी भेड़-बकरियों के लिए। उस दौरान आपने दस बार मेरी तनख़ाह बदल दी।
Gene UrduGeoD 31:42  अगर मेरे बाप इसहाक़ का ख़ुदा और मेरे दादा इब्राहीम का माबूद मेरे साथ न होता तो आप मुझे ज़रूर ख़ाली हाथ रुख़सत करते। लेकिन अल्लाह ने मेरी मुसीबत और मेरी सख़्त मेहनत-मशक़्क़त देखी है, इसलिए उसने कल रात को मेरे हक़ में फ़ैसला दिया।”
Gene UrduGeoD 31:43  तब लाबन ने याक़ूब से कहा, “यह बेटियाँ तो मेरी बेटियाँ हैं, और इनके बच्चे मेरे बच्चे हैं। यह भेड़-बकरियाँ भी मेरी ही हैं। लेकिन अब मैं अपनी बेटियों और उनके बच्चों के लिए कुछ नहीं कर सकता।
Gene UrduGeoD 31:44  इसलिए आओ, हम एक दूसरे के साथ अहद बाँधें। इसके लिए हम यहाँ पत्थरों का ढेर लगाएँ जो अहद की गवाही देता रहे।”
Gene UrduGeoD 31:45  चुनाँचे याक़ूब ने एक पत्थर लेकर उसे सतून के तौर पर खड़ा किया।
Gene UrduGeoD 31:46  उसने अपने रिश्तेदारों से कहा, “कुछ पत्थर जमा करें।” उन्होंने पत्थर जमा करके ढेर लगा दिया। फिर उन्होंने उस ढेर के पास बैठकर खाना खाया।
Gene UrduGeoD 31:47  लाबन ने उसका नाम यजर-शाहदूथा रखा जबकि याक़ूब ने जल-एद रखा। दोनों नामों का मतलब ‘गवाही का ढेर’ है यानी वह ढेर जो गवाही देता है।
Gene UrduGeoD 31:48  लाबन ने कहा, “आज हम दोनों के दरमियान यह ढेर अहद की गवाही देता है।” इसलिए उसका नाम जल-एद रखा गया।
Gene UrduGeoD 31:49  उसका एक और नाम मिसफ़ाह यानी ‘पहरेदारों का मीनार’ भी रखा गया। क्योंकि लाबन ने कहा, “रब हम पर पहरा दे जब हम एक दूसरे से अलग हो जाएंगे।
Gene UrduGeoD 31:50  मेरी बेटियों से बुरा सुलूक न करना, न उनके अलावा किसी और से शादी करना। अगर मुझे पता भी न चले लेकिन ज़रूर याद रखें कि अल्लाह मेरे और आपके सामने गवाह है।
Gene UrduGeoD 31:51  यहाँ यह ढेर है जो मैंने लगा दिया है और यहाँ यह सतून भी है।
Gene UrduGeoD 31:52  यह ढेर और सतून दोनों इसके गवाह हैं कि न मैं यहाँ से गुज़रकर आपको नुक़सान पहुँचाऊँगा और न आप यहाँ से गुज़रकर मुझे नुक़सान पहुँचाएँगे।
Gene UrduGeoD 31:53  इब्राहीम, नहूर और उनके बाप का ख़ुदा हम दोनों के दरमियान फ़ैसला करे अगर ऐसा कोई मामला हो।” जवाब में याक़ूब ने इसहाक़ के माबूद की क़सम खाई कि मैं यह अहद कभी नहीं तोड़ूँगा।
Gene UrduGeoD 31:54  उसने पहाड़ पर एक जानवर क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाया और अपने रिश्तेदारों को खाना खाने की दावत दी। उन्होंने खाना खाकर वहीं पहाड़ पर रात गुज़ारी।
Gene UrduGeoD 31:55  अगले दिन सुबह-सवेरे लाबन ने अपने नवासे-नवासियों और बेटियों को बोसा देकर उन्हें बरकत दी। फिर वह अपने घर वापस चला गया।
Chapter 32
Gene UrduGeoD 32:1  याक़ूब ने भी अपना सफ़र जारी रखा। रास्ते में अल्लाह के फ़रिश्ते उससे मिले।
Gene UrduGeoD 32:2  उन्हें देखकर उसने कहा, “यह अल्लाह की लशकरगाह है।” उसने उस मक़ाम का नाम महनायम यानी ‘दो लशकरगाहें’ रखा।
Gene UrduGeoD 32:3  याक़ूब ने अपने भाई एसौ के पास अपने आगे आगे क़ासिद भेजे। एसौ सईर यानी अदोम के मुल्क में आबाद था।
Gene UrduGeoD 32:4  उन्हें एसौ को बताना था, “आपका ख़ादिम याक़ूब आपको इत्तला देता है कि मैं परदेस में जाकर अब तक लाबन का मेहमान रहा हूँ।
Gene UrduGeoD 32:5  वहाँ मुझे बैल, गधे, भेड़-बकरियाँ, ग़ुलाम और लौंडियाँ हासिल हुए हैं। अब मैं अपने मालिक को इत्तला दे रहा हूँ कि वापस आ गया हूँ और आपकी नज़रे-करम का ख़ाहिशमंद हूँ।”
Gene UrduGeoD 32:6  जब क़ासिद वापस आए तो उन्होंने कहा, “हम आपके भाई एसौ के पास गए, और वह 400 आदमी साथ लेकर आपसे मिलने आ रहा है।”
Gene UrduGeoD 32:7  याक़ूब घबराकर बहुत परेशान हुआ। उसने अपने साथ के तमाम लोगों, भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और ऊँटों को दो गुरोहों में तक़सीम किया।
Gene UrduGeoD 32:8  ख़याल यह था कि अगर एसौ आकर एक गुरोह पर हमला करे तो बाक़ी गुरोह शायद बच जाए।
Gene UrduGeoD 32:9  फिर याक़ूब ने दुआ की, “ऐ मेरे दादा इब्राहीम और मेरे बाप इसहाक़ के ख़ुदा, मेरी दुआ सुन! ऐ रब, तूने ख़ुद मुझे बताया, ‘अपने मुल्क और रिश्तेदारों के पास वापस जा, और मैं तुझे कामयाबी दूँगा।’
Gene UrduGeoD 32:10  मैं उस तमाम मेहरबानी और वफ़ादारी के लायक़ नहीं जो तूने अपने ख़ादिम को दिखाई है। जब मैंने लाबन के पास जाते वक़्त दरियाए-यरदन को पार किया तो मेरे पास सिर्फ़ यह लाठी थी, और अब मेरे पास यह दो गुरोह हैं।
Gene UrduGeoD 32:11  मुझे अपने भाई एसौ से बचा, क्योंकि मुझे डर है कि वह मुझ पर हमला करके बाल-बच्चों समेत सब कुछ तबाह कर देगा।
Gene UrduGeoD 32:12  तूने ख़ुद कहा था, ‘मैं तुझे कामयाबी दूँगा और तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि वह समुंदर की रेत की मानिंद बेशुमार होगी’।”
Gene UrduGeoD 32:13  याक़ूब ने वहाँ रात गुज़ारी। फिर उसने अपने माल में से एसौ के लिए तोह्फ़े चुन लिए :
Gene UrduGeoD 32:14  200 बकरियाँ, 20 बकरे, 200 भेड़ें, 20 मेंढे,
Gene UrduGeoD 32:15  30 दूध देनेवाली ऊँटनियाँ बच्चों समेत, 40 गाएँ, 10 बैल, 20 गधियाँ और 10 गधे।
Gene UrduGeoD 32:16  उसने उन्हें मुख़्तलिफ़ रेवड़ों में तक़सीम करके अपने मुख़्तलिफ़ नौकरों के सुपुर्द किया और उनसे कहा, “मेरे आगे आगे चलो लेकिन हर रेवड़ के दरमियान फ़ासला रखो।”
Gene UrduGeoD 32:17  जो नौकर पहले रेवड़ लेकर आगे निकला उससे याक़ूब ने कहा, “मेरा भाई एसौ तुमसे मिलेगा और पूछेगा, ‘तुम्हारा मालिक कौन है? तुम कहाँ जा रहे हो? तुम्हारे सामने के जानवर किसके हैं?’
Gene UrduGeoD 32:18  जवाब में तुम्हें कहना है, ‘यह आपके ख़ादिम याक़ूब के हैं। यह तोह्फ़ा हैं जो वह अपने मालिक एसौ को भेज रहे हैं। याक़ूब हमारे पीछे पीछे आ रहे हैं’।”
Gene UrduGeoD 32:19  याक़ूब ने यही हुक्म हर एक नौकर को दिया जिसे रेवड़ लेकर उसके आगे आगे जाना था। उसने कहा, “जब तुम एसौ से मिलोगे तो उससे यही कहना है।
Gene UrduGeoD 32:20  तुम्हें यह भी ज़रूर कहना है, आपके ख़ादिम याक़ूब हमारे पीछे आ रहे हैं।” क्योंकि याक़ूब ने सोचा, ‘मैं इन तोह्फ़ों से उसके साथ सुलह करूँगा। फिर जब उससे मुलाक़ात होगी तो शायद वह मुझे क़बूल कर ले।’
Gene UrduGeoD 32:21  यों उसने यह तोह्फ़े अपने आगे आगे भेज दिए। लेकिन उसने ख़ुद ख़ैमागाह में रात गुज़ारी।
Gene UrduGeoD 32:22  उस रात वह उठा और अपनी दो बीवियों, दो लौंडियों और ग्यारह बेटों को लेकर दरियाए-यब्बोक़ को वहाँ से पार किया जहाँ कम गहराई थी।
Gene UrduGeoD 32:23  फिर उसने अपना सारा सामान भी वहाँ भेज दिया।
Gene UrduGeoD 32:24  लेकिन वह ख़ुद अकेला ही पीछे रह गया। उस वक़्त एक आदमी आया और पौ फटने तक उससे कुश्ती लड़ता रहा।
Gene UrduGeoD 32:25  जब उसने देखा कि मैं याक़ूब पर ग़ालिब नहीं आ रहा तो उसने उसके कूल्हे को छुआ, और उसका जोड़ निकल गया।
Gene UrduGeoD 32:26  आदमी ने कहा, “मुझे जाने दे, क्योंकि पौ फटनेवाली है।” याक़ूब ने कहा, “पहले मुझे बरकत दें, फिर ही आपको जाने दूँगा।”
Gene UrduGeoD 32:27  आदमी ने पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने जवाब दिया, “याक़ूब।”
Gene UrduGeoD 32:28  आदमी ने कहा, “अब से तेरा नाम याक़ूब नहीं बल्कि इसराईल यानी ‘वह अल्लाह से लड़ता है’ होगा। क्योंकि तू अल्लाह और आदमियों के साथ लड़कर ग़ालिब आया है।”
Gene UrduGeoD 32:29  याक़ूब ने कहा, “मुझे अपना नाम बताएँ।” उसने कहा, “तू क्यों मेरा नाम जानना चाहता है?” फिर उसने याक़ूब को बरकत दी।
Gene UrduGeoD 32:30  याक़ूब ने कहा, “मैंने अल्लाह को रूबरू देखा तो भी बच गया हूँ।” इसलिए उसने उस मक़ाम का नाम फ़नियेल रखा।
Gene UrduGeoD 32:31  याक़ूब वहाँ से चला तो सूरज तुलू हो रहा था। वह कूल्हे के सबब से लँगड़ाता रहा।
Gene UrduGeoD 32:32  यही वजह है कि आज भी इसराईल की औलाद कूल्हे के जोड़ पर की नस को नहीं खाते, क्योंकि याक़ूब की इसी नस को छुआ गया था।
Chapter 33
Gene UrduGeoD 33:1  फिर एसौ उनकी तरफ़ आता हुआ नज़र आया। उसके साथ 400 आदमी थे। उन्हें देखकर याक़ूब ने बच्चों को बाँटकर लियाह, राख़िल और दोनों लौंडियों के हवाले कर दिया।
Gene UrduGeoD 33:2  उसने दोनों लौंडियों को उनके बच्चों समेत आगे चलने दिया। फिर लियाह उसके बच्चों समेत और आख़िर में राख़िल और यूसुफ़ आए।
Gene UrduGeoD 33:3  याक़ूब ख़ुद सबसे आगे एसौ से मिलने गया। चलते चलते वह सात दफ़ा ज़मीन तक झुका।
Gene UrduGeoD 33:4  लेकिन एसौ दौड़कर उससे मिलने आया और उसे गले लगाकर बोसा दिया। दोनों रो पड़े।
Gene UrduGeoD 33:5  फिर एसौ ने औरतों और बच्चों को देखा। उसने पूछा, “तुम्हारे साथ यह लोग कौन हैं?” याक़ूब ने कहा, “यह आपके ख़ादिम के बच्चे हैं जो अल्लाह ने अपने करम से नवाज़े हैं।”
Gene UrduGeoD 33:6  दोनों लौंडियाँ अपने बच्चों समेत आकर उसके सामने झुक गईं।
Gene UrduGeoD 33:7  फिर लियाह अपने बच्चों के साथ आई और आख़िर में यूसुफ़ और राख़िल आकर झुक गए।
Gene UrduGeoD 33:8  एसौ ने पूछा, “जिस जानवरों के बड़े ग़ोल से मेरी मुलाक़ात हुई उससे क्या मुराद है?” याक़ूब ने जवाब दिया, “यह तोह्फ़ा है ताकि आपका ख़ादिम आपकी नज़र में मक़बूल हो।”
Gene UrduGeoD 33:9  लेकिन एसौ ने कहा, “मेरे भाई, मेरे पास बहुत कुछ है। यह अपने पास ही रखो।”
Gene UrduGeoD 33:10  याक़ूब ने कहा, “नहीं जी, अगर मुझ पर आपके करम की नज़र है तो मेरे इस तोह्फ़े को ज़रूर क़बूल फ़रमाएँ। क्योंकि जब मैंने आपका चेहरा देखा तो वह मेरे लिए अल्लाह के चेहरे की मानिंद था, आपने मेरे साथ इस क़दर अच्छा सुलूक किया है।
Gene UrduGeoD 33:11  मेहरबानी करके यह तोह्फ़ा क़बूल करें जो मैं आपके लिए लाया हूँ। क्योंकि अल्लाह ने मुझ पर अपने करम का इज़हार किया है, और मेरे पास बहुत कुछ है।” याक़ूब इसरार करता रहा तो आख़िरकार एसौ ने उसे क़बूल कर लिया। फिर एसौ कहने लगा,
Gene UrduGeoD 33:12  “आओ, हम रवाना हो जाएँ। मैं तुम्हारे आगे आगे चलूँगा।”
Gene UrduGeoD 33:13  याक़ूब ने जवाब दिया, “मेरे मालिक, आप जानते हैं कि मेरे बच्चे नाज़ुक हैं। मेरे पास भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और उनके दूध पीनेवाले बच्चे भी हैं। अगर मैं उन्हें एक दिन के लिए भी हद से ज़्यादा हाँकूँ तो वह मर जाएंगे।
Gene UrduGeoD 33:14  मेरे मालिक, मेहरबानी करके मेरे आगे आगे जाएँ। मैं आराम से उसी रफ़्तार से आपके पीछे पीछे चलता रहूँगा जिस रफ़्तार से मेरे मवेशी और मेरे बच्चे चल सकेंगे। यों हम आहिस्ता चलते हुए आपके पास सईर पहुँचेंगे।”
Gene UrduGeoD 33:15  एसौ ने कहा, “क्या मैं अपने आदमियों में से कुछ आपके पास छोड़ दूँ?” लेकिन याक़ूब ने कहा, “क्या ज़रूरत है? सबसे अहम बात यह है कि आपने मुझे क़बूल कर लिया है।”
Gene UrduGeoD 33:16  उस दिन एसौ सईर के लिए और
Gene UrduGeoD 33:17  याक़ूब सुक्कात के लिए रवाना हुआ। वहाँ उसने अपने लिए मकान बना लिया और अपने मवेशियों के लिए झोंपड़ियाँ। इसलिए उस मक़ाम का नाम सुक्कात यानी झोंपड़ियाँ पड़ गया।
Gene UrduGeoD 33:18  फिर याक़ूब चलते चलते सलामती से सिकम शहर पहुँचा। यों उसका मसोपुतामिया से मुल्के-कनान तक का सफ़र इख़्तिताम तक पहुँच गया। उसने अपने ख़ैमे शहर के सामने लगाए।
Gene UrduGeoD 33:19  उसके ख़ैमे हमोर की औलाद की ज़मीन पर लगे थे। उसने यह ज़मीन चाँदी के 100 सिक्कों के बदले ख़रीद ली।
Gene UrduGeoD 33:20  वहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई जिसका नाम उसने ‘एल ख़ुदाए-इसराईल’ रखा।
Chapter 34
Gene UrduGeoD 34:1  एक दिन याक़ूब और लियाह की बेटी दीना कनानी औरतों से मिलने के लिए घर से निकली।
Gene UrduGeoD 34:2  शहर में एक आदमी बनाम सिकम रहता था। उसका वालिद हमोर उस इलाक़े का हुक्मरान था और हिव्वी क़ौम से ताल्लुक़ रखता था। जब सिकम ने दीना को देखा तो उसने उसे पकड़कर उस की इसमतदरी की।
Gene UrduGeoD 34:3  लेकिन उसका दिल दीना से लग गया। वह उससे मुहब्बत करने लगा और प्यार से उससे बातें करता रहा।
Gene UrduGeoD 34:4  उसने अपने बाप से कहा, “इस लड़की के साथ मेरी शादी करा दें।”
Gene UrduGeoD 34:5  जब याक़ूब ने अपनी बेटी की इसमतदरी की ख़बर सुनी तो उसके बेटे मवेशियों के साथ खुले मैदान में थे। इसलिए वह उनके वापस आने तक ख़ामोश रहा।
Gene UrduGeoD 34:6  सिकम का बाप हमोर शहर से निकलकर याक़ूब से बात करने के लिए आया।
Gene UrduGeoD 34:7  जब याक़ूब के बेटों को दीना की इसमतदरी की ख़बर मिली तो उनके दिल रंजिश और ग़ुस्से से भर गए कि सिकम ने याक़ूब की बेटी की इसमतदरी से इसराईल की इतनी बेइज़्ज़ती की है। वह सीधे खुले मैदान से वापस आए।
Gene UrduGeoD 34:8  हमोर ने याक़ूब से कहा, “मेरे बेटे का दिल आपकी बेटी से लग गया है। मेहरबानी करके उस की शादी मेरे बेटे के साथ कर दें।
Gene UrduGeoD 34:9  हमारे साथ रिश्ता बाँधें, हमारे बेटे-बेटियों के साथ शादियाँ कराएँ।
Gene UrduGeoD 34:10  फिर आप हमारे साथ इस मुल्क में रह सकेंगे और पूरा मुल्क आपके लिए खुला होगा। आप जहाँ भी चाहें आबाद हो सकेंगे, तिजारत कर सकेंगे और ज़मीन ख़रीद सकेंगे।”
Gene UrduGeoD 34:11  सिकम ने ख़ुद भी दीना के बाप और भाइयों से मिन्नत की, “अगर मेरी यह दरख़ास्त मंज़ूर हो तो मैं जो कुछ आप कहेंगे अदा कर दूँगा।
Gene UrduGeoD 34:12  जितना भी महर और तोह्फ़े आप मुक़र्रर करें मैं दे दूँगा। सिर्फ़ मेरी यह ख़ाहिश पूरी करें कि यह लड़की मेरे अक़द में आ जाए।”
Gene UrduGeoD 34:13  लेकिन दीना की इसमतदरी के सबब से याक़ूब के बेटों ने सिकम और उसके बाप हमोर से चालाकी करके
Gene UrduGeoD 34:14  कहा, “हम ऐसा नहीं कर सकते। हम अपनी बहन की शादी किसी ऐसे आदमी से नहीं करा सकते जिसका ख़तना नहीं हुआ। इससे हमारी बेइज़्ज़ती होती है।
Gene UrduGeoD 34:15  हम सिर्फ़ इस शर्त पर राज़ी होंगे कि आप अपने तमाम लड़कों और मर्दों का ख़तना करवाने से हमारी मानिंद हो जाएँ।
Gene UrduGeoD 34:16  फिर आपके बेटे-बेटियों के साथ हमारी शादियाँ हो सकेंगी और हम आपके साथ एक क़ौम बन जाएंगे।
Gene UrduGeoD 34:17  लेकिन अगर आप ख़तना कराने के लिए तैयार नहीं हैं तो हम अपनी बहन को लेकर चले जाएंगे।”
Gene UrduGeoD 34:18  यह बातें हमोर और उसके बेटे सिकम को अच्छी लगीं।
Gene UrduGeoD 34:19  नौजवान सिकम ने फ़ौरन उन पर अमल किया, क्योंकि वह दीना को बहुत पसंद करता था। सिकम अपने ख़ानदान में सबसे मुअज़्ज़ज़ था।
Gene UrduGeoD 34:20  हमोर अपने बेटे सिकम के साथ शहर के दरवाज़े पर गया जहाँ शहर के फ़ैसले किए जाते थे। वहाँ उन्होंने बाक़ी शहरियों से बात की।
Gene UrduGeoD 34:21  “यह आदमी हमसे झगड़नेवाले नहीं हैं, इसलिए क्यों न वह इस मुल्क में हमारे साथ रहें और हमारे दरमियान तिजारत करें? हमारे मुल्क में उनके लिए भी काफ़ी जगह है। आओ, हम उनकी बेटियों और बेटों से शादियाँ करें।
Gene UrduGeoD 34:22  लेकिन यह आदमी सिर्फ़ इस शर्त पर हमारे दरमियान रहने और एक ही क़ौम बनने के लिए तैयार हैं कि हम उनकी तरह अपने तमाम लड़कों और मर्दों का ख़तना कराएँ।
Gene UrduGeoD 34:23  अगर हम ऐसा करें तो उनके तमाम मवेशी और सारा माल हमारा ही होगा। चुनाँचे आओ, हम मुत्तफ़िक़ होकर फ़ैसला कर लें ताकि वह हमारे दरमियान रहें।”
Gene UrduGeoD 34:24  सिकम के शहरी हमोर और सिकम के मशवरे पर राज़ी हुए। तमाम लड़कों और मर्दों का ख़तना कराया गया।
Gene UrduGeoD 34:25  तीन दिन के बाद जब ख़तने के सबब से लोगों की हालत बुरी थी तो दीना के दो भाई शमौन और लावी अपनी तलवारें लेकर शहर में दाख़िल हुए। किसी को शक तक नहीं था कि क्या कुछ होगा। अंदर जाकर उन्होंने बच्चों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों को क़त्ल कर दिया
Gene UrduGeoD 34:26  जिनमें हमोर और उसका बेटा सिकम भी शामिल थे। फिर वह दीना को सिकम के घर से लेकर चले गए।
Gene UrduGeoD 34:27  इस क़त्ले-आम के बाद याक़ूब के बाक़ी बेटे शहर पर टूट पड़े और उसे लूट लिया। यों उन्होंने अपनी बहन की इसमतदरी का बदला लिया।
Gene UrduGeoD 34:28  वह भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, गधे और शहर के अंदर और बाहर का सब कुछ लेकर चलते बने।
Gene UrduGeoD 34:29  उन्होंने सारे माल पर क़ब्ज़ा किया, औरतों और बच्चों को क़ैदी बना लिया और तमाम घरों का सामान भी ले गए।
Gene UrduGeoD 34:30  फिर याक़ूब ने शमौन और लावी से कहा, “तुमने मुझे मुसीबत में डाल दिया है। अब कनानी, फ़रिज़्ज़ी और मुल्क के बाक़ी बाशिंदों में मेरी बदनामी हुई है। मेरे साथ कम आदमी हैं। अगर दूसरे मिलकर हम पर हमला करें तो हमारे पूरे ख़ानदान का सत्यानास हो जाएगा।”
Gene UrduGeoD 34:31  लेकिन उन्होंने कहा, “क्या यह ठीक था कि उसने हमारी बहन के साथ कसबी का-सा सुलूक किया?”
Chapter 35
Gene UrduGeoD 35:1  अल्लाह ने याक़ूब से कहा, “उठ, बैतेल जाकर वहाँ आबाद हो। वहीं अल्लाह के लिए जो तुझ पर ज़ाहिर हुआ जब तू अपने भाई एसौ से भाग रहा था क़ुरबानगाह बना।”
Gene UrduGeoD 35:2  चुनाँचे याक़ूब ने अपने घरवालों और बाक़ी सारे साथियों से कहा, “जो भी अजनबी बुत आपके पास हैं उन्हें फेंक दें। अपने आपको पाक-साफ़ करके अपने कपड़े बदलें,
Gene UrduGeoD 35:3  क्योंकि हमें यह जगह छोड़कर बैतेल जाना है। वहाँ मैं उस ख़ुदा के लिए क़ुरबानगाह बनाऊँगा जिसने मुसीबत के वक़्त मेरी दुआ सुनी। जहाँ भी मैं गया वहाँ वह मेरे साथ रहा है।”
Gene UrduGeoD 35:4  यह सुनकर उन्होंने याक़ूब को तमाम बुत दे दिए जो उनके पास थे और तमाम बालियाँ जो उन्होंने तावीज़ के तौर पर कानों में पहन रखी थीं। उसने सब कुछ सिकम के क़रीब बलूत के दरख़्त के नीचे ज़मीन में दबा दिया।
Gene UrduGeoD 35:5  फिर वह रवाना हुए। इर्दगिर्द के शहरों पर अल्लाह की तरफ़ से इतना शदीद ख़ौफ़ छा गया कि उन्होंने याक़ूब और उसके बेटों का ताक़्क़ुब न किया।
Gene UrduGeoD 35:6  चलते चलते याक़ूब अपने लोगों समेत लूज़ पहुँच गया जो मुल्के-कनान में था। आज लूज़ का नाम बैतेल है।
Gene UrduGeoD 35:7  याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था।
Gene UrduGeoD 35:8  वहाँ रिबक़ा की दाया दबोरा मर गई। वह बैतेल के जुनूब में बलूत के दरख़्त के नीचे दफ़न हुई, इसलिए उसका नाम अल्लोन-बकूत यानी ‘रोने का बलूत का दरख़्त’ रखा गया।
Gene UrduGeoD 35:9  अल्लाह याक़ूब पर एक दफ़ा और ज़ाहिर हुआ और उसे बरकत दी। यह मसोपुतामिया से वापस आने पर दूसरी बार हुआ।
Gene UrduGeoD 35:10  अल्लाह ने उससे कहा, “अब से तेरा नाम याक़ूब नहीं बल्कि इसराईल होगा।” यों उसने उसका नया नाम इसराईल रखा।
Gene UrduGeoD 35:11  अल्लाह ने यह भी उससे कहा, “मैं अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ हूँ। फल-फूल और तादाद में बढ़ता जा। एक क़ौम नहीं बल्कि बहुत-सी क़ौमें तुझसे निकलेंगी। तेरी औलाद में बादशाह भी शामिल होंगे।
Gene UrduGeoD 35:12  मैं तुझे वही मुल्क दूँगा जो इब्राहीम और इसहाक़ को दिया है। और तेरे बाद उसे तेरी औलाद को दूँगा।”
Gene UrduGeoD 35:13  फिर अल्लाह वहाँ से आसमान पर चला गया।
Gene UrduGeoD 35:14  जहाँ अल्लाह याक़ूब से हमकलाम हुआ था वहाँ उसने पत्थर का सतून खड़ा किया और उस पर मै और तेल उंडेलकर उसे मख़सूस किया।
Gene UrduGeoD 35:15  उसने जगह का नाम बैतेल रखा।
Gene UrduGeoD 35:16  फिर याक़ूब अपने घरवालों के साथ बैतेल को छोड़कर इफ़राता की तरफ़ चल पड़ा। राख़िल उम्मीद से थी, और रास्ते में बच्चे की पैदाइश का वक़्त आ गया। बच्चा बड़ी मुश्किल से पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 35:17  जब दर्दे-ज़ह उरूज को पहुँच गया तो दाई ने उससे कहा, “मत डरो, क्योंकि एक और बेटा है।”
Gene UrduGeoD 35:18  लेकिन वह दम तोड़नेवाली थी, और मरते मरते उसने उसका नाम बिन-ऊनी यानी ‘मेरी मुसीबत का बेटा’ रखा। लेकिन उसके बाप ने उसका नाम बिनयमीन यानी ‘दहने हाथ या ख़ुशक़िसमती का बेटा’ रखा।
Gene UrduGeoD 35:19  राख़िल फ़ौत हुई, और वह इफ़राता के रास्ते में दफ़न हुई। आजकल इफ़राता को बैत-लहम कहा जाता है।
Gene UrduGeoD 35:20  याक़ूब ने उस की क़ब्र पर पत्थर का सतून खड़ा किया। वह आज तक राख़िल की क़ब्र की निशानदेही करता है।
Gene UrduGeoD 35:21  वहाँ से याक़ूब ने अपना सफ़र जारी रखा और मिजदल-इदर की परली तरफ़ अपने ख़ैमे लगाए।
Gene UrduGeoD 35:22  जब वह वहाँ ठहरे थे तो रूबिन याक़ूब की हरम बिलहाह से हमबिसतर हुआ। याक़ूब को मालूम हो गया। याक़ूब के बारह बेटे थे।
Gene UrduGeoD 35:23  लियाह के बेटे यह थे : उसका सबसे बड़ा बेटा रूबिन, फिर शमौन, लावी, यहूदाह, इशकार और ज़बूलून।
Gene UrduGeoD 35:24  राख़िल के दो बेटे थे, यूसुफ़ और बिनयमीन।
Gene UrduGeoD 35:25  राख़िल की लौंडी बिलहाह के दो बेटे थे, दान और नफ़ताली।
Gene UrduGeoD 35:26  लियाह की लौंडी ज़िलफ़ा के दो बेटे थे, जद और आशर। याक़ूब के यह बेटे मसोपुतामिया में पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 35:27  फिर याक़ूब अपने बाप इसहाक़ के पास पहुँच गया जो हबरून के क़रीब ममरे में अजनबी की हैसियत से रहता था (उस वक़्त हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था)। वहाँ इसहाक़ और उससे पहले इब्राहीम रहा करते थे।
Gene UrduGeoD 35:28  इसहाक़ 180 साल का था जब वह उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर अपने बापदादा से जा मिला। उसके बेटे एसौ और याक़ूब ने उसे दफ़न किया।
Gene UrduGeoD 35:29  इसहाक़ 180 साल का था जब वह उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर अपने बापदादा से जा मिला। उसके बेटे एसौ और याक़ूब ने उसे दफ़न किया।
Chapter 36
Gene UrduGeoD 36:1  यह एसौ की औलाद का नसबनामा है (एसौ को अदोम भी कहा जाता है) :
Gene UrduGeoD 36:2  एसौ ने तीन कनानी औरतों से शादी की : हित्ती आदमी ऐलोन की बेटी अदा से, अना की बेटी उहलीबामा से जो हिव्वी आदमी सिबोन की नवासी थी
Gene UrduGeoD 36:3  और इसमाईल की बेटी बासमत से जो नबायोत की बहन थी।
Gene UrduGeoD 36:4  अदा का एक बेटा इलीफ़ज़ और बासमत का एक बेटा रऊएल पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 36:5  उहलीबामा के तीन बेटे पैदा हुए, यऊस, यालाम और क़ोरह। एसौ के यह तमाम बेटे मुल्के-कनान में पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 36:6  बाद में एसौ दूसरे मुल्क में चला गया। उसने अपनी बीवियों, बेटे-बेटियों और घर के रहनेवालों को अपने तमाम मवेशियों और मुल्के-कनान में हासिल किए हुए माल समेत अपने साथ लिया।
Gene UrduGeoD 36:7  वह इस वजह से चला गया कि दोनों भाइयों के पास इतने रेवड़ थे कि चराने की जगह कम पड़ गई।
Gene UrduGeoD 36:8  चुनाँचे एसौ पहाड़ी इलाक़े सईर में आबाद हुआ। एसौ का दूसरा नाम अदोम है।
Gene UrduGeoD 36:9  यह एसौ यानी सईर के पहाड़ी इलाक़े में आबाद अदोमियों का नसबनामा है :
Gene UrduGeoD 36:10  एसौ की बीवी अदा का एक बेटा इलीफ़ज़ था जबकि उस की बीवी बासमत का एक बेटा रऊएल था।
Gene UrduGeoD 36:11  इलीफ़ज़ के बेटे तेमान, ओमर, सफ़ो, जाताम, क़नज़
Gene UrduGeoD 36:12  और अमालीक़ थे। अमालीक़ इलीफ़ज़ की हरम तिमना का बेटा था। यह सब एसौ की बीवी अदा की औलाद में शामिल थे।
Gene UrduGeoD 36:13  रऊएल के बेटे नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा थे। यह सब एसौ की बीवी बासमत की औलाद में शामिल थे।
Gene UrduGeoD 36:14  एसौ की बीवी उहलीबामा जो अना की बेटी और सिबोन की नवासी थी के तीन बेटे यऊस, यालाम और क़ोरह थे।
Gene UrduGeoD 36:15  एसौ से मुख़्तलिफ़ क़बीलों के सरदार निकले। उसके पहलौठे इलीफ़ज़ से यह क़बायली सरदार निकले : तेमान, ओमर, सफ़ो, क़नज़,
Gene UrduGeoD 36:16  क़ोरह, जाताम और अमालीक़। यह सब एसौ की बीवी अदा की औलाद थे।
Gene UrduGeoD 36:17  एसौ के बेटे रऊएल से यह क़बायली सरदार निकले : नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा। यह सब एसौ की बीवी बासमत की औलाद थे।
Gene UrduGeoD 36:18  एसौ की बीवी उहलीबामा यानी अना की बेटी से यह क़बायली सरदार निकले : यऊस, यालाम और क़ोरह।
Gene UrduGeoD 36:19  यह तमाम सरदार एसौ की औलाद हैं।
Gene UrduGeoD 36:20  मुल्के-अदोम के कुछ बाशिंदे होरी आदमी सईर की औलाद थे। उनके नाम लोतान, सोबल, सिबोन, अना,
Gene UrduGeoD 36:21  दीसोन, एसर और दीसान थे। सईर के यह बेटे मुल्के-अदोम में होरी क़बीलों के सरदार थे।
Gene UrduGeoD 36:22  लोतान होरी और हेमाम का बाप था। (तिमना लोतान की बहन थी।)
Gene UrduGeoD 36:23  सोबल के बेटे अलवान, मानहत, ऐबाल, सफ़ो और ओनाम थे।
Gene UrduGeoD 36:24  सिबोन के बेटे ऐयाह और अना थे। इसी अना को गरम चश्मे मिले जब वह बयाबान में अपने बाप के गधे चरा रहा था।
Gene UrduGeoD 36:25  अना का एक बेटा दीसोन और एक बेटी उहलीबामा थी।
Gene UrduGeoD 36:26  दीसोन के चार बेटे हमदान, इशबान, यितरान और किरान थे।
Gene UrduGeoD 36:27  एसर के तीन बेटे बिलहान, ज़ावान और अक़ान थे।
Gene UrduGeoD 36:28  दीसान के दो बेटे ऊज़ और अरान थे।
Gene UrduGeoD 36:29  यही यानी लोतान, सोबल, सिबोन, अना, दीसोन, एसर और दीसान सईर के मुल्क में होरी क़बायल के सरदार थे।
Gene UrduGeoD 36:30  यही यानी लोतान, सोबल, सिबोन, अना, दीसोन, एसर और दीसान सईर के मुल्क में होरी क़बायल के सरदार थे।
Gene UrduGeoD 36:31  इससे पहले कि इसराईलियों का कोई बादशाह था ज़ैल के बादशाह यके बाद दीगरे मुल्के-अदोम में हुकूमत करते थे :
Gene UrduGeoD 36:32  बाला बिन बओर जो दिनहाबा शहर का था मुल्के-अदोम का पहला बादशाह था।
Gene UrduGeoD 36:33  उस की मौत पर यूबाब बिन ज़ारह जो बुसरा शहर का था।
Gene UrduGeoD 36:34  उस की मौत पर हुशाम जो तेमानियों के मुल्क का था।
Gene UrduGeoD 36:35  उस की मौत पर हदद बिन बिदद जिसने मुल्के-मोआब में मिदियानियों को शिकस्त दी। वह अवीत का था।
Gene UrduGeoD 36:36  उस की मौत पर समला जो मसरिक़ा का था।
Gene UrduGeoD 36:37  उस की मौत पर साऊल जो दरियाए-फ़ुरात पर रहोबोत शहर का था।
Gene UrduGeoD 36:38  उस की मौत पर बाल-हनान बिन अकबोर।
Gene UrduGeoD 36:39  उस की मौत पर हदद जो फ़ाऊ शहर का था (बीवी का नाम महेतबेल बिंत मतरिद बिंत मेज़ाहाब था)।
Gene UrduGeoD 36:40  एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है।
Gene UrduGeoD 36:41  एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है।
Gene UrduGeoD 36:42  एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है।
Gene UrduGeoD 36:43  एसौ से अदोमी क़बीलों के यह सरदार निकले : तिमना, अलवह, यतेत, उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, तेमान, मिबसार, मजदियेल और इराम। अदोम के सरदारों की यह फ़हरिस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की आबादियों और क़बीलों के मुताबिक़ ही बयान की गई है। एसौ उनका बाप है।
Chapter 37
Gene UrduGeoD 37:1  याक़ूब मुल्के-कनान में रहता था जहाँ पहले उसका बाप भी परदेसी था।
Gene UrduGeoD 37:2  यह याक़ूब के ख़ानदान का बयान है। उस वक़्त याक़ूब का बेटा यूसुफ़ 17 साल का था। वह अपने भाइयों यानी बिलहाह और ज़िलफ़ा के बेटों के साथ भेड़-बकरियों की देख-भाल करता था। यूसुफ़ अपने बाप को अपने भाइयों की बुरी हरकतों की इत्तला दिया करता था।
Gene UrduGeoD 37:3  याक़ूब यूसुफ़ को अपने तमाम बेटों की निसबत ज़्यादा प्यार करता था। वजह यह थी कि वह तब पैदा हुआ जब बाप बूढ़ा था। इसलिए याक़ूब ने उसके लिए एक ख़ास रंगदार लिबास बनवाया।
Gene UrduGeoD 37:4  जब उसके भाइयों ने देखा कि हमारा बाप यूसुफ़ को हमसे ज़्यादा प्यार करता है तो वह उससे नफ़रत करने लगे और अदब से उससे बात नहीं करते थे।
Gene UrduGeoD 37:5  एक रात यूसुफ़ ने ख़ाब देखा। जब उसने अपने भाइयों को ख़ाब सुनाया तो वह उससे और भी नफ़रत करने लगे।
Gene UrduGeoD 37:6  उसने कहा, “सुनो, मैंने ख़ाब देखा।
Gene UrduGeoD 37:7  हम सब खेत में पूले बाँध रहे थे कि मेरा पूला खड़ा हो गया। आपके पूले मेरे पूले के इर्दगिर्द जमा होकर उसके सामने झुक गए।”
Gene UrduGeoD 37:8  उसके भाइयों ने कहा, “अच्छा, तू बादशाह बनकर हम पर हुकूमत करेगा?” उसके ख़ाबों और उस की बातों के सबब से उनकी उससे नफ़रत मज़ीद बढ़ गई।
Gene UrduGeoD 37:9  कुछ देर के बाद यूसुफ़ ने एक और ख़ाब देखा। उसने अपने भाइयों से कहा, “मैंने एक और ख़ाब देखा है। उसमें सूरज, चाँद और ग्यारह सितारे मेरे सामने झुक गए।”
Gene UrduGeoD 37:10  उसने यह ख़ाब अपने बाप को भी सुनाया तो उसने उसे डाँटा। उसने कहा, “यह कैसा ख़ाब है जो तूने देखा! यह कैसी बात है कि मैं, तेरी माँ और तेरे भाई आकर तेरे सामने ज़मीन तक झुक जाएँ?”
Gene UrduGeoD 37:11  नतीजे में उसके भाई उससे बहुत हसद करने लगे। लेकिन उसके बाप ने दिल में यह बात महफ़ूज़ रखी।
Gene UrduGeoD 37:12  एक दिन जब यूसुफ़ के भाई अपने बाप के रेवड़ चराने के लिए सिकम तक पहुँच गए थे
Gene UrduGeoD 37:13  तो याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “तेरे भाई सिकम में रेवड़ों को चरा रहे हैं। आ, मैं तुझे उनके पास भेज देता हूँ।” यूसुफ़ ने जवाब दिया, “ठीक है।”
Gene UrduGeoD 37:14  याक़ूब ने कहा, “जाकर मालूम कर कि तेरे भाई और उनके साथ के रेवड़ ख़ैरियत से हैं कि नहीं। फिर वापस आकर मुझे बता देना।” चुनाँचे उसके बाप ने उसे वादीए-हबरून से भेज दिया, और यूसुफ़ सिकम पहुँच गया।
Gene UrduGeoD 37:15  वहाँ वह इधर-उधर फिरता रहा। आख़िरकार एक आदमी उससे मिला और पूछा, “आप क्या ढूँड रहे हैं?”
Gene UrduGeoD 37:16  यूसुफ़ ने जवाब दिया, “मैं अपने भाइयों को तलाश कर रहा हूँ। मुझे बताएँ कि वह अपने जानवरों को कहाँ चरा रहे हैं।”
Gene UrduGeoD 37:17  आदमी ने कहा, “वह यहाँ से चले गए हैं। मैंने उन्हें यह कहते सुना कि आओ, हम दूतैन जाएँ।” यह सुनकर यूसुफ़ अपने भाइयों के पीछे दूतैन चला गया। वहाँ उसे वह मिल गए।
Gene UrduGeoD 37:18  जब यूसुफ़ अभी दूर से नज़र आया तो उसके भाइयों ने उसके पहुँचने से पहले उसे क़त्ल करने का मनसूबा बनाया।
Gene UrduGeoD 37:19  उन्होंने कहा, “देखो, ख़ाब देखनेवाला आ रहा है।
Gene UrduGeoD 37:20  आओ, हम उसे मार डालें और उस की लाश किसी गढ़े में फेंक दें। हम कहेंगे कि किसी वहशी जानवर ने उसे फाड़ खाया है। फिर पता चलेगा कि उसके ख़ाबों की क्या हक़ीक़त है।”
Gene UrduGeoD 37:21  जब रूबिन ने उनकी बातें सुनीं तो उसने यूसुफ़ को बचाने की कोशिश की। उसने कहा, “नहीं, हम उसे क़त्ल न करें।
Gene UrduGeoD 37:22  उसका ख़ून न करना। बेशक उसे इस गढ़े में फेंक दें जो रेगिस्तान में है, लेकिन उसे हाथ न लगाएँ।” उसने यह इसलिए कहा कि वह उसे बचाकर बाप के पास वापस पहुँचाना चाहता था।
Gene UrduGeoD 37:23  ज्योंही यूसुफ़ अपने भाइयों के पास पहुँचा उन्होंने उसका रंगदार लिबास उतारकर
Gene UrduGeoD 37:24  यूसुफ़ को गढ़े में फेंक दिया। गढ़ा ख़ाली था, उसमें पानी नहीं था।
Gene UrduGeoD 37:25  फिर वह रोटी खाने के लिए बैठ गए। अचानक इसमाईलियों का एक क़ाफ़िला नज़र आया। वह जिलियाद से मिसर जा रहे थे, और उनके ऊँट क़ीमती मसालों यानी लादन, बलसान और मुर से लदे हुए थे।
Gene UrduGeoD 37:26  तब यहूदाह ने अपने भाइयों से कहा, “हमें क्या फ़ायदा है अगर अपने भाई को क़त्ल करके उसके ख़ून को छुपा दें?
Gene UrduGeoD 37:27  आओ, हम उसे इन इसमाईलियों के हाथ फ़रोख़्त कर दें। फिर कोई ज़रूरत नहीं होगी कि हम उसे हाथ लगाएँ। आख़िर वह हमारा भाई है।” उसके भाई राज़ी हुए।
Gene UrduGeoD 37:28  चुनाँचे जब मिदियानी ताजिर वहाँ से गुज़रे तो भाइयों ने यूसुफ़ को खींचकर गढ़े से निकाला और चाँदी के 20 सिक्कों के एवज़ बेच डाला। इसमाईली उसे लेकर मिसर चले गए।
Gene UrduGeoD 37:29  उस वक़्त रूबिन मौजूद नहीं था। जब वह गढ़े के पास वापस आया तो यूसुफ़ उसमें नहीं था। यह देखकर उसने परेशानी में अपने कपड़े फाड़ डाले।
Gene UrduGeoD 37:30  वह अपने भाइयों के पास वापस गया और कहा, “लड़का नहीं है। अब मैं किस तरह अब्बू के पास जाऊँ?”
Gene UrduGeoD 37:31  तब उन्होंने बकरा ज़बह करके यूसुफ़ का लिबास उसके ख़ून में डुबोया,
Gene UrduGeoD 37:32  फिर रंगदार लिबास इस ख़बर के साथ अपने बाप को भिजवा दिया कि “हमें यह मिला है। इसे ग़ौर से देखें। यह आपके बेटे का लिबास तो नहीं?”
Gene UrduGeoD 37:33  याक़ूब ने उसे पहचान लिया और कहा, “बेशक उसी का है। किसी वहशी जानवर ने उसे फाड़ खाया है। यक़ीनन यूसुफ़ को फाड़ दिया गया है।”
Gene UrduGeoD 37:34  याक़ूब ने ग़म के मारे अपने कपड़े फाड़े और अपनी कमर से टाट ओढ़कर बड़ी देर तक अपने बेटे के लिए मातम करता रहा।
Gene UrduGeoD 37:35  उसके तमाम बेटे-बेटियाँ उसे तसल्ली देने आए, लेकिन उसने तसल्ली पाने से इनकार किया और कहा, “मैं पाताल में उतरते हुए भी अपने बेटे के लिए मातम करूँगा।” इस हालत में वह अपने बेटे के लिए रोता रहा।
Gene UrduGeoD 37:36  इतने में मिदियानी मिसर पहुँचकर यूसुफ़ को बेच चुके थे। मिसर के बादशाह फ़िरौन के एक आला अफ़सर फ़ूतीफ़ार ने उसे ख़रीद लिया। फ़ूतीफ़ार बादशाह के मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर था।
Chapter 38
Gene UrduGeoD 38:1  उन दिनों में यहूदाह अपने भाइयों को छोड़कर एक आदमी के पास रहने लगा जिसका नाम हीरा था और जो अदुल्लाम शहर से था।
Gene UrduGeoD 38:2  वहाँ यहूदाह की मुलाक़ात एक कनानी औरत से हुई जिसके बाप का नाम सुअ था। उसने उससे शादी की।
Gene UrduGeoD 38:3  बेटा पैदा हुआ जिसका नाम यहूदाह ने एर रखा।
Gene UrduGeoD 38:4  एक और बेटा पैदा हुआ जिसका नाम बीवी ने ओनान रखा।
Gene UrduGeoD 38:5  उसके तीसरा बेटा भी पैदा हुआ। उसने उसका नाम सेला रखा। यहूदाह क़ज़ीब में था जब वह पैदा हुआ।
Gene UrduGeoD 38:6  यहूदाह ने अपने बड़े बेटे एर की शादी एक लड़की से कराई जिसका नाम तमर था।
Gene UrduGeoD 38:7  रब के नज़दीक एर शरीर था, इसलिए उसने उसे हलाक कर दिया।
Gene UrduGeoD 38:8  इस पर यहूदाह ने एर के छोटे भाई ओनान से कहा, “अपने बड़े भाई की बेवा के पास जाओ और उससे शादी करो ताकि तुम्हारे भाई की नसल क़ायम रहे।”
Gene UrduGeoD 38:9  ओनान ने ऐसा किया, लेकिन वह जानता था कि जो भी बच्चे पैदा होंगे वह क़ानून के मुताबिक़ मेरे बड़े भाई के होंगे। इसलिए जब भी वह तमर से हमबिसतर होता तो नुतफ़ा को ज़मीन पर गिरा देता, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि मेरी मारिफ़त मेरे भाई के बच्चे पैदा हों।
Gene UrduGeoD 38:10  यह बात रब को बुरी लगी, और उसने उसे भी सज़ाए-मौत दी।
Gene UrduGeoD 38:11  तब यहूदाह ने अपनी बहू तमर से कहा, “अपने बाप के घर वापस चली जाओ और उस वक़्त तक बेवा रहो जब तक मेरा बेटा सेला बड़ा न हो जाए।” उसने यह इसलिए कहा कि उसे डर था कि कहीं सेला भी अपने भाइयों की तरह मर न जाए चुनाँचे तमर अपने मैके चली गई।
Gene UrduGeoD 38:12  काफ़ी दिनों के बाद यहूदाह की बीवी जो सुअ की बेटी थी मर गई। मातम का वक़्त गुज़र गया तो यहूदाह अपने अदुल्लामी दोस्त हीरा के साथ तिमनत गया जहाँ यहूदाह की भेड़ों की पशम कतरी जा रही थी।
Gene UrduGeoD 38:13  तमर को बताया गया, “आपका सुसर अपनी भेड़ों की पशम कतरने के लिए तिमनत जा रहा है।”
Gene UrduGeoD 38:14  यह सुनकर तमर ने बेवा के कपड़े उतारकर आम कपड़े पहन लिए। फिर वह अपना मुँह चादर से लपेटकर ऐनीम शहर के दरवाज़े पर बैठ गई जो तिमनत के रास्ते में था। तमर ने यह हरकत इसलिए की कि यहूदाह का बेटा सेला अब बालिग़ हो चुका था तो भी उस की उसके साथ शादी नहीं की गई थी।
Gene UrduGeoD 38:15  जब यहूदाह वहाँ से गुज़रा तो उसने उसे देखकर सोचा कि यह कसबी है, क्योंकि उसने अपना मुँह छुपाया हुआ था।
Gene UrduGeoD 38:16  वह रास्ते से हटकर उसके पास गया और कहा, “ज़रा मुझे अपने हाँ आने दें।” (उसने नहीं पहचाना कि यह मेरी बहू है)। तमर ने कहा, “आप मुझे क्या देंगे?”
Gene UrduGeoD 38:17  उसने जवाब दिया, “मैं आपको बकरी का बच्चा भेज दूँगा।” तमर ने कहा, “ठीक है, लेकिन उसे भेजने तक मुझे ज़मानत दें।”
Gene UrduGeoD 38:18  उसने पूछा, “मैं आपको क्या दूँ?” तमर ने कहा, “अपनी मुहर और उसे गले में लटकाने की डोरी। वह लाठी भी दें जो आप पकड़े हुए हैं।” चुनाँचे यहूदाह उसे यह चीज़ें देकर उसके साथ हमबिसतर हुआ। नतीजे में तमर उम्मीद से हुई।
Gene UrduGeoD 38:19  फिर तमर उठकर अपने घर वापस चली गई। उसने अपनी चादर उतारकर दुबारा बेवा के कपड़े पहन लिए।
Gene UrduGeoD 38:20  यहूदाह ने अपने दोस्त हीरा अदुल्लामी के हाथ बकरी का बच्चा भेज दिया ताकि वह चीज़ें वापस मिल जाएँ जो उसने ज़मानत के तौर पर दी थीं। लेकिन हीरा को पता न चला कि औरत कहाँ है।
Gene UrduGeoD 38:21  उसने ऐनीम के बाशिंदों से पूछा, “वह कसबी कहाँ है जो यहाँ सड़क पर बैठी थी?” उन्होंने जवाब दिया, “यहाँ ऐसी कोई कसबी नहीं थी।”
Gene UrduGeoD 38:22  उसने यहूदाह के पास वापस जाकर कहा, “वह मुझे नहीं मिली बल्कि वहाँ के रहनेवालों ने कहा कि यहाँ कोई ऐसी कसबी थी नहीं।”
Gene UrduGeoD 38:23  यहूदाह ने कहा, “फिर वह ज़मानत की चीज़ें अपने पास ही रखे। उसे छोड़ दो वरना लोग हमारा मज़ाक़ उड़ाएँगे। हमने तो पूरी कोशिश की कि उसे बकरी का बच्चा मिल जाए, लेकिन खोज लगाने के बावुजूद आपको पता न चला कि वह कहाँ है।”
Gene UrduGeoD 38:24  तीन माह के बाद यहूदाह को इत्तला दी गई, “आपकी बहू तमर ने ज़िना किया है, और अब वह हामिला है।” यहूदाह ने हुक्म दिया, “उसे बाहर लाकर जला दो।”
Gene UrduGeoD 38:25  तमर को जलाने के लिए बाहर लाया गया तो उसने अपने सुसर को ख़बर भेज दी, “यह चीज़ें देखें। यह उस आदमी की हैं जिसकी मारिफ़त मैं उम्मीद से हूँ। पता करें कि यह मुहर, उस की डोरी और यह लाठी किसकी हैं।”
Gene UrduGeoD 38:26  यहूदाह ने उन्हें पहचान लिया। उसने कहा, “मैं नहीं बल्कि यह औरत हक़ पर है, क्योंकि मैंने उस की अपने बेटे सेला से शादी नहीं कराई।” लेकिन बाद में यहूदाह कभी भी तमर से हमबिसतर न हुआ।
Gene UrduGeoD 38:27  जब जन्म देने का वक़्त आया तो मालूम हुआ कि जुड़वाँ बच्चे हैं।
Gene UrduGeoD 38:28  एक बच्चे का हाथ निकला तो दाई ने उसे पकड़कर उसमें सुर्ख़ धागा बाँध दिया और कहा, “यह पहले पैदा हुआ।”
Gene UrduGeoD 38:29  लेकिन उसने अपना हाथ वापस खींच लिया, और उसका भाई पहले पैदा हुआ। यह देखकर दाई बोल उठी, “तू किस तरह फूट निकला है!” उसने उसका नाम फ़ारस यानी फूट रखा।
Gene UrduGeoD 38:30  फिर उसका भाई पैदा हुआ जिसके हाथ में सुर्ख़ धागा बँधा हुआ था। उसका नाम ज़ारह यानी चमक रखा गया।
Chapter 39
Gene UrduGeoD 39:1  इसमाईलियों ने यूसुफ़ को मिसर ले जाकर बेच दिया था। मिसर के बादशाह के एक आला अफ़सर बनाम फ़ूतीफ़ार ने उसे ख़रीद लिया। वह शाही मुहाफ़िज़ों का कप्तान था।
Gene UrduGeoD 39:2  रब यूसुफ़ के साथ था। जो भी काम वह करता उसमें कामयाब रहता। वह अपने मिसरी मालिक के घर में रहता था
Gene UrduGeoD 39:3  जिसने देखा कि रब यूसुफ़ के साथ है और उसे हर काम में कामयाबी देता है।
Gene UrduGeoD 39:4  चुनाँचे यूसुफ़ को मालिक की ख़ास मेहरबानी हासिल हुई, और फ़ूतीफ़ार ने उसे अपना ज़ाती नौकर बना लिया। उसने उसे अपने घराने के इंतज़ाम पर मुक़र्रर किया और अपनी पूरी मिलकियत उसके सुपुर्द कर दी।
Gene UrduGeoD 39:5  जिस वक़्त से फ़ूतीफ़ार ने अपने घराने का इंतज़ाम और पूरी मिलकियत यूसुफ़ के सुपुर्द की उस वक़्त से रब ने फ़ूतीफ़ार को यूसुफ़ के सबब से बरकत दी। उस की बरकत फ़ूतीफ़ार की हर चीज़ पर थी, ख़ाह घर में थी या खेत में।
Gene UrduGeoD 39:6  फ़ूतीफ़ार ने अपनी हर चीज़ यूसुफ़ के हाथ में छोड़ दी। और चूँकि यूसुफ़ सब कुछ अच्छी तरह चलाता था इसलिए फ़ूतीफ़ार को खाना खाने के सिवा किसी भी मामले की फ़िकर नहीं थी। यूसुफ़ निहायत ख़ूबसूरत आदमी था।
Gene UrduGeoD 39:7  कुछ देर के बाद उसके मालिक की बीवी की आँख उस पर लगी। उसने उससे कहा, “मेरे साथ हमबिसतर हो!”
Gene UrduGeoD 39:8  यूसुफ़ इनकार करके कहने लगा, “मेरे मालिक को मेरे सबब से किसी मामले की फ़िकर नहीं है। उन्होंने सब कुछ मेरे सुपुर्द कर दिया है।
Gene UrduGeoD 39:9  घर के इंतज़ाम पर उनका इख़्तियार मेरे इख़्तियार से ज़्यादा नहीं है। आपके सिवा उन्होंने कोई भी चीज़ मुझसे बाज़ नहीं रखी। तो फिर मैं किस तरह इतना ग़लत काम करूँ? मैं किस तरह अल्लाह का गुनाह करूँ?”
Gene UrduGeoD 39:10  मालिक की बीवी रोज़ बरोज़ यूसुफ़ के पीछे पड़ी रही कि मेरे साथ हमबिसतर हो। लेकिन वह हमेशा इनकार करता रहा।
Gene UrduGeoD 39:11  एक दिन वह काम करने के लिए घर में गया। घर में और कोई नौकर नहीं था।
Gene UrduGeoD 39:12  फ़ूतीफ़ार की बीवी ने यूसुफ़ का लिबास पकड़कर कहा, “मेरे साथ हमबिसतर हो!” यूसुफ़ भागकर बाहर चला गया लेकिन उसका लिबास पीछे औरत के हाथ में ही रह गया।
Gene UrduGeoD 39:13  जब मालिक की बीवी ने देखा कि वह अपना लिबास छोड़कर भाग गया है
Gene UrduGeoD 39:14  तो उसने घर के नौकरों को बुलाकर कहा, “यह देखो! मेरे मालिक इस इबरानी को हमारे पास ले आए हैं ताकि वह हमें ज़लील करे। वह मेरी इसमतदरी करने के लिए मेरे कमरे में आ गया, लेकिन मैं ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी।
Gene UrduGeoD 39:15  जब मैं मदद के लिए ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी तो वह अपना लिबास छोड़कर भाग गया।”
Gene UrduGeoD 39:16  उसने मालिक के आने तक यूसुफ़ का लिबास अपने पास रखा।
Gene UrduGeoD 39:17  जब वह घर वापस आया तो उसने उसे यही कहानी सुनाई, “यह इबरानी ग़ुलाम जो आप ले आए हैं मेरी तज़लील के लिए मेरे पास आया।
Gene UrduGeoD 39:18  लेकिन जब मैं मदद के लिए चीख़ने लगी तो वह अपना लिबास छोड़कर भाग गया।”
Gene UrduGeoD 39:19  यह सुनकर फ़ूतीफ़ार बड़े ग़ुस्से में आ गया।
Gene UrduGeoD 39:20  उसने यूसुफ़ को गिरिफ़्तार करके उस जेल में डाल दिया जहाँ बादशाह के क़ैदी रखे जाते थे। वहीं वह रहा।
Gene UrduGeoD 39:21  लेकिन रब यूसुफ़ के साथ था। उसने उस पर मेहरबानी की और उसे क़ैदख़ाने के दारोग़े की नज़र में मक़बूल किया।
Gene UrduGeoD 39:22  यूसुफ़ यहाँ तक मक़बूल हुआ कि दारोग़े ने तमाम क़ैदियों को उसके सुपुर्द करके उसे पूरा इंतज़ाम चलाने की ज़िम्मादारी दी।
Gene UrduGeoD 39:23  दारोग़े को किसी भी मामले की जिसे उसने यूसुफ़ के सुपुर्द किया था फ़िकर न रही, क्योंकि रब यूसुफ़ के साथ था और उसे हर काम में कामयाबी बख़्शी।
Chapter 40
Gene UrduGeoD 40:1  कुछ देर के बाद यों हुआ कि मिसर के बादशाह के सरदार साक़ी और बेकरी के इंचार्ज ने अपने मालिक का गुनाह किया।
Gene UrduGeoD 40:2  फ़िरौन को दोनों अफ़सरों पर ग़ुस्सा आ गया।
Gene UrduGeoD 40:3  उसने उन्हें उस क़ैदख़ाने में डाल दिया जो शाही मुहाफ़िज़ों के कप्तान के सुपुर्द था और जिसमें यूसुफ़ था।
Gene UrduGeoD 40:4  मुहाफ़िज़ों के कप्तान ने उन्हें यूसुफ़ के हवाले किया ताकि वह उनकी ख़िदमत करे। वहाँ वह काफ़ी देर तक रहे।
Gene UrduGeoD 40:5  एक रात बादशाह के सरदार साक़ी और बेकरी के इंचार्ज ने ख़ाब देखा। दोनों का ख़ाब फ़रक़ फ़रक़ था, और उनका मतलब भी फ़रक़ फ़रक़ था।
Gene UrduGeoD 40:6  जब यूसुफ़ सुबह के वक़्त उनके पास आया तो वह दबे हुए नज़र आए।
Gene UrduGeoD 40:7  उसने उनसे पूछा, “आज आप क्यों इतने परेशान हैं?”
Gene UrduGeoD 40:8  उन्होंने जवाब दिया, “हम दोनों ने ख़ाब देखा है, और कोई नहीं जो हमें उनका मतलब बताए।” यूसुफ़ ने कहा, “ख़ाबों की ताबीर तो अल्लाह का काम है। ज़रा मुझे अपने ख़ाब तो सुनाएँ।”
Gene UrduGeoD 40:9  सरदार साक़ी ने शुरू किया, “मैंने ख़ाब में अपने सामने अंगूर की बेल देखी।
Gene UrduGeoD 40:10  उस की तीन शाख़ें थीं। उसके पत्ते लगे, कोंपलें फूट निकलीं और अंगूर पक गए।
Gene UrduGeoD 40:11  मेरे हाथ में बादशाह का प्याला था, और मैंने अंगूरों को तोड़कर यों भींच दिया कि उनका रस बादशाह के प्याले में आ गया। फिर मैंने प्याला बादशाह को पेश किया।”
Gene UrduGeoD 40:12  यूसुफ़ ने कहा, “तीन शाख़ों से मुराद तीन दिन हैं।
Gene UrduGeoD 40:13  तीन दिन के बाद फ़िरौन आपको बहाल कर लेगा। आपको पहली ज़िम्मादारी वापस मिल जाएगी। आप पहले की तरह सरदार साक़ी की हैसियत से बादशाह का प्याला सँभालेंगे।
Gene UrduGeoD 40:14  लेकिन जब आप बहाल हो जाएँ तो मेरा ख़याल करें। मेहरबानी करके बादशाह के सामने मेरा ज़िक्र करें ताकि मैं यहाँ से रिहा हो जाऊँ।
Gene UrduGeoD 40:15  क्योंकि मुझे इबरानियों के मुल्क से इग़वा करके यहाँ लाया गया है, और यहाँ भी मुझसे कोई ऐसी ग़लती नहीं हुई कि मुझे इस गढ़े में फेंका जाता।”
Gene UrduGeoD 40:16  जब शाही बेकरी के इंचार्ज ने देखा कि सरदार साक़ी के ख़ाब का अच्छा मतलब निकला तो उसने यूसुफ़ से कहा, “मेरा ख़ाब भी सुनें। मैंने सर पर तीन टोकरियाँ उठा रखी थीं जो बेकरी की चीज़ों से भरी हुई थीं।
Gene UrduGeoD 40:17  सबसे ऊपरवाली टोकरी में वह तमाम चीज़ें थीं जो बादशाह की मेज़ के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन परिंदे आकर उन्हें खा रहे थे।”
Gene UrduGeoD 40:18  यूसुफ़ ने कहा, “तीन टोकरियों से मुराद तीन दिन हैं।
Gene UrduGeoD 40:19  तीन दिन के बाद ही फ़िरौन आपको क़ैदख़ाने से निकालकर दरख़्त से लटका देगा। परिंदे आपकी लाश को खा जाएंगे।”
Gene UrduGeoD 40:20  तीन दिन के बाद बादशाह की सालगिरह थी। उसने अपने तमाम अफ़सरों की ज़ियाफ़त की। इस मौक़े पर उसने सरदार साक़ी और बेकरी के इंचार्ज को जेल से निकालकर अपने हुज़ूर लाने का हुक्म दिया।
Gene UrduGeoD 40:21  सरदार साक़ी को पहलेवाली ज़िम्मादारी सौंप दी गई,
Gene UrduGeoD 40:22  लेकिन बेकरी के इंचार्ज को सज़ाए-मौत देकर दरख़्त से लटका दिया गया। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा यूसुफ़ ने कहा था।
Gene UrduGeoD 40:23  लेकिन सरदार साक़ी ने यूसुफ़ का ख़याल न किया बल्कि उसे भूल ही गया।
Chapter 41
Gene UrduGeoD 41:1  दो साल गुज़र गए कि एक रात बादशाह ने ख़ाब देखा। वह दरियाए-नील के किनारे खड़ा था।
Gene UrduGeoD 41:2  अचानक दरिया में से सात ख़ूबसूरत और मोटी गाएँ निकलकर सरकंडों में चरने लगीं।
Gene UrduGeoD 41:3  उनके बाद सात और गाएँ निकल आईं। लेकिन वह बदसूरत और दुबली-पतली थीं। वह दरिया के किनारे दूसरी गायों के पास खड़ी होकर
Gene UrduGeoD 41:4  पहली सात ख़ूबसूरत और मोटी मोटी गायों को खा गईं। इसके बाद मिसर का बादशाह जाग उठा।
Gene UrduGeoD 41:5  फिर वह दुबारा सो गया। इस दफ़ा उसने एक और ख़ाब देखा। अनाज के एक पौदे पर सात मोटी मोटी और अच्छी अच्छी बालें लगी थीं।
Gene UrduGeoD 41:6  फिर सात और बालें फूट निकलीं जो दुबली-पतली और मशरिक़ी हवा से झुलसी हुई थीं।
Gene UrduGeoD 41:7  अनाज की सात दुबली-पतली बालों ने सात मोटी और ख़ूबसूरत बालों को निगल लिया। फिर फ़िरौन जाग उठा तो मालूम हुआ कि मैंने ख़ाब ही देखा है।
Gene UrduGeoD 41:8  सुबह हुई तो वह परेशान था, इसलिए उसने मिसर के तमाम जादूगरों और आलिमों को बुलाया। उसने उन्हें अपने ख़ाब सुनाए, लेकिन कोई भी उनकी ताबीर न कर सका।
Gene UrduGeoD 41:9  फिर सरदार साक़ी ने फ़िरौन से कहा, “आज मुझे अपनी ख़ताएँ याद आती हैं।
Gene UrduGeoD 41:10  एक दिन फ़िरौन अपने ख़ादिमों से नाराज़ हुए। हुज़ूर ने मुझे और बेकरी के इंचार्ज को क़ैदख़ाने में डलवा दिया जिस पर शाही मुहाफ़िज़ों का कप्तान मुक़र्रर था।
Gene UrduGeoD 41:11  एक ही रात में हम दोनों ने मुख़्तलिफ़ ख़ाब देखे जिनका मतलब फ़रक़ फ़रक़ था।
Gene UrduGeoD 41:12  वहाँ जेल में एक इबरानी नौजवान था। वह मुहाफ़िज़ों के कप्तान का ग़ुलाम था। हमने उसे अपने ख़ाब सुनाए तो उसने हमें उनका मतलब बता दिया।
Gene UrduGeoD 41:13  और जो कुछ भी उसने बताया सब कुछ वैसा ही हुआ। मुझे अपनी ज़िम्मादारी वापस मिल गई जबकि बेकरी के इंचार्ज को सज़ाए-मौत देकर दरख़्त से लटका दिया गया।”
Gene UrduGeoD 41:14  यह सुनकर फ़िरौन ने यूसुफ़ को बुलाया, और उसे जल्दी से क़ैदख़ाने से लाया गया। उसने शेव करवाकर अपने कपड़े बदले और सीधे बादशाह के हुज़ूर पहुँचा।
Gene UrduGeoD 41:15  बादशाह ने कहा, “मैंने ख़ाब देखा है, और यहाँ कोई नहीं जो उस की ताबीर कर सके। लेकिन सुना है कि तू ख़ाब को सुनकर उसका मतलब बता सकता है।”
Gene UrduGeoD 41:16  यूसुफ़ ने जवाब दिया, “यह मेरे इख़्तियार में नहीं है। लेकिन अल्लाह ही बादशाह को सलामती का पैग़ाम देगा।”
Gene UrduGeoD 41:17  फ़िरौन ने यूसुफ़ को अपने ख़ाब सुनाए, “मैं ख़ाब में दरियाए-नील के किनारे खड़ा था।
Gene UrduGeoD 41:18  अचानक दरिया में से सात मोटी मोटी और ख़ूबसूरत गाएँ निकलकर सरकंडों में चरने लगीं।
Gene UrduGeoD 41:19  इसके बाद सात और गाएँ निकलीं। वह निहायत बदसूरत और दुबली-पतली थीं। मैंने इतनी बदसूरत गाएँ मिसर में कहीं भी नहीं देखीं।
Gene UrduGeoD 41:20  दुबली और बदसूरत गाएँ पहली मोटी गायों को खा गईं।
Gene UrduGeoD 41:21  और निगलने के बाद भी मालूम नहीं होता था कि उन्होंने मोटी गायों को खाया है। वह पहले की तरह बदसूरत ही थीं। इसके बाद मैं जाग उठा।
Gene UrduGeoD 41:22  फिर मैंने एक और ख़ाब देखा। सात मोटी और अच्छी बालें एक ही पौदे पर लगी थीं।
Gene UrduGeoD 41:23  इसके बाद सात और बालें निकलीं जो ख़राब, दुबली-पतली और मशरिक़ी हवा से झुलसी हुई थीं।
Gene UrduGeoD 41:24  सात दुबली-पतली बालें सात अच्छी बालों को निगल गईं। मैंने यह सब कुछ अपने जादूगरों को बताया, लेकिन वह इसकी ताबीर न कर सके।”
Gene UrduGeoD 41:25  यूसुफ़ ने बादशाह से कहा, “दोनों ख़ाबों का एक ही मतलब है। इनसे अल्लाह ने हुज़ूर पर ज़ाहिर किया है कि वह क्या कुछ करने को है।
Gene UrduGeoD 41:26  सात अच्छी गायों से मुराद सात साल हैं। इसी तरह सात अच्छी बालों से मुराद भी सात साल हैं। दोनों ख़ाब एक ही बात बयान करते हैं।
Gene UrduGeoD 41:27  जो सात दुबली और बदसूरत गाएँ बाद में निकलें उनसे मुराद सात और साल हैं। यही सात दुबली-पतली और मशरिक़ी हवा से झुलसी हुई बालों का मतलब भी है। वह एक ही बात बयान करती हैं कि सात साल तक काल पड़ेगा।
Gene UrduGeoD 41:28  यह वही बात है जो मैंने हुज़ूर से कही कि अल्लाह ने हुज़ूर पर ज़ाहिर किया है कि वह क्या करेगा।
Gene UrduGeoD 41:29  सात साल आएँगे जिनके दौरान मिसर के पूरे मुल्क में कसरत से पैदावार होगी।
Gene UrduGeoD 41:30  उसके बाद सात साल काल पड़ेगा। काल इतना शदीद होगा कि लोग भूल जाएंगे कि पहले इतनी कसरत थी। क्योंकि काल मुल्क को तबाह कर देगा।
Gene UrduGeoD 41:31  काल की शिद्दत के बाइस अच्छे सालों की कसरत याद ही नहीं रहेगी।
Gene UrduGeoD 41:32  हुज़ूर को इसलिए एक ही पैग़ाम दो मुख़्तलिफ़ ख़ाबों की सूरत में मिला कि अल्लाह इसका पक्का इरादा रखता है, और वह जल्द ही इस पर अमल करेगा।
Gene UrduGeoD 41:33  अब बादशाह किसी समझदार और दानिशमंद आदमी को मुल्के-मिसर का इंतज़ाम सौंपें।
Gene UrduGeoD 41:34  इसके अलावा वह ऐसे आदमी मुक़र्रर करें जो सात अच्छे सालों के दौरान हर फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा लें।
Gene UrduGeoD 41:35  वह उन अच्छे सालों के दौरान ख़ुराक जमा करें। बादशाह उन्हें इख़्तियार दें कि वह शहरों में गोदाम बनाकर अनाज को महफ़ूज़ कर लें।
Gene UrduGeoD 41:36  यह ख़ुराक काल के उन सात सालों के लिए मख़सूस की जाए जो मिसर में आनेवाले हैं। यों मुल्क तबाह नहीं होगा।”
Gene UrduGeoD 41:37  यह मनसूबा बादशाह और उसके अफ़सरान को अच्छा लगा।
Gene UrduGeoD 41:38  उसने उनसे कहा, “हमें इस काम के लिए यूसुफ़ से ज़्यादा लायक़ आदमी नहीं मिलेगा। उसमें अल्लाह की रूह है।”
Gene UrduGeoD 41:39  बादशाह ने यूसुफ़ से कहा, “अल्लाह ने यह सब कुछ तुझ पर ज़ाहिर किया है, इसलिए कोई भी तुझसे ज़्यादा समझदार और दानिशमंद नहीं है।
Gene UrduGeoD 41:40  मैं तुझे अपने महल पर मुक़र्रर करता हूँ। मेरी तमाम रिआया तेरे ताबे रहेगी। तेरा इख़्तियार सिर्फ़ मेरे इख़्तियार से कम होगा।
Gene UrduGeoD 41:41  अब मैं तुझे पूरे मुल्के-मिसर पर हाकिम मुक़र्रर करता हूँ।”
Gene UrduGeoD 41:42  बादशाह ने अपनी उँगली से वह अंगूठी उतारी जिससे मुहर लगाता था और उसे यूसुफ़ की उँगली में पहना दिया। उसने उसे कतान का बारीक लिबास पहनाया और उसके गले में सोने का गुलूबंद पहना दिया।
Gene UrduGeoD 41:43  फिर उसने उसे अपने दूसरे रथ में सवार किया और लोग उसके आगे आगे पुकारते रहे, “घुटने टेको! घुटने टेको!” यों यूसुफ़ पूरे मिसर का हाकिम बना।
Gene UrduGeoD 41:44  फ़िरौन ने उससे कहा, “मैं तो बादशाह हूँ, लेकिन तेरी इजाज़त के बग़ैर पूरे मुल्क में कोई भी अपना हाथ या पाँव नहीं हिलाएगा।”
Gene UrduGeoD 41:45  उसने यूसुफ़ का मिसरी नाम साफ़नत-फ़ानेह रखा और ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा की बेटी आसनत के साथ उस की शादी कराई। यूसुफ़ 30 साल का था जब वह मिसर के बादशाह फ़िरौन की ख़िदमत करने लगा। उसने फ़िरौन के हुज़ूर से निकलकर मिसर का दौरा किया।
Gene UrduGeoD 41:46  उसने यूसुफ़ का मिसरी नाम साफ़नत-फ़ानेह रखा और ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा की बेटी आसनत के साथ उस की शादी कराई। यूसुफ़ 30 साल का था जब वह मिसर के बादशाह फ़िरौन की ख़िदमत करने लगा। उसने फ़िरौन के हुज़ूर से निकलकर मिसर का दौरा किया।
Gene UrduGeoD 41:47  सात अच्छे सालों के दौरान मुल्क में निहायत अच्छी फ़सलें उगीं।
Gene UrduGeoD 41:48  यूसुफ़ ने तमाम ख़ुराक जमा करके शहरों में महफ़ूज़ कर ली। हर शहर में उसने इर्दगिर्द के खेतों की पैदावार महफ़ूज़ रखी।
Gene UrduGeoD 41:49  जमाशुदा अनाज समुंदर की रेत की मानिंद बकसरत था। इतना अनाज था कि यूसुफ़ ने आख़िरकार उस की पैमाइश करना छोड़ दिया।
Gene UrduGeoD 41:50  काल से पहले यूसुफ़ और आसनत के दो बेटे पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 41:51  उसने पहले का नाम मनस्सी यानी ‘जो भुला देता है’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “अल्लाह ने मेरी मुसीबत और मेरे बाप का घराना मेरी याददाश्त से निकाल दिया है।”
Gene UrduGeoD 41:52  दूसरे का नाम उसने इफ़राईम यानी ‘दुगना फलदार’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “अल्लाह ने मुझे मेरी मुसीबत के मुल्क में फलने फूलने दिया है।”
Gene UrduGeoD 41:53  सात अच्छे साल जिनमें कसरत की फ़सलें उगीं गुज़र गए।
Gene UrduGeoD 41:54  फिर काल के सात साल शुरू हुए जिस तरह यूसुफ़ ने कहा था। तमाम दीगर ममालिक में भी काल पड़ गया, लेकिन मिसर में वाफ़िर ख़ुराक पाई जाती थी।
Gene UrduGeoD 41:55  जब काल ने तमाम मिसर में ज़ोर पकड़ा तो लोग चीख़कर खाने के लिए बादशाह से मिन्नत करने लगे। तब फ़िरौन ने उनसे कहा, “यूसुफ़ के पास जाओ। जो कुछ वह तुम्हें बताएगा वही करो।”
Gene UrduGeoD 41:56  जब काल पूरी दुनिया में फैल गया तो यूसुफ़ ने अनाज के गोदाम खोलकर मिसरियों को अनाज बेच दिया। क्योंकि काल के बाइस मुल्क के हालात बहुत ख़राब हो गए थे।
Gene UrduGeoD 41:57  तमाम ममालिक से भी लोग अनाज ख़रीदने के लिए यूसुफ़ के पास आए, क्योंकि पूरी दुनिया सख़्त काल की गिरिफ़्त में थी।
Chapter 42
Gene UrduGeoD 42:1  जब याक़ूब को मालूम हुआ कि मिसर में अनाज है तो उसने अपने बेटों से कहा, “तुम क्यों एक दूसरे का मुँह तकते हो?
Gene UrduGeoD 42:2  सुना है कि मिसर में अनाज है। वहाँ जाकर हमारे लिए कुछ ख़रीद लाओ ताकि हम भूके न मरें।”
Gene UrduGeoD 42:3  तब यूसुफ़ के दस भाई अनाज ख़रीदने के लिए मिसर गए।
Gene UrduGeoD 42:4  लेकिन याक़ूब ने यूसुफ़ के सगे भाई बिनयमीन को साथ न भेजा, क्योंकि उसने कहा, “ऐसा न हो कि उसे जानी नुक़सान पहुँचे।”
Gene UrduGeoD 42:5  यों याक़ूब के बेटे बहुत सारे और लोगों के साथ मिसर गए, क्योंकि मुल्के-कनान भी काल की गिरिफ़्त में था।
Gene UrduGeoD 42:6  यूसुफ़ मिसर के हाकिम की हैसियत से लोगों को अनाज बेचता था, इसलिए उसके भाई आकर उसके सामने मुँह के बल झुक गए।
Gene UrduGeoD 42:7  जब यूसुफ़ ने अपने भाइयों को देखा तो उसने उन्हें पहचान लिया लेकिन ऐसा किया जैसा उनसे नावाक़िफ़ हो और सख़्ती से उनसे बात की, “तुम कहाँ से आए हो?” उन्होंने जवाब दिया, “हम मुल्के-कनान से अनाज ख़रीदने के लिए आए हैं।”
Gene UrduGeoD 42:8  गो यूसुफ़ ने अपने भाइयों को पहचान लिया, लेकिन उन्होंने उसे न पहचाना।
Gene UrduGeoD 42:9  उसे वह ख़ाब याद आए जो उसने उनके बारे में देखे थे। उसने कहा, “तुम जासूस हो। तुम यह देखने आए हो कि हमारा मुल्क किन किन जगहों पर ग़ैरमहफ़ूज़ है।”
Gene UrduGeoD 42:10  उन्होंने कहा, “जनाब, हरगिज़ नहीं। आपके ग़ुलाम ग़ल्ला ख़रीदने आए हैं।
Gene UrduGeoD 42:11  हम सब एक ही मर्द के बेटे हैं। आपके ख़ादिम शरीफ़ लोग हैं, जासूस नहीं हैं।”
Gene UrduGeoD 42:12  लेकिन यूसुफ़ ने इसरार किया, “नहीं, तुम देखने आए हो कि हमारा मुल्क किन किन जगहों पर ग़ैरमहफ़ूज़ है।”
Gene UrduGeoD 42:13  उन्होंने अर्ज़ की, “आपके ख़ादिम कुल बारह भाई हैं। हम एक ही आदमी के बेटे हैं जो कनान में रहता है। सबसे छोटा भाई इस वक़्त हमारे बाप के पास है जबकि एक मर गया है।”
Gene UrduGeoD 42:14  लेकिन यूसुफ़ ने अपना इलज़ाम दोहराया, “ऐसा ही है जैसा मैंने कहा है कि तुम जासूस हो।
Gene UrduGeoD 42:15  मैं तुम्हारी बातें जाँच लूँगा। फ़िरौन की हयात की क़सम, पहले तुम्हारा सबसे छोटा भाई आए, वरना तुम इस जगह से कभी नहीं जा सकोगे।
Gene UrduGeoD 42:16  एक भाई को उसे लाने के लिए भेज दो। बाक़ी सब यहाँ गिरिफ़्तार रहेंगे। फिर पता चलेगा कि तुम्हारी बातें सच हैं कि नहीं। अगर नहीं तो फ़िरौन की हयात की क़सम, इसका मतलब यह होगा कि तुम जासूस हो।”
Gene UrduGeoD 42:17  यह कहकर यूसुफ़ ने उन्हें तीन दिन के लिए क़ैदख़ाने में डाल दिया।
Gene UrduGeoD 42:18  तीसरे दिन उसने उनसे कहा, “मैं अल्लाह का ख़ौफ़ मानता हूँ, इसलिए तुमको एक शर्त पर जीता छोड़ूँगा।
Gene UrduGeoD 42:19  अगर तुम वाक़ई शरीफ़ लोग हो तो ऐसा करो कि तुममें से एक यहाँ क़ैदख़ाने में रहे जबकि बाक़ी सब अनाज लेकर अपने भूके घरवालों के पास वापस जाएँ।
Gene UrduGeoD 42:20  लेकिन लाज़िम है कि तुम अपने सबसे छोटे भाई को मेरे पास ले आओ। सिर्फ़ इससे तुम्हारी बातें सच साबित होंगी और तुम मौत से बच जाओगे।” यूसुफ़ के भाई राज़ी हो गए।
Gene UrduGeoD 42:21  वह आपस में कहने लगे, “बेशक यह हमारे अपने भाई पर ज़ुल्म की सज़ा है। जब वह इल्तिजा कर रहा था कि मुझ पर रहम करें तो हमने उस की बड़ी मुसीबत देखकर भी उस की न सुनी। इसलिए यह मुसीबत हम पर आ गई है।”
Gene UrduGeoD 42:22  और रूबिन ने कहा, “क्या मैंने नहीं कहा था कि लड़के पर ज़ुल्म मत करो, लेकिन तुमने मेरी एक न मानी। अब उस की मौत का हिसाब-किताब किया जा रहा है।”
Gene UrduGeoD 42:23  उन्हें मालूम नहीं था कि यूसुफ़ हमारी बातें समझ सकता है, क्योंकि वह मुतरजिम की मारिफ़त उनसे बात करता था।
Gene UrduGeoD 42:24  यह बातें सुनकर वह उन्हें छोड़कर रोने लगा। फिर वह सँभलकर वापस आया। उसने शमौन को चुनकर उसे उनके सामने ही बाँध लिया।
Gene UrduGeoD 42:25  यूसुफ़ ने हुक्म दिया कि मुलाज़िम उनकी बोरियाँ अनाज से भरकर हर एक भाई के पैसे उस की बोरी में वापस रख दें और उन्हें सफ़र के लिए खाना भी दें। उन्होंने ऐसा ही किया।
Gene UrduGeoD 42:26  फिर यूसुफ़ के भाई अपने गधों पर अनाज लादकर रवाना हो गए।
Gene UrduGeoD 42:27  जब वह रात के लिए किसी जगह पर ठहरे तो एक भाई ने अपने गधे के लिए चारा निकालने की ग़रज़ से अपनी बोरी खोली तो देखा कि बोरी के मुँह में उसके पैसे पड़े हैं।
Gene UrduGeoD 42:28  उसने अपने भाइयों से कहा, “मेरे पैसे वापस कर दिए गए हैं! वह मेरी बोरी में हैं।” यह देखकर उनके होश उड़ गए। काँपते हुए वह एक दूसरे को देखने और कहने लगे, “यह क्या है जो अल्लाह ने हमारे साथ किया है?”
Gene UrduGeoD 42:29  मुल्के-कनान में अपने बाप के पास पहुँचकर उन्होंने उसे सब कुछ सुनाया जो उनके साथ हुआ था। उन्होंने कहा,
Gene UrduGeoD 42:30  “उस मुल्क के मालिक ने बड़ी सख़्ती से हमारे साथ बात की। उसने हमें जासूस क़रार दिया।
Gene UrduGeoD 42:31  लेकिन हमने उससे कहा, ‘हम जासूस नहीं बल्कि शरीफ़ लोग हैं।
Gene UrduGeoD 42:32  हम बारह भाई हैं, एक ही बाप के बेटे। एक तो मर गया जबकि सबसे छोटा भाई इस वक़्त कनान में बाप के पास है।’
Gene UrduGeoD 42:33  फिर उस मुल्क के मालिक ने हमसे कहा, ‘इससे मुझे पता चलेगा कि तुम शरीफ़ लोग हो कि एक भाई को मेरे पास छोड़ दो और अपने भूके घरवालों के लिए ख़ुराक लेकर चले जाओ।
Gene UrduGeoD 42:34  लेकिन अपने सबसे छोटे भाई को मेरे पास ले आओ ताकि मुझे मालूम हो जाए कि तुम जासूस नहीं बल्कि शरीफ़ लोग हो। फिर मैं तुमको तुम्हारा भाई वापस कर दूँगा और तुम इस मुल्क में आज़ादी से तिजारत कर सकोगे’।”
Gene UrduGeoD 42:35  उन्होंने अपनी बोरियों से अनाज निकाल दिया तो देखा कि हर एक की बोरी में उसके पैसों की थैली रखी हुई है। यह पैसे देखकर वह ख़ुद और उनका बाप डर गए।
Gene UrduGeoD 42:36  उनके बाप ने उनसे कहा, “तुमने मुझे मेरे बच्चों से महरूम कर दिया है। यूसुफ़ नहीं रहा, शमौन भी नहीं रहा और अब तुम बिनयमीन को भी मुझसे छीनना चाहते हो। सब कुछ मेरे ख़िलाफ़ है।”
Gene UrduGeoD 42:37  फिर रूबिन बोल उठा, “अगर मैं उसे सलामती से आपके पास वापस न पहुँचाऊँ तो आप मेरे दो बेटों को सज़ाए-मौत दे सकते हैं। उसे मेरे सुपुर्द करें तो मैं उसे वापस ले आऊँगा।”
Gene UrduGeoD 42:38  लेकिन याक़ूब ने कहा, “मेरा बेटा तुम्हारे साथ जाने का नहीं। क्योंकि उसका भाई मर गया है और वह अकेला ही रह गया है। अगर उसको रास्ते में जानी नुक़सान पहुँचे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म के मारे पाताल में पहुँचाओगे।”
Chapter 43
Gene UrduGeoD 43:2  जब मिसर से लाया गया अनाज ख़त्म हो गया तो याक़ूब ने कहा, “अब वापस जाकर हमारे लिए कुछ और ग़ल्ला ख़रीद लाओ।”
Gene UrduGeoD 43:3  लेकिन यहूदाह ने कहा, “उस मर्द ने सख़्ती से कहा था, ‘तुम सिर्फ़ इस सूरत में मेरे पास आ सकते हो कि तुम्हारा भाई साथ हो।’
Gene UrduGeoD 43:4  अगर आप हमारे भाई को साथ भेजें तो फिर हम जाकर आपके लिए ग़ल्ला ख़रीदेंगे
Gene UrduGeoD 43:5  वरना नहीं। क्योंकि उस आदमी ने कहा था कि हम सिर्फ़ इस सूरत में उसके पास आ सकते हैं कि हमारा भाई साथ हो।”
Gene UrduGeoD 43:6  याक़ूब ने कहा, “तुमने उसे क्यों बताया कि हमारा एक और भाई भी है? इससे तुमने मुझे बड़ी मुसीबत में डाल दिया है।”
Gene UrduGeoD 43:7  उन्होंने जवाब दिया, “वह आदमी हमारे और हमारे ख़ानदान के बारे में पूछता रहा, ‘क्या तुम्हारा बाप अब तक ज़िंदा है? क्या तुम्हारा कोई और भाई है?’ फिर हमें जवाब देना पड़ा। हमें क्या पता था कि वह हमें अपने भाई को साथ लाने को कहेगा।”
Gene UrduGeoD 43:8  फिर यहूदाह ने बाप से कहा, “लड़के को मेरे साथ भेज दें तो हम अभी रवाना हो जाएंगे। वरना आप, हमारे बच्चे बल्कि हम सब भूकों मर जाएंगे।
Gene UrduGeoD 43:9  मैं ख़ुद उसका ज़ामिन हूँगा। आप मुझे उस की जान का ज़िम्मादार ठहरा सकते हैं। अगर मैं उसे सलामती से वापस न पहुँचाऊँ तो फिर मैं ज़िंदगी के आख़िर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा।
Gene UrduGeoD 43:10  जितनी देर तक हम झिजकते रहे हैं उतनी देर में तो हम दो दफ़ा मिसर जाकर वापस आ सकते थे।”
Gene UrduGeoD 43:11  तब उनके बाप इसराईल ने कहा, “अगर और कोई सूरत नहीं तो इस मुल्क की बेहतरीन पैदावार में से कुछ तोह्फ़े के तौर पर लेकर उस आदमी को दे दो यानी कुछ बलसान, शहद, लादन, मुर, पिस्ता और बादाम।
Gene UrduGeoD 43:12  अपने साथ दुगनी रक़म लेकर जाओ, क्योंकि तुम्हें वह पैसे वापस करने हैं जो तुम्हारी बोरियों में रखे गए थे। शायद किसी से ग़लती हुई हो।
Gene UrduGeoD 43:13  अपने भाई को लेकर सीधे वापस पहुँचना।
Gene UrduGeoD 43:14  अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ करे कि यह आदमी तुम पर रहम करके बिनयमीन और तुम्हारे दूसरे भाई को वापस भेजे। जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, अगर मुझे अपने बच्चों से महरूम होना है तो ऐसा ही हो।”
Gene UrduGeoD 43:15  चुनाँचे वह तोह्फ़े, दुगनी रक़म और बिनयमीन को साथ लेकर चल पड़े। मिसर पहुँचकर वह यूसुफ़ के सामने हाज़िर हुए।
Gene UrduGeoD 43:16  जब यूसुफ़ ने बिनयमीन को उनके साथ देखा तो उसने अपने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम से कहा, “इन आदमियों को मेरे घर ले जाओ ताकि वह दोपहर का खाना मेरे साथ खाएँ। जानवर को ज़बह करके खाना तैयार करो।”
Gene UrduGeoD 43:17  मुलाज़िम ने ऐसा ही किया और भाइयों को यूसुफ़ के घर ले गया।
Gene UrduGeoD 43:18  जब उन्हें उसके घर पहुँचाया जा रहा था तो वह डरकर सोचने लगे, “हमें उन पैसों के सबब से यहाँ लाया जा रहा है जो पहली दफ़ा हमारी बोरियों में वापस किए गए थे। वह हम पर अचानक हमला करके हमारे गधे छीन लेंगे और हमें ग़ुलाम बना लेंगे।”
Gene UrduGeoD 43:19  इसलिए घर के दरवाज़े पर पहुँचकर उन्होंने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम से कहा,
Gene UrduGeoD 43:20  “जनाबे-आली, हमारी बात सुन लीजिए। इससे पहले हम अनाज ख़रीदने के लिए यहाँ आए थे।
Gene UrduGeoD 43:21  लेकिन जब हम यहाँ से रवाना होकर रास्ते में रात के लिए ठहरे तो हमने अपनी बोरियाँ खोलकर देखा कि हर बोरी के मुँह में हमारे पैसों की पूरी रक़म पड़ी है। हम यह पैसे वापस ले आए हैं।
Gene UrduGeoD 43:22  नीज़, हम मज़ीद ख़ुराक ख़रीदने के लिए और पैसे ले आए हैं। ख़ुदा जाने किसने हमारे यह पैसे हमारी बोरियों में रख दिए।”
Gene UrduGeoD 43:23  मुलाज़िम ने कहा, “फ़िकर न करें। मत डरें। आपके और आपके बाप के ख़ुदा ने आपके लिए आपकी बोरियों में यह ख़ज़ाना रखा होगा। बहरहाल मुझे आपके पैसे मिल गए हैं।” मुलाज़िम शमौन को उनके पास बाहर ले आया।
Gene UrduGeoD 43:24  फिर उसने भाइयों को यूसुफ़ के घर में ले जाकर उन्हें पाँव धोने के लिए पानी और गधों को चारा दिया।
Gene UrduGeoD 43:25  उन्होंने अपने तोह्फ़े तैयार रखे, क्योंकि उन्हें बताया गया, “यूसुफ़ दोपहर का खाना आपके साथ ही खाएगा।”
Gene UrduGeoD 43:26  जब यूसुफ़ घर पहुँचा तो वह अपने तोह्फ़े लेकर उसके सामने आए और मुँह के बल झुक गए।
Gene UrduGeoD 43:27  उसने उनसे ख़ैरियत दरियाफ़्त की और फिर कहा, “तुमने अपने बूढ़े बाप का ज़िक्र किया। क्या वह ठीक हैं? क्या वह अब तक ज़िंदा हैं?”
Gene UrduGeoD 43:28  उन्होंने जवाब दिया, “जी, आपके ख़ादिम हमारे बाप अब तक ज़िंदा हैं।” वह दुबारा मुँह के बल झुक गए।
Gene UrduGeoD 43:29  जब यूसुफ़ ने अपने सगे भाई बिनयमीन को देखा तो उसने कहा, “क्या यह तुम्हारा सबसे छोटा भाई है जिसका तुमने ज़िक्र किया था? बेटा, अल्लाह की नज़रे-करम तुम पर हो।”
Gene UrduGeoD 43:30  यूसुफ़ अपने भाई को देखकर इतना मुतअस्सिर हुआ कि वह रोने को था, इसलिए वह जल्दी से वहाँ से निकलकर अपने सोने के कमरे में गया और रो पड़ा।
Gene UrduGeoD 43:31  फिर वह अपना मुँह धोकर वापस आया। अपने आप पर क़ाबू पाकर उसने हुक्म दिया कि नौकर खाना ले आएँ।
Gene UrduGeoD 43:32  नौकरों ने यूसुफ़ के लिए खाने का अलग इंतज़ाम किया और भाइयों के लिए अलग। मिसरियों के लिए भी खाने का अलग इंतज़ाम था, क्योंकि इबरानियों के साथ खाना खाना उनकी नज़र में क़ाबिले-नफ़रत था।
Gene UrduGeoD 43:33  भाइयों को उनकी उम्र की तरतीब के मुताबिक़ यूसुफ़ के सामने बिठाया गया। यह देखकर भाई निहायत हैरान हुए।
Gene UrduGeoD 43:34  नौकरों ने उन्हें यूसुफ़ की मेज़ पर से खाना लेकर खिलाया। लेकिन बिनयमीन को दूसरों की निसबत पाँच गुना ज़्यादा मिला। यों उन्होंने यूसुफ़ के साथ जी भरकर खाया और पिया।
Chapter 44
Gene UrduGeoD 44:1  यूसुफ़ ने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम को हुक्म दिया, “उन मर्दों की बोरियाँ ख़ुराक से इतनी भर देना जितनी वह उठाकर ले जा सकें। हर एक के पैसे उस की अपनी बोरी के मुँह में रख देना।
Gene UrduGeoD 44:2  सबसे छोटे भाई की बोरी में न सिर्फ़ पैसे बल्कि मेरे चाँदी के प्याले को भी रख देना।” मुलाज़िम ने ऐसा ही किया।
Gene UrduGeoD 44:3  अगली सुबह जब पौ फटने लगी तो भाइयों को उनके गधों समेत रुख़सत कर दिया गया।
Gene UrduGeoD 44:4  वह अभी शहर से निकलकर दूर नहीं गए थे कि यूसुफ़ ने अपने घर पर मुक़र्रर मुलाज़िम से कहा, “जल्दी करो। उन आदमियों का ताक़्क़ुब करो। उनके पास पहुँचकर यह पूछना, ‘आपने हमारी भलाई के जवाब में ग़लत काम क्यों किया है?
Gene UrduGeoD 44:5  आपने मेरे मालिक का चाँदी का प्याला क्यों चुराया है? उससे वह न सिर्फ़ पीते हैं बल्कि उसे ग़ैबदानी के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। आप एक निहायत संगीन जुर्म के मुरतकिब हुए हैं’।”
Gene UrduGeoD 44:6  जब मुलाज़िम भाइयों के पास पहुँचा तो उसने उनसे यही बातें कीं।
Gene UrduGeoD 44:7  जवाब में उन्होंने कहा, “हमारे मालिक ऐसी बातें क्यों करते हैं? कभी नहीं हो सकता कि आपके ख़ादिम ऐसा करें।
Gene UrduGeoD 44:8  आप तो जानते हैं कि हम मुल्के-कनान से वह पैसे वापस ले आए जो हमारी बोरियों में थे। तो फिर हम क्यों आपके मालिक के घर से चाँदी या सोना चुराएँगे?
Gene UrduGeoD 44:9  अगर वह आपके ख़ादिमों में से किसी के पास मिल जाए तो उसे मार डाला जाए और बाक़ी सब आपके ग़ुलाम बनें।”
Gene UrduGeoD 44:10  मुलाज़िम ने कहा, “ठीक है ऐसा ही होगा। लेकिन सिर्फ़ वही मेरा ग़ुलाम बनेगा जिसने प्याला चुराया है। बाक़ी सब आज़ाद हैं।”
Gene UrduGeoD 44:11  उन्होंने जल्दी से अपनी बोरियाँ उतारकर ज़मीन पर रख दीं। हर एक ने अपनी बोरी खोल दी।
Gene UrduGeoD 44:12  मुलाज़िम बोरियों की तलाशी लेने लगा। वह बड़े भाई से शुरू करके आख़िरकार सबसे छोटे भाई तक पहुँच गया। और वहाँ बिनयमीन की बोरी में से प्याला निकला।
Gene UrduGeoD 44:13  भाइयों ने यह देखकर परेशानी में अपने लिबास फाड़ लिए। वह अपने गधों को दुबारा लादकर शहर वापस आ गए।
Gene UrduGeoD 44:14  जब यहूदाह और उसके भाई यूसुफ़ के घर पहुँचे तो वह अभी वहीं था। वह उसके सामने मुँह के बल गिर गए।
Gene UrduGeoD 44:15  यूसुफ़ ने कहा, “यह तुमने क्या किया है? क्या तुम नहीं जानते कि मुझ जैसा आदमी ग़ैब का इल्म रखता है?”
Gene UrduGeoD 44:16  यहूदाह ने कहा, “जनाबे-आली, हम क्या कहें? अब हम अपने दिफ़ा में क्या कहें? अल्लाह ही ने हमें क़ुसूरवार ठहराया है। अब हम सब आपके ग़ुलाम हैं, न सिर्फ़ वह जिसके पास से प्याला मिल गया।”
Gene UrduGeoD 44:17  यूसुफ़ ने कहा, “अल्लाह न करे कि मैं ऐसा करूँ, बल्कि सिर्फ़ वही मेरा ग़ुलाम होगा जिसके पास प्याला था। बाक़ी सब सलामती से अपने बाप के पास वापस चले जाएँ।”
Gene UrduGeoD 44:18  लेकिन यहूदाह ने यूसुफ़ के क़रीब आकर कहा, “मेरे मालिक, मेहरबानी करके अपने बंदे को एक बात करने की इजाज़त दें। मुझ पर ग़ुस्सा न करें अगरचे आप मिसर के बादशाह जैसे हैं।
Gene UrduGeoD 44:19  जनाबे-आली, आपने हमसे पूछा, ‘क्या तुम्हारा बाप या कोई और भाई है?’
Gene UrduGeoD 44:20  हमने जवाब दिया, ‘हमारा बाप है। वह बूढ़ा है। हमारा एक छोटा भाई भी है जो उस वक़्त पैदा हुआ जब हमारा बाप उम्ररसीदा था। उस लड़के का भाई मर चुका है। उस की माँ के सिर्फ़ यह दो बेटे पैदा हुए। अब वह अकेला ही रह गया है। उसका बाप उसे शिद्दत से प्यार करता है।’
Gene UrduGeoD 44:21  जनाबे-आली, आपने हमें बताया, ‘उसे यहाँ ले आओ ताकि मैं ख़ुद उसे देख सकूँ।’
Gene UrduGeoD 44:22  हमने जवाब दिया, ‘यह लड़का अपने बाप को छोड़ नहीं सकता, वरना उसका बाप मर जाएगा।’
Gene UrduGeoD 44:23  फिर आपने कहा, ‘तुम सिर्फ़ इस सूरत में मेरे पास आ सकोगे कि तुम्हारा सबसे छोटा भाई तुम्हारे साथ हो।’
Gene UrduGeoD 44:24  जब हम अपने बाप के पास वापस पहुँचे तो हमने उन्हें सब कुछ बताया जो आपने कहा था।
Gene UrduGeoD 44:25  फिर उन्होंने हमसे कहा, ‘मिसर लौटकर कुछ ग़ल्ला ख़रीद लाओ।’
Gene UrduGeoD 44:26  हमने जवाब दिया, ‘हम जा नहीं सकते। हम सिर्फ़ इस सूरत में उस मर्द के पास जा सकते हैं कि हमारा सबसे छोटा भाई साथ हो। हम तब ही जा सकते हैं जब वह भी हमारे साथ चले।’
Gene UrduGeoD 44:27  हमारे बाप ने हमसे कहा, ‘तुम जानते हो कि मेरी बीवी राख़िल से मेरे दो बेटे पैदा हुए।
Gene UrduGeoD 44:28  पहला मुझे छोड़ चुका है। किसी जंगली जानवर ने उसे फाड़ खाया होगा, क्योंकि उसी वक़्त से मैंने उसे नहीं देखा।
Gene UrduGeoD 44:29  अगर इसको भी मुझसे ले जाने की वजह से जानी नुक़सान पहुँचे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म के मारे पाताल में पहुँचाओगे’।”
Gene UrduGeoD 44:30  यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, “जनाबे-आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास जाऊँ और वह देखें कि लड़का मेरे साथ नहीं है तो वह दम तोड़ देंगे। उनकी ज़िंदगी इस क़दर लड़के की ज़िंदगी पर मुनहसिर है और वह इतने बूढ़े हैं कि हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक पहुँचा देंगे।
Gene UrduGeoD 44:31  यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, “जनाबे-आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास जाऊँ और वह देखें कि लड़का मेरे साथ नहीं है तो वह दम तोड़ देंगे। उनकी ज़िंदगी इस क़दर लड़के की ज़िंदगी पर मुनहसिर है और वह इतने बूढ़े हैं कि हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक पहुँचा देंगे।
Gene UrduGeoD 44:32  न सिर्फ़ यह बल्कि मैंने बाप से कहा, ‘मैं ख़ुद इसका ज़ामिन हूँगा। अगर मैं इसे सलामती से वापस न पहुँचाऊँ तो फिर मैं ज़िंदगी के आख़िर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा।’
Gene UrduGeoD 44:33  अब अपने ख़ादिम की गुज़ारिश सुनें। मैं यहाँ रहकर इस लड़के की जगह ग़ुलाम बन जाता हूँ, और वह दूसरे भाइयों के साथ वापस चला जाए।
Gene UrduGeoD 44:34  अगर लड़का मेरे साथ न हुआ तो मैं किस तरह अपने बाप को मुँह दिखा सकता हूँ? मैं बरदाश्त नहीं कर सकूँगा कि वह इस मुसीबत में मुब्तला हो जाएँ।”
Chapter 45
Gene UrduGeoD 45:1  यह सुनकर यूसुफ़ अपने आप पर क़ाबू न रख सका। उसने ऊँची आवाज़ से हुक्म दिया कि तमाम मुलाज़िम कमरे से निकल जाएँ। कोई और शख़्स कमरे में नहीं था जब यूसुफ़ ने अपने भाइयों को बताया कि वह कौन है।
Gene UrduGeoD 45:2  वह इतने ज़ोर से रो पड़ा कि मिसरियों ने उस की आवाज़ सुनी और फ़िरौन के घराने को पता चल गया।
Gene UrduGeoD 45:3  यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं यूसुफ़ हूँ। क्या मेरा बाप अब तक ज़िंदा है?” लेकिन उसके भाई यह सुनकर इतने घबरा गए कि वह जवाब न दे सके।
Gene UrduGeoD 45:4  फिर यूसुफ़ ने कहा, “मेरे क़रीब आओ।” वह क़रीब आए तो उसने कहा, “मैं तुम्हारा भाई यूसुफ़ हूँ जिसे तुमने बोलकर मिसर भिजवाया।
Gene UrduGeoD 45:5  अब मेरी बात सुनो। न घबराओ और न अपने आपको इलज़ाम दो कि हमने यूसुफ़ को बेच दिया। असल में अल्लाह ने ख़ुद मुझे तुम्हारे आगे यहाँ भेज दिया ताकि हम सब बचे रहें।
Gene UrduGeoD 45:6  यह काल का दूसरा साल है। पाँच और साल के दौरान न हल चलेगा, न फ़सल कटेगी।
Gene UrduGeoD 45:7  अल्लाह ने मुझे तुम्हारे आगे भेजा ताकि दुनिया में तुम्हारा एक बचा-खुचा हिस्सा महफ़ूज़ रहे और तुम्हारी जान एक बड़ी मख़लसी की मारिफ़त छूट जाए।
Gene UrduGeoD 45:8  चुनाँचे तुमने मुझे यहाँ नहीं भेजा बल्कि अल्लाह ने। उसने मुझे फ़िरौन का बाप, उसके पूरे घराने का मालिक और मिसर का हाकिम बना दिया है।
Gene UrduGeoD 45:9  अब जल्दी से मेरे बाप के पास वापस जाकर उनसे कहो, ‘आपका बेटा यूसुफ़ आपको इत्तला देता है कि अल्लाह ने मुझे मिसर का मालिक बना दिया है। मेरे पास आ जाएँ, देर न करें।
Gene UrduGeoD 45:10  आप जुशन के इलाक़े में रह सकते हैं। वहाँ आप मेरे क़रीब होंगे, आप, आपकी आलो-औलाद, गाय-बैल, भेड़-बकरियाँ और जो कुछ भी आपका है।
Gene UrduGeoD 45:11  वहाँ मैं आपकी ज़रूरियात पूरी करूँगा, क्योंकि काल को अभी पाँच साल और लगेंगे। वरना आप, आपके घरवाले और जो भी आपके हैं बदहाल हो जाएंगे।’
Gene UrduGeoD 45:12  तुम ख़ुद और मेरा भाई बिनयमीन देख सकते हो कि मैं यूसुफ़ ही हूँ जो तुम्हारे साथ बात कर रहा हूँ।
Gene UrduGeoD 45:13  मेरे बाप को मिसर में मेरे असरो-रसूख़ के बारे में इत्तला दो। उन्हें सब कुछ बताओ जो तुमने देखा है। फिर जल्द ही मेरे बाप को यहाँ ले आओ।”
Gene UrduGeoD 45:14  यह कहकर वह अपने भाई बिनयमीन को गले लगाकर रो पड़ा। बिनयमीन भी उसके गले लगकर रोने लगा।
Gene UrduGeoD 45:15  फिर यूसुफ़ ने रोते हुए अपने हर एक भाई को बोसा दिया। इसके बाद उसके भाई उसके साथ बातें करने लगे।
Gene UrduGeoD 45:16  जब यह ख़बर बादशाह के महल तक पहुँची कि यूसुफ़ के भाई आए हैं तो फ़िरौन और उसके तमाम अफ़सरान ख़ुश हुए।
Gene UrduGeoD 45:17  उसने यूसुफ़ से कहा, “अपने भाइयों को बता कि अपने जानवरों पर ग़ल्ला लादकर मुल्के-कनान वापस चले जाओ।
Gene UrduGeoD 45:18  वहाँ अपने बाप और ख़ानदानों को लेकर मेरे पास आ जाओ। मैं तुमको मिसर की सबसे अच्छी ज़मीन दे दूँगा, और तुम इस मुल्क की बेहतरीन पैदावार खा सकोगे।
Gene UrduGeoD 45:19  उन्हें यह हिदायत भी दे कि अपने बाल-बच्चों के लिए मिसर से गाड़ियाँ ले जाओ और अपने बाप को भी बिठाकर यहाँ ले आओ।
Gene UrduGeoD 45:20  अपने माल की ज़्यादा फ़िकर न करो, क्योंकि तुम्हें मुल्के-मिसर का बेहतरीन माल मिलेगा।”
Gene UrduGeoD 45:21  यूसुफ़ के भाइयों ने ऐसा ही किया। यूसुफ़ ने उन्हें बादशाह के हुक्म के मुताबिक़ गाड़ियाँ और सफ़र के लिए ख़ुराक दी।
Gene UrduGeoD 45:22  उसने हर एक भाई को कपड़ों का एक जोड़ा भी दिया। लेकिन बिनयमीन को उसने चाँदी के 300 सिक्के और पाँच जोड़े दिए।
Gene UrduGeoD 45:23  उसने अपने बाप को दस गधे भिजवा दिए जो मिसर के बेहतरीन माल से लदे हुए थे और दस गधियाँ जो अनाज, रोटी और बाप के सफ़र के लिए खाने से लदी हुई थीं।
Gene UrduGeoD 45:24  यों उसने अपने भाइयों को रुख़सत करके कहा, “रास्ते में झगड़ा न करना।”
Gene UrduGeoD 45:25  वह मिसर से रवाना होकर मुल्के-कनान में अपने बाप के पास पहुँचे।
Gene UrduGeoD 45:26  उन्होंने उससे कहा, “यूसुफ़ ज़िंदा है! वह पूरे मिसर का हाकिम है।” लेकिन याक़ूब हक्का-बक्का रह गया, क्योंकि उसे यक़ीन न आया।
Gene UrduGeoD 45:27  ताहम उन्होंने उसे सब कुछ बताया जो यूसुफ़ ने उनसे कहा था, और उसने ख़ुद वह गाड़ियाँ देखीं जो यूसुफ़ ने उसे मिसर ले जाने के लिए भिजवा दी थीं। फिर याक़ूब की जान में जान आ गई,
Gene UrduGeoD 45:28  और उसने कहा, “मेरा बेटा यूसुफ़ ज़िंदा है! यही काफ़ी है। मरने से पहले मैं जाकर उससे मिलूँगा।”
Chapter 46
Gene UrduGeoD 46:1  याक़ूब सब कुछ लेकर रवाना हुआ और बैर-सबा पहुँचा। वहाँ उसने अपने बाप इसहाक़ के ख़ुदा के हुज़ूर क़ुरबानियाँ चढ़ाईं।
Gene UrduGeoD 46:2  रात को अल्लाह रोया में उससे हमकलाम हुआ। उसने कहा, “याक़ूब, याक़ूब!” याक़ूब ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”
Gene UrduGeoD 46:3  अल्लाह ने कहा, “मैं अल्लाह हूँ, तेरे बाप इसहाक़ का ख़ुदा। मिसर जाने से मत डर, क्योंकि वहाँ मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।
Gene UrduGeoD 46:4  मैं तेरे साथ मिसर जाऊँगा और तुझे इस मुल्क में वापस भी ले आऊँगा। जब तू मरेगा तो यूसुफ़ ख़ुद तेरी आँखें बंद करेगा।”
Gene UrduGeoD 46:5  इसके बाद याक़ूब बैर-सबा से रवाना हुआ। उसके बेटों ने उसे और अपने बाल-बच्चों को उन गाड़ियों में बिठा दिया जो मिसर के बादशाह ने भिजवाई थीं।
Gene UrduGeoD 46:6  यों याक़ूब और उस की तमाम औलाद अपने मवेशी और कनान में हासिल किया हुआ माल लेकर मिसर चले गए।
Gene UrduGeoD 46:7  याक़ूब के बेटे-बेटियाँ, पोते-पोतियाँ और बाक़ी औलाद सब साथ गए।
Gene UrduGeoD 46:8  इसराईल की औलाद के नाम जो मिसर चली गई यह हैं : याक़ूब के पहलौठे रूबिन
Gene UrduGeoD 46:9  के बेटे हनूक, फ़ल्लू, हसरोन और करमी थे।
Gene UrduGeoD 46:10  शमौन के बेटे यमुएल, यमीन, उहद, यकीन, सुहर और साऊल थे (साऊल कनानी औरत का बच्चा था)।
Gene UrduGeoD 46:11  लावी के बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे।
Gene UrduGeoD 46:12  यहूदाह के बेटे एर, ओनान, सेला, फ़ारस और ज़ारह थे (एर और ओनान कनान में मर चुके थे)। फ़ारस के दो बेटे हसरोन और हमूल थे।
Gene UrduGeoD 46:13  इशकार के बेटे तोला, फ़ुव्वा, योब और सिमरोन थे।
Gene UrduGeoD 46:14  ज़बूलून के बेटे सरद, ऐलोन और यहलियेल थे।
Gene UrduGeoD 46:15  इन बेटों की माँ लियाह थी, और वह मसोपुतामिया में पैदा हुए। इनके अलावा दीना उस की बेटी थी। कुल 33 मर्द लियाह की औलाद थे।
Gene UrduGeoD 46:16  जद के बेटे सिफ़ियान, हज्जी, सूनी, इसबून, एरी, अरूदी और अरेली थे।
Gene UrduGeoD 46:17  आशर के बेटे यिमना, इसवाह, इसवी और बरिया थे। आशर की बेटी सिरह थी, और बरिया के दो बेटे थे, हिबर और मलकियेल।
Gene UrduGeoD 46:18  कुल 16 अफ़राद ज़िलफ़ा की औलाद थे जिसे लाबन ने अपनी बेटी लियाह को दिया था।
Gene UrduGeoD 46:19  राख़िल के बेटे यूसुफ़ और बिनयमीन थे।
Gene UrduGeoD 46:20  यूसुफ़ के दो बेटे मनस्सी और इफ़राईम मिसर में पैदा हुए। उनकी माँ ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा की बेटी आसनत थी।
Gene UrduGeoD 46:21  बिनयमीन के बेटे बाला, बकर, अशबेल, जीरा, नामान, इख़ी, रोस, मुफ़्फ़ीम, हुफ़्फ़ीम और अर्द थे।
Gene UrduGeoD 46:22  कुल 14 मर्द राख़िल की औलाद थे।
Gene UrduGeoD 46:23  दान का बेटा हुशीम था।
Gene UrduGeoD 46:24  नफ़ताली के बेटे यहसियेल, जूनी, यिसर और सिल्लीम थे।
Gene UrduGeoD 46:25  कुल 7 मर्द बिलहाह की औलाद थे जिसे लाबन ने अपनी बेटी राख़िल को दिया था।
Gene UrduGeoD 46:26  याक़ूब की औलाद के 66 अफ़राद उसके साथ मिसर चले गए। इस तादाद में बेटों की बीवियाँ शामिल नहीं थीं।
Gene UrduGeoD 46:27  जब हम याक़ूब, यूसुफ़ और उसके दो बेटे इनमें शामिल करते हैं तो याक़ूब के घराने के 70 अफ़राद मिसर गए।
Gene UrduGeoD 46:28  याक़ूब ने यहूदाह को अपने आगे यूसुफ़ के पास भेजा ताकि वह जुशन में उनसे मिले। जब वह वहाँ पहुँचे
Gene UrduGeoD 46:29  तो यूसुफ़ अपने रथ पर सवार होकर अपने बाप से मिलने के लिए जुशन गया। उसे देखकर वह उसके गले लगकर काफ़ी देर रोता रहा।
Gene UrduGeoD 46:30  याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “अब मैं मरने के लिए तैयार हूँ, क्योंकि मैंने ख़ुद देखा है कि तू ज़िंदा है।”
Gene UrduGeoD 46:31  फिर यूसुफ़ ने अपने भाइयों और अपने बाप के ख़ानदान के बाक़ी अफ़राद से कहा, “ज़रूरी है कि मैं जाकर बादशाह को इत्तला दूँ कि मेरे भाई और मेरे बाप का पूरा ख़ानदान जो कनान के रहनेवाले हैं मेरे पास आ गए हैं।
Gene UrduGeoD 46:32  मैं उससे कहूँगा, ‘यह आदमी भेड़-बकरियों के चरवाहे हैं। वह मवेशी पालते हैं, इसलिए अपनी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और बाक़ी सारा माल अपने साथ ले आए हैं।’
Gene UrduGeoD 46:33  बादशाह तुम्हें बुलाकर पूछेगा कि तुम क्या काम करते हो?
Gene UrduGeoD 46:34  फिर तुमको जवाब देना है, ‘आपके ख़ादिम बचपन से मवेशी पालते आए हैं। यह हमारे बापदादा का पेशा था और हमारा भी है।’ अगर तुम यह कहो तो तुम्हें जुशन में रहने की इजाज़त मिलेगी। क्योंकि भेड़-बकरियों के चरवाहे मिसरियों की नज़र में क़ाबिले-नफ़रत हैं।”
Chapter 47
Gene UrduGeoD 47:1  यूसुफ़ फ़िरौन के पास गया और उसे इत्तला देकर कहा, “मेरा बाप और भाई अपनी भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और सारे माल समेत मुल्के-कनान से आकर जुशन में ठहरे हुए हैं।”
Gene UrduGeoD 47:2  उसने अपने भाइयों में से पाँच को चुनकर फ़िरौन के सामने पेश किया।
Gene UrduGeoD 47:3  फ़िरौन ने भाइयों से पूछा, “तुम क्या काम करते हो?” उन्होंने जवाब दिया, “आपके ख़ादिम भेड़-बकरियों के चरवाहे हैं। यह हमारे बापदादा का पेशा था और हमारा भी है।
Gene UrduGeoD 47:4  हम यहाँ आए हैं ताकि कुछ देर अजनबी की हैसियत से आपके पास ठहरें, क्योंकि काल ने कनान में बहुत ज़ोर पकड़ा है। वहाँ आपके ख़ादिमों के जानवरों के लिए चरागाहें ख़त्म हो गई हैं। इसलिए हमें जुशन में रहने की इजाज़त दें।”
Gene UrduGeoD 47:5  बादशाह ने यूसुफ़ से कहा, “तेरा बाप और भाई तेरे पास आ गए हैं।
Gene UrduGeoD 47:6  मुल्के-मिसर तेरे सामने खुला है। उन्हें बेहतरीन जगह पर आबाद कर। वह जुशन में रहें। और अगर उनमें से कुछ हैं जो ख़ास क़ाबिलियत रखते हैं तो उन्हें मेरे मवेशियों की निगहदाशत पर रख।”
Gene UrduGeoD 47:7  फिर यूसुफ़ अपने बाप याक़ूब को ले आया और फ़िरौन के सामने पेश किया। याक़ूब ने बादशाह को बरकत दी।
Gene UrduGeoD 47:8  बादशाह ने उससे पूछा, “तुम्हारी उम्र क्या है?”
Gene UrduGeoD 47:9  याक़ूब ने जवाब दिया, “मैं 130 साल से इस दुनिया का मेहमान हूँ। मेरी ज़िंदगी मुख़तसर और तकलीफ़देह थी, और मेरे बापदादा मुझसे ज़्यादा उम्ररसीदा हुए थे जब वह इस दुनिया के मेहमान थे।”
Gene UrduGeoD 47:10  यह कहकर याक़ूब फ़िरौन को दुबारा बरकत देकर चला गया।
Gene UrduGeoD 47:11  फिर यूसुफ़ ने अपने बाप और भाइयों को मिसर में आबाद किया। उसने उन्हें रामसीस के इलाक़े में बेहतरीन ज़मीन दी जिस तरह बादशाह ने हुक्म दिया था।
Gene UrduGeoD 47:12  यूसुफ़ अपने बाप के पूरे घराने को ख़ुराक मुहैया करता रहा। हर ख़ानदान को उसके बच्चों की तादाद के मुताबिक़ ख़ुराक मिलती रही।
Gene UrduGeoD 47:13  काल इतना सख़्त था कि कहीं भी रोटी नहीं मिलती थी। मिसर और कनान में लोग निढाल हो गए।
Gene UrduGeoD 47:14  मिसर और कनान के तमाम पैसे अनाज ख़रीदने के लिए सर्फ़ हो गए। यूसुफ़ उन्हें जमा करके फ़िरौन के महल में ले आया।
Gene UrduGeoD 47:15  जब मिसर और कनान के पैसे ख़त्म हो गए तो मिसरियों ने यूसुफ़ के पास आकर कहा, “हमें रोटी दें! हम आपके सामने क्यों मरें? हमारे पैसे ख़त्म हो गए हैं।”
Gene UrduGeoD 47:16  यूसुफ़ ने जवाब दिया, “अगर आपके पैसे ख़त्म हैं तो मुझे अपने मवेशी दें। मैं उनके एवज़ रोटी देता हूँ।”
Gene UrduGeoD 47:17  चुनाँचे वह अपने घोड़े, भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और गधे यूसुफ़ के पास ले आए। इनके एवज़ उसने उन्हें ख़ुराक दी। उस साल उसने उन्हें उनके तमाम मवेशियों के एवज़ ख़ुराक मुहैया की।
Gene UrduGeoD 47:18  अगले साल वह दुबारा उसके पास आए। उन्होंने कहा, “जनाबे-आली, हम यह बात आपसे नहीं छुपा सकते कि अब हम सिर्फ़ अपने आप और अपनी ज़मीन को आपको दे सकते हैं। हमारे पैसे तो ख़त्म हैं और आप हमारे मवेशी भी ले चुके हैं।
Gene UrduGeoD 47:19  हम क्यों आपकी आँखों के सामने मर जाएँ? हमारी ज़मीन क्यों तबाह हो जाए? हमें रोटी दें तो हम और हमारी ज़मीन बादशाह की होगी। हम फ़िरौन के ग़ुलाम होंगे। हमें बीज दें ताकि हम जीते बचें और ज़मीन तबाह न हो जाए।”
Gene UrduGeoD 47:20  चुनाँचे यूसुफ़ ने फ़िरौन के लिए मिसर की पूरी ज़मीन ख़रीद ली। काल की सख़्ती के सबब से तमाम मिसरियों ने अपने खेत बेच दिए। इस तरीक़े से पूरा मुल्क फ़िरौन की मिलकियत में आ गया।
Gene UrduGeoD 47:21  यूसुफ़ ने मिसर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक के लोगों को शहरों में मुंतक़िल कर दिया।
Gene UrduGeoD 47:22  सिर्फ़ पुजारियों की ज़मीन आज़ाद रही। उन्हें अपनी ज़मीन बेचने की ज़रूरत ही नहीं थी, क्योंकि उन्हें फ़िरौन से इतना वज़ीफ़ा मिलता था कि गुज़ारा हो जाता था।
Gene UrduGeoD 47:23  यूसुफ़ ने लोगों से कहा, “ग़ौर से सुनें। आज मैंने आपको और आपकी ज़मीन को बादशाह के लिए ख़रीद लिया है। अब यह बीज लेकर अपने खेतों में बोना।
Gene UrduGeoD 47:24  आपको फ़िरौन को फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा देना है। बाक़ी पैदावार आपकी होगी। आप इससे बीज बो सकते हैं, और यह आपके और आपके घरानों और बच्चों के खाने के लिए होगा।”
Gene UrduGeoD 47:25  उन्होंने जवाब दिया, “आपने हमें बचाया है। हमारे मालिक हम पर मेहरबानी करें तो हम फ़िरौन के ग़ुलाम बनेंगे।”
Gene UrduGeoD 47:26  इस तरह यूसुफ़ ने मिसर में यह क़ानून नाफ़िज़ किया कि हर फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा बादशाह का है। यह क़ानून आज तक जारी है। सिर्फ़ पुजारियों की ज़मीन बादशाह की मिलकियत में न आई।
Gene UrduGeoD 47:27  इसराईली मिसर में जुशन के इलाक़े में आबाद हुए। वहाँ उन्हें ज़मीन मिली, और वह फले-फूले और तादाद में बहुत बढ़ गए।
Gene UrduGeoD 47:28  याक़ूब 17 साल मिसर में रहा। वह 147 साल का था जब फ़ौत हुआ।
Gene UrduGeoD 47:29  जब मरने का वक़्त क़रीब आया तो उसने यूसुफ़ को बुलाकर कहा, “मेहरबानी करके अपना हाथ मेरी रान के नीचे रखकर क़सम खा कि तू मुझ पर शफ़क़त और वफ़ादारी का इस तरह इज़हार करेगा कि मुझे मिसर में दफ़न नहीं करेगा।
Gene UrduGeoD 47:30  जब मैं मरकर अपने बापदादा से जा मिलूँगा तो मुझे मिसर से ले जाकर मेरे बापदादा की क़ब्र में दफ़नाना।” यूसुफ़ ने जवाब दिया, “ठीक है।”
Gene UrduGeoD 47:31  याक़ूब ने कहा, “क़सम खा कि तू ऐसा ही करेगा।” यूसुफ़ ने क़सम खाई। तब इसराईल ने अपने बिस्तर के सिरहाने पर अल्लाह को सिजदा किया।
Chapter 48
Gene UrduGeoD 48:1  कुछ देर के बाद यूसुफ़ को इत्तला दी गई कि आपका बाप बीमार है। वह अपने दो बेटों मनस्सी और इफ़राईम को साथ लेकर याक़ूब से मिलने गया।
Gene UrduGeoD 48:2  याक़ूब को बताया गया, “आपका बेटा आ गया है” तो वह अपने आपको सँभालकर अपने बिस्तर पर बैठ गया।
Gene UrduGeoD 48:3  उसने यूसुफ़ से कहा, “जब मैं कनानी शहर लूज़ में था तो अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ मुझ पर ज़ाहिर हुआ। उसने मुझे बरकत देकर
Gene UrduGeoD 48:4  कहा, ‘मैं तुझे फलने फूलने दूँगा और तेरी औलाद बढ़ा दूँगा बल्कि तुझसे बहुत-सी क़ौमें निकलने दूँगा। और मैं तेरी औलाद को यह मुल्क हमेशा के लिए दे दूँगा।’
Gene UrduGeoD 48:5  अब मेरी बात सुन। मैं चाहता हूँ कि तेरे बेटे जो मेरे आने से पहले मिसर में पैदा हुए मेरे बेटे हों। इफ़राईम और मनस्सी रूबिन और शमौन के बराबर ही मेरे बेटे हों।
Gene UrduGeoD 48:6  अगर इनके बाद तेरे हाँ और बेटे पैदा हो जाएँ तो वह मेरे बेटे नहीं बल्कि तेरे ठहरेंगे। जो मीरास वह पाएँगे वह उन्हें इफ़राईम और मनस्सी की मीरास में से मिलेगी।
Gene UrduGeoD 48:7  मैं यह तेरी माँ राख़िल के सबब से कर रहा हूँ जो मसोपुतामिया से वापसी के वक़्त कनान में इफ़राता के क़रीब मर गई। मैंने उसे वहीं रास्ते में दफ़न किया” (आज इफ़राता को बैत-लहम कहा जाता है)।
Gene UrduGeoD 48:8  फिर याक़ूब ने यूसुफ़ के बेटों पर नज़र डालकर पूछा, “यह कौन हैं?”
Gene UrduGeoD 48:9  यूसुफ़ ने जवाब दिया, “यह मेरे बेटे हैं जो अल्लाह ने मुझे यहाँ मिसर में दिए।” याक़ूब ने कहा, “उन्हें मेरे क़रीब ले आ ताकि मैं उन्हें बरकत दूँ।”
Gene UrduGeoD 48:10  बूढ़ा होने के सबब से याक़ूब की आँखें कमज़ोर थीं। वह अच्छी तरह देख नहीं सकता था। यूसुफ़ अपने बेटों को याक़ूब के पास ले आया तो उसने उन्हें बोसा देकर गले लगाया
Gene UrduGeoD 48:11  और यूसुफ़ से कहा, “मुझे तवक़्क़ो ही नहीं थी कि मैं कभी तेरा चेहरा देखूँगा, और अब अल्लाह ने मुझे तेरे बेटों को देखने का मौक़ा भी दिया है।”
Gene UrduGeoD 48:12  फिर यूसुफ़ उन्हें याक़ूब की गोद में से लेकर ख़ुद उसके सामने मुँह के बल झुक गया।
Gene UrduGeoD 48:13  यूसुफ़ ने इफ़राईम को याक़ूब के बाएँ हाथ रखा और मनस्सी को उसके दाएँ हाथ।
Gene UrduGeoD 48:14  लेकिन याक़ूब ने अपना दहना हाथ बाईं तरफ़ बढ़ाकर इफ़राईम के सर पर रखा अगरचे वह छोटा था। इस तरह उसने अपना बायाँ हाथ दाईं तरफ़ बढ़ाकर मनस्सी के सर पर रखा जो बड़ा था।
Gene UrduGeoD 48:15  फिर उसने यूसुफ़ को उसके बेटों की मारिफ़त बरकत दी, “अल्लाह जिसके हुज़ूर मेरे बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ चलते रहे और जो शुरू से आज तक मेरा चरवाहा रहा है इन्हें बरकत दे।
Gene UrduGeoD 48:16  जिस फ़रिश्ते ने एवज़ाना देकर मुझे हर नुक़सान से बचाया है वह इन्हें बरकत दे। अल्लाह करे कि इनमें मेरा नाम और मेरे बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ के नाम जीते रहें। दुनिया में इनकी औलाद की तादाद बहुत बढ़ जाए।”
Gene UrduGeoD 48:17  जब यूसुफ़ ने देखा कि बाप ने अपना दहना हाथ छोटे बेटे इफ़राईम के सर पर रखा है तो यह उसे बुरा लगा, इसलिए उसने बाप का हाथ पकड़ा ताकि उसे इफ़राईम के सर पर से उठाकर मनस्सी के सर पर रखे।
Gene UrduGeoD 48:18  उसने कहा, “अब्बू, ऐसे नहीं। दूसरा लड़का बड़ा है। उसी पर अपना दहना हाथ रखें।”
Gene UrduGeoD 48:19  लेकिन बाप ने इनकार करके कहा, “मुझे पता है बेटा, मुझे पता है। वह भी एक बड़ी क़ौम बनेगा। फिर भी उसका छोटा भाई उससे बड़ा होगा और उससे क़ौमों की बड़ी तादाद निकलेगी।”
Gene UrduGeoD 48:20  उस दिन उसने दोनों बेटों को बरकत देकर कहा, “इसराईली तुम्हारा नाम लेकर बरकत दिया करेंगे। जब वह बरकत देंगे तो कहेंगे, ‘अल्लाह आपके साथ वैसा करे जैसा उसने इफ़राईम और मनस्सी के साथ किया है’।” इस तरह याक़ूब ने इफ़राईम को मनस्सी से बड़ा बना दिया।
Gene UrduGeoD 48:21  यूसुफ़ से उसने कहा, “मैं तो मरनेवाला हूँ, लेकिन अल्लाह तुम्हारे साथ होगा और तुम्हें तुम्हारे बापदादा के मुल्क में वापस ले जाएगा।
Gene UrduGeoD 48:22  एक बात में मैं तुझे तेरे भाइयों पर तरजीह देता हूँ, मैं तुझे कनान में वह क़ितआ देता हूँ जो मैंने अपनी तलवार और कमान से अमोरियों से छीना था।”
Chapter 49
Gene UrduGeoD 49:1  याक़ूब ने अपने बेटों को बुलाकर कहा, “मेरे पास जमा हो जाओ ताकि मैं तुम्हें बताऊँ कि मुस्तक़बिल में तुम्हारे साथ क्या क्या होगा।
Gene UrduGeoD 49:2  ऐ याक़ूब के बेटो, इकट्ठे होकर सुनो, अपने बाप इसराईल की बातों पर ग़ौर करो।
Gene UrduGeoD 49:3  रूबिन, तुम मेरे पहलौठे हो, मेरे ज़ोर और मेरी ताक़त का पहला फल। तुम इज़्ज़त और क़ुव्वत के लिहाज़ से बरतर हो।
Gene UrduGeoD 49:4  लेकिन चूँकि तुम बेकाबू सैलाब की मानिंद हो इसलिए तुम्हारी अव्वल हैसियत जाती रहे। क्योंकि तुमने मेरी हरम से हमबिसतर होकर अपने बाप की बेहुरमती की है।
Gene UrduGeoD 49:5  शमौन और लावी दोनों भाइयों की तलवारें ज़ुल्मो-तशद्दुद के हथियार रहे हैं।
Gene UrduGeoD 49:6  मेरी जान न उनकी मजलिस में शामिल और न उनकी जमात में दाख़िल हो, क्योंकि उन्होंने ग़ुस्से में आकर दूसरों को क़त्ल किया है, उन्होंने अपनी मरज़ी से बैलों की कोंचें काटी हैं।
Gene UrduGeoD 49:7  उनके ग़ुस्से पर लानत हो जो इतना ज़बरदस्त है और उनके तैश पर जो इतना सख़्त है। मैं उन्हें याक़ूब के मुल्क में तित्तर-बित्तर करूँगा, उन्हें इसराईल में मुंतशिर कर दूँगा।
Gene UrduGeoD 49:8  यहूदाह, तुम्हारे भाई तुम्हारी तारीफ़ करेंगे। तुम अपने दुश्मनों की गरदन पकड़े रहोगे, और तुम्हारे बाप के बेटे तुम्हारे सामने झुक जाएंगे।
Gene UrduGeoD 49:9  यहूदाह शेरबबर का बच्चा है। मेरे बेटे, तुम अभी अभी शिकार मारकर वापस आए हो। यहूदाह शेरबबर बल्कि शेरनी की तरह दबककर बैठ जाता है। कौन उसे छेड़ने की जुर्रत करेगा?
Gene UrduGeoD 49:10  शाही असा यहूदाह से दूर नहीं होगा बल्कि शाही इख़्तियार उस वक़्त तक उस की औलाद के पास रहेगा जब तक वह हाकिम न आए जिसके ताबे क़ौमें रहेंगी।
Gene UrduGeoD 49:11  वह अपना जवान गधा अंगूर की बेल से और अपनी गधी का बच्चा बेहतरीन अंगूर की बेल से बाँधेगा। वह अपना लिबास मै में और अपना कपड़ा अंगूर के ख़ून में धोएगा।
Gene UrduGeoD 49:12  उस की आँखें मै से ज़्यादा गदली और उसके दाँत दूध से ज़्यादा सफ़ेद होंगे।
Gene UrduGeoD 49:13  ज़बूलून साहिल पर आबाद होगा जहाँ बहरी जहाज़ होंगे। उस की हद सैदा तक होगी।
Gene UrduGeoD 49:14  इशकार ताक़तवर गधा है जो अपने ज़ीन के दो बोरों के दरमियान बैठा है।
Gene UrduGeoD 49:15  जब वह देखेगा कि उस की आरामगाह अच्छी और उसका मुल्क ख़ुशनुमा है तो वह बोझ उठाने के लिए तैयार हो जाएगा और उजरत के बग़ैर काम करने के लिए मजबूर किया जाएगा।
Gene UrduGeoD 49:16  दान अपनी क़ौम का इनसाफ़ करेगा अगरचे वह इसराईल के क़बीलों में से एक ही है।
Gene UrduGeoD 49:17  दान सड़क के साँप और रास्ते के अफ़ई की मानिंद होगा। वह घोड़े की एड़ियों को काटेगा तो उसका सवार पीछे गिर जाएगा।
Gene UrduGeoD 49:18  ऐ रब, मैं तेरी ही नजात के इंतज़ार में हूँ!
Gene UrduGeoD 49:19  जद पर डाकुओं का जत्था हमला करेगा, लेकिन वह पलटकर उसी पर हमला कर देगा।
Gene UrduGeoD 49:20  आशर को ग़िज़ाइयतवाली ख़ुराक हासिल होगी। वह लज़ीज़ शाही खाना मुहैया करेगा।
Gene UrduGeoD 49:21  नफ़ताली आज़ाद छोड़ी हुई हिरनी है। वह ख़ूबसूरत बातें करता है।
Gene UrduGeoD 49:22  यूसुफ़ फलदार बेल है। वह चश्मे पर लगी हुई फलदार बेल है जिसकी शाख़ें दीवार पर चढ़ गई हैं।
Gene UrduGeoD 49:23  तीरअंदाज़ों ने उस पर तीर चलाकर उसे तंग किया और उसके पीछे पड़ गए,
Gene UrduGeoD 49:24  लेकिन उस की कमान मज़बूत रही, और उसके बाज़ू याक़ूब के ज़ोरावर ख़ुदा के सबब से ताक़तवर रहे, उस चरवाहे के सबब से जो इसराईल का ज़बरदस्त सूरमा है।
Gene UrduGeoD 49:25  क्योंकि तेरे बाप का ख़ुदा तेरी मदद करता है, अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ तुझे आसमान की बरकत, ज़मीन की गहराइयों की बरकत और औलाद की बरकत देता है।
Gene UrduGeoD 49:26  तेरे बाप की बरकत क़दीम पहाड़ों और अबदी पहाड़ियों की मरग़ूब चीज़ों से ज़्यादा अज़ीम है। यह तमाम बरकत यूसुफ़ के सर पर हो, उस शख़्स के चाँद पर जो अपने भाइयों पर शहज़ादा है।
Gene UrduGeoD 49:27  बिनयमीन फाड़नेवाला भेड़िया है। सुबह वह अपना शिकार खा जाता और रात को अपना लूटा हुआ माल तक़सीम कर देता है।”
Gene UrduGeoD 49:28  यह इसराईल के कुल बारह क़बीले हैं। और यह वह कुछ है जो उनके बाप ने उनसे बरकत देते वक़्त कहा। उसने हर एक को उस की अपनी बरकत दी।
Gene UrduGeoD 49:29  फिर याक़ूब ने अपने बेटों को हुक्म दिया, “अब मैं कूच करके अपने बापदादा से जा मिलूँगा। मुझे मेरे बापदादा के साथ उस ग़ार में दफ़नाना जो हित्ती आदमी इफ़रोन के खेत में है।
Gene UrduGeoD 49:30  यानी उस ग़ार में जो मुल्के-कनान में ममरे के मशरिक़ में मकफ़ीला के खेत में है। इब्राहीम ने उसे खेत समेत अपने लोगों को दफ़नाने के लिए इफ़रोन हित्ती से ख़रीद लिया था।
Gene UrduGeoD 49:31  वहाँ इब्राहीम और उस की बीवी सारा दफ़नाए गए, वहाँ इसहाक़ और उस की बीवी रिबक़ा दफ़नाए गए और वहाँ मैंने लियाह को दफ़न किया।
Gene UrduGeoD 49:32  वह खेत और उसका ग़ार हित्तियों से ख़रीदा गया था।”
Gene UrduGeoD 49:33  इन हिदायात के बाद याक़ूब ने अपने पाँव बिस्तर पर समेट लिए और दम छोड़कर अपने बापदादा से जा मिला।
Chapter 50
Gene UrduGeoD 50:1  यूसुफ़ अपने बाप के चेहरे से लिपट गया। उसने रोते हुए उसे बोसा दिया।
Gene UrduGeoD 50:2  उसके मुलाज़िमों में से कुछ डाक्टर थे। उसने उन्हें हिदायत दी कि मेरे बाप इसराईल की लाश को हनूत करें ताकि वह गल न जाए। उन्होंने ऐसा ही किया।
Gene UrduGeoD 50:3  इसमें 40 दिन लग गए। आम तौर पर हनूत करने के लिए इतने ही दिन लगते हैं। मिसरियों ने 70 दिन तक याक़ूब का मातम किया।
Gene UrduGeoD 50:4  जब मातम का वक़्त ख़त्म हुआ तो यूसुफ़ ने बादशाह के दरबारियों से कहा, “मेहरबानी करके यह ख़बर बादशाह तक पहुँचा दें
Gene UrduGeoD 50:5  कि मेरे बाप ने मुझे क़सम दिलाकर कहा था, ‘मैं मरनेवाला हूँ। मुझे उस क़ब्र में दफ़न करना जो मैंने मुल्के-कनान में अपने लिए बनवाई।’ अब मुझे इजाज़त दें कि मैं वहाँ जाऊँ और अपने बाप को दफ़न करके वापस आऊँ।”
Gene UrduGeoD 50:6  फ़िरौन ने जवाब दिया, “जा, अपने बाप को दफ़न कर जिस तरह उसने तुझे क़सम दिलाई थी।”
Gene UrduGeoD 50:7  चुनाँचे यूसुफ़ अपने बाप को दफ़नाने के लिए कनान रवाना हुआ। बादशाह के तमाम मुलाज़िम, महल के बुज़ुर्ग और पूरे मिसर के बुज़ुर्ग उसके साथ थे।
Gene UrduGeoD 50:8  यूसुफ़ के घराने के अफ़राद, उसके भाई और उसके बाप के घराने के लोग भी साथ गए। सिर्फ़ उनके बच्चे, उनकी भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल जुशन में रहे।
Gene UrduGeoD 50:9  रथ और घुड़सवार भी साथ गए। सब मिलकर बड़ा लशकर बन गए।
Gene UrduGeoD 50:10  जब वह यरदन के क़रीब अतद के खलियान पर पहुँचे तो उन्होंने निहायत दिलसोज़ नोहा किया। वहाँ यूसुफ़ ने सात दिन तक अपने बाप का मातम किया।
Gene UrduGeoD 50:11  जब मक़ामी कनानियों ने अतद के खलियान पर मातम का यह नज़ारा देखा तो उन्होंने कहा, “यह तो मातम का बहुत बड़ा इंतज़ाम है जो मिसरी करवा रहे हैं।” इसलिए उस जगह का नाम अबील-मिसरीम यानी ‘मिसरियों का मातम’ पड़ गया।
Gene UrduGeoD 50:12  यों याक़ूब के बेटों ने अपने बाप का हुक्म पूरा किया।
Gene UrduGeoD 50:13  उन्होंने उसे मुल्के-कनान में ले जाकर मकफ़ीला के खेत के ग़ार में दफ़न किया जो ममरे के मशरिक़ में है। यह वही खेत है जो इब्राहीम ने इफ़रोन हित्ती से अपने लोगों को दफ़नाने के लिए ख़रीदा था।
Gene UrduGeoD 50:14  इसके बाद यूसुफ़, उसके भाई और बाक़ी तमाम लोग जो जनाज़े के लिए साथ गए थे मिसर को लौट आए।
Gene UrduGeoD 50:15  जब याक़ूब इंतक़ाल कर गया तो यूसुफ़ के भाई डर गए। उन्होंने कहा, “ख़तरा है कि अब यूसुफ़ हमारा ताक़्क़ुब करके उस ग़लत काम का बदला ले जो हमने उसके साथ किया था। फिर क्या होगा?”
Gene UrduGeoD 50:16  यह सोचकर उन्होंने यूसुफ़ को ख़बर भेजी, “आपके बाप ने मरने से पेशतर हिदायत दी
Gene UrduGeoD 50:17  कि यूसुफ़ को बताना, ‘अपने भाइयों के उस ग़लत काम को मुआफ़ कर देना जो उन्होंने तुम्हारे साथ किया।’ अब हमें जो आपके बाप के ख़ुदा के पैरोकार हैं मुआफ़ कर दें।” यह ख़बर सुनकर यूसुफ़ रो पड़ा।
Gene UrduGeoD 50:18  फिर उसके भाई ख़ुद आए और उसके सामने गिर गए। उन्होंने कहा, “हम आपके ख़ादिम हैं।”
Gene UrduGeoD 50:19  लेकिन यूसुफ़ ने कहा, “मत डरो। क्या मैं अल्लाह की जगह हूँ? हरगिज़ नहीं!
Gene UrduGeoD 50:20  तुमने मुझे नुक़सान पहुँचाने का इरादा किया था, लेकिन अल्लाह ने उससे भलाई पैदा की। और अब इसका मक़सद पूरा हो रहा है। बहुत-से लोग मौत से बच रहे हैं।
Gene UrduGeoD 50:21  चुनाँचे अब डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को ख़ुराक मुहैया करता रहूँगा।” यों यूसुफ़ ने उन्हें तसल्ली दी और उनसे नरमी से बात की।
Gene UrduGeoD 50:22  यूसुफ़ अपने बाप के ख़ानदान समेत मिसर में रहा। वह 110 साल ज़िंदा रहा।
Gene UrduGeoD 50:23  मौत से पहले उसने न सिर्फ़ इफ़राईम के बच्चों को बल्कि उसके पोतों को भी देखा। मनस्सी के बेटे मकीर के बच्चे भी उस की मौजूदगी में पैदा होकर उस की गोद में रखे गए।
Gene UrduGeoD 50:24  फिर एक वक़्त आया कि यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं मरनेवाला हूँ। लेकिन अल्लाह ज़रूर आपकी देख-भाल करके आपको इस मुल्क से उस मुल्क में ले जाएगा जिसका उसने इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से क़सम खाकर वादा किया है।”
Gene UrduGeoD 50:25  फिर यूसुफ़ ने इसराईलियों को क़सम दिलाकर कहा, “अल्लाह यक़ीनन तुम्हारी देख-भाल करके वहाँ ले जाएगा। उस वक़्त मेरी हड्डियों को भी उठाकर साथ ले जाना।”
Gene UrduGeoD 50:26  फिर यूसुफ़ फ़ौत हो गया। वह 110 साल का था। उसे हनूत करके मिसर में एक ताबूत में रखा गया।